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गुरुवार, 29 जनवरी 2015

A interesting story of childhood

"चलो तुम्हे टीवी दिखाए "
               बात उन दिनों की है जब दूरदर्शन पर रविवार को सुबह ९ बजे चन्द्रकान्ता आया करता था।  मेरे घर में बिजली का कनेक्शन था पर टीवी  नही थी। होती भी तब भी किसी पड़ोसी के घर ही जाकर देख सकता था क्यू की बिजली आती ही नही थी।
शौकीन लोग शुक्रवार को बैटरी चार्ज करवा कर लाते फिर शुक्रवार , शनिवार की पिक्चर मजे से देखते। बची बैटरी रविवार को चन्द्रकान्ता भी दिखा दिया करती थी। रविवार की शाम वाली पिक्चर तो बैटरी को हिला हिला कर और कभी कभी गर्म पानी डाल ही देख पाते थे।
मेरे तीन भाई और २ चचेरे भाई  थे। हम साथ साथ तरह तरह के खेल खेला करते थे। अपनी उम्र उस टाइम गुल्ली डंडा खेलने की थी और भाइयो की उम्र कंचे खेलने की।
तभी सौर ऊर्जा ( सोलर पैनल ) ने गावो में अपने पैर पसारे। अब लोगो के घर में छत पर टीवी के एंटीना के साथ एक बड़ी आकर्षक प्लेट भी लगी दिखने लगी थी।
पड़ोस में गोलू भी रहता था। आपके साथ भी रहा होगा गोलू।  गोलू मतलब एक मोटा , थुलथुल , माँ बाप का लाडला जो बात बात पर अपनी मम्मी से शिकायत करने भागता था। आप समझ रहे न ऐसे गोलू हर किसी के साथ रहे होंगे। खैर गोलू के घर में टीवी भी आ गयी और सौर ऊर्जा भी लग गया।
गोलू घमंडी तो थे ही अब और ज्यादा भाव खाने लगे। किसी रविवार को जब पड़ोसी के घर में बैटरी जबाब दे गयी तो हम चंद्रकांता प्रेमी गोलू के घर की ओर भागे। पर गोलू ने दरवाजा न खोला। गोलू ने वजह बताई कि परसों हमने उन्हें गुल्ली डंडा नही खिलाया था।
उस दिन हम पांचो भाईओ ने कसम खायी कि कुछ करना है। 
उस घटना के तीसरे रविवार को प्लान बन गया।  मेरे घर के सामने काफी जगह थी। सामने पैरा ( पुआल , धान की फसल का छोटा छोटा गट्ठर ) की खरही ( कतार ) लगी थी।  उसके नीचे एक पुरानी बैलगाड़ी दब गयी थी। इसके चलते वहां एक छोटी सी सुरंग बन गयी थी। पैरा की खरही में  इस तरह छेद बहुत तरह से उपयोगी थे। कभी कभी उसमे कुतिया अपने पिल्ले देती थी। हम जैसे लोग चोर पुलिस खेलते थे और कभी कभी छुपने छुपाने वाला खेल ( आइस -पाइस ).  ज्यादातर उसमे कुश्ती हुआ करती थी।  

प्लान के तहत गोलू को उस होल के अंदर लाना था और अंदर छुपे भाईओ को जम कर कुटाई करनी थी गोलू की। मुश्किल यह थी कि गोलू को यहाँ तक लाया कैसे जाय ? मुझे आज इतने सालो के बाद भी यह समझ नही आता उस दिन वो बहाना मुझे कैसे सुझा और गोलू उस को मान भी कैसे गया था। 
शाम को जब गोलू   खेलने को आया तो मैंने अपने सबसे छोटे भाई को भेजा। भाई ने गोलू से जाकर बोला "चलो मेरे घर में कलर टीवी आयी है तुम्हे दिखाए।" गोलू ने काफी तर्क दिए पर अंततः आने को तैयार हो गए।  भाई ने कहा अभी वो टीवी पैक है इसलिए उस पैरा के भीतर रखी गयी है। आज सोचता हूँ कि गोलू को टीवी से ज्यादा उस होल के अंदर जाने की इच्छा थी। गोलू अंदर गए और उस अंधेरे बंद होल में उनको बहुत कायदे से कलर टीवी दिखाई गयी।  न जाने मोहल्ले के परम उपद्रवी लड़के #बद्री को इस प्लान का पता कहाँ चल गया था। उपद्रवी बद्री भी उसके अंदर छुपे बैठे थे और अपनी लम्बी टांगो से फाइट लड़ने के लिए मशहूर थे। गोलू को कूटने में बहुत मजा आया पर थोड़ी देर बाद जब गोलू मौका पर भाग गए। उनकी बहन वापस उलहना ( अवधी में ओरहन ) ले कर वापस आ गयी और उसने हाथ नचा नचा कर मेरी  माँ से नमक मिर्च लगाकर  शिकायत की। उसने जब कहा  कि कलर टीवी देखने को देखने के बहाने बुला कर मेरे भाई को मारा है। उस समय मोहल्ले की उन तमाम औरतो को उसकी बात पर यकीन नही हुआ क्यू कि  कोई यह मानने को तैयार न था कि कलर टीवी पैरा के ढेर में छुपा कर रखी जा सकती  है।

 खैर , मेरी  माँ के पास अगर कोई गलती से भी मेरी  शिकायत कर देता  था तो माँ पहले ठोकती थी फिर मामला पूछती थी। उस रात मुझे अपनी माँ की मार से ज्यादा गोलू को फसा कर कूटने का ज्यादा आंनद था। मोहल्ले के परम उपद्रवी लड़के बद्री की कहानी फिर कभी। 

© आशीष कुमार( All rights reserved ,do not copy paste it ) 
  

















बुधवार, 28 जनवरी 2015

कहानी के पीछे की कहानी

कहानी  के पीछे की  कहानी


डिअर फ्रेंड्स , जिस दिन मैंने  अपनी कहानी का पहला भाग पोस्ट किया था किसी ने कमेंट किया था कि मेरी अधूरी कहानियो की एक और सीरीज। मुझे हँसी साथ आर्श्चय हुआ भला उसने ऐसा क्यू कहा। खैर वो सही थे। 

कोई भी कहानी एक थीम पर होती है। उस कहानी में main थीम थी हरी सिगरेट। आज से सात साल पहले उस कहानी को लिख कर  न्यूज़ पेपर को भेजा था। उस के एडिटर  का फ़ोन आया कि यह कैसे पॉसिबल है। खैर उन्होंने नही छापा। कहानी वापस  आ गयी। 

कहानी को कुछ सुधार कर , मैंने फेसबुक पर  पोस्ट करना शुरू किया। अच्छा रिस्पांस मिला। पर तीसरे पार्ट तक आते आते एक ने कमेंट में ऐसा रायता फैलाया कि मन खट्टा हो गया। एक और कुछ साथी इतनी ज्यादा डिमांड कर रहे थे कि बस यही लगे कि लिखता रहू लगातार। 
खैर , लिखना अपनी जगह है और सर्विस करना अपनी जगह। जॉब में अचानक इतनी व्यस्तता आ गई कि फेसबुक अकाउंट डीएक्टिवेट करके जाना पड़ा। 
अब कुछ लोग ने व्हाट एप पर शिकायत करने लगे कि मैंने उन्हें ब्लॉक क्यू कर दिया है। जबकि अगर आप अकाउंट डीएक्टिवेट करते है तो सब को ऐसा ही लगेगा कि ब्लॉक्ड है। मोबाइल पर भी नेट कनेक्शन बंद करना पड़ा। लोकप्रियता बहुत अच्छी लगती है पर उसके साथ जिम्मेदारी भी आती है यही समझ आया। हर वक़्त लगे कि न जाने कौन क्या सोच रहा होगा ? 
कहानी के लिए काफी लोगो ने अपने अपने स्तर पर मांग की।  बहुत अच्छा लगा। पर खेद है उसको विस्तार देने के लिए अभी समय नही आया है। 
सात साल बाद कोशिस की थी पर पूरी न कर सका। अपने उन बौद्धिक  साथी को उनके स्तर का ही जबाब - भाई जब मेरी जिंदगी में ही  अपूर्णता है तो कहानी कहाँ से पूरी लिख सकता हूँ। 

अब वनवास खत्म हो रहा है कुछ अच्छा सा , अलग सा आपके लिए लेकर जल्द ही मिलता हूँ। 















  

मंगलवार, 27 जनवरी 2015

How to improve your math for competitive purpose

टॉपिक: 58      अपनी गणित प्रतियोगी परीक्षा के अनुरूप कैसे तैयार करे ?



 एक दिन किसी ने मुझे रांची से फ़ोन किया था पर्सनल सलाह लेने के लिए।  उसने बातो बातो में बताया कि  उसकी मैथ बहुत कमजोर है और पूछा कि वो इसे कैसे तैयार करे ? मुझे लगा ऐसा बहुत से लोगो के साथ होगा। यहाँ  पर कुछ टिप्स है जो आपके भी काम आ सकते है।

  • सबसे पहले आपको अपने मन से मैथ का डर निकलना होगा। यह सबसे रोचक विषय है। पहले के डर  को भुला दीजिये और नए सिरे से इसे पढ़ना शुरू करे। 
  • आर. ऐस  अग्रयाल वाली मैथ की बुक लगभग हर कोई पढ़ता है उससे ही शुरआत करे 
  • उसमे जो example  दिए है उनको बगैर देखे हल करने का प्रयास करे।  
  • चाहे जितना टाइम लगे आपको सारे सवाल हल ही करने है। 
  • मैंने तो नही किया पर सुना जरूर है कुछ लोगो ने इस बुक को ४ या ५ बार हल किया है अब को भी इतनी ही बार टारगेट रखना चाहिए। 
  • मैथ की ट्रिक्स वाली बुक भी आती है। उसको भी आप खरीद सकते है। 
  • उनसे ट्रिक सीख कर आप कैलकुलेशन बहुत तेज कर सकते है। 
  • मैथ के सवालो को जहाँ तक हो सके अपने मन में हल करे। मेरे कहने का मतलब कॉपी और कलम को जरूरत पड़ने पर ही touch करे    
  • आपकी उम्र भले कितनी ही हो गयी हो अगर आपको tuition की जरूरत लगती है तो उसे लेने में हिचकिचाये नही। 
  • एग्जाम कोई भी मैथ्स के बगैर आप से निकलने वाला नही इसलिए इसे अवॉयड न करे।  जैसे उस दिन उस साथी ने कहा कि मैथ की जगह वो gs  ज्यादा पढ़ ले तो काम बनेगा या नही। 
  • मेरा जबाब है नही कतई नही बनेगा। आपको मैथ पढ़नी ही पड़ेगी।  



















रविवार, 25 जनवरी 2015

HOW TO SELECT GOOD COACHING FOR IAS

Topic: 57   आईएएस के लिए सही कोचिंग का चुनाव कैसे करे ?


आम तौर पर कोई भी ब्लॉग लेखक , या मोटिवेटर आपको कभी भी कोचिंग करने की सलाह नही देता है। मै  भी कोचिंग करने के लिए मना करता हूँ उसके बावजूद कुछ दोस्तों ने जानना चाहा कि  सबसे अच्छी कोचिंग कौन सी है ? चलिए आज कुछ इस बारे में बात करते है

  •   आज का दौर विज्ञापन का है। इसलिए भी कोचिंग के एड  पर मत जाइये। 
  • हर कोचिंग के फ़ोन पर बात कर के देखे।  
  •  आप खुद हर कोचिंग में जा कर ट्राइल ले।  
  • वहाँ के टीचर या स्टूडेंट से बात कर के पता करे 
  • अपने बजट के हिसाब से चुने। 
  • सारी फीस एक साथ मत दे। 
  • फीस कम कराने के लिए जितना हो सके प्रयास करे। 
  • कौन कौन पढ़ाएगा और कितने घंटे यह भी पहले पता कर ले।  
  • बहुत से नामचीन सिर्फ दिखावे के लिए होते है इस लिए सतर्क रहे। 
  •  जहाँ भीड़ ज्यादा हो वहाँ पर आप को कुछ मिलने से रहा इसलिए अच्छे टीचर जो मोटीवेट भी करे उसे पकड़े। 
  • आपको चिंतक जी याद है ( इलहाबाद वाले ) वो भी जब दिल्ही जाने वाले थे उसके १ माह पहले से ही हर कोचिंग में फ़ोन करके फीस आदि पता कर लिया थे। 
  • जहाँ तक मैंने सुना है डेल्ही की कोचिंग में रफ़्तार बहुत है। चिंतक जी के अनुसार अगर आपको जल्दी सफलता पानी है तो डेल्ही ही में कोचिंग करे। 
  • उक्त सारी बातो के साथ आपको ध्यान रखना होगा कि आपकी मेहनत का कोई विकल्प नही। 
  • सबसे अच्छी कोचिंग करने वाले भी ४ साल में एक भी pre नही निकाल पाते है और बहुत से मेहनती लोग अपने घर में रहकर पहली बार में ही pre  निकल लेते है।  
  • इसलिए जो लोग कोचिंग करने में सक्षम नही है वो मन न मारे। 

















शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

How to make good Notes for ias ?

Topic: 56 सिविल सेवा के लिए  नोट्स कैसे बनाये ?

किसी भी EXAM के लिए अपने खुद के बनाये नोट्स बहुत काम आते है। नोट्स बनाने का भी एक तरीका होता है। आज के समय नोट्स बनाने की आदत कम होती जा रही है। ज्यादातर लोग कोचिंग के नोट्स की फोटोकॉपी खरीद लेते है।  जैसे तैसे उनको पढ़ते है। उनको पढ़ने में भी बहुत दिक्क़त होती है। इसके चलते आपको लिखने का अभ्यास नही हो पाता है।  आजकल लोग ONLINE PDF FILES , नोट्स बहुत लेने लगे है जो और ज्यादा नुकसानदायक है। सच सच बताईये क्या आपको मोबाइल या लैपटॉप पर पढ़ने अच्छा लगता है और उसमे आप कितनी देर पढ़ सकते है।  आपको पता भी है मोबाइल या लैपटॉप पर पढ़ने से क्या क्या नुकसान है ?
इस लिए जरूरी है कि आप खुद से नोट्स बनाना शुरू करे। अपने पास एक पॉकेट DIARY हमेशा रखे। उसमे आप जरूरी POINTS नोट करते रहे। अगर आप की इंग्लिश कमजोर है तो इस डायरी को अपने WORD POWER बढ़ाने के काम ला सकते है।  NEWS PAPER पढ़ते समय उसमे जो चीजे काम की है उनको नोट करते चले।  ये तो एक ऐसी आदत है जिसे हर उम्र और हर तरह की तैयारी करने वाले को अपना लेनी चाहिए।
अब बात करते है आईएएस के लिए नोट बनाने की।


  • अगर आपको  एग्जाम का पैटर्न पता है तो आप नोट्स बनाने की शुरूआत MAINS EXAM के लिए कर सकते है।  
  • योजना , कुरुक्षेत्र जैसी मैगज़ीन से पॉइंट्स वाइज नोट्स बनांते चले। मैंने कुछ पुरानी पोस्ट में ऐसे नोट्स SHARE किये थे। आपको वो याद है न ? ठीक वैसे ही आप भी बना सकते है।  
  • न्यूज़ पेपर से आप FACTS इकट्ठे करने के फेर में मत पढ़िए। आपको नीतियों तथा योजनाओ के बारे में जानकारी नोट करनी चाहिए।  जैसे इस समय नीति आयोग और अनुच्छेद १२३ के दुरूपयोग की खबरे आ रही है तो उनके बारे में जानकारी जुटानी चाहिए। न कि आगामी क्रिकेट world cup के बारे में। 
  • मैंने पहले भी लिखा था कि अब आपको जानकारी से ज्यादा , समझ की जरूरत है। इसलिए आप जो कुछ भी नोट करे उससे आपकी उसके प्रति समझ भी बननी चाहिए। 
  • जितना हो सके पॉइंट वाइज लिखे और CONCISE  लिखे। 
  • जब कभी कुछ नोट करे उसमे अपने विचार भी एक दो वाक्यो में लिखे। यह बहुत जरूरी बात है। 




नोट : अगर आप को सही तरह से गाइड करने वाला नही मिला है  और  आप चाहते है कि  आप के अटेम्प्ट  और मनी waste  न हो। आपको मोटिवेशन की जरूरत लगती है। और यदि आप इस तरह के प्रश्नो से जूझ रहे है कि  कैसे पढ़े ? और क्या पढ़े ? आपकी मैथ और इंग्लिश या रीजनिंग कमजोर है तो क्या करना है ? इस तरह की समस्याओ के पर्सनल guidance के लिए मुझे मैसेज या ईमेल ( ashunao@gmail.com)   करे। शायद आपकी कुछ मदद कर सकू।      









गुरुवार, 22 जनवरी 2015

How to get success in ias without coaching

 Topic: 55  बैगर कोचिंग कैसे सफलता पाये ?


हिंदी माध्यम के स्टूडेंट  के साथ कई तरह की PROBLEM आती है।  जिसमे में एक है सही कोचिंग का चुनाव। मुझसे कई लोगो ने यह प्रश्न किया है मुझे कोई अच्छी COACHING बताईये जिससे मेरा पैसा न डूबे। मेरा इस मामले में बहुत ज्यादा अनुभव नही है।  अपने और साथियो के अनुभव के आधार पर यही कह सकता हूँ कि  ऐसी कोचिंग है नही जहाँ आपको यह अहसास न हो कि आप बेवकूफ नही बनाये गए है।  एक बार अपने FEE जमा कर दी तो फिर "भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारी तैयारी।" अच्छा दिक्क़त  सिर्फ कोचिंग वालो की नही है दिक्क़त कुछ अगम्भीर स्टूडेंट्स की ओर  से भी होती है। कई बार अच्छे टीचर को अच्छे से पढ़ाने  भी नही देते है अगर कोई समझाना भी चाहे तो वो लिखाने पर जोर देने लगते है जैसे कि नोट्स ही काम आयेगे ( DELHI की WELL KNOWN कोचिंग में मेरे एक अच्छे दोस्त का EXPERIENCE )
आज के समय में  आईएएस की मुख्य परीक्षा में जिस तरह के प्रश्न पूछे जा रहे है उस स्तर की पढ़ाई मेरे विचार से शायद ही कोई करवा पाये।  इस लिए जरूरी है खुद ही से मेहनत की जाय। ये टिप्स शायद आपके कुछ काम आ जाये।  
HOW TO GET SUCCESS  WITHOUT  COACHING  BY  IAS KI PREPARATION HINDI ME
  • जब नोटिस आये ( मई या जून माह ) तब आप रोजगार समाचार खरीद ले।  इसमें आपको आईएएस से जुडी सारी जानकारी , विषय , उनका कोर्स , पेपर पैटर्न आदि मिल जायेगा। 
  • इसके बाद जो विषय आपको सबसे ज्यादा समझ  में आये।  उसके पुराने पेपर देखिये  
  •  आपके पास pre  और mains  के साल्व्ड पेपर होने चाहिए।   
  • pre  और mains  के पेपर को पढ़िए , समझिए और उनको हल करिये।  
  • नियमित समाचार पत्र ( HINDI में स्तरीय पेपर का आभाव आज भी है इसलिए the हिन्दू  या इंडियन एक्सप्रेस को ले सकते है ) पढ़िए। उनसे नोट्स बनाइये।  
  • अपने आस पास उनको लोगो को तलाशिये जो इस FIELD में पहले से है उनके नोट्स देखिये उन्हें लेने के बजाय वैसे ही खुद बनाने का प्रयास करे।  
  • जब आप तैयारी  काफी हद तक हो जाये तब हो सके तो किसी अच्छी कोचिंग में TEST SERIES ज्वाइन कर लीजिये। मेरे ख्याल से FULL TIME कोचिंग करने के बजाए टेस्ट सीरीज ज्यादा लाभदायक होगी। 



बुधवार, 21 जनवरी 2015

SYLLABUS OF IAS EXAM IN HINDI

किसी भी एग्जाम के लिए सबसे जरूरी होता है उसका सिलेबस। यूँ  तो आजकल तकनीक का जमाना है हर चीज  गूगल में उपलब्ध है।  अगर आप कभी किसी कोचिंग में कुछ भी पता करने जाए तो आपको सिलेबस वो थमा देते है।
आपको एक सलाह देना चाहता हूँ।  जब कभी  नोटिस आये  तो एक बार EMPLOYMENT NEWSPAPER जरूर खरीद ले।  आप चाहे तो नीचे दिए लिंक पर  जाकर भी नोटिस डाउनलोड कर सकते है। यहाँ पर हर विषय का सिलेबस दिया है।
नोटिस डाउनलोड करे

OLD PAPERS OF UPSC IAS MAINS OF EACH SUBJECTS

आईएएस में सफलता के आपके पास पुराने प्रश्न पत्र होना बहुत जरूरी है।  बात चाहे GENERAL STUDY  की हो या फिर OPTIONAL  पेपर की।  यहाँ पर मै आपको जो लिंक दे रहा हूँ वहाँ से आपको हर SUBJECT के पेपर मिल जायेगे।

मंगलवार, 20 जनवरी 2015

WRITING SKILL

टॉपिक : 54

जरूरी है उत्तर लेखन अभ्यास 

ज्यादा तो नही फिर भी कुछ एक लोगो ने उत्तर लेखन अभ्यास शुरु किया है . 

अगर आप मिल कर एक दुसरे का REVIEW  करेगे तो मुफ्त ही आप वो सब सीख सकते है जिसे COACHING में हजारो रूपये खर्च करके भी शायद आप न सीख पाए . जब MAINS ( IAS OR PCS)  लिखना होता है तब आप टेस्ट सिरीज ज्वाइन करते है . और एक दो टेस्ट लिख कर बोर हो जाते है वजह उस टाइम आपको लिखने से ज्यादा पढने के मन होता है . मेरे कई दोस्तों ने DELHI  की एक नामचीन कोचिंग में टेस्ट सिरीज ज्वाइन और एक दो टेस्ट लिख कर छोड़ दिया .
यह अच्छा समय है मैन्स एग्जाम के लिए उत्तर लिख कर अभ्यास करने के लिए . अगर आपको लगता है कि आप की अभी उतनी तैयारी नही है कि मैन्स के उत्तर लिख सके तो मै बस इतना ही कहुगा कि यही हालत सबकी होती है हर किसी को जो कई बार पहले मैन्स लिख चुके होते है उनको भी ........
इसलिए जैसी भी आपकी तैयारी हो चाहे कही से देख कर ही लिखे पर लिखे जरुर .......... अगर आप वाकई गंभीर है तो इस साल हुए मैन्स सरल सरल प्रश्नों से शुरुआत करे . किसी से चेक कराए . बगैर हिचक यहाँ पर अपलोड करे .....और दुसरे के answer पर अपने कमेंट भी दे वरना आप पर भी कमेंट नही देगा ...किसी की आलोचना ही न करे उसको प्रोत्साहन भी दे . 

ब्यस्त तो हर कोई है और मै कुछ ज्यादा ही ब्यस्त रहता हूँ इसलिए प्लीज सॉरी सारी उम्मीदे , मुझसे मत रखे ....रास्ता दिखा सकता हूँ बाकि चलना तो आपको ही है न ........इसलिए लिखे और आप डायरेक्टली UPLOAD करिये ....हो सकता है आप को शुरुआत में कोई कमेंट न मिले पर धीरे धीरे आपके answer अच्छे होते जायेगे और लोग आपके answer को पसंद करेगे . 

एक और जरूरी बात ..... अगर आप को हिचक लग रही है तो कोई fake id बना कर answer अपलोड कर सकते है ..
आपके अच्छे भविष्य की हार्दिक शुभकामनाये ......

Useful tips



Mobile & Competition Exam


सोमवार, 19 जनवरी 2015

how to get success in first attempt

Topic: 53  कैसे पाये पहले प्रयास में सफलता



  •  किसी अच्छे ईमानदार , मेहनती  गुरु , दोस्त को तलाशे। 
  • आर्थिक तौर पर मजबूती के लिए विकल्प रखे 
  • वैकल्पिक विषय को चयन अपनी रूचि के अनुसार करे 
  • सभी जरूरी पुस्तकेBOOK LIST एक साथ खरीद ले। 
  • पहले अपने वैकल्पिक विषय पर अपनी पकड़ बनाये। 
  • नियमित नोट्स बनाने की आदत डाले 
  • सारा ध्यान , पूरी मेहनत केवल अपने लक्ष्य के लिए लगाये। 
  • अपनी कमियों को दूर करे। 
  • सफल लोगो के इंटरव्यू पढ़ कर खुद से सीखे। 
  • किताबो से दोस्ती करे। 
  • पुराने प्रश्न पत्रो को SOLVE करने की कोशिस  करे। 
  • अपने आप से  कम्पटीशन करे।  
  • जब कभी आप पढ़ाई से बोर हो तब यह सोचे कि  टॉपर आप से ज्यादा पढ़ रहा होगा। 

NITI AAYOG NOTES IN HINDI

सोमवार, 12 जनवरी 2015

IAS AND WRITING SKILL / आईएएस और लेखन क्षमता

१. आईएएस और लेखन क्षमता

दोस्तों , IAS EXAM भारत की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है।  हर नवयुवक का सपना होता है कि वह आईएएस बन कर , समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करे।  अधिकांश  लोग को शुरुआत  में पता नही होता है कि  करना क्या है ? बस  फॉर्म भर दिया और कुछ मैगज़ीन पढ़ने लगे। बहुत मेहनत की तो PRE  भी निकल गया।  पर मैन्स  में अटक गए।
इस लिए इस एग्जाम को क्लियर करने के लिए सबसे जरूरी है लेखन अभ्यास।  पिछले सालों  में आये हुए प्रश्नो को अपने आप लिखने की कोशिस  करिये।  अपनी खुद की क्षमता विकसित करिये।  ये एक ऐसी कला है जिसको अगर आप ने सीख  लिया तो आप औरों  से कही आगे निकल जायेगे।  बहुत ही कम लोग ऐसे होते है जो उत्तर लेखन अभ्यास करते है।
प्रारम्भ में आपको बहुत दिक्क़त आ सकती है।  आपके पास विचारो का आभाव लगेगा।  कई बार आपके वाक्य भी सही नही बनेगे।  आप जो लिखेंगे उस पढ़ कर आपको खुद लगेगा कि क्या बकवास लिखा है। पर धीरे धीरे आप में सुधार होने लगेगा।  और एक दिन आप के पास बहुत अच्छे शब्द होंगे , बहुत अच्छी शैली होगी।
शैली का मतलब , आपके विचारोे की क्लैरिटी से है।  मतलब यह कि आप जो सोचते है वही लिख पाते है या नही। इस लिए आज से आप लिखना शुरू करे।  कोशिस करे कि वर्तमान के BURNING ISSUE पर अपनी राय दे।  जो भी चीजे देश दुनिया में घट रही है उन पर आप के विचार है उनको लिखने की कोशिस करे।  मेरी हार्दिक शुभकामनाये आप के साथ है।


















शनिवार, 3 जनवरी 2015

PART: 3 सफेद सूट वाली लडकी ?

PART: 3

सफेद सूट वाली लडकी   ?


मुझे पता नही क्या हुआ और मैंने ऐसा DECISION क्यू लिया बस  उस SATURDAY  कॉलेज से लौट कर घर जाने का मन न हुआ।  दिल ने कहा  ये घुटन भरी LIFE अब मै नही जी सकती।  एक ऐसी जिंदगी जिसमे मेरी कोई सहमति नही बस मॉम , डैड की मर्जी के अनुसार चलना। मै क्या करना चाहती हूँ उन्होंने कभी जानना ही नही चाहा।  दिल ने कहा  बस  इस उबन भरी जिंदगी से कही  दूर चली जाऊ जहां मै अपनी शर्तो पर जी सकु , 
स्कूटी STAND पर ही लगी रहने दी।  ऑटो पकड़ कर RAILWAY STATION चली गयी। मुझे पता नही था जाना कहा है।  बस पहले प्लेटफॉर्म पर पहली जो गाड़ी खड़ी थी उसी में चढ़ ली।  COACH के बाहर मैंने ऐसे सीट देख ली थी जहाँ  आसानी से कुछ देर बैठा जा सकता था।  मेरे पास TICKET नही था और चालाकी क्या होती है जानती भी नही पर जब आप अपनी धुन में होते है रास्ते अपने आप सूझने लगते है।  

सीट पर जाकर देखा एक लड़का बैठा था। मुझे देखते ही उसने  मेरे लिए आधी  सीट छोड़ दी।    ज्यादा तो नही पर मुझे इतनी समझ तो  आ  ही गयी थी कि  चिपकू लड़को से कैसे बचा जाय।  सीट पर बैठने से पहले अपना APPLE PHONE कान में लगा कर झूठे ही  फुसफुसाने लगी। इससे दोहरा असर होता एक उसको मुझसे जान पहचान करने का अवसर न मिलता दूसरा मै जताना चाहती थी कि  वो मेरे फ़ोन का SILVER C  वाला एप्पल का लोगो देख ले और समझ ले कि मै  कोई मामूली लड़की नही हूँ। आप सोच रहे होंगे मै किस तरह की लड़की हूँ।    आप मुझे गलत मत समझईये प्लीज जो सच्चाई है वही  बता रही हूँ।  
ये मेरी उम्मीद से परे  थे मुझे सीट पर बैठे ५ मिनट हो गए थे अभी तक उस लड़के ने  एक  बार भी  मेरे चेहरे पर नजर नही डाली थी।  मै अब अपने फ़ोन पर गेम खेलने लगी थी।  मै  चाहती थी कि  मै  व्यस्त दिखू  ताकि वो मुझसे चिपके नही। वो  अच्छी कद और शक्ल  का था।  उसकी एथलेटिक बॉडी को देख कर ऐसा  लगा   कि  किसी आर्मी या पोलिस में जॉब करता है।  कॉलेज के लड़को जैसा नही था।  कोई फैशन नही जैसे किसी छोटे शहर का हो।  मैंने एक  दो बार जब भी चोरी से उस पर नजर डाली वो मेरी ड्रेस  को घूर रहा था। वैसे मेरी ड्रेस घूरने लायक थी आज कॉलेज में BEAUTY CONTEST  था।  उसके लिए मैंने  वाइट कलर का FROCK SUIT पहना था। मेरी ड्रेस इतनी अच्छी थी कि  मै  बता नही सकती।  आम तौर पर मै  JEANS TOP पहनना पसंद करती हूँ।  मै  कम्पटीशन में जीत गयी थी।  मन में इतनी उलझन थी कि DRESS  चेंज किये बगैर मै  अपनी उस जिंदगी से भाग ली।

ये  कैसी उलझन थी ? मै  चाहती थी कि  उसका ध्यान  मेरी तरफ भी  जाये  और  मै  उदासीनता भी दिखा रही थी। उसकी ख़ामोशी अखरने लगी थी।  ट्रैन के कोच की SIDE SEAT पर एक स्मार्ट लड़के एक साथ सीट शेयर कर रही थी और वो लड़का मेरी ड्रेस और बालो में ही उलझा रहे।  मै बात करने के लिए बेचैन हो रही थी।  पागल एक बार मेरे चेहरे पर भी नजर डाल  तो सही मेरी काली गहरी आखो में डुंब न जाये तो कहना।  न जाने कितने लड़को ने मुझसे बात करनी चाही पर मैंने उन्हें कभी भाव न दिया और आज जब मै तुम्हारे बारे में जानने के लिए बेचैन हो रही हूँ तब तू चुप बैठा है। मै  सच में बहुत ज्यादा उत्सुक हो रही थी आखिर ये शक्स है कौन ? 

शायद मै  ही पहल कर उस लड़के से बात शुरू  देती पर तभी  एक और घटना हो गयी।  मेरी  सीट के पास  एक   शख्स आ कर खड़ा हो गया। उसका चेहरा लोहे जैसा सख्त दिख रहा था। BLACK COAT और हाथ में ब्रीफ़केस लिए वो अजनबी किसी विलेन जैसा लग रहा था।  आते ही उसने मुझे सीट से उठा दिया।  मै अपना   बैग उठा कर आगे बढ़ आयी।  मेरे पास कोई विकल्प नही था।  रिजर्वेशन की बात छोड़ो  मेरी पास तो टिकट भी नही थी।  

मुझे  बहुत शर्मिदगी हो रही थी।  उस सहयात्री ने मेरे बारे में क्या सोचा होगा ? मै  कितनी घटिया लड़की हूँ  जो झूठ मूठ  ही उसकी सीट पर अपना अधिकार जता रही थी।  मै कोच में आगे बढ़ आई दरवाजे के पास अपना PHONE  चार्ज करने लगी।  TRAIN में बहुत भीड़ थी।  दिवाली की छुट्टी में सभी अपने अपने घर जा रहे थे।  और एक मै  थी जो अपना घर छोड़ कर जा रही थी।   मै  उस बारे में अधिक सोचना नही चाहती थी।  बस  मैंने जो निर्णय लिया था वो सही था मैंने अपने आप को समझाया।  

रात  के १२ बज रहे थे।  फ़ोन तो चार्ज हो गया था  खड़े खड़े मेरे पैर दुखने लगे थे पर मै  क्या करती मेरे पास उसी जगह खड़े रहने के सिवा  दूसरा विकल्प न था। गाड़ी रुक रही थी शायद कोई STATION आ रहा था।  तभी मैंने देखा मेरा सहयात्री , उस अजनबी साथ मेरी  ओर  चले आ रहे थे।  मै  घूम कर खड़ी हो गयी मै  उसकी नजरो का सामना कैसे करती  ?  

वो दोनों उतर  रहे थे। समझ नही आ रहा था कि  वो दोनों  परिचित है या अपरिचित।  दोनों में कोई बातचीत नही।  बस  अजनबी के पीछे मेरा सहयात्री चला जा रहा था।  मेरी SIXTH SENSE ने कहा  ' कुछ तो गड़बड़ है। '  मैंने अपना CHARGER  निकाल  कर बैग में रख लिया। मै  भी उस स्टेशन पर उतर रही थी।     
       
STORY OF A REAL HERO

( कहानी जारी है >>>>>>>) © आशीष कुमार

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गुरुवार, 1 जनवरी 2015

PART: 2 हरी सिगरेट वाला आदमी

PART: 2   हरी सिगरेट वाला आदमी


मै काफी उत्सुकता से उसकी ओर देख रहा था । वो कहाँ  से चढ़ा था पता नही और कहाँ  जा रहा था ये भी नही पता। उसका चेहरा इतना भावहीन था कुछ पता नही लग पा रहा था।  उसके कपड़ो में जरा भी सिलवटे नही थी। इतनी रात तरोताजा लग रहा था।  काश उसका सिगरेट वाला ऑफर स्वीकार ही कर लिया होता तो कम  से कम इतनी उत्सुकता न होती। खुद कोई पहल करने की हिम्मत न हो रही थी ऐसा लग रहा था कुछ भी पूछूँगा तो अटपटा जबाब ही देगा। 5 मिनट हो गये थे  उसकी सिगरेट खत्म न हुई।  उसने मेरी ओर सिगरेट बढ़ा दी। अब मना करने का कोई मतलब नही था वैसे भी इस अजीब सिगरेट से धुँआ भी नही निकल रहा था। अगर एक सिगरेट शेयर करने से बातचीत शुरू हो जाती है तो अच्छा है।  मैंने सिगरेट हाथ में ले ली।  आम सिगरेट से जरा लम्बी थी और उसका कलर अजीब लग रहा था।  आमतौर पर वाइट कलर की सिगरेट होती है अगर बहुत एडवांस शौकीन है तो ब्लैक पर यह बिलकुल अलग थी।  रात के ११ बजने को होंगे  डिब्बे में अब धीरे धीरे लोग सोने लगे थे।  मै सिगरेट को लेकर बहुत दुविधा में पड़ गया।  डिब्बे में इतनी रौशनी न थी कि उसका कलर साफ साफ दिख जाये पर इतना जरुर था वो सिगरेट तो नही थी भला वाइट और ब्लैक के अलावा कोई सिगरेट भी आती है। शायद उसने मेरी दुविधा भाप ली थी उसने एक बहुत बारीक़ मुस्कान के साथ वो अनोखी चीज वापस ले ली। मै भी मुस्कराने लगा मैंने कहा दरअसल मै सिगरेट पीता नही।  " किसने कहा ये सिगरेट है ? " उसने जबाब दिया।  यार मै कहाँ फस गया हूँ। इससे अच्छा वो लडकी ही थी कम कम शांति के साथ सफर का आनंद  तो ले पाता। ये न जाने कौन है इतना बेरुखा आदमी आज तक मुझे नही मिला था। उपर वाले ने मुझे भी अच्छी शक्लो सूरत दी है रोचक बाते भी करनी आती है ज्यादा देर नही लगती है अजनबियों से घुलने मिलने में पर इस व्यक्ति से कोई तुक ही नही बैठ रहा था।  जाने दो मेरा स्टेशन कल शाम को आ जायेगा तब किसी तरह चुपचाप बैठ कर काट लेता हूँ। पर वो सच में कोई असाधारण इन्सान था। जैसे ही मैंने शांत बैठने को सोचा उसने मुझसे कहा " मेरा स्टेशन आ रहा है तुम भी उतरोगे क्या ? ".   ये सच में बहुत अजीब इन्सान था।  स्टेशन उसका आया था और पूछ मुझसे रहा था यहाँ उतरोगे क्या ?
मैंने जबाब दिया " मै अनजानी  जगह क्यू उतरु ? "
" अपने स्टेशन पर तो हमेशा ही उतरते हो आज अजनबी स्टेशन पर उतरकर देखो।  अच्छा लगेगा।  " उसने कहा।
बात उसकी सोचने लायक थी।  ऐसा कौन करता है होगा जो अपने स्टेशन पर उतरने के बजाय  बीच में ही किसी अजनबी स्टेशन पर उतर  जाये वो भी बगैर कोई मतलब के। दिवाली का त्यौहार था बस  यही लग रहा था कि  कितनी जल्दी घर पहुंच जाऊ।  मुझे सोचते देख उसने फिर कहा
" इतना मत सोचो।  कभी कभी बगैर सोचे भी कुछ कर के देखो तुम उन रहस्यों को जान सकोगे जो हमेशा अनजाने रह जाते है। "
मै  सम्मोहित  सा हो गया था।  उसकी बातें  बहुत गहरी लगी।  मुझे उसके बारे में जानने की और उत्सुकता होने लगी। ट्रेन  ने हॉर्न दिया और उसकी गति कम होने लगी।  उसका स्टेशन आ रहा था।  रात  के बाहर १२ बज रहे थे।  बाहर बहुत गहरा अधेरा था। कोई छोटा सा स्टेशन लग रहा था।  राजस्थान या मध्य प्रदेश में गाड़ी थी।
वो अजनबी साथी अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ और साथ में मै  भी---- पता नही क्यू बस ऐसा लगा कि  मुझे भी इसके साथ जाना चाहिए।  गाड़ी रुक चुकी थी।  मै उस अजनबी के साथ दरवाजे पर आ गया।  अरे.…… वो वाइट सूट  वाली लड़की  अभी भी दरवाजे के  पास खड़ी अपना फ़ोन चार्ज कर रही थी।

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IAS MAINS 2014 GENERAL STUDY PAPER 1 QUESTION 1 SOLUTION


बुधवार, 31 दिसंबर 2014

PART: 1 वो कौन था ?

PART: 1 वो कौन था ?

बहुत मुश्किल से office से छुट्टी मिल पायी थी . Diwali का festival था . इसलिए ट्रेन में बहुत ज्यादा भीड़ थी . AC में टिकट कन्फर्म होने से रहा यही सोच कर sleeper में टिकट थी . अतिंम समय तक RAC ही बना रहा . समझ न आ रहा था कि सहयात्री कौन होगा और कैसा होगा .

समय से पहले ही स्टेशन पहुच गया था . बहुत साफ सुथरा station था . इन दिनों वाकई काफी साफ सफाई पर जोर दिया जाने लगा है . डिब्बे में जाकर अपनी सीट देखी . साइड सीट थी . ऐसा ही होता है जब आप की टिकट RAC में होती है . सामान के नाम पर एक bag था . कुछ दिनों के लिए ही घर जाना हो रहा था .
धीरे धीरे लोग आना शुरु हो गये . साथ ही वेंडर  , भिखारी  भी . ट्रेन चलने को हुई तब भी मै अपनी सीट पर अकेला था . अगले स्टेशन पर मेरी सहयात्री आयी . यह मेरी सोच से परे था . सोचा था कोई बन्दा होगा . सफर बातचीत  में कट जायेगा . पर यह कोई MBA की स्टुडेंट थी  और थोड़ी देर जता भी दिया . जब हो आयी तब उसके कान के फोन लगा था . मुझे सिल्वर एप्पल दिख था . कुछ देर बाद फ़ोन कान से हाथ में आ गया . अब शायद what app या फेसबुक पर वो बिजी थी . यह एक अवसर था मै  उसे अच्छे देख सकूँ।

किसी किसी के कपड़ो की पसंद कितनी अच्छी होती है। white color का एक लांग  सूट पहन रखा था।  मेकउप भी था पर बहुत सादा। एक छोटी सी बिंदी भी। बाल  बहुत सिल्की , काले, और लंबे।  सच कहूँ  को तो किसी के काले , सिल्की और अच्छे से सवाँरे बाल  मुझे जल्द ही मुग्ध कर देते है। मेरी नजर से वो लड़की बहुत खूबसूरत लग रही थी। मन हुआ कि  बातचीत शुरू  की जाय  पर ऐसा कुछ वजहों से रुक गया। एक तो वह बिजी थी दूसरा कोई भी मुझे तक ही अच्छा लगता है जब तक वो बोलता नही है। बोलने के बाद असाधारण लगने वाले बहुत कम ही है , यह धारणा  न जाने कब बन गयी।  खैर वो अपने में  बिजी रही और मै उसे अपनी किसी कहानी की नायिका समझ कर , उसके कपड़ो,  हाव भाव को देखने , समझने में व्यस्त।

रात के दस बज चुके थे। मौसम गुलाबी ठण्ड का था।  बगल  की सीट में कुछ सत्संगी लोग भजन जैसा कुछ गा  रहे थे।  दिक्क़त  तो सभी को हो रही थी पर कौन जा कर उनसे उलझे।  हम दोनों यात्री  सीट पर  , अपने पैर समेटे बैठे थे। समझ नही आ रहा था कि  रात  कैसे कटेगी ?
ठीक इस समय वो आया।  मेरी ही कद काठी और उम्र का था। सीट के पास  आते ही बोला " यह मेरी सीट है। " मैंने लड़की की ओर  हैरानी से देखा।  वो जरा सा विचलित नजर आई।  उसने request कि  उसे अगले स्टेशन पर उतरना है इसलिए कुछ देर उसे बैठे रहने दे पर हमारा नया यात्री बहुत सख्त मिजाज का लगा।  उसने  तुरंत उस लड़की को सीट से उठा दिया। मै  हैरानी से ये सोच रहा था कि  यह लड़की कितनी तेज है उसने बाहर लगी लिस्ट से देख लिया होगा कि  मेरी सीट कहाँ  तक खाली  है ?

मेरा नया सहयात्री बेहद चुस्त और smart लग रहा था।  उसने एक overcoat पहन रखा था।  उसके पास एक ब्रीफ़केस था।  उसने बैठकर मेरी और देखा। ऐसा लगा वो आँखों  से तोल  रहा था।  पर यह तो मेरी  आदत थी।  मै  भी उसकी आँखो  में आँखे  डाल कर उसको जानने की   कोशिस  की।लगभग २ मिनट तक यही चला। मुझे लगा आज मुझे कोई मिला है जो असाधारण है।  उसने चेहरे पर बगैर कोई भाव लाये  पूछा " पियोगे ".
मैंने भी उतनी ही उदासीनता से जबाब दिया " मै  पीता  नही। "  यह बगैर जाने कि  वह किस चीज के पीने  की बात कर रहा है। शायद  सिगरेट , या शराब की बात कर रहा होगा मैंने सोचा। पर हो सकता है वो tea या पानी पीने  के लिए पूछा हो। जाने दो वैसे भी ट्रैन में अजनबियों का  कुछ खाना - पीना नही चाहिए खासकर ऐसे stranger से जो मुँह  से ज्यादा आँखो  से बोलता हो।
कुछ देर उसने अपने कोट से एक cigarette निकाली।  अब हद हो गयी थी।  ट्रैन में सिगरेट-------. अब तो टोकना ही पड़ेगा।  उसने सिगरेट मुँह  लगाई और यह क्या यह अपने आप कैसे जल गयी ? कोई धुँआ  नही क्या यह इलेक्ट्रिक सिगरेट थी पता नही पर अब मुझे अपने सहयात्री से सतर्क रहना था।  क्यूकि उसकी हरकते बहुत अजीब लग रही थी।  

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सिविल सेवा की तैयारी के दौरान शिथिलता से कैसे बचे ?

बुधवार, 24 दिसंबर 2014

क्या फर्क पड़ता है ?

क्या फर्क पड़ता है ?


कुछ बहुत सामान्य सी घटनाये बहुत आसामान्य बन जाती है कम से कम 10 साल पुरानी घटना होगी पर मन से मिटी नही ।


शहर से गावं बस से जा रहा था काफी भीड़ थी । एक जगह नवविवाहित युवती बस में चढ़ी । भीड़ काफी थी मेरी सीट के सामने ही खड़ी हो गयी । मेरी नजर उसको देखते हुए कुछ सोचने लगी उसने साड़ी इतने अच्छे से पहन रखी थी उसका जरा भी हिस्सा नजर नही आ रहा था । आमतौर पर इस तरह से साड़ी को लपेटना जिसमे जरा भी पेट नजर न आये ग्रामीण क्षेत्र में आश्चर्य की बात थी । मै मन ही मन उसकी इस बात की प्रशंसा कि कितनी अच्छी है जिसे अंग प्रदर्शन कि जरा भी इच्छा नही है । पता नही मै क्या सोचने लगा था कि यह भारतीय संस्क्रति की प्रतीक है आदि आदि । 5 मिनट बाद उसने अपने ब्लाउज से पान मसाला निकाल कर अपने मुहं में डाला उसके रंगे दंत शेष कहानी बयाँ कर गये ।

इस लोक सभा के चुनाव में ड्यूटी करने के लिए SDM के साथ एक मीटिंग थी । जब उनसे मिलने गया तो अपने ही विभाग के एक साथी भी मिल गये । जूनियर थे । विभाग में जल्द ही आये थे । मीटिंग खत्म होने के बाद तय हुआ कि कुछ चाय पानी हो जाय । ये साथी बहुत स्मार्ट लग रहे थे । एकहरा बदन लम्बे बेहद गोरे और जुबान इतनी मीठी जैसे शहद । पास की tea शॉप पर हम दोनों पहुचे । तब तक साथी ने मुझे गोल्ड फ्लैक की डिब्बी मेरी और बढ़ाते हुए सिगरेट ऑफर की । ऐसे पल मेरे लिए बहुत दुविधा भरे होते है ऐसा नही कि मैंने कभी सिगरेट नही पी पर असहज महसूस होता है मना करू तो वो असहज फील करेगा । "पीता नही हूँ पर साथ दे सकता हूँ " ऐसा बोलना ज्यादा सुरक्षित होता है मेरे लिए ।


 इस विषय में विस्तृत व्याख्या फिर कभी आज to the point बात यह कि क्या फर्क पड़ता है आप क्या है और कहाँ है, आप कितना सुंदर दिखते है ? यह शायद मेरी नादानी नासमझी है जो नशेबाजी को रूप या कुरूपता से जोड़ बैठा । पर मुझे अपने स्मार्ट जूनियर को सिगरेट का लती (15-16 per day) देख बहुत दुःख हुआ ।उसने शुरु क्यूँ कि इस प्रकरण पर फिर कभी पर आपकी इस बारे क्या राय है ?

©आशीष कुमार 

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