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रविवार, 1 सितंबर 2019

Motivational story of amit chaudhry

सफलता की एक और प्रेरक कथा 


परसों शाम की बात है, रोज की तरह मैं अपनी अकादमी के जिम में वर्कआउट कर रहा था , रेस्ट के टाइम बीच बीच में मोबाइल चेक कर रहा था , तभी अमित का व्हाट एप पर मैसेज मिला सर , जिस  एग्जाम के बारे में आप से डिस्कस कर रहा था ,  उसमें मेरा अन्तिम  चयन हो गया है। जॉब किसी को भी मिले विशेषकर तमाम संघर्षो के बाद , मुझे व्यक्तिगत रूप में बेहद खुशी होती है। 

अमित के लिए मुझे अपार प्रसन्नता हुयी। ठीक से याद नहीं वो मुझसे कब जुड़े पर धीरे धीरे काफी करीब हो गए। मुखर्जी नगर, दिल्ली  जब भी आना होता, उन्ही के पास रुकना होता। हमउम्र ही है पर सम्मान हद से ज्यादा करते है। तमाम मसलों पर उनसे खुलकर बात होती रहती। जितना मैंने उन्हें जाना वो बहुत ज्यादा प्रतिभाशाली तो नहीं लगे पर उनके जुझारूपन की मन ही मन  हमेशा प्रशंसा करता। काफी पहले आईएएस की मुख्य परीक्षा लिखी थी , बाद में उनका pre कुछ अंको से रह जाता। दिल्ली में रहते रहते काफी समय हो गया था। घर से पैसों को दिक्क्त न थी पर उन्हें अब खुद उलझन होने लगी थी कि अब इतने समय के बाद घरवालों पर बोझ बना रहना उचित है भी कि नहीं। 

बीच बीच में मुझे फ़ोन करते व इस तरह की चीजों पर बात करते। शायद इस साल फरवरी में उनका मैसेज मिला , सर कुछ समय दीजिये। मिलने पर उन्होंने  अपनी दुविधा बताई। मध्य प्रदेश में प्रवक्ता पद की जगह निकली थी। फॉर्म पड़ा था पर वो अनिर्णय की हालत में थे। उन्हें आईएएस का pre देना था , जिसके लिए वो बहुत ज्यादा गंभीर थे। प्रवक्ता वाली परीक्षा देने का मतलब समय खराब होना। 

मैं हमेशा से इसी बात पर जोर देता हूँ कि सबसे पहले रोजगार , बाद में आईएएस। अगर बेरोजगार लम्बे समय तक बने रहो तो upsc के इंटरव्यू पर भी इसका अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा। वैसे भी आईएएस में हिंदी माध्यम की सम्भावनाये काफी सीमित है, इसलिए मध्यमवर्गीय लोगों को हमेशा यही सलाह रहती है कि पहले नौकरी पक्की कर लो। अमित को भी यही समझाया कि एग्जाम दे आओ , बाकि फोकस upsc पर ही रखना। 

अब समझा सकता है कि कितना बढ़िया निणर्य था। आज वो 4800 ग्रेड पे की बढ़िया , सकून व संतुष्टिदायक पद पर चयनित है। अमित के चयन ने एक बार मेरे उस विश्वास को बढ़ा दिया। अक्सर , मजाक मजाक में कहा करता हूँ कि मेरे आस पास रहने वाले यानि मुझसे जुड़े लोग विशेषकर जो गहरी आस्था रखते है बेरोजगार नहीं रहते है , संघर्ष भले लम्बा हो पर उन्हें एक न एक दिन जॉब जरूर मिल जाती है। पता नहीं यह कैसे व क्यों होता है पर होता जरूर है। 

अमित के लिए खुशी इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह पुराने दिनों के साथी है , अहमदाबाद से कभी दिल्ली आना होता तो सवाल उठता था कि रुके कहाँ ? जब से अमित जुड़े , तब से चिंता खत्म हुयी, कई बार वो अपनी एक्टिवा लेकर , मुझे अंतिम समय पर स्टेशन पहुँचाने भी गए। बातें तमाम है पर वक़्त कम है। 

मैंने काफी समय से लिखना रोक सा रखा है पर अमित से वादा किया था कि आपकी कहानी जरूर लिखूंगा। बड़ी प्रेरक है। उन्हें आँखो में कुछ प्रॉब्लम भी हो गयी है। तमाम लेंस , उपकरणों के जरिये अपनी पढ़ाई करते रहे है, उनके रूम पर जब जाना होता तो मन में एक दुआ सी उठती कि भगवान , कहीं  भी इनका सिलेक्शन जल्दी करवा दो , बहुत जूझ रहे है। वो  ज्यादा देर पढ़ नहीं पाते क्योंकि आँखो में दर्द होने लगता। 

इस परीक्षा में उन्हें पुरे मध्य प्रदेश में 41 रैंक मिली है। अभी सिविल सेवा में उनके एटेम्पट बाकि है , कुछ और अच्छे की उम्मीद की जा सकती है। बाकि पहली जॉब के अलग ही ख़ुशी होती है। उनके लिए , अच्छे भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं। 


- आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

रविवार, 7 अप्रैल 2019

Apana time ayega..

जिनको अभी भी और संघर्ष करना है

तमाम सफल लोगों के बीच उन लोगों भी याद करना लाजमी है जो लगातार संघर्ष करने के लिए बाध्य हैं या कहे कि अभिशप्त से हो गए हैं ।

इस बार जब से सिविल सेवा का रिजल्ट आना था , तब से मन मे बार 2 आ रहा था कि यार इस बार उन दोनों का जरूर हो जाय। दो लोग है, हिंदी माध्यम से। नाम नहीं लिख रहा हूँ पर लगभग उनको बहुतायत लोग जान ही जायेंगे । दोनों लोग राजस्थान से है।

पहले मित्र jnu से है, इतिहास विषय से देते है। शायद उनका 5 या 6 लगातार इंटरव्यू था पर न हुआ। पिछले साल 1 या 2 अंको से चयन रह गया था।

दूसरे साथी काफी अच्छे लेखक है, दैनिक जागरण, दैनिक भाष्कर आदि तमाम पेपर में उनके लेख आते रहते हैं।शायद भूगोल विषय है उनका। पहले दिल्ली में थे अब जयपुर में शिफ्ट हो गए हैं। उनका लगातार तीसरा इंटरव्यू था।

जिस दिन रिजल्ट आया , उनका दोनों के नाम एक मित्र से सर्च करवाया पर दोनों का ही न हुआ। सबसे खलने वाली बात यह है कि दोनों अभी किसी वैकल्पिक करियर को न बना सके है, इसलिए उन पर तमाम तरह के दबाव भी। अभी बात करने की हिम्मत न हुई उनसे। मुझसे बहुत ज्यादा गहरे , अंतरंग संबंध भी न है। बाद वाले साथी से कभी मिलना भी न हुआ, jnu वाले मित्र भी एक आध बार इंटरव्यू के दौरान  upsc परिसर में भेट हुई है पर दोनों संर्घष के चलते अपने से लगते है।

मित्रों हो सकता है कि आप इस पोस्ट को पढ़े या कोई आप तक इसे पहुँचा दे। अब आप लोग उस स्तर पर है कि ज्यादा कुछ कहने या समझाने का अर्थ नही बचता। बस समय का फेर है, यह बस हिंदी माध्यम का बुरा दौर है। अभी आप दोंनो के प्रयास बचे है , अंतिम प्रयास में भी सफ़लता मिलती है, इसलिए एक और प्रयास सही। गुनगुनाते हुए लगिये- अपना टाइम आएगा ।

- आशीष कुमार
उन्नाव, उत्तर प्रदेश।

सोमवार, 9 जनवरी 2017

Time is money

आपका समय आपका कीमती  धन है ।

प्रिय दोस्तों, यह बात आप ने पढ़ी या सुनी होगी पर आज एक नए सिरे से समझाता हूँ । मान लीजिये आप कोई नौकरी कर रहे है तो आपको सैलरी किस बात की दी जाती है , आपके समय के लिए । अब आप अपनी योग्यता, क्षमता, काबिलियत का विश्लेषण करें और देखे कि आप को आपके दिए गए समय के अनुरूप सैलरी मिल रही है कि नही । ऐसा तो नही है कि आप योग्य ज्यादा हो और छोटी चीजों से समझौता किये हो । अगर ऐसा है तो उन चीजों से निकलने की कोशिस करने में पूरी जान लगा दे वरना ताउम्र घुट घुट कर मरते रहेंगे ।

शनिवार, 31 दिसंबर 2016

20 Best New Year Resolution for IAS Preparation



हेल्लो  दोस्तों , कैसे है  आप ? नया साल आपको बहुत बहुत मुबारक हो . आशा करता हूँ आप के लिए यह साल बहुत सी अच्छी अच्छी सौगात ले कर आयेगा . आज आपको कुछ ऐसे बिंदु बता रहा हूँ जो आपकी तयारी में बहुत धार देंगे . इन्हें आप नये साल के लिए संकल्प की तरह प्रयोग कर सकते है .


  1. diary लिखने की आदत डाले . 
  2. The hindu पढने की आदत डाले . 
  3. अपनी fitness का भी ध्यान जरुर रखे . 
  4. लिखने पर बहुत जोर दे . 
  5. नये और अच्छे words का प्रयोग करना सीखे . 
  6. अपने लिए एक time table बनाये . 
  7.  खुद के नोट्स बनाये . 
  8. अपनी हॉबी के लिए जरुर समय निकाले. 
  9. सुबह जल्दी उठने की आदत डाले . 
  10. Internet पर अपना टाइम बहुत सावधानी से use करे . 
  11. उन लोगों से बचे जो नकारात्मक होते है . 
  12. खुद से हर चीज सीखने का प्रयास करे . 
  13. हमेशा याद रखे कि आईएएस अपने सपनो को पूरा करने का एक जरिया मात्र है .
  14. आपकी जिन्दगी की हर चीज आईएएस पर ही नही निर्भर करती है .
  15. हमेशा याद रखे कि आप में योग्यता होगी तो आप आईएएस से इतर भी अपने आपको साबित कर देंगे .
  16. किसी से मदद ले तो उसके प्रति अहसानमंद होना सीखे . 
  17. अपनी प्राथमिकता तय करे . 
  18. अपने टारगेट को अपने टेबल के सामने चिपका दे . 
  19. हर रोज अपने टारगेट को दोहराए . 
  20. सोने से पहले सारे दिन का विश्लेष्ण करे और अगले दिन की प्लानिंग कर ले . 

आपको यह पोस्ट कैसी लगी और अपने नये साल के लिए क्या संकल्प लिया है कमेंट में जरुर बताना . थैंक्स . 


मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016

How to audit your life ?

अपनी जिंदगी का लेखा जोखा कैसे करे ?

By Asheesh kumar

           शायद पिछली पोस्टों में बताया होगा कि इन दिनों मैं ऑडिट में काम कर रहा हूँ । ऑडिट यानी लेखा जोखा । कम समय में ज्यादा चीजों का निरीक्षण करना । mistakes को जल्दी पकड़ना यही है लेखा जोखा ।

जैसा कि मैं बहुत बार कह चूका हूँ thoughts मुझे सोने नही देते । हर night मैं न जाने क्या क्या सोचते हुए सोता हूँ । एक रोज ख्याल आया कि हर किसी को अपनी life का भी ऑडिट करते रहना चाहिए ।

मेरे ज्यादातर पाठक, दोस्त 20 से 25 वर्ष वाले उम्र के है । मेरी नजर में यह जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है । 20 की आयु से आप कुछ प्रयोग करना शुरू कर देते है और 25 तक आप को अपने प्रयोगों के results आना शुरू हो जाते है ।
हमारी लाइफ एक है और जिंदगी में करना बहुत कुछ । मसलन पढ़ाई, सामाजिक सम्बन्ध , भावनात्मक सम्बन्ध , पर्यटन , अपनी पहचान बनना, धन कमाना आदि आदि । करना बहुत कुछ और समय बहुत थोडा ।

जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मेरी नजर यही है कि आप संतुलन कैसे साधते हैं ? एक वाकया जोकि एक मित्र ने ही बताया , संक्षेप में बताता हूँ । उनके कोई मित्र 40 साल की आयु में SDM बने और इच्छा कि marriage करेंगे तो किसी षोडसी यानी 16 साल की बाला से । समझा जा सकता है कि उनकी ऐसी चाहत क्यू हुयी होगी । सारी उम्र पढ़ने में ही खत्म कर दी । पता नही उनका क्या हुआ पर अगर उनकी desire पूरी भी हो गयी होगी तो उनकी दशा प्रेमचंद की कहानी " नया विवाह " के पात्र लाला डंगामल जैसी ही होगी ।

अब एक प्रश्न उठता है कि संतुलन कैसे बनाये । इस प्रश्न को कभो आराम से विचार करेंगे आज आपको आपकी जिंदगी का ऑडिट करने का तरीका बताते है ।

आप अपनी dairy ( मेरे सभी पाठक डायरी जरूर लिखते होंगे यह अपेक्षा रखता हूँ ) में अपनी आयु लिखे ।
15 वर्ष से पहले
15- 25
25-40 वर्ष

आप अपने तरीके से इसे बाट सकते है और इनके सामने दो कॉलम बनाये । आप को क्या करना था और आप ने क्या किया । सभी बाते बिंदुवार लिख ले । देखे कि आप ने क्या खोया और क्या पाया ?

विषय अच्छा है और मेरे पास विचार भी बहुत अच्छे अच्छे है पर मैं सफर में हूँ और रात के 12 . 30 हो गए है इसलिए विराम लेता हूँ । अंत एक मजेदार वाकये से - भागीदारी भवन लखनऊ में बहुत से पढ़ाकू और टेलेंट लड़के मुझसे एक चीज से काफी परेसान रहते थे वजह मैं सबसे एक ही बात कहता था कि मैंने छोटी उम्र में ही खूब मजे कर लिए और उनके चेहरों पर उदासी छायी रहती कि वो पढ़ाई से इतर कुछ भी न कर पाये । कहने कि जरूरत नही कि वो मजे का मतलब प्रेम प्रसंग से लिया करते थे जबकि मेरा सन्दर्भ आपने विविधता भरे, बहु आयामी अनुभवों और नई नई चीजों में दक्ष होने से हुआ करता था । जैसी जिसकी सोच- बागा(तारक मेहता का उल्टा चश्मा )

कॉपीराइट - asheesh kumar

* l m thankful to my special readers , who remind me that सर बहुत दिन हो गए लिखा नही अपने कुछ अच्छा सा, अलग सा ।






शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

Set your priority list

काफी दिनों से मुझे मोटिवेशनल पोस्ट लिखने के लिए रिक्वेस्ट आ रही थी। मै इस समय ट्रेन म इ सफर कर रहा हूँ बस बैठे बैठे इस पोस्ट का  विचार आया । आशा है पोस्ट यह सबके लिए उपयोगी होगी ।

पायः हम सबकी लाइफ बहुत व्यस्त होती है । समझ में नही आता कि हमारा time कहा चला जाता है । ऐसे में आपके लिए एक बेहद उपयोगी टिप्स बता रहा हूँ आप हर रात सोने से पहले , अगले दिन के लिए plan बना ले । ज्यादा लम्बी चौड़ी लिस्ट नही बस 7 काम जो सबसे जरूरी हो । इससे ज्यादा नही , न ही इससे कम । इन कामों को प्राथमिकता के आधार पर नंबर दे दे । अगले दिन उन सबको जरूर पूरा करे और रात में उनका review करे ।
कहा जाता है कि कोई काम 21 दिन तक लगातार किया जाय तो habit बन जाती है । ऊपर वाली टिप्स अपना कर देखिये । बहुत कुछ बदलाव जरूर महसूस करेंगे ।

Written by -Asheesh kumar

शुक्रवार, 6 मई 2016

Reason for success

सफलता की वजह
मै घूम फिर कर चिन्तक जी पर ही आ जाता हूँ....क्या करू उनके जैसे बहुत कम ही लोग है....उनकी जुबान में जादू है .. बड़े से बड़ा प्रेरक वक्ता भी वह जादू मुझ पर वो असर नही डाल सकता है जो उनकी बात में मुझे मिल जाता था...
एक शाम हॉस्टल में ( भागीदारी भवन ) में उनके पास बैठा था उन्होंने यह बात पूछी की नौकरी क्यों पाना चाहते हो.. मैंने कहा पैसे मिलेंगे ..आराम रहती है..आदि 
वो बोले आज से एक नयी नजर से सोचो ..सोचो अगर तुम सरकारी नौकरी पा जाते हो तो तुम्हारे पिता को कितनी इज्जत मिलेगी... माता पिता ..आपके पैसे कभी नही चाहते है ..वो चाहते है कि आप की वजह से उन्हें सम्मान मिले..

मेरे दिमाग में यह बात बैठ गयी .. पिता जी उच्च शिक्षित थे..पर बेरोजगार..सारा जीवन संघर्ष में कटा था.. ३ बेटे थे पर उम्मीद किसी से नही थी.. बहुत ज्यादा नकारात्मक सोचते थे... 
उस रोज चिंतक जी की बात मुझे हर वक्त याद रही...मुझे अपने पिता को रेस्पेक्ट दिलानी है....गावं में इस बात की बहुत चर्चा रहती है कि अमुक का बेटा क्या करता है...

यकीन मानिये...जैसे मुझे सेंट्रल गवर्नमेंट में जॉब मिली.. पिता जी को गाव में अपने आप महत्व मिलने लगा...जैसे जैसे सफलता बड़ी होती गयी..पिता जी को बहुत खुशी मिलने लगी.. गाव में इस बात की मिसाल दी जाने लगी कि उनको देखो ..बेटो को पढ़ाने में उम्र निकल गयी पर..अब कितना अच्छा return मिला है..पिता जी की असमय ही २०१० में मौत हो गयी..पर उनके आज तीनो ही बेटे जॉब में है ..और बड़ी जॉब के लिए जुटे है...
दोस्तों... आप भी आज से इस तरह से सोचे कि अगर आप सारा टाइम भले पिता - माता की सेवा न कर सके हो पर उन्हें ऐसी सफलता दे कि दुनिया गर्व से कहे .वो आपके माता पिता है... और इस प्रेरणा के लिए चिंतक जी के आभारी जरुर रहियेगा....यह उनका ही कांसेप्ट है.......

गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

success mantra




अच्छा आप लोगो ने कौन कौन कोर्स की किताबो के अलावा किताबे पढने का शौक रखता है . मेरा मतलब नावेल , कहानिया , मैगजीन पढने से है ..
मुझे कभी इन सबका का बहुत शौक हुआ करता था सच कहूँ वो भी क्या life थी . आज बस अचानक यूँ फील हुआ कि अब तो सिर्फ कोर्स की किताबे पढने का ही टाइम मिल पाता है .. न जाने कितना टाइम हो गया होगा कोई मन का नावेल नही पढ़ा ..

पिछले साल अप्रैल में डेल्ही जाना हुआ था .. मेट्रो के एक स्टेशन पर मुझे नेशनल बुक ट्रस्ट का बुक स्टाल दिख गया .फिर क्या था उसमे तुरत घुस गया .. ५ किताबे खरीद डाला .सारी सारी कहानियों बुक थी .. बहुत मन से खरीदा पर तब से अब तक उन्हें पढने की जरा भी इच्छा नही हुई .. कई बार उन्हें उठा कर भी देखा पर न जाने क्यों मन ही तैयार नही हुआ ..

अब शायद वो पहली सी आजादी नही महसूस होती है .यह सच है सरकारी जॉब मिलना , इस दौर में भगवान मिलने सरीखा होता है .. इतनी मारा –मारी है जॉब के लिए .. पर एक बार जॉब में आने के बाद ही पता चलता है कि यह तो वो चीज ही नही थी जो सोची थी .. जॉब में रोज का वही ढर्रा रहता है ..

जब कभी भी मेरी चिंतक जी से मेरी बात होती है वो कहते है कि कितना अच्छा है तुम्हे तो २१ साल में ही नौकरी मिल गयी थी पर मेरा उनसे यह कहना होता है कि तुम भले बेरोजगार हो पर पढने के लिए आजाद हो .. तुमको सारा दिन पढना ही है उससे अच्छी क्या बात हो सकती है .. सच तो यह है एक जॉब कर रहे व्यक्ति जो साथ में तैयारी कर रहा होता है के लिए पढाई के लिए टाइम निकाल पाना कठिन होता है .

इसलिए मै उन सभी पाठको को यह कहना चाहता हूँ कि अगर आप को सिर्फ पढना है तो खूब जम कर पढ़े और सोचे कि आप भाग्यशाली है कि आपको सिर्फ पढना है जरा उनको सोचे जो जिन्दगी में चुनौती उठाते हुए भी पढाई कर रहे है मेरा मतलब उनसे है जिन्हें मजबूरी में जॉब करनी पड़ी जिन्हें  अपने मन मुताबिक तैयारी करने के लिए के लिए विरासत का सहयोग नही मिला .

पिछले दिनों मेरी  गूगल हैंगआउट पर अपने एक  रीडर से बात हुई .. उनके पापा की कैंसर में डेथ हो चुकी है ..वो और उनकी माँ .. अकेली लडकी अपनी माँ को भी सम्भाल रही है .. पैत्रक साइबर कैफे को चलाते हुए तैयारी भी कर रही है ..ज्यादा बात तो नही हुई पर यह कल्पना की जा सकती है कि उसके लिए तैयारी करना कितना जटिल होगा .. इसलिए मै हमेशा इस बात पर जोर देता हु कि अगर आप लगन है और कुछ कर दिखाने का जस्बा है तो सफलता कुछ देर से ही सही पर आपके कदम जरुर चूमेगी . ईमानदारी से प्रयास करते रहिये .   



गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

Working under government


आज अहा जिंदगी का फरवरी का अंक लाया। यह मैगज़ीन  मैंने  इसके शुरआती दिनों में पढ़ी थी तब भी ज्यादा समझ में नही आयी थी और इन दिनों भी कुछ खास समझ में नही आती है। यह अलग बात है कि    Nishant Jain , Ias Topper 2015 ने जब से इसके बारे में बताया है तब से इसे फिर से लेने लगा हु। 
इस बार के अंक में एक जापानी कहानी का अनुवाद ' सुंदरी ' आया है। काफी दिनों बाद कुछ पढ़ कर मन को अच्छा लगा।  अरसा हो गया साहित्य को शौक की तरह पढ़े।  

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self dependent  तो १६/१७ की उम्र से ही हो गया था। जब  regular job  २१ साल में लगी।  २२ की उम्र में  central government  में कार्य करने लगा था ।  आज एक बात मै आप से share  करना चाहता हु। पहले पहल जब जॉब लगी बड़ी खुशी हुई। पहले से सारे दुःख दर्द सब दूर हो गए।  सोचा अब खूब पैसे मिलेंगे तो मन चाहे brand के कपड़े , जुते ,  mobile  आदि रख सकूंगा। कुछ हद तक यह सच भी था पर कुछ दिनों ही बाद मुझे एक चीज बहुत खलने लगी।  
 student life  में , दिन में २ घंटे सोना एक अनिवार्य सा नियम है , मुझे भी दिन में सोना बहुत अच्छा लगता है।  रात में पढ़ते पढ़ते १ या २ बज ही जाते है सो सभी दिन में सोते है।  जॉब में आने के बाद यह आदत सबसे ज्यादा परेशान  की।  उस दिन से आज तक कभी  free mind  होकर सो न सका। तो यह है सरकारी नौकरी के नकारात्मक पहलू। हलाकि  क्रेन्दीय सेवा में २ दिन यानि  Saturday , Sunday  छुट्टी होती है इसके बाद भी यह सच है कि  नौकरी में आकर  पहले सी आजादी कहाँ  .

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

No age limits for sucess

इस बार की प्रतियोगिता दर्पण फरवरी अंक में डॉ गोबर्धन लाल शर्मा का इंटरव्यू पढ़ा तो एक बहुत प्रेरणादायक बात पता चली । उनका चयन ras में 9 रैंक पर हुआ है ।
उनकी जन्मतिथि है 15/07/1970 यानि लगभग 45 की उम्र में यह सफलता पायी है।

इससे काफी कुछ सीख मिलती है । मैंने अक्सर कुछ लोगो को एक उम्र बाद हताश होते हुए देखा है शादी बाद तो लगभग न के बराबर लोग तैयारी करते है । सोचते है कि अब जो बनना था बन चुके है पर विजेता के लिए उम्र कोई मायने नही रखती ।

रविवार, 31 जनवरी 2016

an ias motivational story in hindi


डेल्ही का मुखर्जी नगर ......और इलहाबाद .......यह दोनों ही जगह मुझे बहुत प्रिय रही है पर अफ़सोस यहाँ पर कभी लम्बा प्रवास नही रहा बस एक या २ दिन . युवा शक्ति को समझना .. अपनी बारीक़ नजर से देखने के लिए यह सबसे माकूल जगह है ..
सफल – असफल लोगो की कितनी ही कहानियाँ ..कितने ही मिथक .. किस्से इतने रोचक रोचक कि बस आप सुनते ही रहे .

                                        



आज एक भूली – बिसरी कहानी याद आ रही है .. जो किसी ने कही सुनी थी और मुझे सुनाई थी तो इस सुनी सुनाई कहानी की शुरआत होती है डेल्ही के मुखर्जी नगर से ..
कथानायक डेल्ही में रह कर काफी दिनों से तैयारी कर रहे थे कभी pre से बाहर होते तो कभी मैन्स से तो कभी इंटरव्यू से .. काफी हताश हो चुके थे .. तभी उनके जीवन में प्रेम का अंकुर जगा .. उन्हें अपनी नायिका मिल गयी .. तो कथानायक सीनिएर थे और नायिका जूनियर थी .... नायक सारा साल नोट्स , gudience ,, नायिका को उपलब्ध कराते रहे .. और जब अंत में रिजल्ट आया तो आप समझ सकते थे क्या हुआ होगा ... नायिका की रैंक १०० के अंदर थी .. आईएएस बन गयी थी .और कथानायक COMPULSORY  इंग्लिश में फ़ैल हो गये थे ( सबसे से निराशाजनक समय )
इसी दौरान नायक ने किसी मित्र के रूम में रोते हुए अपनी दुःख भरी कहानी शेयर की थी संयोगवश उस रूम में वो साथी भी मौजूद थे जिहोने ने यह कथा हमे सुनाई थी ..
कहानी का यह हिस्सा काफी मार्मिक है .. नायक जब नायिका को बधाई देने गये तो उसने बहुत बेरुखी दिखाई इतना अपमान किया कि वो बेचारे उसी शाम अपने घर कि टिकट कटा कर हमेशा के लिए डेल्ही छोड़ने का मन बना लिया . अपनी बोरिया बिस्तर ले कर स्टेशन भी पहुच गये . ट्रेन में भी बैठ गये तब उनके मन में एक विचार आया इस तरह से वो हार कर , अपमानित हो कर लौट नही सकते ... वो ट्रेन से उतर आये ( निश्चित ही उनके मन में उस समय फैसल खान जैसे विचार रहे होंगे – बाप का,, दादा का ,,, सबका बदला लेगा तेरा फैसल ..)
आगे की कहानी किसी हीरो सी रही ....... उनकी रैंक पता कितनी थी ......अंडर -१० ............ तो इस तरह से उनके दिन बदले ......यह पता नही कि उनकी नायिका ने इस पर क्या टिप्पड़ी थी या फिर नायक ने उसे माफ़ किया या नही .........पर यह कहानी .. मुखर्जी नगर में हजारों के लिए अम्रत सरीखी थी .. और कहानी परम्परागत तरीके से साल दर साल चलती चली आ रही है 



fort william college/ फोर्ट विलियम कॉलेज
भारतेंदु युग की 'नए चाल की हिंदी'
सरस्वती पत्रिका
CALL TO ACTION
BHARTENDU MANDAL / भारतेंदु मंडल
SUCCESS TIPS BY NISHANT JAIN IAS 2015 ( RANK 13 )
MISSION EKLAVYA
IAS MAINS 2015
Maila Anchal : by renu
ADOLESCENCE / किशोरावस्था
Nolan Committee in Hindi
Good Governance in India
  

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

New year 2016 resolution : tips and suggestions



            नया साल आने वाला है । यह समय है अपने लिए कुछ नए लक्ष्यों को साधने का । एक समय था जब मैं नए साल की शुरुआत में खुद से  कुछ promise करता था ।

कुछ अजीब और अनोखे संकल्प जैसे इस साल मुझे कोई फ़िल्म नही देखनी । और वाकई मैंने उस पुरे साल कोई फ़िल्म नही देखी । इससे मेरे पैसों से ज्यादा मुझे अपना सैकड़ो घंटे टाइम बचाने की ख़ुशी थी । tv और picture hall में average  40 से 50 movies  देख ही डालता था ।
एक साल मैंने target किया कि मुझे इस साल कोई भी sarkari naokri हासिल ही करनी है और उस year हर तरह की government job के लिए apply किया । हर month मेरे exam ही चलते रहते कभी kanpur तो कभी lucknow तो कभी allhabad कितनी ही जगह कितने ही सेण्टर । उस साल की मेहनत का मीठा फल अगले साल मिला मुझे कुछ अंतराल में 3 अलग अलग छोटी बड़ी जॉब मिली ।
यह सब आज बतलाने का मकसद अपने पाठकों को यह समझना कि संकल्प में बहुत शक्ति होती है खासकर new year resolutions में
आप भी 2016 के लिए अपने लिए कुछ नए प्रॉमिस करे ।
1  कुछ ऐसे संकल्प जिससे आपका भी टाइम बचे ।कुछ भी जो आपमें फालतू आदत हो उसे खत्म करिये ।
2 कुछ नया सीखने का प्रॉमिस करे ।
3 salman khan की wanted का dailog याद है न एक बार जो मैंने commitment कर दी तो अपने आप की भी नही सुनता  । बस सारा साल यही भाव रखना है ।
4 अपने संकल्प शेयर करे इससे आप पर उन्हें पूरा करने का दबाव बना रहेगा ।
5.  मैं भी अपने संकल्प आप से शेयर कर रहा हु अगले साल मुझे 20 popular non fiction books पढ़नी है । जैसे अमर्त्य सेन  की development as a freedom .  
6. मुझे इस साल HTML, HTML जैसी tecnical लैंग्वेज , सीखनी है वो भी इंटरनेट की मदद से अपने आप । जैसे ही ये मेरे वादे पुरे होंगे आप से मैं शेयर करूँगा और इन दोनों के बारे में बताऊंगा ।
7 . Blogging तो चलती रहेगी मैं कोशिस करूँगा कि कुछ बहुत अच्छी post लिखू ताकि 2017 में अपनी motivational book publish करा सकूँ । क्या आप मेरी बुक पढ़ना पसंद करेंगे ?
8 . अगर आप में कुछ नया करने का हौसला तो फिर आप भी अपने इरादे कमेंट के जरिये सार्वजनिक करिये न ।
9 •  जल्द ही मैं कुछ नए साल के लिए करने लायक resolution list भी लिखने वाला हु ।
10 .  अगर आप में जूनून है तो कुछ भी मुश्किल नही है बस जुनूनी बनिए ।
आपको यह पोस्ट कैसी लगी ? Please  tell .

शनिवार, 28 नवंबर 2015

SOME REASONS FOR UNSUCCESS IN UPSC

टॉपिक : लोग पहले ATTEMPT में सफलता पाने से क्यों चूकते है ?

pre के लिए
  1. MAINS की तैयारी न होना। 
  2. सही SUBJECT का चुनाव न कर पाना। 
  3.  सही  मार्गदर्शन की कमी। 
  4. अपने खुद के  NOTES न बनाना। 
  5. सिर्फ नाम या माता पिता की इच्छा के लिए तैयारी करना। 
  6. अति आत्मविश्वास 
  7. आर्थिक आभाव , अक्सर सामान्य परिवार से आने वाले दूसरे या तीसरे अटेम्प्ट में सफल हो पाते है। 
  8. ENGLISH कमजोर होना , इसके चलते मैन्स से बाहर हो जाते है। 
  9. INTERVIEW में अपने आप को सही तरीके से प्रस्तुत न कर पाना। 
  10. जीवन में IAS को सर्वोच्च प्राथमिकता न देना। 
  11. संविधान हिंदी में  

रविवार, 8 नवंबर 2015

HOW TO MOTIVATE YOURSELF

              हमारे जीवन में बहुत बार , ठहराव आ जाता है। हम चाह कर भी अपना पूरा focus अपने TARGET पर नही कर पाते है। इसकी वजह कुछ भी हो सकती है, पर हार कर बैठ जाना ठीक नही। आज आप को कुछ ऐसे TIPS बताने जा रहा हूँ जो आप को उस समय बहुत काम आयेगे जब आप हताश , मायूस , असफल महसूस करने लगते है। 

  1. एक कागज और कलम ले और किसी ऐसी जगह चले जाय जहाँ आप सकून से बैठ कर अपने बारे में सोच सके। 
  2. अब आप सबसे पहले उस कागज में अपनी PROBLEMS को लिखिए। जो कुछ भी झेल रहे हो उसे कागज पर उतार दे। हर चीज मसलन पिता से अनबन , EXAM में असफलता , रिश्तेदारों के ताने , प्रेम सम्बन्ध ( LOVE RELATIONSHIP)  के तनाव , अपने लक्ष्य , अपनी बुरी आदते ( BAD HABBITS )हर चीज को लिख डाले। 
  3. अब उन चीजों को लिखे जो चीजे आप लिए पॉजिटिव है सोचे कि आप के पास तो फिर अच्छा माहौल है कितने ही लोग चाह कर भी तैयारी नही कर पाते है , समय उन्हें मजबूर कर देता है कि तुम घर की जिम्मेदारी उठाओ। 
  4. इन दोनों टिप्स का अपना महत्व है। पहले से आप तनाव मुक्त होंगे और दूसरे से अपने आप को थोड़ा POSITIVE बनाने की कोशिस करे। 
  5. अपने अंदर एक बदलाव ( CHANGE ) महसूस करे। 
  6. हर वक़्त यह महसूस करे कि अब आप की भीतर एक सकारात्मक ऊर्जा ( POSITIVE ENERGY) है जो आपको हमेशा उत्साहित करती रहेगी।  (
  7. आप के आस पास कोई ऐसा जरूर होगा जो आपकी , आपकी मेहनत (STRUGGLE) की कद्र करता होगा। उनसे मिलने जाइए। मै जब हताश , मायूस , असफल महसूस करता तब एक अंकल के घर चला जाता था। वो बहुत अच्छी पोस्ट पर जॉब करते थे और हमेशा यही बोलते थे कि मेहनत करते रहे एक न एक दिन जरूर सफलता मिलेगी। 
  8. अगर कोई न मिले तो मेरे blog पर visit करें। आपको कुछ नया करने की प्रेरणा जरूर मिलेगी। कृपया लगातार हमारे touch  में बने रहने के लिए इसे  Email से follow करे।    
  9. कुछ नई अच्छी किताबे ( Motivational Books ) खरीदे। 
  10. अपने आप कुछ अच्छा और सकून देने वाला काम खोजे। हर वक़्त पढ़ना पढ़ना आप को उबा देता है इसलिए थोड़ा time अपने लिए निकाले । 
  11. नए सिरे से टाइम टेबल बनाये उसे Follow करे।  
  12. कुछ hobby  develop करें। कुछ भी जो आप को पसंद हो उसके लिए समय निकले। उसे अपनी ताकत ( Power)बनाये। 
  13. भाग्य साहसी का साथ देता है
  14. छोटे बच्चो के साथ खेले। अजीब टिप्स है पर है बहुत बढ़िया। उनके साथ आप खेल कर आप अपने तनाव को बहुत कम कर सकते है। उन्हें कुछ खुशी दे और वो आपको भैया या दीदी बुला कर आपको तनाव से बहुत दूर ले जायेगे। 
  15. आजकल लोग बहुत हद तक नास्तिक हो गए है।   आप बगैर किसी चाह के अपने धर्मस्थल ( मंदिर , मस्जिद , गुरुद्वारा चर्च  आदि ) जाये। कुछ देर वहाँ शांति से , मन को विचारों के प्रवाह के से हटकर खुश  होने की कोशिस करे। 
  16. एकांतवास का महत्व 
  17. तनाव दूर करने ,टहलना ( Walking)  भी बहुत अच्छी चीज है। 
  18. आप अपनी बात हम से मेल ( ashunao@gmail.com)  पर भी share  कर सकते है .समय मिलेने पर आपको अच्छी और नेक सलाह जरुर दे सकुगा . 


गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015

ADOLESCENCE / किशोरावस्था


जब मै B. Ed. कर रहा था मुझे उसके Course एक बात अभी तक याद रह गयी है उसमे  दूसरा पेपर Psychology होता है , उसमे किसी Western Philosopher  ने कहा थाकिशोर अवस्था बहुत ही तनाव, संघर्ष और तुफानो की अवस्था होती है . इस बात को मै बहुत सोचता था , इसको अपने पर भी  apply  करके देखता था और पाता था कि  सच में बात बहुत पते की गयी है .
मित्रो , सच में  adolescence period  यानि १६  से २० -२२ की उम्र बहुत जटिल होती है , हमारे विचारो में instability  होती है , हम अपने  decision पर अडिग नही रह पाते है . हम समझ में नही आता कि करना क्या है , हम अपने Parents  से , friends  से , Relatives  से तो असहमत होते है इसके साथ , हम खुद से भी असहमत होते है . हम जो कदम उठाते है , उस पर हमे यकीन नही हो पाता .
इसको example के तौर पर समझाता हूँ . पहले तो हमे पढाई में समझ नही आता कि आगे क्या पढ़े . Inter तक तो math  से पढ़ लिए था आगे समझ नही आता कि B.Sc. करू या B.A. पिता ने कहा B.Sc.  करो . आज उनके logic को सोचता हूँ तो अजीब लगता है उनका मानना था कि इससे तुम्हे  पढ़ाने के लिए अच्छे tution मिलेगे . पिता जी highly qualified  थे पर बेरोजगार . ऐसे में उनकी आस्था डिग चुकी थी , Government Service  उनके लिए दूर की कौड़ी थी .
बीएससी के तीन साल कैसे गुजरे पता चला . कोई book नही खरीदी . साल के अंत में कुंजी type notes खरीदता और उसे exam दे आता . पुरे साल मै हिंदी के  Novel , History  की Books  पढने में busy रहा करता . सच कहूँ तो हिंदी और इतिहास की गहन पढाई से ही अपनी Personality Development कर रहा था . बीएससी के Subjects , Math , Physics, Computer Application को तो समझ पा रहा था और उनकी utility  भी नही दिख रही थी .
बीएससी का बाद रोजगार के लिए बहुत दबाव पड़ने लगा . ऐसे में बी एड के फॉर्म एक सुभचिन्तक ने भरा दिए . Polytechnic का भी फॉर्म डाला. तीन फॉर्म पड़े थे दो बीएड के , एक  का Polytechnic . तीनो में ही नाम आया पर अतिम तौर पर ...
Polytechnic से कुछ याद आया. जहाँ मै किराये पर रहता था वहां पर एक भइया का भी घर था . भइया B.T.C करके Primary Teacher थे और ias ki preparation  करते थे . उनके पास शाम को कुछ और साथी पढने आते थे . मेरा बड़ा मन होता था कि मै भी उनके पास जाकर  कुछ सीखू पर हिम्मत होती थी .
Competition Success Review नामक   एक पत्रिका आती है. उन दिनों उसमे एक gk quiz  आती थी . उन दिनों  मै हर उस चीज में भाग लेने की कोशिस करता जिसमे कुछ prize  मिलने की आशा होती . भइया के पास कुछ quiz  के सवाल पूछने जाने लगा . खैर उस quiz में कभी मुझे कोई prize नही मिला . हा उस पत्रिका के लिए मेरे दो दर्जन essay  जुरूर  चयनित  हुए .

एक रोज भैया ने पूछा किआगे क्या plan  है ? मैंने कहा मुझे भी ias की   prepration  करनी है , पर अभी  का Polytechnic का  exam  दिया है उसमे नाम आया है . वो बहुत हैरान हुए बोले Polytechnic के चक्कर में क्यू पड़े हो . सीधे आईएस की तैयारी क्यू नही करते . मैंने बोला side carrier  बनना चाहता हूँ ... सच में उन दिनों , समझ में नही आता था कि वास्तव में life  में करना क्या है . बहुत भटकाव की अवस्था थी . 
( जारी.....) 

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