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गुरुवार, 9 सितंबर 2021

Motivational quotes






प्रिय पाठकों, अब आपको समय समय पर मेरे एक बहुत अच्छे collection से ऐसे ही चुने हुए मोती आपके लिए मिलते रहेंगे।

अगर यह आपको अच्छी लगी हो तो कमेंट में जरूर बताना। आपको किस तरह के quotes पंसद है। आप इसे अपने मित्रों से भी शेयर कर सकते हैं।


रविवार, 29 मार्च 2020

Reading Tips

पढ़ाई से जुड़े कुछ सूत्र 

काफी समय से इस विषय पर लिखा नहीं हैं, पिछले दिनों कुछ लोगों से बातचीत के आधार पर लगा कि कुछ अपने अनुभव साझा किए जाय। रही बात वायरस की तो उस पर इतना ज्ञान साझा हो चुका है हम अदने लोग क्या ही बोले। बस एक बात याद रखना कि आप जो कॉपी पेस्ट, फॉरवर्ड करने जा रहे है वो जरूरी नहीं सत्य ही हो। आइये उन चीजों पर बात करते है जो एक विद्यार्थी को हमेशा याद रखनी चाहिए -

1. अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप में जाने, अगर आपको जिंदगी में करना क्या है यह अगर चीज समझ में आ गयी तो जीवन सरल, आसान व सुखद हो जाएगा।

2. अपने लक्ष्यों की समयसीमा तय करके रखे। क्या आपने इस पर विचार किया है कि हम बस पढ़ते चले जा रहे हैं पर कब तक ? आप अपने लक्ष्य की समय सीमा तय कर ले, इससे आप पर लक्ष्य को समय से पूरा करने का दबाव पड़ेगा।

3. आप अपने कोर्स से इतर विषयों पर भी किताबें पढ़ते रहें। किताबें पढ़ने की आदत, आपको हमेशा आगे रखेगी। 

4. तेजी से पढ़ने की आदत विकसित करें। यह एक ऐसी बात है जो ज्यादातर लोगों को पता नहीं होती है। तमाम लोगों से बात करने के आधार पर यह समझ आया है कि बहुधा लोग, किताब खोल कर बैठ जाते हैं पर उनका मन वहाँ पर नहीं होता है। इसके चलते कई बार वो कई घंटे बाद भी पहला पन्ना भी खत्म नहीं कर पाते हैं।

5.  तेजी से पढ़ना सीखने के लिए आपको गैर जरूरी चीजें  स्किप करना सीखना होगा। अपने कभी गौर किया है कि हर वाक्य, पैराग्राफ व कई बार पूरे पन्ने में गैरजरूरी चीजें होती हैं। आप मतलब की चीजें , निकलना सीख जाए तो आपके पढ़ने की गति बहुत तेज हो जाएगी। 

6. रुचि जगाये । अपने देखा होगा कि कई बार कॉमिक्स, नॉवेल जैसी चीजें पढ़ने में कभी न थकान होती है न ही बोरियत। इसकी वजह रुचि का होना होता है। इसलिए आपको पूरी रुचि के साथ किताबें में डूब कर पढ़ना चाहिए।

5. पिछले दिनों मैंने रॉबिन शर्मा की एक किताब The monk who sold his ferrari पढ़ी. इसके बारे में पहले सुना था पर लगा कि फालतू किताब होगी कोई योगी, अध्यात्म से जुड़ी, इसलिए कभी पढ़ने की कोशिस नहीं । पर अब पढ़कर लगा कि इस किताब को जितनी जल्दी हो, सबको पढ़ना चाहिए। इसमें बहुत सरल तरीके से अपने लक्ष्यों को पूरा करने, सच्ची सफलता के बारे में बात की गई है। गूगल में पीडीएफ मिल जाएगी, सर्च करके जरूर पढ़िए।

कुछ और भी बढ़िया किताबें पढ़ी जा रही है, इसलिए आगे भी कुछ ऐसी पोस्टों की उम्मीद के साथ विदा 😊

© आशीष कुमार, उन्नाव
30 मार्च, 2020।


मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

Year end 2019

 एक और साल बीत गया !

तमाम सालों से एक आदत सी पड़ गई है, डायरी में हर साल का विश्लेषण करना। यह साल कई मायनों में अलग रहा, इस साल सबसे कम पढ़ना हुआ, एक तरह से किताबों से दूर हो गया। लिखना भी कम ही हुआ पर हमेशा की तरह कम लिखा पर जोभी लिखा गया, कहीं न कहीं प्रकाशित हुआ, जिसमें कादम्बनी जैसी ख्यातिलब्ध पत्रिका में एक कविता "आत्मबोध" का प्रकाशित होना, एक रूप में काफी बढ़िया उपलब्धि रही। 
साल की सबसे अच्छी बातों में एक यह रहा कि इस साल फिटनेस के लिए अच्छा समय मिल और तमाम वर्षो की दबी हुई ख्वाहिश पूरी होने के करीब है। 14 kg वजन कम करना , खान पान से समझौता किये बगैर काफी सुखद, सुकून भरा रहा। 
इसी दिसम्बर से  सुबह उठने की भी आदत पड़ गई। कितने ही साल से मैं हमेशा देर रात तक जगता और सुबह 9 बजे उठा करता था। जिम के शौक के चलते, रात में जल्दी सोने की व सुबह जल्दी उठने की आदत पड़ गई है। सुबह जल्दी उठने के गजब मजे होते हैं, जिस्म में एक अलग सी स्फूर्ति महसूस होती है। लेट उठने से सारा दिन आलस बना रहता था।
साल के अंत में आते 2 दिल्ली भी भाने लगा। शुरू के कुछ महीने बड़े आलस में गुजरे थे, पिछले कुछ समय से खूब घूमना फिरना शुरू कर दिया। 
यात्रायें इस वर्ष तमाम हुई प्रायः सरकारी दौरे लक्षद्वीप से गंगोत्री तक खूब कदम फिरे। 
नए साल के लिए दो चीजें मुख्य फोकस पर रहेंगी
1. फिटनेस
2. लेखन
इनके साथ 2 यह भी उम्मीद करता हूँ कि आप सब मित्रों, पाठकों, आत्मीय जनों से सम्बंध और ज्यादा मधुर, गहरे व सुस्थाई होंगे। 
नए लक्ष्यों को निर्धारित करें, जो भी करें पूरे जुनून, उत्साह व साहस के साथ जीवन के मजे लेते हुए करें।
सभी को नया साल मुबारक .. 
आपका ही 
आशीष , उन्नाव। 

गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

motivational : Rajesh kumar soni SDM in Haryana

#SDM
कभी 2 कुछ बड़ी सुखद खबरें अचानक मिलती है। कल रात में Rajesh Kumar Soni​​ का मैसेज मिला कि उनका हरियाणा सिविल सेवा में sdm पद पर चयन हो गया है। कुछ दिन पहले जब महिपाल ( UP SDM ) वाली पोस्ट लिखी थी तब इस तरह के विचार आये थे कि अभी एक्साइज एंड कस्टम विभाग के तमाम साथियों का चयन बाकी है, इनमें राजेश का भी ख्याल आया आया आया था। इनसे अहमदाबाद में परिचय हुआ था। वहाँ के सबसे करीबी 2 - 3 मित्रों में एक हैं। उनकी इस सफलता में लगभग हमेशा साथ रहा, बड़ी अफरा तफरी में इस बार और हरियाणा में पहली बार TRY किया था। इससे पहले आईएएस के तीन बार साक्षात्कार दे चुके थे और अब वो लगभग अपनी यात्रा खत्म मान चुके थे। पिछले कुछ टाइम से वो फील्ड पर थे, तैयारी के लिए वक़्त कम मिलता था। UPSC के बजाय अब स्टेट पर फोकस करने लगे थे। हरियाणा , UP में एग्जाम दे रहे थे। 
इंटरव्यू, मुख़्य परीक्षा हर चरण में बात होती रही, हमारे एक बैच मेट दीपक पुंडीर जोकि पहले हरियाणा सिविल सर्विस में थे, उनका सम्पर्क भी करवाया। मुझे जहां तक याद आता है हिंदी के लिए भी बात हुई थी कि व्यख्या आदि कैसे तैयार करूँ ? 

सफलता उनके लिए भी बड़ी सुखद आश्चर्य है , बताया कि मैं तो अपना रोल NO , लिस्ट में नीचे देख रहा था और लगा कि हुआ नहीं। अचानक मुझे अपना रोल NO , SDM वाली लिस्ट में दिखा। जब टाइम आता है तब ऐसा ही होता है। उन पर बात होती रहेगी। योग, अध्यात्म में उनकी भी गहरी रुचि हैं, हम तमाम संडे, अहमदाबाद के बाहर एक केंद में जाया करते थे। तमाम चीजें हैं बताने को। करीबी इतनी कि 31 दिसंबर 2018 को जब मैंने अहमदाबाद हमेशा के लिए छोड़ रहा था, आखिरी डिनर उनके घर ही हुआ था। अब हम दिल्ली, वो हरियाणा , सुबह 2 इतनी बढ़िया सकारात्मक खबर आप सभी से साझा कर बड़ी खुशी हो रही है। राजेश भाई, आपको बहुत 2 बधाई, आपकी सफलता मेरे तमाम पाठकों के लिए बड़ी प्रेरक है। 
- आशीष , उन्नाव । 

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

motivational : Two aspirant


वो जो हमेशा  रोते  रहते हैं 

पिछले दिनों मैं घूमने के लिए दिल्ली से बाहर गया था. इस दौरान कुछ जाने अनजाने प्रतियोगियों से मिला। दो  लोगों का जिक्र करूँगा। एक मेरे बहुत पहले के परिचित थे। दरअसल वो मुझे जानते थे पर मुझे ठीक से उनका चेहरा याद न था। एक साथी के जरिये मुलकात हुयी। उन्हें तैयारी करते लम्बा वक़्त हो गया है काफी परेशान लग रहे थे। कुछ देर की बात में ही तमाम बार बोले - " बड़ी दिक्क्त है " उनका मतलब पैसों से था। मेरे हिसाब से वो 12 साल से तैयारी कर रहे है। 

मैंने पूछा कि आईएएस pcs  के अलावा भी फॉर्म डालते हो। बोले हाँ पर फोकस नहीं कर पाता , फोकस केवल आईएएस pcs पर ही रहता है। मैंने पूछा - लेखपाल वाला फॉर्म डाला था। बोले हाँ पर उसमे हो नहीं पाया। बातों 2 में बता डाला कि शिक्षक भर्ती में भी मेरी मेरिट कम रह गयी। कुछ और बाते हुयी यथा कि उत्तर लेखन कैसे करूँ , टिप्स बता दो। फिर घूम फिर कर वही बात बड़ी दिक्क्त है अब घर से पैसे लेने का मन न होता है। किसी मित्र का नाम का नाम लिया और वो बोले की वो थोड़ी बहुत हेल्प कर देता है। 

अब मुझसे रहा न गया। " भाई , आप इतने दिनों से तैयारी कर रहे हो , लेखपाल का एग्जाम निकलता नहीं पर फोकस आईएएस पर। पैसे का रोना क्यों रोते हो वो भी मेरे सामने----- इतने योग्य तो हो ही कि एक दो ट्यूशन पकड़ लो। कब तक दूसरे के सहारे बैठे रहोगे। दिक्क्त -२ बोलकर कब सहानुभूति लेते रहोगे दुनिया की। या तो तुम मेरी कहानी जानते नहीं या फिर तुम्हे रोने की आदत लग गयी  है। " तमाम चीजें बोलता रहा यह भी बताते हुए कि मुझे ऐसे लोगों पर बड़ा गुस्सा आता है। ऐसे लोगो तमाम एक्सक्यूज़ भी देंगे कि ट्यूशन में टाइम बहुत बर्बाद होता है। मेरी समझ नहीं आता कि 24 घंटे पूरी तरह से पढ़ाई पर फोकस बना रहता है क्या। मेरे ख्याल से यह बस भरम है वरना  ठीक से 10 घंटे काफी है। 

मैं देखता हूँ लोग दिल्ली इलहाबाद में वर्षो जमे रहेंगे और बोलेंगे कि बड़ी दिक्क्त है पैसों की। अगर आप दिल्ली अलहाबाद में हो तो फिर वो जो ऐसे शहरों तक नहीं पहुंच पाते है उनको क्या --- पर उन पर नजर कभी जाएगी ही नहीं। वो जो 18 के भी नहीं होते है और ट्यूशन पढ़ाने लगते है उनको दिक्क्त नहीं है ------. 

काफी दिनों बाद इस पोस्ट के जरिये प्रतियोगी साथियों से बात कर रहा हूँ और उक्त कहानी बताने का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि भाई अपनी  क्षमता  भी जान लो।  बेहतर तो यही होगा कि छोटे २ एग्जाम से शुरुआत करो. दिवा स्वप्न देखने बंद कर दो, अब दिन बदल गए है। 

खैर दूसरे मित्र का भी जिक्र कर लेता हूँ - पूरी तरह से अजनबी , फेसबुक पर कभी कभार एक दो मैसेज से बात हुयी थी। अंतिम समय में दौड़ते भागते स्टेशन पहुँच गए मिलने के लिए। 25 की उम्र भी न हुयी है पर नेट करके एक डिग्री कॉलेज में पढ़ाते भी है और तैयारी भी कर रहे हैं। लगातार pcs mains लिख रहे है। अब आईएएस भी देना शुरू करना चाहते है। ऐसे लोगों से मिलना सार्थक भी रहता है। एक विशेष बात का जिक्र भी करना चाहुँगा कि दीक्षित जी ने एक बार भी अपने जनरल होने का रोना भी नहीं रोया ( इस पर ज्यादा बात न करूंगा पर तमाम बार इस तरह की भी सामने आ जाती हैं ). दिल से आशीर्वाद निकला कि तुम जल्द ही sdm बनने वाले हो। मुख्य परीक्षा के लिए भी उनको काफी अच्छे से समझना , बड़ा अच्छा लगा।  

तो दो लोग आपके सामने है आपका दिल क्या कहता है -- कौन बेहतर दावेदार लग रहा है। स्वाभिमानी व्यक्ति कभी भी अपने अभावों को सामने नहीं रखेगा। जितना मैंने देखा सुना भोगा पाया है उससे यही कहूंगा कि स्वाभिमानी व्यक्ति को सफलता मिलती है न कि रोने वालों को।  

17 दिसंबर 2019 ,
© आशीष , उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

Three years in college

कॉलेज के वो तीन साल ।

हम वहाँ से आते है मतलब जहां आपको सब कुछ खुद ही करना है, गाइडेन्स नाम की कोई चीज नही होती है। बहुत समय से सोच रहा हूँ कि इस पर लिखू पर लगता था कि कॉलेज की आलोचना होगी पर कभी न कभी लिखना ही था।

मैंने भी तमाम लोगो की तरह की बीएससी की है। गणित, भौतिक विज्ञान व कंप्यूटर एप्लिकेशन में। स्वीकार करना कठिन है पर सच है कि तीनों ही में मुझे कुछ भी नही (स्नातक स्तर का ) आता। हमने ऐसे कॉलेज में एडमिशन लिया था जहाँ  वर्षो से एक विकट समस्या चली आ रही थी। अध्यापक क्लास इस लिए नही लेते थे क्योंकि उन्हें शिकायत होती कि छात्र पढ़ने ही नही आते और छात्रों का कहना था कि अध्यापक पढ़ाने नहीं आते इसलिए वो क्लास नही जाते । ऐसे में  होता यह कि अध्यापक अपने कॉमन रूम में बैठकर देश दुनिया का चिंतन करने में , समाज के नैतिक पतन, नेताओं की मक्कारी पर अपना कीमती समय देते। इससे उन्हें सन्तोष रहता कि वो हराम की कमाई नहीं ले रहे है। दूसरी ओर छात्र अपनी युवा ऊर्जा अन्य जगहों पर लगाते। हम जैसे कुछ जो गांव देहात से आते अपना ट्यूशन पढ़ाने जैसे कार्यों में लग जाते ताकि घर पर बोझ न बने।

मैं पूरे साल  साईकल लेकर घर 2 ट्यूशन पढ़ाता रहता फिर एग्जाम के समय दुपतिया ( अलग 2 नामों से बिकती है जैसे कानपुर यूनिवर्सिटी में इजी नोट्स चलते है ) जैसी पतली किताबें पढ़कर पेपर देने जाते। पहले साल तो दुपितया लिया पर अगले साल वो भी न ली तब भी पास हो गया यह मेरे लिए भी खुद रहस्य है आखिर कैसे ? । तीसरे साल प्रैक्टिकल होते हैं ।
मेरे पिता जी को कुछ चीजों का बढ़िया ज्ञान था। उनकी सलाह के अनुसार एक गुरु जी के घर प्रैक्टिकल वाले दिन सुबह 2 देसी माठा ( छाछ ) , कुछ ताजे करेले लेके दे आया। उनका बेटा निकला तो उसको बोला कि पापा से बोल देना कि आप का स्टूडेंट हूँ नाम आशीष है।

इसी तरह से कंप्यूटर के प्रैक्टिकल वाले सर को मधुशाला की प्रति दी। ( यह सलाह एक नेक मित्र की थी।) यहाँ मेरे टीचर भड़क गए बोले कि यह बिल्कुल गलत है पर प्रैक्टिकल वाले सर ने किताब रख ली यह कहते हुए कि लड़कें की भावना समझो। हो सकता है कि मैंने उन्हें यह भी बोला हो कि sir मैं लेखन करता हूँ आदि आदि ) । प्रैक्टिकल के नाम पर 100 -100 रुपये भी जमा कराए गए थे। अब यह मत कहना कि आपने कभी नही जमा किये प्रैक्टिकल के नाम पर रुपये।

गणित में 45 में 42 अंक दिए गए। 40 से कम किसी को कम नही मिले थे। 2 अंक गुरु की सेवा के थे या नही कह पाना मुश्किल है। कंप्यूटर वाले सर  ने कम अंक दिए थे। इसमें मुँह दिखाई ज्यादा चली  थी। मेरी मधुशाला काम न आई। बाद के वर्षों में मुझे इस बात का बेहद अफसोस होता रहा कि मैंने तीन सालों में एक पन्ने (बीएससी से जुड़ी )की भी पढ़ाई न की। न तो मुझे किसी बुक का नाम पता था और न ही कौन 2 से पेपर होते हैं। हालांकि इस धक्का परेड डिग्री के विषयों की उपयोगिता कभी समझ न आई। अंकगणित मेरी बहुत अच्छी थी , इंग्लिश में सर के बल मेहनत की। gk में बचपन से बहुत मजा आता था। बस इन्ही के दम पर तमाम नौकरी मिली।

यह कड़वी सच्चाई है पर कुछ नामचीन यूनिवर्सिटी को छोड़ दे यथा इलाहाबाद / प्रयागराज, BHU, DU तो सब जगह की स्थिति ले देकर उक्त सी है। और नामचीन जगहों पर पढ़ने वाले लोग पूरे देश के ग्रेजुएट का कितना परसेंट होंगे। माफ करना यह 15 साल पुरानी बात है। हो सकता अब काफी बदलाव हो गया हो। क्योंकि अब देश में बदलाव की बयार आयी है हो सकता हो अब उन कॉलेज में उस वर्षो से चली आ रही समस्या का समाधान हो गया हो।

© आशीष कुमार, उन्नाव, उत्तर प्रदेश ।

7 नवंबर 2019, दिल्ली

रविवार, 1 सितंबर 2019

Motivational story of amit chaudhry

सफलता की एक और प्रेरक कथा 


परसों शाम की बात है, रोज की तरह मैं अपनी अकादमी के जिम में वर्कआउट कर रहा था , रेस्ट के टाइम बीच बीच में मोबाइल चेक कर रहा था , तभी अमित का व्हाट एप पर मैसेज मिला सर , जिस  एग्जाम के बारे में आप से डिस्कस कर रहा था ,  उसमें मेरा अन्तिम  चयन हो गया है। जॉब किसी को भी मिले विशेषकर तमाम संघर्षो के बाद , मुझे व्यक्तिगत रूप में बेहद खुशी होती है। 

अमित के लिए मुझे अपार प्रसन्नता हुयी। ठीक से याद नहीं वो मुझसे कब जुड़े पर धीरे धीरे काफी करीब हो गए। मुखर्जी नगर, दिल्ली  जब भी आना होता, उन्ही के पास रुकना होता। हमउम्र ही है पर सम्मान हद से ज्यादा करते है। तमाम मसलों पर उनसे खुलकर बात होती रहती। जितना मैंने उन्हें जाना वो बहुत ज्यादा प्रतिभाशाली तो नहीं लगे पर उनके जुझारूपन की मन ही मन  हमेशा प्रशंसा करता। काफी पहले आईएएस की मुख्य परीक्षा लिखी थी , बाद में उनका pre कुछ अंको से रह जाता। दिल्ली में रहते रहते काफी समय हो गया था। घर से पैसों को दिक्क्त न थी पर उन्हें अब खुद उलझन होने लगी थी कि अब इतने समय के बाद घरवालों पर बोझ बना रहना उचित है भी कि नहीं। 

बीच बीच में मुझे फ़ोन करते व इस तरह की चीजों पर बात करते। शायद इस साल फरवरी में उनका मैसेज मिला , सर कुछ समय दीजिये। मिलने पर उन्होंने  अपनी दुविधा बताई। मध्य प्रदेश में प्रवक्ता पद की जगह निकली थी। फॉर्म पड़ा था पर वो अनिर्णय की हालत में थे। उन्हें आईएएस का pre देना था , जिसके लिए वो बहुत ज्यादा गंभीर थे। प्रवक्ता वाली परीक्षा देने का मतलब समय खराब होना। 

मैं हमेशा से इसी बात पर जोर देता हूँ कि सबसे पहले रोजगार , बाद में आईएएस। अगर बेरोजगार लम्बे समय तक बने रहो तो upsc के इंटरव्यू पर भी इसका अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा। वैसे भी आईएएस में हिंदी माध्यम की सम्भावनाये काफी सीमित है, इसलिए मध्यमवर्गीय लोगों को हमेशा यही सलाह रहती है कि पहले नौकरी पक्की कर लो। अमित को भी यही समझाया कि एग्जाम दे आओ , बाकि फोकस upsc पर ही रखना। 

अब समझा सकता है कि कितना बढ़िया निणर्य था। आज वो 4800 ग्रेड पे की बढ़िया , सकून व संतुष्टिदायक पद पर चयनित है। अमित के चयन ने एक बार मेरे उस विश्वास को बढ़ा दिया। अक्सर , मजाक मजाक में कहा करता हूँ कि मेरे आस पास रहने वाले यानि मुझसे जुड़े लोग विशेषकर जो गहरी आस्था रखते है बेरोजगार नहीं रहते है , संघर्ष भले लम्बा हो पर उन्हें एक न एक दिन जॉब जरूर मिल जाती है। पता नहीं यह कैसे व क्यों होता है पर होता जरूर है। 

अमित के लिए खुशी इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह पुराने दिनों के साथी है , अहमदाबाद से कभी दिल्ली आना होता तो सवाल उठता था कि रुके कहाँ ? जब से अमित जुड़े , तब से चिंता खत्म हुयी, कई बार वो अपनी एक्टिवा लेकर , मुझे अंतिम समय पर स्टेशन पहुँचाने भी गए। बातें तमाम है पर वक़्त कम है। 

मैंने काफी समय से लिखना रोक सा रखा है पर अमित से वादा किया था कि आपकी कहानी जरूर लिखूंगा। बड़ी प्रेरक है। उन्हें आँखो में कुछ प्रॉब्लम भी हो गयी है। तमाम लेंस , उपकरणों के जरिये अपनी पढ़ाई करते रहे है, उनके रूम पर जब जाना होता तो मन में एक दुआ सी उठती कि भगवान , कहीं  भी इनका सिलेक्शन जल्दी करवा दो , बहुत जूझ रहे है। वो  ज्यादा देर पढ़ नहीं पाते क्योंकि आँखो में दर्द होने लगता। 

इस परीक्षा में उन्हें पुरे मध्य प्रदेश में 41 रैंक मिली है। अभी सिविल सेवा में उनके एटेम्पट बाकि है , कुछ और अच्छे की उम्मीद की जा सकती है। बाकि पहली जॉब के अलग ही ख़ुशी होती है। उनके लिए , अच्छे भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं। 


- आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

शनिवार, 11 मई 2019

Happy mother's day

मां तुम्हें नमन

बच्चों की उपलब्धि उनके संस्कारों पर निर्भर करती है। संस्कार, परिवार से मिलते हैं। परिवार की नींव मां होती है। मुझे बचपन से याद है कि मेरी माँ की सबसे बड़ी चिंता, हमारी पढ़ाई थी। बेहद संघर्ष भरे दिनों में हमारे परिवार की आखिरी उम्मीद, हम बच्चें ही थे। कैसे भी करके कोई भी छोटी मोटी सरकारी नौकरी का सपना, बचपन से डाल दिया गया था।
शुरू के कुछ सालों तक यानी कक्षा 8 तक हम पढ़ने में काफी ठीक माने जाते थे, फिर धीरे धीरे उम्मीदें टूटने लगी। हम खुद तो कभी अपने को कमजोर न समझे पर समाज मे बुद्धिमत्ता के प्रतिमान जैसे कि 10वी, 12 में प्रथम दर्जे से पास होना, पर खरे न उतर सके।
10 में जब सेकंड डिवीज़न आयी तो एक रिश्तेदार ने बोला कि तुमको जो बनना था बन गए। आगे भी सेकंड ही आता रहा। लोग ऐसे ही बोलते रहे। मां ने कभी उम्मीद न छोड़ी।
कभी निजी भावनायें, ऐसे सार्वजनिक करने की आदत न रही पर आज मदर डे पर   उनको ऐसे नमन करना बनता ही है। मेरी तमाम सफलताओं की नींव मेरी माँ ही रही हैं। मुझे गर्व है कि वो काफी पढ़ी है और अपने बच्चों को बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं। देश की सबसे कठिन समझी जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने का सपना और उसे हकीकत में बदलने का जज़्बा  मेरा जैसा सामान्य स्टूडेंट अगर कर सका है तो उसके पीछे मां के असीम आशीर्वाद,प्रेरणा ही रही है।
-आशीष

शनिवार, 13 अप्रैल 2019

PRATEEK BAYAL : IAS TOPPER 2018 WHO HAS DEEP INTEREST IN FITNESS


मिलिए PRATEEK BAYAL आईएएस टॉपर 2018  से जिन्हें है  फिटनेस  का गहरा शौक 

- आशीष कुमार 




(इंटरव्यू से पूर्व परम्परा के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग के बाहर फोटो खिंचवाते प्रतीक )

प्रिय पाठकों, आज आपको एक ऐसी PERSONALITY से मिलवाता हूँ जो इस वर्ष सिविल सेवा में अंतिम रूप से चयनित है। प्रायः ऐसा माना जाता है कि आईएएस की तैयारी करने वाले लोग फिटनेस पर ध्यान नहीं देते है या फिर उन्हें समय इजाजत नहीं देता है कि वो अपना कीमती समय फिटनेस पर दे। पर इस पोस्ट में आप  एक ऐसे युवा आईएएस  की कहानी पढ़ेंगे  जिसने विश्व की सबसे कठिन समझी जाने वाली आईएएस की परीक्षा में दो दो बार अंतिम रूप से पास की है बगैर फिटनेस से समझौता किये।  



प्रतीक बायल, मूलतः दिल्ली के रहने वाले है। IIT DELHI से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक् करने के बाद वो सिविल सेवा की तैयारी करने लगे।  जनवरी 2016 में उनका चयन अस्सिटेंट कमिश्नर प्रोविडेंट फंड पद पर हुआ। उन्हें जूनागढ़, गुजरात में पोस्टिंग मिली। 2017  में वो UPSC INDIAN FOREST SERVICE  में आल इंडिया रैंक 27 के साथ  चुने गये।  इसी वर्ष भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2017 में रैंक 966 के साथ DANICS SERVICE में चुने गए। इस वर्ष सिविल सेवा परीक्षा 2018 में रैंक 340 के साथ चुने गए हैं  और उन्हें आईएएस मिलना तय है।  एक प्रकार से उनकी सिविल सेवा की लम्बी का तैयारी का सुखद अंत हुआ। अब वह मसूरी में  आईएएस की ट्रेनिंग के साथ-साथ फिटनेस पर पूरा समय दे सकेंगे। 

उनका मानना है कि प्रत्येक युवा को फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए। अगर हम फिट है तो कम समय पढ़कर भी अच्छी सफलता पा सकते है। उन्होंने हर दिन , चाहे वो कही पर भी रहे वो अपने लिए दिन में कम से कम 2 घंटे जरूर निकाल लेते है।  

वो वर्कआउट में  मोटिवेशन तलाशते है। उनका कहना है कि जब वो वर्कआउट करते है तब अपने वजूद  से मिलते है। इस समय वो पूरी एकाग्रता से , पूरी तन्मयता से अपनी फिटनेस के लिए समय देते है। इसका फायदा उन्हें अपनी सिविल सेवा की पढ़ाई के समय मिलता रहा है। फिजिक्स जैसे कठिन समझे वाले विषय के साथ उन्होंने दो दो बार सिविल सेवा की परीक्षा पास की है। इस समय वो दानिक्स सेवा में दिल्ली में प्रशिक्षण ले रहे है। 

प्रतीक बायल की आदत लोगों को फिटनेस के प्रति जागरूक करना है। दानिक्स अकादमी में उन्होंने तमाम साथी अधिकारियों को भी जिम जाना शुरू करवा दिया है। उनका मानना है कि सिविल सेवकों को आज समय की तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए मानसिक रूप से बेहद मजबूत होना चाहिए। वो माननीय प्रधानमंत्री जी के विचारों के अनुरूप हम फिट तो इंडिया फिट  ( Hum Fit Toh India Fit) पर विश्वास करते है। 






प्रतीक की कहानी भारत के लाखों युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। प्रतीक के लिए फिटनेस हमेशा से प्राथमिकता रही  है। उनका कहना है कि फिट रहना उनके लिये उतना ही ज़रूरी था जितना की आईएएस बनने का उनका मकसद।  

कैसे रखते है दोनों में सामंजस्य  



प्रतीक के अनुसार आज के समय आलस्य हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। अगर हम आलस को अपनी जिंदगी में न आने दे तो कितने ही कार्यो को समय से निपटाया जा सकता है। वो अपने वर्कआउट को पूरा करने के लिए रोज सुबह 5:30 बजे उठते है। कैसा भी मौसम हो, कितनी ही ठंड पड़े वो समय से  बिस्तर छोड़ देते हैं। एग्जाम करीब होने पर भी वो वर्कआउट के लिए 1 घंटा  निकाल ही लेते है। इसके जरिये उनका एनर्जी लेवल पुरे दिन हाई रहता है। इसके चलते वो दिन के बाकि कार्य बहुत सरलता से निपटा लेते है। 

कुकिंग में भी है गहरी रूचि है 

प्रतीक बायल को वर्कआउट के साथ साथ स्वादिष्ट खाना बनाना भी बहुत पसंद है। देखा जाय तो वर्कआउट व कुकिंग दोनों ही रुचियाँ एक दूसरे की पूरक है। प्रतीक ने तमाम तरह की डिशेस को अपने वर्कआउट की जरूरत के अनुरूप बदलाव कर बनाना सीख लिया है। हमारी अकादमी में भी उनके खाने के सभी कायल हैं। 

(दानिक्स अकादमी , दिल्ली में साथी अधिकारियों  के लिए  लजीज डिश बनाते हुए तल्लीन  प्रतीक बायल )

सिविल सेवा के इंटरव्यू में भी दोनों हॉबी ने काफी मदद की 

सिविल सेवा के इंटरव्यू में उम्मीदवार से उम्मीद की जाती है कि वो हॉबी में सही चीज भरेगा। प्रतीक ने इन्हीं दोनों हॉबी को अपने DAF में दिखलाया था।  इंटरव्यू में इन चीजों पर भी बात हुयी । इंटरव्यू चेयरमैन एयर मार्शल भोंसले सर (2017 वाले इंटरव्यू में) ने तो कमरे में प्रवेश करते समय ही बोल दिया था  कि  आपको देखकर ही पता चलता है कि आप की हॉबी फिटनेस है।  


(When life puts more responsibility on your shoulders, make sure your shoulders are strong enough- Prateek )

प्रतीक ने लेखक से बात करते हुए उम्मीद की है कि आने वाले वर्षो में उनके जैसे लोग सिविल सेवा की परीक्षा पास करके आईएएस बनेंगे जो फिटनेस के प्रति समाज में अपने जीवंत उदाहरण से तमाम प्रेरणा देंगे। 




©  आशीष कुमार 

( लेखक हिंदी लेखन में गहरी रूचि रखते है वो प्रतीक बायल के बैचमेट व रूममेट  हैं )

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

Be helpful to everyone

कृतज्ञता का भाव

मेरे विचार से यह ऐसा भाव है जिसकी शक्ति बहुत प्रबल होती है, मैंने तमाम मौकों ओर इसे महसूस किया है। हर जाने अनजाने सहयोगी ,शुभचिंतक के प्रति मन बेहद आभार का भाव स्वतः पैदा हो जाता है और न जाने कब से आदत पड़ गयी है कि किसी के छोटे से सहयोग को भी बरसों बीत जाने के बाद भी न भूलना।

आज की दुनिया मे अक्सर सबको शिकायत होती है कि उनकी कोई हेल्प नही करता , जरा रुक कर विचार करे कि क्या आपके भीतर दूसरों की हेल्प करने की आदत है या नहीं। मुझे जीवन के हर मोड़ पर अक्सर अनजान अपरिचित लोगों से तमाम तरह की हेल्प मिलती रही । कई बार मुझे खुद आश्चर्य होता है कि आखिर ये कैसे ?

महर सिंह वाली पोस्ट पढ़ी है, पुणे जाना हुआ तो नवनाथ गिरे जैसे होस्ट मिले जो पहली बार मिल रहे थे पर इतने प्रगाढ़ व मित्रवत की पूछो मत। बाइक से महाबलेश्वर घूमना व अन्य तमाम प्रकारन आप पढ़ ही चुके है। कुछ और बड़े और महत्वपूर्ण घटनाएं आने वाले दिनों में पढ़ने को मिल सकती है ।

मुझे अब तक यही समझ आया है कि अहसान मानने की आदत बहुत प्रभावी चीज है, जितना आप इसको मानेंगे ,उसके सुखद और गहरे परिणाम दिखेंगे ।
( यूँ ही विचार आया, विस्तृत पोस्ट फिर कभी । अपने अनुभव साझा कर सकते हैं )

बुधवार, 12 दिसंबर 2018

aatm dipo bhav


आत्म दीपो भव  


गौतम बुद्ध ने आत्म दीपो भव यानि अपना दीपक स्वयं बनो का सूत्र दिया तो उसका आशय क्या था ? अक्सर हमारे सामने बहुत सी मुश्किलें , दुविधाएं होती है और उनके हल के लिए किसी न किसी का  आसरा चाहते है पर क्या वास्तव में कोई अन्य आपकी उलझन  को ज्यादा बेहतर समझ सकता है क्या ? आपके लिए सबसे बेहतर मार्ग क्या है , यह आप से बेहतर कौन जान सकता है। 

सिविल सेवा की तैयारी के दौरान तमाम प्रश्न उठते है , वैकल्पिक विषय क्या ले ? कोचिंग करे या न करे , कहाँ से करे ? कितने घंटे पढ़े ? नोट्स कैसे बनाए ? इनके बड़े सामान्य से उत्तर है पर आप खुद सोचिये कि इनके उत्तर दूसरा भला कैसे दे सकता है। यह बात सही है कि दूसरे के ज्ञान/अनुभव से सीख का समय बच सकता है पर यह पूरी तरह से सत्य नहीं है। मैंने पहले भी कुछ ऐसे प्रकरण साझा किया है जिसमें दूसरे के कहने पर व्यक्ति ने काफी नुकसान उठाया है। 

दरअसल बात सिविल सेवा तक ही सिमित नहीं है। जीवन , बहुआयामी है। सेवा/जॉब सिर्फ एक आयाम है। जीवन के सभी आयामों में अपना दीपक बनने की कोशिश करनी चाहिए। तुम्हारे भीतर छुपी ऊर्जा / कमजोरी को तुमसे बेहतर भला और कौन जान सकता है। इसलिए आज से इस वक़्त से अपने निर्णयों पर जीने की आदत डाल लो। जो भी करोगे , उसका सुखद /दुखद परिणाम भी आप भोगोगे पर यह संतुष्टि रहेगी कि यह मेरा निर्णय था। 

© आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

बुधवार, 7 नवंबर 2018

What to do right now ?

अब किया क्या जाय?


जब तक सिविल सेवा की तैयारी में व्यस्त रहे , समय का पता ही न चला। अब टाइम ही टाइम है पर समझ न आता कि क्या जाय ? यूँ तो घूमना, फिरना तब भी लगा रहता था अब जरा और  बढ़ गया है। तमाम चीजें कर रहा हूँ तब भी समझ न आता कि वास्तव में किस दिशा में क्या करना है। पिछले दिनों u tube पर वीडियो भी डाले, अनमने मन से। मुझे काफी समय से यह महसूस होने लगा था कि upsc के लिए गाइड करने वाला मामला अब मेरे बस की बात नही है।

दरअसल सच तो यह है कि मैं जो भी लिखता था उसका इकलौता उद्देश्य था अपने आप को मोटिवेट बनाये रखना। अब जब मैं इस cycle से निकल गया तो उद्देश्य न बचा। वैसे भी कभी कभी मुझे लगता है कि आज तैयारी करने से ज्यादा , तैयारी करवाने वाले लोग ज्यादा हो गए हैं।  

गुरुवार, 30 अगस्त 2018

Questions and answers

सवाल व जबाब

हम कई मसलों में जबाब देने के योग्य होते हैं और कई बार हमें खुद सवालों से घिरे होते है। दोनों ही मसलों में हमें बहुत मितव्ययिता बरतनी चाहिए । सवालों का अंत नही है और हर किसी से अपने सवालों को नहीं साझा करना चाहिए । उत्त्तर देने में भी हमें संयम बरतना चाहिए । जितने अधिक आप उत्तर देने जाओगे , अपने महत्व को कम करते जाओगे। कई बार , चुप रहना भी सबसे बेहतर जबाब होता है।

-आशीष, उन्नाव

रविवार, 19 अगस्त 2018

Success tips for upsc

अगर आप कोचिंग कर पाने में सक्षम नही हैं तो 2 चीजे जरूर ध्यान रखना
1. किताबें जितनी ज्यादा खरीद सको, खरीदते रहना।
2. जितना ज्यादा पढ़ सकते तो पढ़ते रहना

एक मजेदार तरीके में कहूं तो मैंने अपने वजन के 10 गुना ज्यादा किताबें खरीदी होंगी और उनमें कुछ 4 या 5 बार से ज्यादा पढ़ी गयी होंगी।

-आशीष कुमार

सोमवार, 6 अगस्त 2018

Continuity

निरंतरता

जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिए निरंतरता सबसे महत्वपूर्ण होती है। सिविल सेवा में चयन के बाद से काफी खालीपन महसूस कर रहा था वजह क्योंकि अब किसी चीज के लिए पढ़ना न था। कोई लक्ष्य नजर न आ रहा था कि अब किया क्या जाय ?

पिछले दिनों कुछ अच्छे दोस्तों की सलाह , सुझाव के चलते अपने लिए कुछ नया काम तलाश लिया है, मजा आ रहा है क्योंकि फिर से पढ़ाई में व्यस्तता बढ़ रही है। देखा जाय तो सीखने के लिए इतनी चीजे है कि आप पूरे जीवन विद्यार्थी बने रह सकते है ।

©आशीष, उन्नाव

मंगलवार, 24 जुलाई 2018

Look your positive side

हर हाल में मुस्कराना है 


आखिरी अटेम्ट होने के कुछ अपने फायदे व नुकसान होते है। रह रह कर ख्याल आता कि अगर अबकी बार मिस किया तो पूरी उम्र आईएएस के लिए तड़पते रहोगे। इसलिए पूरी तरह से कमर कस ली और सकारात्मक चीजो पर नजर डाली। मैंने सोचा, अगर तुम पास हुए और अपने एटेम्पट दुनिया के सामने रखे तो लोग नजीर देंगे। यह सोच, मुझे हर पल मेहनत के लिए प्रेरित करती रही।


आशीष, सिविल सेवा 17 में चयनित

#मोटिवेशनल



सोमवार, 14 मई 2018

story of a UPSC ASPIRANT


कहानी : upsc आशिक की 


एक शाम उनके पास पहुंचा तो अजीब मनस्थिति में उन्हें पाया। वो  एक गिटार लिए थे और कहने लगे कि अब बस इसी का सहारा है। iit से थे और एक बहुत अच्छी जगह जॉब कर रहे थे। 2 बार से उनका आईएएस pre नहीं निकल रहा था। एक pre एग्जाम के दौरान ही मुलाकात हुयी थी। 

उस दिन उनके  सरकारी आवास पर मुझे काफी चीजे अलग लगी। वो कहने लगे कि अब शाम को यही बजाता हूँ और ये जो तुलसी का पेड़ है यह मेरा संगीत सुनता है और प्रसन्न होता है। मैंने पूछा कैसे ? वो बोले अपने पत्तों से यह मुझे जबाब देता है। मुझे उस वक़्त यही लगा कि एक होनहार बंदा , upsc के मकड़जाल में उलझ कर अपनी चेतना खो बैठा है। कुछ पल को मुझे लगा कि वो मजाक कर रहा है पर वो पूरा गंभीर था। 

उसके साथी भी तैयारी करते थे और बगल के फ्लैट में रहते थे। उनसे भी बात हुयी तो वो बोले कुछ नहीं पर मुझे true caller पर उस दोस्त का नंबर सर्च करने को  कहा। true कॉलर ने जो नाम बताया वो देख कर मुझसे कुछ कहा न गया। उस पर उनका नाम upsc आशिक दिखा रहा था। पता नहीं यह किसकी कलाकारी थी जो दोस्त का नाम इस तरह से सेव कर रखा था। आपको पता ही होगा true कॉलर कैसे काम करता है। मैं बगैर कुछ  बोले वहाँ से चला आया।  

फुटनोट :- वो मित्र अगले प्रयास में भारतीय सिविल सेवा में सफल हुए और इन दिनों एक बेहद महत्वपूर्ण सिविल सेवा में है। पिछले दिनों एक काम  के चलते उनसे सम्पर्क हुआ तो मुझे यह प्रसंग याद आ गया।   


कॉपी राइट - आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

शनिवार, 12 मई 2018

Success

सफलता

सफलता के लिए सबसे जरूरी होता है खुद पर विश्वास होना। असफ़लता , सफलता का एक अभिन्न अंग है। असफल होने पर आपको खुद ही खड़ा होना पड़ेगा। ऐसे समय मे अपने पर यकीन बनाये रखना बड़ा काम आता है। हर सफल व्यक्ति को हमेशा से यह अहसास होता है कि वो जरूर सफल होगा।

अगर विषम हालात हो तो भी आप सफल हो सकते है हाँ थोड़ा टाइम जरूर लग सकता है। निरन्तर लगे रहे । खरगोशों को आगे जाने दीजिए। अपने पिछड़ने का अफसोस न करिये। धर्य व अथक मेहनत का कोई विकल्प नही है।

© आशीष - सिविल सेवा 17 में चयनित

सोमवार, 30 अप्रैल 2018

Motivational

सेकंड डिवीजन वाले भी आईएएस बना करते है

अपने पिछली पोस्ट देखी और मेरे मार्क्स भी देखे। एक बड़ी मोटिवेशनल बात बताता हूँ  मैंने B.Ed. भी किया है । 2007/08 में उत्तर प्रदेश में प्राइमरी टीचर की तमाम जगह निकली, सिलेक्शन मेरिट से होना था। सेलेक्शन तो दूर कही कॉउन्सिलिंग के लिए भी नही बुलाया गया। तमाम साथी सेलेक्ट हो गए टीचर में और हम अकेले , बेरोजगार, तमाम व्यंग्य बाणों के बीच।

आज पलट कर देखता हूं तो लगता है जो होता है अच्छे के लिये ही होता है।

#justformotivation

रविवार, 29 अप्रैल 2018

Motivational : A post from Forum IAS


प्रिय दोस्तों, फोरम आईएएस सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।सिविल सेवा में सफल मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं।मैं इस मंच पर बेहद कम सक्रिय रहा हूँ पर लगातार यहां पर आता रहा हूँ । मैंने अपने पिछले कमेंट में बगैर हिचक अपने अटेम्प्ट, रैंक , अपना परसेंटेज सब खुल कर लिखा और हो सकता है यह कमेंट आप काफी जगह देख चुके हो तो मुझे माफ़ करना । मैं सच मे अधिक से अधिक लोगों तक यह कहानी पहुँचाना चाहता हूं ।

सिविल सेवा कातिल सरीखी होती है , जो इसमे असफल होते है , वो ही जानते है कि कितना घातक होता है उम्मीदों का टूटना। मेरी कहानी उन सभी के लिए हमेशा साहस देती रहेगी जो लगातार असफल होकर भी जूझते रहते है।

खैर बात चीत होती रहेगी। एक और बात , सिविल सेवा में चयन से पहले ही मैं खूब जगह प्रकाशित हो चुका हूं जनसत्ता, बिजिनेस स्टैंडर्ड , योजना, कुरुक्षेत्र , आउटलुक, इंडिया टुडे आदि जगहों पर। कुरुक्षेत्र के बजट अंक मार्च 2018 में समावेशी शिक्षा वाला लेख , फिर से पढ़ियेगा। इसलिए नाम के लिए यह सब कतई न है।

अंत मे, असफल मित्रों से मैं आपके साथ हूँ हर तरह से। सफल की जय जय तो हर कोई करता है पर मैं आपकी करता हूँ, आखिर आप कुछ स्टेज तो पार कर ही रहे है, आप भी खास है। संघर्ष करते रहिए , रिजल्ट आने के 30 मिनट बाद ही आपके वर्षो की थकान मिट जाएगी। आपके लिए 2 शब्द , इन्हें गुनगुनाना 

कैसे कह दू कि थक गया हूँ मैं 
न जाने कितनों का हौसला हूँ मैं ।।

मेरे और तमाम लेख ऑनलाइन उपलब्ध है , खोजिये शायद आपके काम के हो ।

आशीष कुमार
उन्नाव, उत्तर प्रदेश।

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