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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

ATTITUDE IS VERY IMPORTANT THING



बात उन दिनों की  है जब मै इंटरर पास करके , B.SC.  करने के लिए शहर आया।  नया नया  था , जानने की इच्छा बहुत  थी।  मेरे छोटे से शहर में काफी सांस्कृतिक गतिविधियाँ बहुत  होती रहती थी. कवि सम्मेलन , पुस्तक मेला , राजू श्रीवास्तव के प्रोग्राम , अनूप जलोटा , गोपाल दास नीरज , साबरी बंधू  जैसे  सैकड़ो लोगो को रूबरू सुना या देखा था।  
ऐसे ही किसी प्रोग्राम में गया था। मेरे पास ही वो बैठी थी अब ठीक से याद नही कैसे हुआ पर यह हो गया। उसने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा ' फ्रेंड्स ' . मैंने बहुत संकोच करते हुए उससे हाथ मिला लिया।  शायद वो ११ या १२ में पढती थी उसकी संगीत और डांस में रूचि थी।  उस दिन भी उसका डांस कर प्रोग्राम था। ज्यादा विस्तार में न जाते हुए पॉइंट पर आते है। उसके ही मुह से पहली बार सुना था " आप में attitude बहुत ज्यादा है " . सच कहू उस समय मुझे attitude का ठीक से मतलब भी नही पता था।  मुझे उससे  पूछना भी पड़ा क्या मतलब है आपका।  आज वो काफी उपर जा चुकी है टीवी में भी कभी प्रोगाम आ जाते है।  

तो भई उस दिन से आज तक मुझे यह बात दर्जनों  लोगो (बहुतायत फीमेल ) से अलग अलग तरीके से सुननी पड़ी है " आप में attitude बहुत ज्यादा है।  " आप मुझे attitude का ठीक से मतलब भी  पता चला गया है और इस बारे में  लिखने के बारे में बहुत दिनों से सोच भी  रहा था।  चलो आज बात करते है।  

सबसे पहले मै यह बात भी बता दू  अगर दर्जनों के विचार में मुझ में attitude बहुत है तो सैकड़ो या कहू हजारो दोस्तों , पाठकों की नजर में जमीन से जुड़ा , सिंपल , हेल्पफुल हूँ।  

अब बात करते है यह विरोधाभास क्यों।  दरअसल दोनों ही चीजों सत्य है। मै खुद स्वीकार  करता हूँ कि मुझमे में बहुत attitude है और मेरा यह मानना है कि अगर आप में attitude ही नही है तो आप कुछ नही है।  

पहले attitude का मतलब समझने की कोशिस करते है।  attitude का मतलब सीधा सीधा यह है  कि आप को अपनी किसी चीज को लेकर बहुत यकीन है।  attitude का मतलब है कि आप अपने आप को बहुत गहराई से समझते है , अपनी क्षमताओ को लेकर बहुत संजीदा है। आपको पता है कि आप अपनी किस्मत खुद लिख सकते है।  वैसे attitude के मायने सबके लिए अलग अलग हो सकते है मेरे लिए तो attitude यही है।  

कैसे तलाशे अपने में attitude 

सबसे पहले आप अपने बारे में सोचे कि आप में कोई ऐसी बात है जो बहुत हटकर है जो यूनिक है। यह कुछ भी हो सकता है जैसे आप गाते अच्छा है , नाचते अच्छा है , चेस में एक्सपर्ट है , खाना बनाने में एक्सपर्ट है , आप अच्छे रनर है , लिखते अच्छा है  , पेंटिंग अच्छी बनाते है  आदि ।  रूचि होना अलग बात है और एक्सपर्ट होना अलग बात है जब आप एक्सपर्ट होंगे तभी attitude आएगा।  मेरे विचार में अपनी अच्छी चीजो के बारे में attitude होना अच्छा होता है।  बस चीजे अच्छी होनी चाहिए।  

इससे इतर अगर में आप नकारात्मक चीजो में attitude दिखाते है तो वो आपको गर्त में ले जायेगा। जिन्दगी में अच्छी चीजे सीखते रहिये।  गलत चीजो , गलत इंसानों को कभी भी अपने पर हावी न होने दीजिये। अपने पर्सनालिटी को खुद के अनुसार बनाईये। भले लोग आपको ज्यादा attitude वाला कहे पर क्या फर्क पड़ता है अगर आप सही है।  

क्यों होता है attitude का टकराव 

attitude का टकराव आज के दौर में बहुत बढ़ गया है।  दरअसल हर किसी का अपना attitude है पर टकराव क्यों करे। क्यों अपनी बाते , अपने विचार किसी पर थोपे या स्वीकारे ।  क्यों  किसी से ज्यादा उलझे या उसे उलझाये ।  उसको उसके विचारो , उसकी मान्यताओ के साथ छोड़ दे, आगे बढ़े।  इंसान के कर्म तो महत्पूर्ण होते ही है उसमे attitude कितना और किस तरीके का है यह भी बहुत मायने रखता है। 

कभी कभार मुझे नकारात्मक टिप्पड़ी भी मिलती है मै उन पर कोई भी राय देने के बजाय उसे हटा देता हूँ ज्यादा हुआ तो ब्लाक। इसलिए नही कि मुझे आलोचना पसंद नही या वो पाठक गलत है बस इसलिए कि मै बहस करने को प्रमुख नही मानता मेरा वो काम ही नही है।  मेरा काम है लिखना तो  फिर बहस में क्यों उलझु। जो बहस करते है उनका काम ही है बहस करना न कि लिखना। 
सीधा और सुलझा हुआ जीवन , मेरी मान्यताये मेरे विचार 

प्रिय दोस्तों आशा है आप मेरी बात समझ रहे होंगे।  IN CIVIL SERVICE MAINS PAPER 4TH THERE IS A TOPIC ABOUT ATTITUDE . HERE ,IN THIS ARTICLE THERE IS NOTHING DIRECTLY FOR MAINS BUT U CAN LEARN A LOT ABOUT WHAT ATTITUDE NEED CIVIL SERVANT.

फुटनोट :-  हनी सिंह के गाने के हिट क्यों होते है  क्यूकि उनके सारे गानों में बहुत attitude रहता है . उदाहरन के लिए 
- मेरा १६ का डोला , ४६ की छाती ..........
- मुझको तू पहचाने न तेरे घर अख़बार न आता ---
- पास करा दू , फ़ोन घुमा दू , तेरी प्रिंसिपल भी बेबी यो यो कि फैन है --
- तुझे बिठा कर रखा था मैंने रानी पलको पे , 
   तूने मारी ठोकर समझी आ जाऊंगा सडको पर ..( पूरी लाइन सुनकर किसी का भी दिमाग असमान पर जा सकता है . ) 

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2015

ADOLESCENCE / किशोरावस्था


जब मै B. Ed. कर रहा था मुझे उसके Course एक बात अभी तक याद रह गयी है उसमे  दूसरा पेपर Psychology होता है , उसमे किसी Western Philosopher  ने कहा थाकिशोर अवस्था बहुत ही तनाव, संघर्ष और तुफानो की अवस्था होती है . इस बात को मै बहुत सोचता था , इसको अपने पर भी  apply  करके देखता था और पाता था कि  सच में बात बहुत पते की गयी है .
मित्रो , सच में  adolescence period  यानि १६  से २० -२२ की उम्र बहुत जटिल होती है , हमारे विचारो में instability  होती है , हम अपने  decision पर अडिग नही रह पाते है . हम समझ में नही आता कि करना क्या है , हम अपने Parents  से , friends  से , Relatives  से तो असहमत होते है इसके साथ , हम खुद से भी असहमत होते है . हम जो कदम उठाते है , उस पर हमे यकीन नही हो पाता .
इसको example के तौर पर समझाता हूँ . पहले तो हमे पढाई में समझ नही आता कि आगे क्या पढ़े . Inter तक तो math  से पढ़ लिए था आगे समझ नही आता कि B.Sc. करू या B.A. पिता ने कहा B.Sc.  करो . आज उनके logic को सोचता हूँ तो अजीब लगता है उनका मानना था कि इससे तुम्हे  पढ़ाने के लिए अच्छे tution मिलेगे . पिता जी highly qualified  थे पर बेरोजगार . ऐसे में उनकी आस्था डिग चुकी थी , Government Service  उनके लिए दूर की कौड़ी थी .
बीएससी के तीन साल कैसे गुजरे पता चला . कोई book नही खरीदी . साल के अंत में कुंजी type notes खरीदता और उसे exam दे आता . पुरे साल मै हिंदी के  Novel , History  की Books  पढने में busy रहा करता . सच कहूँ तो हिंदी और इतिहास की गहन पढाई से ही अपनी Personality Development कर रहा था . बीएससी के Subjects , Math , Physics, Computer Application को तो समझ पा रहा था और उनकी utility  भी नही दिख रही थी .
बीएससी का बाद रोजगार के लिए बहुत दबाव पड़ने लगा . ऐसे में बी एड के फॉर्म एक सुभचिन्तक ने भरा दिए . Polytechnic का भी फॉर्म डाला. तीन फॉर्म पड़े थे दो बीएड के , एक  का Polytechnic . तीनो में ही नाम आया पर अतिम तौर पर ...
Polytechnic से कुछ याद आया. जहाँ मै किराये पर रहता था वहां पर एक भइया का भी घर था . भइया B.T.C करके Primary Teacher थे और ias ki preparation  करते थे . उनके पास शाम को कुछ और साथी पढने आते थे . मेरा बड़ा मन होता था कि मै भी उनके पास जाकर  कुछ सीखू पर हिम्मत होती थी .
Competition Success Review नामक   एक पत्रिका आती है. उन दिनों उसमे एक gk quiz  आती थी . उन दिनों  मै हर उस चीज में भाग लेने की कोशिस करता जिसमे कुछ prize  मिलने की आशा होती . भइया के पास कुछ quiz  के सवाल पूछने जाने लगा . खैर उस quiz में कभी मुझे कोई prize नही मिला . हा उस पत्रिका के लिए मेरे दो दर्जन essay  जुरूर  चयनित  हुए .

एक रोज भैया ने पूछा किआगे क्या plan  है ? मैंने कहा मुझे भी ias की   prepration  करनी है , पर अभी  का Polytechnic का  exam  दिया है उसमे नाम आया है . वो बहुत हैरान हुए बोले Polytechnic के चक्कर में क्यू पड़े हो . सीधे आईएस की तैयारी क्यू नही करते . मैंने बोला side carrier  बनना चाहता हूँ ... सच में उन दिनों , समझ में नही आता था कि वास्तव में life  में करना क्या है . बहुत भटकाव की अवस्था थी . 
( जारी.....) 

रविवार, 12 जुलाई 2015

How to revise your notes during ias prepration ?

TOPIC: 73 

आईएएस की तैयारी  के दौरान अपने नोट्स कैसे दोहराये ?

मित्रो , किसी exam की तैयारी  में revision करना सबसे अहम होता है। आप कितना ही पढ़ ले , कितनी ही तरह की बुक , Notes , पत्रिका जुटा ले। सफलता के लिए सबसे जरूरी है समय समय पर revision। अक्सर अपने लोगो से सुना होगा कि  यार पढ़ा सब था बस  रिवीजन नही कर पाया। आज के लेख में कुछ points इस बारे ...  
  1. जब भी पढ़े साथ में नोट्स बनाते चले। 
  2.  सबसे अच्छा होता है बुक में ही पेंसिल से अपने पॉइंट उपर के space में लिख देना।  
  3.  कोई भी बुक पढ़े उसमे date और time जरूर डालते रहे। मेरा मतलब जहां से पढ़े और जहां तक पढ़े वहाँ तक।  
  4.  इससे आपको पता चलता रहेगा कि आप की पढ़ने की speed कितनी है। आप चाहे तो १ घंटे में कितने पेज पढ़ते है इसका आकलन कर सकते है।  
  5.  कोई भी बुक , नोट्स , पत्रिका पहली बार बहुत धीरे धीरे पढ़े।  
  6.  पहली बार में जब तक उसका सार , भाव ग्रहण न करे ले आगे न बढ़े।  
  7. जब  भी कोई बुक पढ़ कर खत्म करे  उसको  २ या ३ दिनों में फिर से पढ़े।  माना  जाता है अगर हम कोई चीज २४ घंटे में दोहरा लेते है तो लम्बे समय तक वह हमारे  mind में बसी रहती है।  
  8. अपने mind की सक्रियता को बनाये रखे। 
  9. कई बार हम घंटो किताब खोले रहते है और दिमाग में कुछ दूसरी बाते चल रही होती है , इनसे बचे। 
  10. अगर आपको रिवीजन से ऊब , बोरियत होती है तो उसे अपने अनुसार कुछ रोचक बनाये। 

आपको यह लेख कैसा लगा , कृपया अपनी राय कमेंट के माध्यम से देना न भूले। कृपया  हिंदी भाषा के प्रसार के लिए इसे फेसबुक , गूगल प्लस , ट्विटर पर शेयर करिये।  



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