अगर ऐसा होता तो भारत जैसे विकाशसील देशों के लिए काफी मुश्किल भरा होता क्यूकि इन देशों में एक बड़ा बाजार बन्द हो जाता ।
आशा की जा सकती है कि अब विश्व में बदलाव आएगा यह देखना रोचक होगा कि जर्मनी में मर्केल की जीत होती है या नही ।
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इतिहास स्वयं को दोहराता है
इतिहास में शुरू से गहन रूचि रही है । कुछ नामचीन पुस्तकें ही पढ़ी है पर बहुतायत बार ।
आज फिर पढ़ा कि प्लिनी इस बात पर रोता है कि रोम से हर साल बड़ी मात्र में सोना भारत आ रहा है वो भी गोल मिर्च, हाथी दांत , मोती व् मलमल के लिए । यह ईशा पूर्व की बात है ।
इसके बाद कुषाण काल में रेशम मार्ग पर अधिकार से भारत ने विश्व व्यापार में खूब धन कमाया ।
आगे गुप्त काल को स्वर्ण काल भी कहा जाने लगा । फिर पतन का दौर शुरू हुआ 10 वी सदी तक भारत से सोने की वापसी होने लगी । गजनवी ने भारत से खूब सोना लूटा यानि सोना फिर पश्चिम गया ।
12 सदी से भारत में 3 नगरीकरण शुरू हुआ । सल्तनत काल और मुग़ल काल में फिर भारत में सोना जमा हुआ । इसमें भी गोल मिर्च का बड़ा हाथ माना जाता है बाकि सूती कपड़े तो भारत के थे ही उत्तम ।
इसके बाद अंग्रेज आये और फिर भारत से सोना ब्रिटेन गया । जब भारत आजाद हुआ तो पूरी तरह से बदहाल करके गए थे अंग्रेज । जाते जाते विभाजन के रूप में रोग दे गए । रोग की चर्चा फिर कभी ।
पिछले कुछ सालों से भारत सबसे ज्यादा सोना आयात करने वाला देश है । यानी फिर सोना भारत में जमा हो रहा है बाकी आप पर छोड़ता हूँ सोचिये और बताईये कि इतिहास से सबक ले तो क्या लगता है इस बार इस सोने की वापसी कैसे होगा ?
मुझे किसी भी सफल व्यक्ति की सबसे महतवपूर्ण बात उसके STRUGGLE में दिखती है . इस साल के हिंदी माध्यम के टॉपर निशांत जैन की कहानी बहुत प्रेर...