पिछले दिनों 10 नावेल मंगवाए है ऑनलाइन । कृष्णा सोबती, राही मासूम रजा , मनोहर स्याम जोशी आदि की किताबें है ।
अभी जोशी जी का संक्षिप्त किंतु बहुत रोचक नावेल खत्म किया । जोशी जी को बहुत पहले पढ़ा था । उन्नाव के गांधी पुस्तकालय में एक ही पुस्तक में उनके तीन नावेल सकलित थे , कसप, हरिया हरक्लिज की हैरानी , एक और जिसका नाम अब याद नही । उस समय जोशी जी को पढ़ना बहुत अच्छा लगा । उनके कुछ प्रसंग बहुत भाये थे जैसे एक चरित् था जो किसी के घर जाता और जैसे ही उससे चाय के बारे पूछा जाता वो समझ जाता कि अब यहाँ से विदा लेने का वक़्त आ गया ।
जोशी जी की एक खास लेखन शैली है , उनकी कथा शैली में बहुत रोचकता होती है, अनोखे व्यंग्य होते है । टाटा प्रोफेसर एक उत्तर आधुनिक नावेल है । एक प्रोफेसर पर क्रेंद्रित इस नावेल का सार यह है कि 'काम मनुष्य को कामुक से अधिक कामिक बनाता है और अस्तित्व को एक कॉमिक कामुक और कास्मिक त्रासदी बना देता है । '
नावेल को पढ़ते हुए मुझे लगा कि भूमिका पढ़ रहा हूँ पर नावेल उसी रूप में ही खत्म हो गया । जोशी जी कहानी लिख नही रहे बल्कि वो कहानी कह रहे है ।
वैसे आपको यह पता ही होगा कि जोशी जी दूरदर्शन पर आने वाले लोकप्रिय सीरियल हम लोग, बुनियाद के लेखक भी रहे है और उन्हें उत्तर आधुनिक समय के सर्वश्रेष्ठ रचनाकार माना जाता है । जादुई यथार्थवाद को भी उनसे जोड़ा जाता है ।वैसे अपने सुधी पाठकों से जानना चाहता हूँ कि उत्तर आधुनिक और जादुई यथार्थ वाद से आप क्या समझते है ?☺
ASHEESH KUMAR