किसानो की आत्महत्या मुख्यता छोटे एवं सीमांत किसानो से जुडी रही है , जबकि बड़े किसान और अमीर होते जा रहे है, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में बड़े बड़े निवेशक जो कृषि से सम्बंधित नहीं है, निवेश कर काफी लाभ कम रहे है | अगर कृषि में कराधान आता है तो उसमे इस तरह के किसान ही कर के दायरे मैं आयेगे, न की छोटे किसान| इसके अलावा कई लोग अपने कर बचने के लिए कृषि से आय दिखाते है, जिनपर नकेल कसी जा सकती है |
किसानो को कृषि से कम लाभ होना या हानि होने का कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य का कम होना नहीं है बल्कि उसतक उर्वरक, बीज एवं अन्य कृषि सब्सिडी का न पहुच पाना है, यदि ये सब्सिडी उनतक बिना किसी लीकेज के पहुचेगी तो उनकी आय बढ़ जाएगी |
किसानो की आय दुगनी करने एवं कृषि उत्पादन बढ़ने के लिए सिंचाई, बीमा, शोध आदि में भारी निवेश की आवश्यकता है, जो कराधन के दायरे को बढ़ा कर की जा सकती है| कर नहीं लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा बल्कि अधिक कर संग्रहण एवं उनका उचित उपयौग से स्तिथिया बदलेगी, जिनकी झलक वर्त्तमान सरकार के कई आधार लिंक्ड योजनावों से दिख रही है|
कुंदन कुमार, अहमदाबाद ।
(जनसत्ता में प्रकाशित )