वो जो आँखो से एक पल न ओझल हुए , लापता हो गए देखते देखते
कभी कभी ऐसे गाने बनते है जो बहुत ही सुंदर , कर्णप्रिय होते है। आतिफ असलम ने समय समय पर कुछ बहुत ही बेहतरीन गाने गाये है यथा तेरे लिए (प्रिंस ) . उक्त वर्णित गीत भी कमाल का लग रहा है. शब्द , संगीत ,आवाज और भावनाएं चारों ही कसौटिओं पर खरा है. अपने एक बात शायद नोटिस की हो , पिछले कुछ समय के कुछ अति लोकप्रिय गीतों वो है जो दशकों पहले नुसरत फतेह अली खान ने गाये थे। बात चाहे " मेरे रश्के कमर " हो या फिर " नित खैर मंगा " हो। आतिफ असलम को सुने तो नुसरत साहब की बेहतरीन आवाज में भी सुने - सोचता हूँ कि वो कितने मासूम से थे , क्या से क्या हो गए देखते देखते।
© आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश।