जब लोग पत्थर के बन गये चाट बेचने वाले की दुखद कहानी याद है . मैंने
बताया था उस घर में सैकड़ो stories छुपी है . अचानक ये याद आ गयी . अमूमन पढाई करने
वाले लडके देर रात तक पढ़ते है और सुबह देर से उठते है . एक morning जब सोकर उठा तो
पाया मोहल्ले के women का जमघट सुबह ही लग गया है . आम तौर पर यह दोपहर में खास तौर
पर जब light चली जाती थी तब लगता था . ये ऐसी चौपाल होती थी जिसमे महिलाये अपने
घरो के बाहर बनी staris पर बैठ कर गप्पे लड़ाया करती थी .
जब बाहर निकला तो बगल वाली चाची ने तुरंत ही टोक
दिया कैसे घोड़े बेच कर सो रहे थे . night में कितनी आवाज लगाई पर तुम उठे ही नही .
मैंने पूछा कि क्या हुआ था . तो चाची ने कहा कि night में लोगो के फ़ोन आये थे कि
सोना मत आज रात में बारह बजे सब लोग पत्थर बन जायेगे , इसलिए सब लोगो ने अपने अपने
relatives को फ़ोन करके बता रहे थे कि सोना मत . सारी लोग जागते रहे . बहुत से
लोग बाहर सडक तक चले गये थे . उनकी बात सुनकर मुझे बहुत हसी आयी लगा कि joke कर
रही है . but she was right .
मेरी आदत रात में फ़ोन switch off करके सोने कि है .
फ़ोन on किया तो कई लोगो के message पड़े थे . कुछ ही देर में एक दो फ़ोन आ गये कि रात
में वो जगाने के लिए फ़ोन किया था . मैंने कहा शुक्रिया . मैंने पूछा कि कोई पत्थर
बना कि नही . वो भडक गये कि तुम से तो बात
करना ही बेकार है .
खैर धीरे
धीरे पता चला कि सारी रात हंगामे में कटी थी . चाहे kanpur हो या delhi , गोरखपुर
, नोयडा लगभग सभी जगह लोग सारी रात जगते और जगाते रहे . ये खबर पेपर में भी आयी थी
.
दिमाग में कुछ चीजे यूँ ही याद रह जाती है , इस
खुराफात की शुरुआत कहाँ से हुई थी यह आज भी राज है मुझे पता नही किसने बताया था कि
ये सारी कलाकारी शुक्लागंज से शुरू हुई थी पर यह जरूरी नही कि सच ही हो .