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बुधवार, 21 मई 2014

ENGLISH LANGUAGE COMPULSORY TIPS IN HINDI

असमंजस का दौर चल रहा है ठीक से पता नही कि एग्जाम का नया पैटर्न क्या होगा। जाहिर है पढ़ाई में मन नही लग रहा होगा। कुछ भी पढ़ने बैठते है तो मन उचट जाता है  कि क्या पढ़े ? मैन्स के साथ साथ प्री में भी बदलाव होने की अफवाहे फ़ैल रही है।
ऐसी समय में अपनी निरंतरता बनाये रखने के लिए कुछ नया और रोचक काम किया जाय। यहाँ पर ज्यादातर दोस्त हिंदी माध्यम से है। हमारे साथ एक सामान्य समस्या होती है वह है english से जुड़ा भय। अब मैन्स के साथ प्री में भी english आ रही है। इस बार के mains में जिस स्तर का इंग्लिश का पेपर था उसे देख कर बहुत अच्छे इंग्लिश एक्सपर्ट को भी पसीना सकता है। बहुत बड़ा और जटिल। न तो पैसेज , एस्से , प्रेसी ,या ग्रामर किसी भी हिस्से में कुछ समझ न आया। अपवादों को छोड़ दे तो मेरी बात से आप जरूर सहमत होगे।
इंग्लिश में इस तरह की कठिनाई की मुख्य वजह उस पर टाइम न देना है। हम सारा वर्ष अपने सब्जेक्ट तैयार करते रहते है। सामान्य अध्यन की तैयारी करते रहते है पर इंग्लिश को लास्ट टाइम १ , २ दिन पढ़ कर मैन्स देने चले जाते है। upsc की तैयारी से जुड़े लोग यह अच्छे से जानते है कि अगर आप इंग्लिश के पेपर में निर्र्धारित अंक नही लाते है तो अपनी दूसरी कॉपी चेक नही की जाती है आप को अपने अंक जानने का अवसर नही मिल पता है।
इसलिए क्यों न इन दिनों इस समस्या को कुछ कम कर किया जाय। इस बार की क्रॉनिकल में विजय अग्रवाल जी काफी टिप्स दिए है उनको फॉलो कर सकते है।
मैंने पहले भी इंग्लिश पर एक पोस्टENGLISH TIPS लिखी थी। इस बार उसमे कुछ और नई चीजे जोड़ सकते है।
१. मैन्स के पेपर में आपकी इंग्लिश की क्षमता को जांचने का तरीका है कि आप इंग्लिश में अपने विचार व्यक्त कर पाते है कि नही। मेरे विचार से अगर हम नियमित तौर पर किसी पेपर के सम्पादकीय को हिंदी से इंग्लिश में translate करे और इंग्लिश पेपर की न्यूज़ को हिंदी में translate करे तो काफी हद तक mains वाले पेपर में सहज हो सकते है।

मै भी इंग्लिश में विशेष एक्सपर्ट नही हूँ। पर इतना जरूर जानता हूँ कि  अभ्यास से  इंग्लिश में बहुत सहजता हासिल की जा सकती है। अगर किसी ने अपने आप इंग्लिश में दक्षता हासिल की हो तो प्लीज शेयर चीजो की शुरुआत कैसे की जाय।  बहुत से लोग ias main के इंग्लिश पेपर जिसकी मैंने बात की देखने के लिए उत्सुक होगे। वह पेपर आप upsc की वेब से डाउनलोड कर सकते है या फिर इस नाम(ias ki prepration hindi me ) के ग्रुप FACEBOOK में मैंने pdf फाइल upload की है वहाँ से देख सकते है। पेपर को सरसरी निग़ाह से पढ़ने के बजाय उसे पूरा हल करने की कोशिस करे फिर अपना अनुभव यहाँ पर शेयर करे।  

सोमवार, 19 मई 2014

विषय : भाग्य साहसी का साथ देता है (दूसरा और अंतिम भाग )

विषय : भाग्य साहसी का साथ देता है (दूसरा और अंतिम भाग )

History में ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जायेगे जिसमें साहसी नायको की अप्रत्याशित जीत हुई। उनके साथ मिथक जुड़ गया कि उनमें दैवीय गुण है। उनका भाग्य बहुत अच्छा है। Napoleon bonaparte का जीवन ऐसे बहुत से उदाहरणों से भरा है। उसकी सेना को अपराजेय माना जाता था। नेपोलियन कहता था कि Impossible नामक शब्द उसे शब्दकोष में नही है। नेपोलियन के समकालीनों ने उसे बहुत भाग्यशाली माना था पर क्या सच में ऐसा था। वह तो बहुत ही साधारण परिवार में पैदा हुआ था। शिक्षा -दीक्षा भी बहुत साधारण हुई थी तो फिर ये कहना कहाँ उचित है कि वो बहुत भाग्यशाली था। वास्तव में नेपोलियन को जब भी अवसर मिला उसने साहस के साथ निर्णय लिया। अपनी क्षमता -योग्यता को साबित किया। उसकी निर्भीकता ने ही उसको अप्रत्याशित सफलताये दिलायी। इस प्रकार देखा जा सकता है कि Luck भी साहसी व्यक्ति का ही साथ देता है। 

इस संसार में विविध विचारो वाले लोग रहते है। कुछ लोग हमेशा अपने संसाधनो का रोना रोते रहते है। उन्हें हर चीज से शिकायत रहती है। उन्हें अफ़सोस होता है कि काश वो किसी दौलतमंद के यहाँ पैदा होते , जीवन की सभी सुख सविधाओं का उपभोग करते। यह कितनी ख़राब सोच है। वो भूल जाते है कि सभी दौलतमंद भी कभी सामान्य आदमी थे। उन्होंने या उनके पूर्वजो ने अथक परिश्रम से ये मुकाम हासिल किया है। वैसे भी हमारे शास्त्रो में कहा गया है कि धन (लक्ष्मी) भी कर्म न करने वालो का साथ छोड़ जाती है। ऐसे लोग बहुत जल्दी भाग्य जैसी चीजो पर यकीन करने लगते है। तरह तरह के कर्मकांड , पूजा , मनौती , आदि के माध्यम से अपना समय बदलने का प्रयास करते है। अनपढ़ो कि बात छोड़ दीजिए , ऐसा करने वाले आपको उच्च शिक्षित ज्यादा मिल जायगे।
पर आप इस बारे में कभी सोचा है कि वास्तव में ये सब करने से कैसे समय बदल सकता है। यह world गतिमान है यहाँ पर हर घटना के पीछे कोई न कोई कारण होता है। ऊपर जिनका मैंने जिक्र किया है क्या वो reason हो सकते है। नही कदापि नही। 
हर सफल व्यक्ति के कहानी के मूल में एक ही कारण होता है। उसने सही Direction में लगातार प्रयास किया। सफलता असफलता से परे उसने सिर्फ कर्म पर जोर दिया। इसलिए ऐसा भी कहा गया है कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता खुद होता है। जिम रो के अनुसार किताबी शिक्षा आपको जीविका दे सकती है पर स्व शिक्षा आपको बताएगी कि भाग्य वास्तव में क्या होता है। आप क्या सीखते है कैसे सीखते है इस पर बहुत कुछ निर्भर करता है। आप का नजरिया ही आपके भाग्य का निर्माण करता है। हमे हमेशा चीजो को सकारात्मक तौर पर देखना चाहिए। 
लुइस पैस्टर के अनुसार भाग्य केवल सक्रिय दिमाग का साथ देता है। इसका मतलब है कि हमे हमेशा सक्रिय रहना चाहिए। अवसरो के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। आप हमेशा से सुनते आ रहे है कि अवसर एक बार आपके दरवाजे पर दस्तक देता है। तो क्या आप अपने अवसर की उसकी प्रतीक्षा करेगे कि कब वह आपके दरवाजे पर दस्तक दे और आप उस अवसर का लाभ उठाये। नही मित्र नही आज के समय के अनुसार बी. सी. फोर्ब्स का कथन याद रखना चाहिए “ अवसर शायद ही कभी आपके दरवाजे पर दस्तक दे। आप खुद अवसर के दरवाजे पर दस्तक दे कर प्रवेश कर जाईये। आज का समय चुनौतियों से भरा है। अवसर कम , प्रतिभागी ज्यादा। ऐसे में आप को दुसरो से बेहतर तरीके से अपने आप को प्रस्तुत करना होगा। 
नेपोलियन हिल के अनुसार सभी प्रकार के भाग्य का शुरुवाती बिंदु विचार होते है। सच में विचारों की Energy जिसने पहचान ली उसका समय बदलते देर नही लगती है। वास्तव में हम वैसा ही बनते है जैसे हमारे विचार होते है। अपने विचारों को सदा सकारात्मक रखिये। मन में हमेशा खुशी महसूस कीजिये। यही Life का फलसफा है। अपने लक्ष्य के बारे में हर पल सोचते रहे। अपने संसाधनो की कमी का रोना रोने के बजाय , यह सोचे कि आप अपना सर्वोतम , best कैसे दे सकते है। अपने वो पंक्तियाँ तो सुनी ही होगी पंखो से कुछ नही होता है हौसलों से उड़ान होती है। 
थामस फुलर के अनुसार एक बुद्धिमान व्यक्ति अवसर को एक अच्छे भाग्य में बदल देता है। इसलिए यह सोचना कि मेरा भाग्य खराब है, उचित नही है। ऐसी सोच लेकर आप अपना कीमती समय नष्ट न करें। स्वंय को मिले अवसरो को सफलता में बदल दीजिये। सफलता को अपनी आदत बना लीजिये। हमारे आस पास ऐसे कई लोग होते है जो सदैव सफल होते है। क्या आप ने इस बारे में विचार किया है कि उनकी सफलता का secret क्या है ? आप उनसे बात करे उनका Answer निश्चित ही यही होगा कि उनके मन में डर नाम कि कोई चीज नही है। 
वर्जिल के अनुसार डर कमजोर दिमाग की निशानी है इसलिए अपने दिमाग से डर को हमेशा के लिए निकल देना चाहिए। डर के चलते ही शंका का जन्म होता है। शंका व्यक्ति के मन में कमजोरी लाती है। धीरे धीरे व्यक्ति की सोच नकारात्मक हो जाती है। ऐसे में उसका असफल होना स्वाभाविक है। लगातार असफलता व्यक्ति के साहस को खत्म कर देती है और जैसे ही साहस ने साथ छोड़ा , भाग्य भी आप का साथ छोड़ जाता है।
Friends इस लिए अपनी असफलताओ को भूल कर नये सिरे से पयास करे । Geeta की शिक्षा फल की इच्छा छोड़ कर कर्म करने पर यकीन करते रहे । धीरे धीरे आपका भी समय बदलेगा। जीवन में आये अवसरों को पहचाने , साहस के साथ निर्णय ले। अपने निर्णय पर अडिग रहे। आप भी एक दिन कह उठेगे कि भाग्य साहसी का ही साथ देता है।

गुरुवार, 1 मई 2014

पेरणादायक कहानी

बहुत बार हम इतना हताश होते हैं कि कुछ भी नहीं सूझता है आज एक ऎसी ही सत्य कथा... कुछ बरस पहले इसे दैनिक जागरण ने सबसे पेरणादायक कहानी के तौर पर पकाशित कर चुका है । शेयर करना मत भूलना हो सकता है किसी को नयी राह दिख जाय

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