माननीय मुख्यमंत्री साहब गुजरात , डायरेक्टर साहब स्पीपा , मंच पर उपस्थिति अन्य मंत्री /अधिकारीगण, टीम स्पीपा , मिडिया से जुड़े मित्रगण , सफल साथी मित्रों , मुझे आज अपार हर्ष व गर्व की अनुभूति हो रही है कि मुझे इतने बड़े व महत्वपूर्ण मंच से दो शब्द बोलने का अवसर मिला है।
सबसे पहले मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ जो उन्होंने अपने व्यस्त दिनचर्या से हमारे लिए इतना समय निकाला। यह उनकी विनम्रता , सज्ननता का सटीक उदाहरण है।सिविल सेवा भारत की सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षा मानी जाती है। मै पिछले 9 सालों से लगातार इसमें शामिल होता और इस साल अपने आखिरी प्रयास में सफलता पायी है। 6 बार मैन्स , तीसरी बार इंटरव्यू देने के बाद , सफलता का स्वाद चखना, सच में बहुत ही खुशी का विषय है। यहाँ पर मुझे बहुत प्रेरक 2 पंक्तियाँ याद आती है -
" रख हौसला वो मंजर भी आएगा
प्यासे के पास समुंदर भी आएगा। "
कहते है सफलता के पीछे तमाम लोगों की मेहनत , शुभकामनाएं होती है। मैं मूलतः उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से हूँ और जनवरी 2012 से कस्टम विभाग , अहमदाबाद में इंस्पेक्टर के पद पर जॉब करते हुए तैयारी में लगा रहा हूँ । वर्ष 2015 में मुख्य परीक्षा के बाद मुझे मॉक इंटरव्यू की तैयारी के लिए स्पीपा, अहमदाबाद से जुड़ने का अवसर मिला। जब स्पीपा करीब से जाना तो मुझे तमाम चीजे बेहद खास लगी। मेधावी छात्रों की आर्थिक मदद , मॉक इंटरव्यू के साथ साथ , दिल्ली में बेहद कम दरों में परीक्षार्थी को गुजरात भवन में 15 दिन तक रहने के लिए , टीम स्पीपा पूरा सहयोग करती है। इस बार बड़ी संख्या में चयनित लोगों के पीछे , स्पीपा टीम का अथक परिश्रम , छात्रों के प्रति समर्पण ही है।मैं एक बार फिर से स्पीपा के डायरेक्टर सर, और स्पीपा स्टाफ का हद्रय से धन्यवाद देना चाहता हूँ.सभी को बहुत बहुत आभार , धन्यवाद। अपनी बात का अंत मै प्रसिद्ध शायर बशीर बद्र के शेर से कर रहा हूँ -
चिरागों को आंखों में महफूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगीआशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।