BOOKS

bribe लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
bribe लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 23 अगस्त 2021

Bribe

रिश्वत 

कुछ घटनायें ऐसे होती है, वर्षों बीत जाने का बाद भी मन से नहीं मिटती। 

10 साल बीतने को हैं पर आज भी वो घटना अक्सर याद आ जाती है। उन दिनों मैं रक्षा लेखा विभाग में auditor हुआ करता था। उन्नाव से लखनऊ रोज ट्रैन से जाना होता था। charbag station के पीछे की तरफ मेरे विभाग का मुख्यालय था। स्टेशन से वहाँ तक पैदल चला जाता था। कुछ वक़्त बाद, एक सहकर्मी शाम को अपनी bike से मुझे स्टेशन तक छोड़ने लगा। 
एक रोज की बात है, मुझे लेकर वो ऑफिस से निकला। ऑफिस के पास के चौराहे पर अक्सर police खड़ी रहती।  वो अक्सर हेलमेट के चालान काटती रहती थी। सहकर्मी ने बहुतायत लोगों की तरह अपना helmet सर में लगाने के बजाय बाइक के हैंडल पर टाँग रखा था। 

वही हुआ जो तय था, सहकर्मी अपनी सफाई दे रहे थे, ट्रैफिक हवलदार कानून बता रहा था। जब बात न बनती दिखी तो सहकर्मी ने आखिरी दावं चला - 
" साहब छोड़ दीजिए, यही आर्मी वाले ऑफिस में काम करता हूँ .."

और बात बन गयी। हम खुश होकर आगे बढ़े कि सहकर्मी बोला-
" बड़े बेकार पुलिस वाले हैं .." 
मैंने हैरानी से पूछा "क्यों भाई.. बगैर चालान काटे/कुछ लिए दिए बगैर छोड़ दिया ...इसके बाद भी ऐसा क्यूँ बोल रहे हो.."
" कहाँ कुछ बगैर लिए छोड़ा.. आगे मेरा आज का newspaper  रखा था ..वो निकाल लिया "  सहकर्मी फीकी हँसी के साथ बोला। 
वो दिन है और आज का..अभी तक समझ न आया..उसे क्या कहेंगे ..न्यूज़पेपर पढ़ने के लिया था..पर तरीका क्या ठीक था..दूसरी ओर जब पुलिस वाले ने उदारता दिखाते हुए छोड़ दिया था तो फिर न्यूज़पेपर का रोना मेरा सहकर्मी क्यूँ रो रहा था.आप का विवेक क्या कहता है..?

©आशीष कुमार, उन्नाव।
23 अगस्त, 2021।




Featured Post

SUCCESS TIPS BY NISHANT JAIN IAS 2015 ( RANK 13 )

मुझे किसी भी  सफल व्यक्ति की सबसे महतवपूर्ण बात उसके STRUGGLE  में दिखती है . इस साल के हिंदी माध्यम के टॉपर निशांत जैन की कहानी बहुत प्रेर...