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बुधवार, 22 अगस्त 2018

Vo jo ankho se ek pal n ojhal huye


वो जो आँखो से एक पल न ओझल  हुए , लापता हो गए देखते देखते 

कभी कभी ऐसे गाने बनते है जो बहुत ही सुंदर , कर्णप्रिय होते है। आतिफ असलम ने समय समय पर कुछ बहुत ही बेहतरीन गाने गाये है यथा तेरे लिए (प्रिंस ) . उक्त वर्णित गीत भी कमाल का लग रहा है. शब्द , संगीत ,आवाज और भावनाएं चारों ही कसौटिओं पर खरा है. अपने एक बात शायद नोटिस की हो ,  पिछले कुछ समय के  कुछ अति लोकप्रिय  गीतों वो है जो दशकों पहले नुसरत फतेह अली खान ने गाये थे। बात चाहे "  मेरे रश्के कमर " हो या फिर " नित खैर  मंगा " हो। आतिफ असलम को सुने तो नुसरत साहब की बेहतरीन आवाज में भी सुने - सोचता हूँ कि वो कितने मासूम से थे , क्या से क्या हो गए देखते देखते।  

© आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश।      

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