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बुधवार, 4 मार्च 2015

A letter from our reader

टॉपिक : 60  एक पाठक का आत्मीय पत्र 

"सर प्रणाम। 'प्रणाम' इसलिए किआप ज्ञान अनुभव और उम्र तीनो में ही मुझसे बड़े व श्रेष्ठ हैं। मै आपके ब्लॉग का नियमित पाठक हूँ और बेसब्ररी से नई पोस्ट का इंतजार करता हूँ ताकि मुझे आत्मसात और स्वंय में ऊर्जा का संचार का मौका मिल सके। आपकी आज की टॉपिक न. 60 व 61 दोनोबहुत पसंद आई(वैसे तो आपकी सभी पोस्ट का कायल हूँ) और पुन: स्वंय के बारे में सोचने को मजबूर कर दिया। विशेष 61वी टॉपिक के लिए हर्दयके अन्त:स्थल से कोटिश धन्यवाद।
       मै पिछले कई समय से तैयारी कर रहा हूँ, पर ना तो पूरी एकाग्रचित (focus) हो पा रहा हूँ जिसके कारण विगत कई महीनो से किसी विशेष परीक्षा में सफलता का स्वाद नहीं हुआ। और ऊपर से इस सरकारी नौकरी के माहोल ने बेहद निराशा ऊर्जा विहीन तथा लक्ष्य से भटका दिया। (शायद इसीलिए पोस्ट को सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हूँ।)
                   अत: आपसे विनम्र निवेदन हैं कि मेरा मार्गदर्शन करे तथा कैसे focus करे(उपरोत परिस्थिति को मध्य नजर रखते हुय) तथा साथ ही साथ टॉपिक न 61 की कमियों को दूर करने का मार्गदर्शन करे। आपके हमेशा की तरह सकारात्मक जवाब और सहयोग का इंतजार।"
     आपका


बस  यही चीजे है मुझे सकून देती है।  यह एक पत्र है जो मुझे मेरे ब्लॉग के एक पाठक  ने मुझे मेल किया था।  कितना अच्छा लगता है कि लोग आप पर विश्वास करते है उन्हें पर भरोसा होता है। इस पत्र में जिस चीज का जिक्र है उससे लगभग हर प्रतियोगी जूझता है। काफी दिनों से इस बारे लिखने को सोच रहा था। शायद अब जल्द ही लिखना संभव हो। लिखने से पहले आप सभी से मै जानना चाहूंगा कि आप अगर इस तरह की चीजो से गुजरते तो कैसे निपटते और बेसिक प्रॉब्लम कौन कौन सी होती है ? आप की सहभागिता काफी महत्वपूर्ण रहेगी एक जीवंत लेख लिखने हेतु ? 





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