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रविवार, 29 अप्रैल 2018

Motivational : A post from Forum IAS


प्रिय दोस्तों, फोरम आईएएस सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।सिविल सेवा में सफल मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं।मैं इस मंच पर बेहद कम सक्रिय रहा हूँ पर लगातार यहां पर आता रहा हूँ । मैंने अपने पिछले कमेंट में बगैर हिचक अपने अटेम्प्ट, रैंक , अपना परसेंटेज सब खुल कर लिखा और हो सकता है यह कमेंट आप काफी जगह देख चुके हो तो मुझे माफ़ करना । मैं सच मे अधिक से अधिक लोगों तक यह कहानी पहुँचाना चाहता हूं ।

सिविल सेवा कातिल सरीखी होती है , जो इसमे असफल होते है , वो ही जानते है कि कितना घातक होता है उम्मीदों का टूटना। मेरी कहानी उन सभी के लिए हमेशा साहस देती रहेगी जो लगातार असफल होकर भी जूझते रहते है।

खैर बात चीत होती रहेगी। एक और बात , सिविल सेवा में चयन से पहले ही मैं खूब जगह प्रकाशित हो चुका हूं जनसत्ता, बिजिनेस स्टैंडर्ड , योजना, कुरुक्षेत्र , आउटलुक, इंडिया टुडे आदि जगहों पर। कुरुक्षेत्र के बजट अंक मार्च 2018 में समावेशी शिक्षा वाला लेख , फिर से पढ़ियेगा। इसलिए नाम के लिए यह सब कतई न है।

अंत मे, असफल मित्रों से मैं आपके साथ हूँ हर तरह से। सफल की जय जय तो हर कोई करता है पर मैं आपकी करता हूँ, आखिर आप कुछ स्टेज तो पार कर ही रहे है, आप भी खास है। संघर्ष करते रहिए , रिजल्ट आने के 30 मिनट बाद ही आपके वर्षो की थकान मिट जाएगी। आपके लिए 2 शब्द , इन्हें गुनगुनाना 

कैसे कह दू कि थक गया हूँ मैं 
न जाने कितनों का हौसला हूँ मैं ।।

मेरे और तमाम लेख ऑनलाइन उपलब्ध है , खोजिये शायद आपके काम के हो ।

आशीष कुमार
उन्नाव, उत्तर प्रदेश।

सोमवार, 23 अप्रैल 2018

Digital World



डिजिटल दुनिया के खतरे 


आउटलुक का 23 अप्रैल का अंक डिजिटल दुनिया के स्याह पहलुओं पर बारीकी से प्रकाश डालता है। फेसबुक और कैंब्रिज एनालिटिका प्रकरण के बाद आम आदमी की सोच और निणर्य लेने की क्षमता पर सवाल खड़े होने लगे है। प्रसंगवश मुझे रामधारी सिंह दिनकर की कुरुक्षेत्र में लिखी दो पंक्तियाँ याद आती है -
सावधान ! मनुष्य यदि विज्ञानं है तलवार 
तो फेंक दे ,तज मोह , स्मृति के पार। 

फेसबुक जोकि पहले सोशल साइट थी आज डेटा से सबसे बड़े भंडार के तौर पर एक परमाणु बम सरीखी लगने लगी है। हरवीर जी ने  सम्पादकीय में बिलकुल सही कहा है -अगली पीढ़ी की तकनीक से सामने हम निहथे है। विश्व में अभी बड़ी तादाद में आबादी शिक्षा से वंचित है , डिजिटल शिक्षा उनके लिए दूर की कौड़ी है। ऐसे में डिजिटल शिक्षा से वंचित लोग आने वाले समय से सबसे कमजोर , सुभेद्य होंगे। इसलिए जब समावेशी विकाश की जब बात की जाय तो इसे केवल आवास , टायलेट , बैंक खाते तक न रखा वरन इसमें डिजिटल दुनिया के सभी पहलुओं पर ज्ञान को भी शामिल किया जाना चाहिए। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 



















मंगलवार, 6 मार्च 2018

A very bad time for me and my family



प्रिय दोस्तों , 23 फरवरी 2018 को मेरे छोटे भाई विकास ( आयु -25 वर्ष ) जोकि लेखपाल के तौर पर जॉब कर रहा था एक सड़क दुर्घटना में  मौत हो गयी है। 2010 में पिता जी मौत के बाद धीरे धीरे परिवार में चीजे काफी हद तक व्यस्थित हो गयी थी पर इस दुखद घटना की क्षति कभी न हो सकेगी। मन में बहुत दुःख है , धीरे धीरे उबर रहा हूँ। अब जब कि सब कुछ बहुत अच्छा और सही चल रहा था , इस तरह भाई का जाना मुझे अंदर से तोड़ दिया है। अभी भी पूरी तरह से यकीन नहीं हो रहा है कि वह अब नहीं रहा। उस पर विस्तार से लिखना है पर अभी मै इस स्थिति में नहीं हूँ कि उस पर ज्यादा बात कर सकूं।  

दो और भी बातें है जो निश्चित ही बेहद प्रसन्नता का विषय होती अगर वो होता पर अब मुझे विशेष खुशी नहीं हो रही है हालांकि यह मेरी हॉबी से जुडी चीजे है-

प्रकाशन विभाग से छपने वाली दो पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ प्रकाशित हुयी है -
 १. बाल भारती ( मार्च 2018 अंक )- कहानी - एंजेल और उसकी सफाई सेना 
२.  कुरुक्षेत्र ( मार्च 2018 बजट अंक ) - लेख - समावेशी शिक्षा की ओर बढ़ते कदम 

अगर संभव हो तो पढ़ कर बताना कैसी लगी ?

-आशीष 

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