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बुधवार, 28 जून 2017

India & America Bilateral relations


प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के मायने 


अमेरिका में नए राष्ट्पति के चुने जाने के बाद भारत के प्रधानमंत्री की पहली  अमेरिका यात्रा कई मायनों में बेहद अहम व समय की मांग के अनुरूप है। कुछ समय पहले अमेरिका ने पेरिस जलवायु संधि से अपने को अलग करते हुए चीन के साथ साथ भारत पर बेहद गंभीर आक्षेप लगाए थे। उससे पूर्व भारतीयों के वीजा को लेकर भी अमेरिका का रुख नकारात्मक रहा था।  

भारत ने इस यात्रा से  अमेरिका से आधुनिक ड्रोन की प्राप्ति , पाक में शरण पाए एक आंतकवादी को वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाने जैसी उपलब्धि हासिल की है। यहाँ विदित हो कि भारत पहला गैर नाटो देश है जिसके साथ अमेरिका ने ड्रोन का सौदा किया है। इससे भारत को अपने तटीय सुरक्षा और सीमा पर घुसपैठ रोकने में  में मदद मिलेगी।  

भारत को संयक्त राष्ट की सुरक्षा परिषद में सदयस्ता , नुक्लेअर सप्लायर ग्रुप में मेंबर बनने के लिए अमेरिका के समर्थन की अहम जरूरत है।  चीन के बेल्ट और रोड पहल के सफल प्रतिरोध के लिए , भारत अमेरिका का अच्छे से स्तेमाल कर सकता है। इस समय भारत के रूस के संबंधो में गिरावट आयी है। रूस का पाक और चीन के साथ गढजोड़ बनता नजर आने लगा है। ऐसे में भारत को  एशिया के साथ साथ विश्व में अपनी प्रभावी  भूमिका   बनाये रखने के लिए भारत को अमेरिका के साथ अपने रिश्तो को मधुर बनाये रखना ही होगा। 

आशीष कुमार ,
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।   

शुक्रवार, 2 जून 2017

Paris Agreement of climate Change and America


पेरिस जलवायु संधि और अमेरिका का इससे बाहर निकलना 


जैसा ट्रम्प ने चुनाव में वादा किया था और कयास लगाए जा रहे थे अमेरिका ने पेरिस जलवायु परिवर्तन संधि से बाहर निकलने की घोषणा कर दी। ऐसा करके अमेरिका ने एक प्रकार से वैश्विक नेता के पद से पीछे हटने की बात की है। शीत युद्ध के बाद विश्व का नेतृत्व अमेरिका करता आ रहा है पर अब ऐसा लगता है कि उसकी जगह चीन स्वाभाविक रूप से ले लेगा।  

पेरिस संधि अब तक की जलवायु परिवर्तन पर सबसे महत्वपूर्ण संधि है। इसकी विशिष्ट बात यह कि यह आम सहमति पर आधारित संधि है जिसमे अलग अलग देशो ने स्वैच्छिक रूप से कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने की बात कही थी। ट्रम्प ने अपने सम्बोधन में चीन के साथ साथ भारत पर कई तरह के आरोप लगाए है। अमेरिका को यह याद रखना चाहिए कि चीन और भारत अभी विकासशील देश है जबकि अमेरिका ने 100 पहले ही इतना कार्बन उत्सर्जन करने लगा था जिसका परिणाम आज सारा विश्व भुगत रहा है। अगर प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन की बात करे तो अमेरिका अभी भी पहले स्थान पर है। 

जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक मुद्दा है इसको किसी एक देश की जिम्मेदारी कह कर छोड़ा नहीं जा सकता है। अमेरिका ने कम नौकरी सृजन के मुद्दे पर जलवायु संधि से अलग हुआ है। यह काफी हास्यपद होगा कि पथ्वी के भविष्य की चिंता के बजाय उन्हें नौकरी की पडी है। उन्हें शायद यह अंदाजा नहीं होगा कि चीन या भारत में अभी उपभोक्तावाद नहीं है जितना अमेरिका में है। जो विकसित देश  है उनकी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है कि वैश्विक मुद्दों को आम सहमति से सुलझाए। अमेरिका को सीरिया में हस्तक्षेप करने , सऊदी अरब को हथियार बेचने में कुछ गलत नहीं लगता पर जलवायु परिवर्तन संधि उसके लिए हानिकारक है। अंत में यही कहा जा सकता है कि अमेरिका का ट्रम्प के हाथो में ही अंत होगा अर्थात कुशासन , भड़काऊ फैसले , प्रतिकियावादी नीति के चलते भविष्य में अमेरिका को राजनीतिक , आर्थिक व सामरिक मसले पर काफी निम्न स्तर देखना पड़ेगा।  

आशीष कुमार, 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

शनिवार, 27 मई 2017

Manchester terror attack

ब्रिटेन में आतंकी हमला 

पिछले दिनों ब्रिटेन के मेनचेस्टर में एक संगीत कार्यकम में हुए आतंकी हमले ने ब्रिटेन के साथ साथ विश्व को स्तब्ध कर दिया है। यूरोप में आतंकी हमले लगातार बढ़ते जा रहे है। इसके पीछे कई तरह के कयास लगाये जाते रहे है। पश्चिम एशिया विशेषकर सीरिया में आतंक का भयावह रूप कई वर्षो से देखने को मिल रहा है। इस देश की अस्थिरता , गृहयुद्ध में पश्चिमी देशो अमेरिका , ब्रिटेन तथा रूस का हस्तक्षेप  माना जाता रहा है।  

ब्रिटेन में ८ जून को चुनाव होने है। इस हमले के बाद सभी दलों ने अपना चुनाव अभियान रोक दिया है।ब्रिटेन ने सेना को भी शहर के महत्वपूर्ण जगहों पर नियुक्त किया है। इसे ऑपरेशन टेम्पेरेर नाम दिया है।पेरिस , स्पेन , जर्मनी में भी इस तरह के हमले हो चुके है। 

पश्चिम के देशो को इस हमले ने  एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आतंकवाद , किस तरह से सम्पूर्ण मानवता के लिए खतरनाक रूप धारण करता जा रहा है। देखा जाय तो यह इन देशो का विश्व युद्ध के बाद बोये गए बीज का परिणाम है यह आंतकवाद।

आशीष कुमार , 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

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