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रविवार, 20 मई 2018

Experience

2 साल तक न्यूज़पेपर तक नहीं पढोगे

एक ips मित्र ( 2014 , up कैडर) से , अपनी सफलता के बाद हाल में ही अहमदाबाद में मिलने का अवसर मिला। उन्होंने तमाम बातों के साथ एक बड़ी अनुभव की बात कही।बोले अब दो साल तक न्यूज़पेपर तक पढ़ने का मन न होगा।

बड़ी पकी हुई बात थी। 11 अप्रैल को interview के बाद से कुछ भी न पढ़ा। रिजल्ट 27 अप्रैल को आया, उसके बाद न्यूज़पेपर भी बंद करा दिया वजह सब पेपर खोले तक न गए थे।
समय समय की बात है ,वरना मैं लगतार योजना, कुरुक्षेत्र मैगज़ीन तक लेने वाला व्यक्ति हूँ, आम तौर पर लोग इन्हें रेगुलर नही लेते।fully updated रहता था। अब तमाम ताम झाम में व्यस्त हूँ, देश दुनिया मे क्या हो रहा है, मुझे न के बराबर जानकारी है। खैर , फर्क क्या पड़ता है।

वैसे मैं इस बीच मे अपना पुराना नशा , नावेल पढ़ने की आदत को फिर से जीवित कर रहा हूँ और हाथ मे 'मुझे चाँद चाहिए' फेम सुरेन्द वर्मा का नया नावेल " दो मुर्दो के लिए गुलदस्ता" पढ़ रहा हूँ जो मेरे कमिश्नर साहब ने पढ़ने के लिए दी है।

आशीष, उन्नाव।।

शनिवार, 9 दिसंबर 2017

Vyas prize Mamta kaliya



ममता कालिया जी को व्यास सम्मान दिया गया है । पिछले दिनों उनके एक नावेल दौड़ के बारे में लिखा था ।
व्यास सम्मान उनके नावेल दुखम सुखम् के लिए दिया गया है, आपको अगर यह नावेल पढ़ने की इच्छा हो तो आप गूगल में hindisamay की वेबसाइट पर जाकर उपन्यास सेक्शन में ममता कालिया लिंक पर पा सकते है, दौड़ भी वहाँ पर उपलब्ध है ।.

जल्द ही मैं भी उसे पढ़ने वाला हूँ, आप भी पढ़े और अपनी राय दे तो अच्छा लगेगा ।Ias की तैयारी करने वाले अक्सर अपनी हॉबी को लेकर बहुत sure नही होते । अगर आप भी किसी दुविधा से गुजर रहे हो तो मेरी राय माने और अपनी हॉबी रीडिंग नावेल बना ले , हिंदी या अंग्रेजी अपनी सुविधानुसार । नावेल मैं बताता रहूंगा काफी नावेल ऑनलाइन pdf में free में ही मिल जायेगे । 

इस हॉबी की सबसे खास बात यह है कि ias या pcs में सेलेक्ट न भी हुए तो आपको ज्यादा दुःख न होगा क्योंकि नावेल रीडिंग , आपके जीवन में , आपकी सोच में अलग किस्म का बदलाव लाएगी ।



आशीष, unnao।

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

Ta ta professor by Manohr shyam joshi

ट टा प्रोफेसर

पिछले दिनों 10 नावेल मंगवाए है ऑनलाइन । कृष्णा सोबती, राही मासूम रजा , मनोहर स्याम जोशी आदि की किताबें है । 

अभी जोशी जी का संक्षिप्त किंतु बहुत रोचक नावेल खत्म किया । जोशी जी को बहुत पहले पढ़ा था । उन्नाव के गांधी पुस्तकालय में एक ही पुस्तक में उनके तीन नावेल सकलित थे , कसप, हरिया हरक्लिज की हैरानी , एक और जिसका नाम अब याद नही । उस समय जोशी जी को पढ़ना बहुत अच्छा लगा । उनके कुछ प्रसंग बहुत भाये थे जैसे एक चरित् था जो किसी के घर जाता और जैसे ही उससे चाय के बारे पूछा जाता वो समझ जाता कि अब यहाँ से विदा लेने का वक़्त आ गया ।

जोशी जी की एक खास लेखन शैली है , उनकी कथा शैली में बहुत रोचकता होती है, अनोखे व्यंग्य होते है । टाटा प्रोफेसर एक उत्तर आधुनिक नावेल है । एक प्रोफेसर पर क्रेंद्रित इस नावेल का सार यह है कि 'काम मनुष्य को कामुक से अधिक कामिक बनाता है और अस्तित्व को एक कॉमिक कामुक और कास्मिक त्रासदी बना देता है । '

नावेल को पढ़ते हुए मुझे लगा कि भूमिका पढ़ रहा हूँ पर नावेल उसी रूप में ही खत्म हो गया । जोशी जी कहानी लिख नही रहे बल्कि वो कहानी कह रहे है ।
वैसे आपको यह पता ही होगा कि जोशी जी दूरदर्शन पर आने वाले लोकप्रिय सीरियल हम लोग, बुनियाद के लेखक भी रहे है और उन्हें उत्तर आधुनिक समय के सर्वश्रेष्ठ रचनाकार माना जाता है । जादुई यथार्थवाद को भी उनसे जोड़ा जाता है ।वैसे अपने सुधी पाठकों से जानना चाहता हूँ कि उत्तर आधुनिक और जादुई यथार्थ वाद से आप क्या समझते है ?☺

ASHEESH KUMAR 

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