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रविवार, 1 नवंबर 2015

Good Governance in India

भारत में सुशासन के आधार 

  • पारदर्शिता - Transparent 
  • लोगो की पहुंच - 
  • सुचना का अधिकार - Right to Information
  • जबाबदेही - Accountability 
  • लोकपाल - 
  • सक्रिय न्यायपालिका - Active Judiciary 
  • प्रतिक्रियाशील - Responsive
  • सहभागिता - Participatory 
  • समावेशी - Inclusive 
  • विधि के शासन का अनुकरण - Follow the rule of law
  • दक्ष - Efficient 
आप चाहे तो मुख्य परीक्षा ( Ias Mains Exam ) में इन्हें प्रयोग करे , इन पॉइंट्स के आधार पर बहुत अच्छा निबंध ( Essay)  लिखा जा सकता है . 

सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

Nolan Committee in Hindi


नोलन समिति ( ऑक्टूबर 1994 )

  1. निस्वार्थता  -selflessness-- लोक कार्यालय में किसी भी निजी वित्तीय लाभ से हटकर निर्णय लेना 
  2. सत्यनिष्ठा- Integrity  किसी भी तरह के दबाव्  से परे होकर कार्य करना 
  3. वस्तुनिष्ठता - Objectivity जो सबसे उचित और योग्य हो उसको चुनना 
  4. जबाबदेही - Accountability - अपने निर्णय के लिए जबाबदेह होना 
  5. पारदर्शिता- Openness - किसी भी तरह के छिपाव , गोपनीयता से हटकर लक्षित समूह को भागीदार बनाते हुए प्रशासन 
  6. ईमानदारी - Honesty - 
  7. नेतृत्व - Leadership 

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2015

Maila Anchal : by renu

 मैला आँचल 





  • फणीश्वर  नाथ रेणु  द्वारा रचित 1954 में PUBLISHED 
  • कथानक - बिहार के पूर्णिया जिला का मेरीगंज गावं 
  •  " इसमें फूल भी है शूल भी , धूल भी , गुलाब भी , कीचड़ भी चन्दन भी सुंदरता भी है , कुरूपता भी - मै  किसी से दामन  बचाकर निकल नहीं पाया " 
  • " अरे , जात -धरम ! फुलिया तू हमारी रानी है , तू हमारी जाति , तू ही धरम , सबकुछ ---" सहदेव मिसिर फुलिया से।  देह भोग के लिए है। तुलनीय गोदान की  सिलिया -मातादीन 
  • आंचलिक LANGUAGE वहां की संस्कृति को दर्शाता है।
  • लोक गीत , लोक उत्सव की बहुलता -बिदापत नाच , बिदेशिया , सदाब्रिज -सुरंगा की कथा, फगुआ गीत , बौडवा , चैती  , ' सिरवा पर्व ' , ' बधना पर्व ( संथाल ) , जाट - जट्टिन  ( वर्षा के लिए आयोजन ), बारहमासा , भकतिया ( मृदंग पर देवी का गीत )
  •  
  • " ऐसी मचाओ होरी हो, कनक भवन श्याम मचाओ होरी "  
  • अंधविस्वास - गणेशी की नानी डायन 
  • "भारत माता अब भी रो रही हैं बालदेव "  बावनदास  वजह दुलार चंद्र  कापरा जैसे डाकू स्मगलर लोग कटहा थाने का सिकेटरी हो गया है।  चुन्नी गोसाई , सोसलिस्ट पार्टी में चला जाता है 
  • बावनदास जैसा त्यागी आदमी की आत्मा -जलेबी और तारावती देवी की देह भोगने के लिए लालायित हो जाता है - इसीलिए मैला आँचल  में धूल है , कीचड़ है।  
  • ऊपरी INCOME की बात गोदान में भी है , यहां भी है - " देवनाथ मल्लिक सिर्फ ५ रूपया माहवारी पर बहाल  हुए थे।  लेकिन ऊपरी आमदनी ? तीन साल बीतते -२ असि  नब्बे बीघे धनहर जमीन के मालिक बन गए थे।  ऊपरी आमदनी ही असल आमदनी है।  
  • बेगारी - मारपीट - " मारो साले  को दस जूता " 
  • बेवजह की मुकदमेबाजी , रिश्वतबाजी 
  • " पुराने तहसीलदार ( विश्वनाथ ) यदि नागनाथ थे तो यह नया तहसीलदार-हरगौरी  सपनाथ है। " 
  •  " हुजूर , लड़की की जात बिना दवा -दारू के ही आराम हो जाती है। "  बूढ़ा - 
  • वर्णनात्मक शैली , कहीं कहीं पर  छोटे छोटे संवाद के माध्यम से कथानक आगे बढ़ता है 
  •   " साला दुसाध , घोड़ी पर चढ़ेगा ! " टहलू पासवान के गुरु को सिंह जी गिरा कर जुटे मारने लगे। जातिगत शोषण 
  • ममता के LETTER में उस समय  CITY के चित्र दिखलाया गया है -" महराज महता की बेटी जो पिछले साल दूध पीने आती थी और ताली बजा कर नाचती थी------पोलिस ने 'सिटी ' के एक पार्क में उसे कराहते हुए पाया--- फूलमतिया का बयान है - टेढ़ी नीम गली के पास एक मोटर गाड़ी रुक गयी और दो आदमियों ने पकडकर उसे मोटर में बिठा दिया --- बड़े बड़े बाबू लोग थे ! "   उस समय और आज के TIME में कोई बदलाव नही दिखता--- 
  • ' विदेशी WINE की दस दुकाने खुल गयी है ' 
  • अमलेश सिन्हा अपनी ही चचेरी बहन वीणा के पीछे हाथ धोकर पीछे पड़ गया 
  • मगला देवी - ' अबला नारी हर जगह अबला ही है।  रूप और जवानी ? … नही यह भी गलत  औरत होना चाहिए , रूप और उम्र की कोई कैद नही -- एक असहाय औरत देवता ने संरक्षण में भी सूख -चैन से नही सो सकती। मंगलादेवी के लिए जैसा घर वैसा बाहर - 
  • " अरे, कांग्रेसी राज है तो क्या जमीदारो को घोलकर पी जायेगा ?" हरगौरी 
  • संथाल टोली में मादल  बज रहा है - डा डिग्गा , डा डिग्गा  ! रि  रि  ता धिन ता !
  • " गरीबी और जहालत - इस रोग के दो कीटाणु है - डॉ प्रशांत 
  • घाघ की सूक्ति - मुसिन पूछे मुस से कहाँ के  रखबधन " 


सोमवार, 20 अप्रैल 2015

Some more answers

भारत में भूमिहीनता बढने के कारक : 
१. बढती आबादी
२. विविध कारणों के चलते भूमि अधिग्रहण
रोजगार अवसरों की उपलब्धता : 
१. भारत के अधिकांश आबादी कार्य कुशल नही है , ऐसे भूमिहीन लोग के लिए मजदूरी ही रोजगार के रूप में उपलब्ध है . 
२. सरकार ऐसे लोगो के लिए विविध कार्यक्रम चला रही है , हाल में ऐसे लोगो के लिए आसानी से वित्त उपलब्ध कराने के लिए 'मुद्रा ' योजना चलाई गयी है . 
३. अच्छी अच्छी योजना होने के बावजूद , उनका ठीक से क्रियान्वयन न होने से , हाशिये पर खड़े लोगो को इसका लाभ नही मिल पाता है . 
४. नियमो की सही जानकारी का आभाव , दलालों तथा लालफीताशाही के चलते , भूमिहीन लोगो के रोजगार के अवसर बहुत सिमित है .

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कनाडा और भारत के बीच यूरेनियम समजौता 
संदर्भ एवम अभिप्राय
१. ३५० मिलियन डालर का सौदा , ५ सालो तक भारतीय रिएक्टर के लिए यूरेनियम की पूर्ति 
२. २०१३ में हुए सिविल नुक्लेअर डील के अनुपालन के तहत समजौता हुआ है 
३. कनाडा , संसार के सबसे प्रमुख यूरेनियम उत्पादक देशो में एक है , भारत की उर्जा जरुरते काफी हद तक इस समजौते पर निर्भर करती है . 
४. २०३२ में भारत नुक्लेअर उर्जा क्षमता ४५००० मेगावाट होगी . इसके लिए यूरेनियम के अबाध पूर्ति होना जरूरी है . 
५. भारत ने अन्य देशो से भी इस दिशा में समजौता कर चूका है पर भारत के लिए जितने अधिक विकल्प होंगे उतना ही अच्छा होगा .
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मिडिल वे , तिब्बत की सम्पूर्ण आजादी के बजाय आंशिक रूप से ऑटोनोमी की बात को बढ़ावा देता है . यह एक प्रकार से राज्य के भीतर राज्य की व्यवस्था लागु करने सरीखा है . 
भारत का नजरिया : चीन ने इसे यह कहते हुए ठुकरा दिया है कि यह सम्पूर्ण आजादी के के लिए कदम है . अगर तिब्बत का मुद्दा आसानी से सुलझ जाता है तो यह भारत और चीन के बीच अच्छे संबंधो को बढायेगा .

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यातायात संकुलन को कम /खत्म करने के उपाय 
१. सार्वजानिक परिवहन को बढ़ावा देना 
२. जिन्हें वास्तव में जरूरत हो उन्हें ही व्यक्तिगत वाहन लेने का परमिट देना ( चीन में ऐसा लागु कर बहुत हद तक लगाम लगाई जा चुकी है ) 
३. कार जैसे व्यक्तिगत साधन पर बड़ी मात्रा में कर लगा कर उसे खरीदने से ह्तोसाहित करना .
४. भारत में चौराहे पर अक्सर जाम लगता है वजह केवल लोगो द्वारा जल्दबाजी में गलत तरीके से ओवरटेक करने से होता है ....यहाँ पर ट्रैफिक पुलिस को सक्रियता दिखानी चाहिए 
५. सही नियमो की जानकारी का आभाव , कम जुर्माना , ट्रैफिक पुलिस की मिलीभगत के चलते , नागरिक उदासीन है . जरूरी होगा कि इन खामियों को दूर किया जाय

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संस्थागत सब्सिडी का प्रचलन पिछले दो दशक में बहुत ज्यादा बढ़ गया है . पूर्व की तुलना में यह कई गुना बढ़ा दी गयी है . इसके बावजूद न क्रषि और नही किसान के दशा में कोई इसका प्रभाव नही दिखलाई पड़ता है . इसकी वजह कुछ निम्न है .
१. भारत में कुछ वास्तविक किसान है और कुछ दिखावे के लिए ( यथा अमिताभ बच्चन ) . वास्तव में क्रषि के लिए सब्सिडी में बड़ा हिस्सा शहर में रहने वाले किसान और खेती के लिए दे दिया जाता है 
२. उक्त के लिए बैंको ने २००० में लाये गये एक प्रावधान ( डायरेक्ट तथा इन डायरेक्ट क्रषि सब्सिडी ) में लूपहोल खोज लिया और भारी मात्रा में क्रषि के नाम पर सब्सिडी जारी करते रहे . 
३. सरकार ने कहा है सक्षम लोग सब्सिडी न ले पर क्रषि के नाम पर कम्पनी और पूजीपति द्वारा इस लूट के लिए किसी भी तरह की बेचैनी किसी को भी नही दिखती है .
क्रषि के लिए , किसान के लिए तथा भारत की समस्त आबादी की खाद्य जरुरतो की लगातार पूर्ति होती रही इसके लिए जरूरी होगा कि क्रषि के नाम पर इस तरह सब्सिडी की लूट बंद हो . किसान वैसे भी कम बारिश और बे मौसम की बारिश के चलते बहुत ज्यादा परेशान और बदहाली में है . उन के लिए जारी धन उन तक पहुचना ही चाहिए .

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स्पोंसोरेड डाटा का आशय इन्टरनेट का शुल्क भुगतान उपभोक्ता द्वारा न करके सेवा प्रदाता द्वारा किये जाने से है . यह टोल फ्री नंबर के सरीखा है जिसमे नि शुल्क काल होती है .
अर्थव्यवस्था के नजरिये से कैसे लाभदायक 
१. भारत में महगा डाटा शुल्क लोगो को इन्टरनेट के उपयोग करने से रोकता है .
२. नि शुल्क होने से लोगो में इन्टरनेट प्रयोग करने हेतु प्रोत्साहन मिलेगा .
३. डिजिटल डिवाइड , कम होगा .
४. डिजिटल भारत के उद्देश्य की पूर्ति होगी .
५. सरकार की लोगो तक तथा लोगो की सरकार तक पहुच बढ़ेगी फलत विकास को गति मिलेगी .









बुधवार, 15 अप्रैल 2015

मनरेगा की सफलता का आलोचनात्मक मूल्याकन

मनरेगा की सफलता का आलोचनात्मक मूल्याकन
१.मनरेगा को ग्रामीण इलाके में रोजगार स्रजन , गरीबो को आर्थिक सहायता , ग्रामीण मजदूरों को शहरी क्षेत्रो में पलायन रोकने की टूल के तौर पर जाना जाता रहा है .
२. अपने पहले ही साल से यह योजना , गावो में अपने उद्देशो की पूर्ति में सफल रही
३. समय बीतने के साथ ही यह योजना कई खामियों यथा फर्जी जॉब कार्ड , गैर लाभदायक कार्य ( तालाब खुदवाने के नाम पर मिट्टी इधर उधर मात्र करना ) के चलते अलोकप्रिय होने लगी .
४. आशय यह कि भले ही इससे बहुत से लोगो को रोजगार मिल रहा था पर इस योजना में खर्च किया जा रहा धन , किसी भी तरह से देश को आर्थिक लाभ न दे रहा था .
५. सरकार ने इसमें धन आवंटन कम किया , प्रशासन ने भी रूचि कम कर दी . लोगो को कम रोजगार , धन भुगतान होने लगा . इस तरह से योजना अपने उद्देश से भटक गयी .
मनरेगा योजना के लिए कई तरह के सुझाव दिए गये है जिससे इस योजना में खर्च किया जा रहा धन , ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल सकता है . इस लिए जरूरी होगा कि इस खत्म करने के बजाय इसको संसोधन कर जारी रखा जाय .

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