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बुधवार, 4 मार्च 2015

Love Story in Hindi

वो कहानी वाली लड़की  

" क्या सच में मै तुम्हारे लिए एक चरित्र मात्र ही थी ? " उसकी आवाज में न जाने कैसा दर्द था।
" हाँ , बस केवल एक चरित्र मात्र , इससे परे कुछ भी नही " मै बोला
" पर मैंने तो तुम्हे अपना सबकुछ मान लिया "
" कैसी बात कर रही हो , मुझसे कभी मिली तक नही और मुझे  सबकुछ मान लिया। "
"भले ही आप  से कभी रूबरू मुलाकात न हुई पर आप से कितनी बाते हुई है , हर विषय पर , हर पहलू पर और आप ने ही तो एक रोज कहा था कि तुम्हारे लिए तुम्हारे चरित्र सबसे करीबी होते है। आप से अपना अतीत शेयर करते हुए न जाने अपने दिल में आपको लेकर  ख्वाब पाल बैठी। मुझे लगा आप के दिल में भी मेरे लिए कुछ है। इतनी रात गए आप मुझ से बात करते थे ……… उसके कोई मायने नही थे   " उसकी आवाज भारी हो गयी थी।
" प्लीज, बात को समझिए , मै तो बस आपकी कहानी जानने के लिए उत्सुक था। उन सब बातों के सिर्फ यही मायने थे , मै एक सजीव चरित्र को खोज रहा था, कुछ ऐसी चीज की तलाश थी जिसे लिख कर.............. " मैंने अपनी बात अधूरी छोड़ दी।

© Asheesh Kumar

( मेरी कहानी का एक अंश , अपने नियमित पाठकों के लिए विशेष प्रस्तुति।   )

  

मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

BILLU BARBER

गाँव के बिल्लू बार्बर

ये घटना कानों की सुनी है आँखो  की देखी नही। इसलिए ज्यादा दिमाग मत खपायिगा। मै उसके बारे में ज्यादा जानता नही बस इस घटना की याद थोड़ी थोड़ी है। उसका वास्तविक नाम पता याद नही आ रहा है  पर उसे बिल्लू कह सकते है। उसकी कोई बाल बनाने की दुकान नही थी । जब किसी के घर में शादी बारात होती तो उसे काम के लिए बुला लिया जाता था।
तकनीक और जमाना चाहे कितना ही बदल गया हो पर शादी के जब तक कार्ड लोगो तो नही मिलते तब तक शादी के निमंत्रण को पूरा नही माना जाता है। अगर आप की शादी होने जा रही हो तो मजाल है किसी रिश्तेदार को आप कार्ड देना भूल जाये। उनका मुँह तुरंत फूल जायेगा। कुछ तो रिश्तेदार इतना ज्यादा भाव खाते है कि कार्ड भी दो और उन्हें शादी के लिए लिवाने भी जाओ।
गांव में किसी की शादी थी।  बिल्लू को  कार्ड बाटने को दिए गए। बिल्लू अपनी पुरानी साइकिल से पास के गावो में उसके रिस्तेदारोे को कार्ड देने गए।  बारात वाले दिन जिनको कार्ड भेजा गया उनमे  कोई भी शादी में नही पहुंचा। खैर जैसे तैसे बारात विदा हो गयी।
बाद में जब पता लगाया गया तो पता चला कि उन सब रिश्तेदारों को कोई कार्ड ही नही मिला था। बिल्लू से पूछा गया तो उसने कहा कि सबको कार्ड पहुंचा दिए थे।  बिल्लू के पूरे व्यकित्व पर प्रकाश डालने का वक़्त नही है सीधी और सरल बातों में कहु तो उनका दिमाग कुछ ढीला था।  बिल्लू सबसे खुलते भी नही थे।  सबको लग रहा था कि बिल्लू ने कुछ न कुछ खुरापात की है पर पता कैसे लगाया जाय ?

काफी दिनों बाद एक बुजुर्ग ने बिल्लू का रहस्य खोला।  गाँव के पास से ही एक नदी बहती है लोन नदी ( इस नदी का नाम लोन क्यू है इसकी कहानी फिर कभी ) . उस दिन जब बिल्लू शादी के कार्ड ले कर निकले तो उन्हें न जाने क्या हुआ।  उस नदी के पुल पर जा कर बैठ गए और शादी के कार्ड एक एक कर निकालने लगे।  कार्ड में जिसका नाम लिखा था उसको जोर जोर से पढ़ा-----
" रामसेवक कानपुर वाले , तुम्हारा कार्ड आ रहा है------ दुबे जी उन्नाव वाले तुम्हारा कार्ड आ रहा रहा है----- बीघापुर वाली बुआ , तुम्हारा कार्ड आ रहा है----------. "


और सारे कार्ड एक एक कर  नदी में बहा दिए।



( © आशीष। आशा है आप भी इससे कुछ सबक लेंगे। वरना आपके कार्ड नदी में जायेगे और रिश्तेदार मुँह फुलाए घूमेंगे )


















शनिवार, 3 जनवरी 2015

PART: 3 सफेद सूट वाली लडकी ?

PART: 3

सफेद सूट वाली लडकी   ?


मुझे पता नही क्या हुआ और मैंने ऐसा DECISION क्यू लिया बस  उस SATURDAY  कॉलेज से लौट कर घर जाने का मन न हुआ।  दिल ने कहा  ये घुटन भरी LIFE अब मै नही जी सकती।  एक ऐसी जिंदगी जिसमे मेरी कोई सहमति नही बस मॉम , डैड की मर्जी के अनुसार चलना। मै क्या करना चाहती हूँ उन्होंने कभी जानना ही नही चाहा।  दिल ने कहा  बस  इस उबन भरी जिंदगी से कही  दूर चली जाऊ जहां मै अपनी शर्तो पर जी सकु , 
स्कूटी STAND पर ही लगी रहने दी।  ऑटो पकड़ कर RAILWAY STATION चली गयी। मुझे पता नही था जाना कहा है।  बस पहले प्लेटफॉर्म पर पहली जो गाड़ी खड़ी थी उसी में चढ़ ली।  COACH के बाहर मैंने ऐसे सीट देख ली थी जहाँ  आसानी से कुछ देर बैठा जा सकता था।  मेरे पास TICKET नही था और चालाकी क्या होती है जानती भी नही पर जब आप अपनी धुन में होते है रास्ते अपने आप सूझने लगते है।  

सीट पर जाकर देखा एक लड़का बैठा था। मुझे देखते ही उसने  मेरे लिए आधी  सीट छोड़ दी।    ज्यादा तो नही पर मुझे इतनी समझ तो  आ  ही गयी थी कि  चिपकू लड़को से कैसे बचा जाय।  सीट पर बैठने से पहले अपना APPLE PHONE कान में लगा कर झूठे ही  फुसफुसाने लगी। इससे दोहरा असर होता एक उसको मुझसे जान पहचान करने का अवसर न मिलता दूसरा मै जताना चाहती थी कि  वो मेरे फ़ोन का SILVER C  वाला एप्पल का लोगो देख ले और समझ ले कि मै  कोई मामूली लड़की नही हूँ। आप सोच रहे होंगे मै किस तरह की लड़की हूँ।    आप मुझे गलत मत समझईये प्लीज जो सच्चाई है वही  बता रही हूँ।  
ये मेरी उम्मीद से परे  थे मुझे सीट पर बैठे ५ मिनट हो गए थे अभी तक उस लड़के ने  एक  बार भी  मेरे चेहरे पर नजर नही डाली थी।  मै अब अपने फ़ोन पर गेम खेलने लगी थी।  मै  चाहती थी कि  मै  व्यस्त दिखू  ताकि वो मुझसे चिपके नही। वो  अच्छी कद और शक्ल  का था।  उसकी एथलेटिक बॉडी को देख कर ऐसा  लगा   कि  किसी आर्मी या पोलिस में जॉब करता है।  कॉलेज के लड़को जैसा नही था।  कोई फैशन नही जैसे किसी छोटे शहर का हो।  मैंने एक  दो बार जब भी चोरी से उस पर नजर डाली वो मेरी ड्रेस  को घूर रहा था। वैसे मेरी ड्रेस घूरने लायक थी आज कॉलेज में BEAUTY CONTEST  था।  उसके लिए मैंने  वाइट कलर का FROCK SUIT पहना था। मेरी ड्रेस इतनी अच्छी थी कि  मै  बता नही सकती।  आम तौर पर मै  JEANS TOP पहनना पसंद करती हूँ।  मै  कम्पटीशन में जीत गयी थी।  मन में इतनी उलझन थी कि DRESS  चेंज किये बगैर मै  अपनी उस जिंदगी से भाग ली।

ये  कैसी उलझन थी ? मै  चाहती थी कि  उसका ध्यान  मेरी तरफ भी  जाये  और  मै  उदासीनता भी दिखा रही थी। उसकी ख़ामोशी अखरने लगी थी।  ट्रैन के कोच की SIDE SEAT पर एक स्मार्ट लड़के एक साथ सीट शेयर कर रही थी और वो लड़का मेरी ड्रेस और बालो में ही उलझा रहे।  मै बात करने के लिए बेचैन हो रही थी।  पागल एक बार मेरे चेहरे पर भी नजर डाल  तो सही मेरी काली गहरी आखो में डुंब न जाये तो कहना।  न जाने कितने लड़को ने मुझसे बात करनी चाही पर मैंने उन्हें कभी भाव न दिया और आज जब मै तुम्हारे बारे में जानने के लिए बेचैन हो रही हूँ तब तू चुप बैठा है। मै  सच में बहुत ज्यादा उत्सुक हो रही थी आखिर ये शक्स है कौन ? 

शायद मै  ही पहल कर उस लड़के से बात शुरू  देती पर तभी  एक और घटना हो गयी।  मेरी  सीट के पास  एक   शख्स आ कर खड़ा हो गया। उसका चेहरा लोहे जैसा सख्त दिख रहा था। BLACK COAT और हाथ में ब्रीफ़केस लिए वो अजनबी किसी विलेन जैसा लग रहा था।  आते ही उसने मुझे सीट से उठा दिया।  मै अपना   बैग उठा कर आगे बढ़ आयी।  मेरे पास कोई विकल्प नही था।  रिजर्वेशन की बात छोड़ो  मेरी पास तो टिकट भी नही थी।  

मुझे  बहुत शर्मिदगी हो रही थी।  उस सहयात्री ने मेरे बारे में क्या सोचा होगा ? मै  कितनी घटिया लड़की हूँ  जो झूठ मूठ  ही उसकी सीट पर अपना अधिकार जता रही थी।  मै कोच में आगे बढ़ आई दरवाजे के पास अपना PHONE  चार्ज करने लगी।  TRAIN में बहुत भीड़ थी।  दिवाली की छुट्टी में सभी अपने अपने घर जा रहे थे।  और एक मै  थी जो अपना घर छोड़ कर जा रही थी।   मै  उस बारे में अधिक सोचना नही चाहती थी।  बस  मैंने जो निर्णय लिया था वो सही था मैंने अपने आप को समझाया।  

रात  के १२ बज रहे थे।  फ़ोन तो चार्ज हो गया था  खड़े खड़े मेरे पैर दुखने लगे थे पर मै  क्या करती मेरे पास उसी जगह खड़े रहने के सिवा  दूसरा विकल्प न था। गाड़ी रुक रही थी शायद कोई STATION आ रहा था।  तभी मैंने देखा मेरा सहयात्री , उस अजनबी साथ मेरी  ओर  चले आ रहे थे।  मै  घूम कर खड़ी हो गयी मै  उसकी नजरो का सामना कैसे करती  ?  

वो दोनों उतर  रहे थे। समझ नही आ रहा था कि  वो दोनों  परिचित है या अपरिचित।  दोनों में कोई बातचीत नही।  बस  अजनबी के पीछे मेरा सहयात्री चला जा रहा था।  मेरी SIXTH SENSE ने कहा  ' कुछ तो गड़बड़ है। '  मैंने अपना CHARGER  निकाल  कर बैग में रख लिया। मै  भी उस स्टेशन पर उतर रही थी।     
       
STORY OF A REAL HERO

( कहानी जारी है >>>>>>>) © आशीष कुमार

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बुधवार, 31 दिसंबर 2014

PART: 1 वो कौन था ?

PART: 1 वो कौन था ?

बहुत मुश्किल से office से छुट्टी मिल पायी थी . Diwali का festival था . इसलिए ट्रेन में बहुत ज्यादा भीड़ थी . AC में टिकट कन्फर्म होने से रहा यही सोच कर sleeper में टिकट थी . अतिंम समय तक RAC ही बना रहा . समझ न आ रहा था कि सहयात्री कौन होगा और कैसा होगा .

समय से पहले ही स्टेशन पहुच गया था . बहुत साफ सुथरा station था . इन दिनों वाकई काफी साफ सफाई पर जोर दिया जाने लगा है . डिब्बे में जाकर अपनी सीट देखी . साइड सीट थी . ऐसा ही होता है जब आप की टिकट RAC में होती है . सामान के नाम पर एक bag था . कुछ दिनों के लिए ही घर जाना हो रहा था .
धीरे धीरे लोग आना शुरु हो गये . साथ ही वेंडर  , भिखारी  भी . ट्रेन चलने को हुई तब भी मै अपनी सीट पर अकेला था . अगले स्टेशन पर मेरी सहयात्री आयी . यह मेरी सोच से परे था . सोचा था कोई बन्दा होगा . सफर बातचीत  में कट जायेगा . पर यह कोई MBA की स्टुडेंट थी  और थोड़ी देर जता भी दिया . जब हो आयी तब उसके कान के फोन लगा था . मुझे सिल्वर एप्पल दिख था . कुछ देर बाद फ़ोन कान से हाथ में आ गया . अब शायद what app या फेसबुक पर वो बिजी थी . यह एक अवसर था मै  उसे अच्छे देख सकूँ।

किसी किसी के कपड़ो की पसंद कितनी अच्छी होती है। white color का एक लांग  सूट पहन रखा था।  मेकउप भी था पर बहुत सादा। एक छोटी सी बिंदी भी। बाल  बहुत सिल्की , काले, और लंबे।  सच कहूँ  को तो किसी के काले , सिल्की और अच्छे से सवाँरे बाल  मुझे जल्द ही मुग्ध कर देते है। मेरी नजर से वो लड़की बहुत खूबसूरत लग रही थी। मन हुआ कि  बातचीत शुरू  की जाय  पर ऐसा कुछ वजहों से रुक गया। एक तो वह बिजी थी दूसरा कोई भी मुझे तक ही अच्छा लगता है जब तक वो बोलता नही है। बोलने के बाद असाधारण लगने वाले बहुत कम ही है , यह धारणा  न जाने कब बन गयी।  खैर वो अपने में  बिजी रही और मै उसे अपनी किसी कहानी की नायिका समझ कर , उसके कपड़ो,  हाव भाव को देखने , समझने में व्यस्त।

रात के दस बज चुके थे। मौसम गुलाबी ठण्ड का था।  बगल  की सीट में कुछ सत्संगी लोग भजन जैसा कुछ गा  रहे थे।  दिक्क़त  तो सभी को हो रही थी पर कौन जा कर उनसे उलझे।  हम दोनों यात्री  सीट पर  , अपने पैर समेटे बैठे थे। समझ नही आ रहा था कि  रात  कैसे कटेगी ?
ठीक इस समय वो आया।  मेरी ही कद काठी और उम्र का था। सीट के पास  आते ही बोला " यह मेरी सीट है। " मैंने लड़की की ओर  हैरानी से देखा।  वो जरा सा विचलित नजर आई।  उसने request कि  उसे अगले स्टेशन पर उतरना है इसलिए कुछ देर उसे बैठे रहने दे पर हमारा नया यात्री बहुत सख्त मिजाज का लगा।  उसने  तुरंत उस लड़की को सीट से उठा दिया। मै  हैरानी से ये सोच रहा था कि  यह लड़की कितनी तेज है उसने बाहर लगी लिस्ट से देख लिया होगा कि  मेरी सीट कहाँ  तक खाली  है ?

मेरा नया सहयात्री बेहद चुस्त और smart लग रहा था।  उसने एक overcoat पहन रखा था।  उसके पास एक ब्रीफ़केस था।  उसने बैठकर मेरी और देखा। ऐसा लगा वो आँखों  से तोल  रहा था।  पर यह तो मेरी  आदत थी।  मै  भी उसकी आँखो  में आँखे  डाल कर उसको जानने की   कोशिस  की।लगभग २ मिनट तक यही चला। मुझे लगा आज मुझे कोई मिला है जो असाधारण है।  उसने चेहरे पर बगैर कोई भाव लाये  पूछा " पियोगे ".
मैंने भी उतनी ही उदासीनता से जबाब दिया " मै  पीता  नही। "  यह बगैर जाने कि  वह किस चीज के पीने  की बात कर रहा है। शायद  सिगरेट , या शराब की बात कर रहा होगा मैंने सोचा। पर हो सकता है वो tea या पानी पीने  के लिए पूछा हो। जाने दो वैसे भी ट्रैन में अजनबियों का  कुछ खाना - पीना नही चाहिए खासकर ऐसे stranger से जो मुँह  से ज्यादा आँखो  से बोलता हो।
कुछ देर उसने अपने कोट से एक cigarette निकाली।  अब हद हो गयी थी।  ट्रैन में सिगरेट-------. अब तो टोकना ही पड़ेगा।  उसने सिगरेट मुँह  लगाई और यह क्या यह अपने आप कैसे जल गयी ? कोई धुँआ  नही क्या यह इलेक्ट्रिक सिगरेट थी पता नही पर अब मुझे अपने सहयात्री से सतर्क रहना था।  क्यूकि उसकी हरकते बहुत अजीब लग रही थी।  

( कहानी  जारी है >>>>>>>)   © आशीष कुमार


सिविल सेवा की तैयारी के दौरान शिथिलता से कैसे बचे ?

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