आखिरी मुलाकात
एक दिन
अनायास ही कहोगी
कि अब यह हमारी
अंतिम मुलाकात है
याकि फिर
एक रात देर में
करोगी आखिरी फ़ोन
बतलाने के लिए
कि अब न हो सकेगी
कभी हमारी बात
उस दिन, उस रात
के संवेदनशील क्षणों
में आपको जरा
भी ख्याल न रहेगा
कि कैसे तुम
मिटा रही हो
एक अमिट प्रेम को
अपने सुखद भविष्य
के सुखद सपने
देखते हुए,
जब तुम आखिरी
विदा लेने की
असफल कोशिस
कर रही होगी
उस वक़्त
मैं चुपचाप
खामोशी से
तुम्हारे उस
आखिरी फैसले
पर सहमति दूँगा
हमेशा की तरह
क्योंकि मैं
जानता हूँ
कि
अनन्य प्रेम
को यूँ ही एकायक
खत्म न किया
जा सकता है
और प्रेम
में आखिरी
बात, मुलाकात
जैसा कुछ न होता है
सुनो प्रिय
तुम्हारे आखिरी
फैसले पर मेरी
खामोश सहमति
हमेशा बाध्य
करती रहेगी
तुम्हें वापस
लौटने को
अनन्य प्रेम
की अनन्त,
असीम गलियों में।
©आशीष कुमार, उन्नाव
दिनांक- 02 अप्रैल 2021।