BOOKS

बुधवार, 26 जून 2013

Baba Nagarjun Ki kvita,

कविता : बाबा नागार्जुन



 ताड़ का तिल है तिल का ताड़ है
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है
किसकी है जनवरी किसका अगस्त है
कौन यहाॅ सुखी है कौन यहाॅ मस्त है।
 सेठ ही सुखी है सेठ ही मस्त है।
मंत्री ही सूखी है मंत्री ही मस्त है।
उसी की जनवरी है उसी का अगस्त है।

जनता मुझसे पूछ रही है क्या बतलाउ
जनकवि हॅू मैं साफ कहुॅगा क्यूॅ हकलाउ।।

जनकवि बाबा नागार्जुन द्वारा रचित

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Featured Post

SUCCESS TIPS BY NISHANT JAIN IAS 2015 ( RANK 13 )

मुझे किसी भी  सफल व्यक्ति की सबसे महतवपूर्ण बात उसके STRUGGLE  में दिखती है . इस साल के हिंदी माध्यम के टॉपर निशांत जैन की कहानी बहुत प्रेर...