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मंगलवार, 30 मई 2017

Indian Agriculture & pre mansoon

भारतीय कृषि तथा मानसून 

भारत एक कृषि प्रधान देश है. भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी अभी भी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। भारत की कृषि में वर्षा का यानि अच्छे व समय से आये मानसून का बहुत महत्व है। इस साल समय से पहले मानसून आना , भारत की अर्थव्यस्था के लिए शुभ संकेत है। इसमें बंगाल की खाड़ी में आये  मोरा चक्रवात की भूमिका भी मानी जा रही है। 
भारत विश्व के उन गिने चुने देशो में एक है जहां पर अच्छी बारिश होती है। इसके बावजूद कई दशकों से , तकनीकी व आर्थिक प्रगति के बावजूद भारत में वर्षा जल के सही प्रबंधन का अभाव देखा जा सकता है। हर साल बाढ़ व सूखा से देश के कई राज्य एक साथ जूझते है। बाढ़ व सूखा से निपटने के लिए बहुत सी योजनाये बनाई गयी है , इसके बावजूद हर साल इन आपदाओं के चलते बड़ी मात्रा में जान , माल की हानि होती है। 

वर्षा जल का सही प्रयोग देश की अर्थव्यस्था में काफी योगदान दे सकता है। आने वाले समय में जल संकट बढ़ता जायेगा। कुछ विद्वानों का अनुमान है कि जल संकट को लेकर तीसरा विश्व युद्ध भी हो सकता है। इस लिए भारत को अपनी विशेष अवस्थिति का गहनता से लाभ उठाने के लिए वर्षा जल का सर्वोत्तम तरीके से प्रबंधन करना चाहिए। भारत इस संदर्भ में इजरायल से काफी सीख ले सकता है जहाँ पर बहुत सीमित वर्षा होती है। इजरायल ने वर्षा जल प्रबंधन की नवाचारी , वहनीय तकनीक विकसित की है। आशा की जानी चाहिए कि भारत इस सदर्भ में पूर्व के सबक लेते हुए , इस गंभीर विषय में उचित कदम उठाएगा।  

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

India -Germany Relations


भारत -जर्मनी द्विपक्षीय सम्बन्ध 

चार देशों की यात्रा पर गए भारत के प्रधानमंत्री द्वारा जर्मनी को पहले चुनना विशेष नजर से देखा जा रहा है। ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बाद, यूरोपीय यूनियन का भविष्य , जर्मनी पर निर्भर करता है। जर्मनी भारत के लिए बड़ा निवेश भी है। तकनीक के मामले में जर्मनी विश्व के सबसे अगुवा देशों में एक है। 
भारत जर्मनी के साथ आतंकवाद , जलवायु परिवर्तन (climate change )   व वैश्विक सस्थाओं में सुधार के मुद्दे पर आम सहमति रखता है। अमेरिका के राष्ट्पति डोनाल्ड ट्रम्प ने पेरिस संधि से अलग होने की बात कह चुके है। ऐसे में अन्य देशो को मिलकर अमेरिका पर दबाव डालना होगा कि वह विश्व के भविष्य पर साथ बना रहे। भारत जर्मनी संयक्त राष्ट की सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की मांग कर रहे है। जापान और ब्राज़ील के साथ इन दोनों देशो ने इस संदर्भ में ग्रुप 4 का निर्माण भी किया है। आशा की जानी चाहिए कि भारत के प्रधानमंत्री की यह यात्रा जर्मनी के साथ सम्बन्धो को और मजबूती प्रदान करेगी। 

आशीष कुमार ,
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

रविवार, 28 मई 2017

Tejas Express : Some issue regarding our social behavior


तेजस एक्सप्रेस का पहला सफर 

पिछले दिनों मुम्बई से गोवा के लिए हाई स्पीड ट्रैन 'तेजस ' को लांच किया गया। विविध अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस ट्रैन के पहले सफर ने यह साफ जतला दिया कि अभी भी भारत में ऐसे लोग भरे पड़े है जो निम्न सोच, स्वार्थ व  निकम्मेपन के आदी है। ट्रैन के सफर के बाद पता चला कि कुछ सीट से हाई क्वालिटी के हेड फ़ोन ( high quality headphone )  गायब है , कुछ स्क्रीन में स्क्रैच है, बायो टायलेट चोक कर गए है। निश्चित ही इस तरह की घटनाएं हमारे सभ्य समाज पर धब्बा है।  

हम विकसित देश बनने की आकांक्षा रखते है पर जब तक हम अपनी सोच को नहीं बदलेंगे कितनी भी उन्नति कर ले चीजे नहीं बदलेंगी। भारत के किसी भी शहर में रोड पर आप बहुतायत लोगों को बगैर हेलमेट , सीट बेल्ट लगाए देख सकते है। सड़क , सरकारी कार्यालय में पान की पीक , सार्वजनिक शौचालय की गंदगी , रोड को कूड़ेघर बना देना , भारत के लिए आम बात है। 

दरअसल इस तरह की चीजों को  कानून का सहारा लेकर ठीक नहीं किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है अपनी सोच व् व्यवहार में बदलाव लाया जाय। इसको शिक्षा भी से नहीं जोड़ा जा सकता है आख़िरकार तेजस में सफर करने वाले लोग आम , निम्न , अशिक्षित लोग नहीं है फिर इस तरह की तुच्छ चीजों के प्रदर्शन से हमे यह विचार करने पर विवश कर देती है कि क्या शिक्षा लोगो को सभ्य नहीं बनाती। शायद इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए हमारी शिक्षा में नैतिकता का समावेश करना , समकालीन समय की महती जरूरत बन गयी है।  

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।    

शनिवार, 27 मई 2017

Manchester terror attack

ब्रिटेन में आतंकी हमला 

पिछले दिनों ब्रिटेन के मेनचेस्टर में एक संगीत कार्यकम में हुए आतंकी हमले ने ब्रिटेन के साथ साथ विश्व को स्तब्ध कर दिया है। यूरोप में आतंकी हमले लगातार बढ़ते जा रहे है। इसके पीछे कई तरह के कयास लगाये जाते रहे है। पश्चिम एशिया विशेषकर सीरिया में आतंक का भयावह रूप कई वर्षो से देखने को मिल रहा है। इस देश की अस्थिरता , गृहयुद्ध में पश्चिमी देशो अमेरिका , ब्रिटेन तथा रूस का हस्तक्षेप  माना जाता रहा है।  

ब्रिटेन में ८ जून को चुनाव होने है। इस हमले के बाद सभी दलों ने अपना चुनाव अभियान रोक दिया है।ब्रिटेन ने सेना को भी शहर के महत्वपूर्ण जगहों पर नियुक्त किया है। इसे ऑपरेशन टेम्पेरेर नाम दिया है।पेरिस , स्पेन , जर्मनी में भी इस तरह के हमले हो चुके है। 

पश्चिम के देशो को इस हमले ने  एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आतंकवाद , किस तरह से सम्पूर्ण मानवता के लिए खतरनाक रूप धारण करता जा रहा है। देखा जाय तो यह इन देशो का विश्व युद्ध के बाद बोये गए बीज का परिणाम है यह आंतकवाद।

आशीष कुमार , 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

शुक्रवार, 26 मई 2017

Kashmir Issue



जम्मू -कश्मीर : एक रिसता घाव 

जटिल से जटिल समस्याओं को संवाद से हल किया जा सकता है न कि युद्ध से - लेक वालेसा ( पोलैंड )

जम्मू एवं कश्मीर भारत में विलय के समय से ही एक दुविधा में रहा है। महाराजा हरी सिंह ने तब आजाद रहना चाहा जब तक उन्हें पाकिस्तान से हमले का खतरा न लगा। इस तरह दुविधा में भारत में सम्मलित होने का कदम , आने वाले समय में कई तरह की मुसीबत पैदा करता रहा। 

जम्मू एवं कश्मीर की जनता के लिए आजादी सबसे महत्वपूर्ण रही है। कई बार यह हर तरह की सीमा पार कर जाती रही है। लोकत्रंत में आपको अपनी आजादी के साथ कुछ हद तक समझौता करना ही पड़ता है विशेषकर जब जम्मू कश्मीर की भू-राजनीतिक स्थिति सभी मायनों में जुदा है। 

जनता आजादी चाहती है इसलिए पत्थर फेकती है , सेना कार्यवाही करती है क्यूकि जनता कानून अपने हाथ में ले लेती है। कहने का आशय यह कि  दोनों पक्ष ही अपने कार्यो को उचित ठहराते है। यह काफी लम्बे समय से चला आ रहा है और अगर स्थिति नहीं बदली है तो कही न कहीं शासन की पहुंच जनता तक न हो पायी। 

तर्क और कुतर्क से ऊपर उठ कर हमें अपनी पहुंच वहां की जनता के प्रति ज्यादा बनानी होगी। शिक्षा , रोजगार , आधारभूत ढांचे के विकास , तकनीक , स्वास्थ्य सेवाये की उपलब्धता बढ़ानी होगी। भारत जम्मू व् कश्मीर में किसी भी अन्य राज्य की तुलना में ज्यादा धन ख़र्च करता है इसके बावजूद वहां पर चीजे बदल नहीं पा रही है तो हमे उन कारणों को खोजना होगा। कश्मीर की जनता को भी सोचना होगा कि आखिर क्या वजह है कि बुरहान वानी को हीरो बना दिया गया और उमर फैयाज को मार दिया गया। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि उमर फैयाज का रास्ता ही जम्मू कश्मीर के अस्तित्व की हिमायत करेगा न कि बुरहान वानी का। 

गुरुवार, 25 मई 2017

India's progress in infrastructure project


अवसंरचना के क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदम 


किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए मजबूत , विकसित अवसंरचना बेहद अहम भूमिका निभाती है। भारत के लिए ऐसा कहा जाता रहा है कि यहाँ पर प्राथमिक क्षेत्र के विकास के बाद सीधे तृतीयक क्षेत्र अर्थात सेवा क्षेत्र का विकास हुआ, इसके चलते यहां पर अवसंरचना का विकास अवरुद्ध रहा। 

आज असम में भारत के सबसे बड़े नदी पुल धोला -सदिया  का उद्घाटन , भारत सरकार द्वारा इस क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्धता का अच्छा उदाहरण है। ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी लोहित पर 9. 20  किलोमीटर लम्बे पुल के निर्माण में लगभग 950  करोड़ का खर्च आया है। इस पुल के निर्माण से पूर्वी भारत में भारत की पहुंच तेज होगी।  असम से अरुणाचल प्रदेश में पहुंचने में 4 घंटे समय की बचत होगी। इस पुल से लगभग 60 टन वजनी सेना का टैंक गुजर सकता है। इससे भारत पूर्व में अपनी सेना की तेज पहुंच सुनिश्चित कर सकेगा। विदित हो कि अरुणाचल को लेकर चीन के साथ भारत के सम्बन्ध तनावपूर्ण रहे है।  

इससे पूर्व मार्च में जम्मू से श्रीनगर सम्पर्क मार्ग में भारत की सबसे लम्बी रोड सुरंग ,  9. 2  किलोमीटर लम्बे रोड टनल चेन्नी -नाशरी  का भी उद्द्घाटन हो चूका है। उक्त उद्धरण भारत की अवसंरचना निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दिखलाते है।   

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

मंगलवार, 23 मई 2017

India & Africa relations


भारत -अफ्रीका सम्बन्ध 


पिछले दिनों , गांधीनगर में अफ्रीकन डेवेलपमेंट बैंक की 52 वी ( भारत में पहली बार )बैठक , भारत - अफ्रीका के प्रगाढ़ होते सम्बन्धो का सजीव उदाहरण है। भारत के अफ्रीका के साथ सम्बन्ध बहुत लम्बे समय से मधुर रहे है। उपनिवेशवाद के दौर में भारत ने अपनी आजादी मिलते ही अफ्रीकी देशो की जल्द आजादी की हिमायत की थी।  
समकालीन समय में अफ्रीका , समस्त विश्व के लिए निवेश के लिए सबसे मुफीद जगह मानी जाती रही है क्यूकि इस महाद्वीप का पिछड़ापन काफी सम्भावनाये रखता है। भारत एक उभरती अर्थव्यस्था के तौर पर अफ्रीका को एक बाजार के तौर पर भी देखता है। भारत से सस्ती दवा का निर्यात , कई अफ़्रीकी देशो के स्वास्थ्य सुरक्षा के लिहाज के काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 

पेरिस जलवायु संधि के एक रूप में भारत ने अंतर्राष्टीय सौर गढ़बंधन ( गुरुग्राम में मुख्यालय ) का नेतृत्व कर रहा है। जलयायु परिवर्तन से लड़ने के लिहाज से अहम मानी जा रही इस संधि की सफलता में अफ्रीका महाद्वीप काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कई अफ्रीकी देश भारत से इस संधि पर समझौता कर चुके है।  
भारत ने इस बैठक में एशिया - अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर के विकास के लिए प्रस्ताव रखा है। जापान इस परियोजना में अहम भूमिका निभाने की बात कर चूका है। चीन के महत्वपूर्ण परियोजना 'वन बेल्ट वन रोड ' से अलग हटकर भारत ने इस नए आर्थिक गलियारे की घोषणा करके चीन की विकास नीति के समक्ष अपनी विशिष्ट कूटनीति का मजबूती से प्रदर्शन किया है। यद्पि चीन अफ्रीका में सबसे बड़ा निवेशक बना हुआ तथापि उसकी शोषक आर्थिक नीति की हमेशा से आलोचना होती रही है, समझौता और विकास के नाम पर दी गयी सहायता में छिपी शोषक आर्थिक नीति , अब अफ्रीकन देशों के लिए पुरानी बात हो चुकी है। समकालीन समय में भारत की सस्ती , खुली और उपयोगी आर्थिक व तकनीकी सहायता की चाह लगभग हर अफ्रीकी देश को है। भारत को इस महाद्वीप में छिपी सम्भावनाओ को पहचान कर इस दिशा में बहुआयामी कदम उठाने चाहिए। 


आशीष कुमार, 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

सोमवार, 22 मई 2017

First rain


पहली वर्षा   


बारिश शुरू से ही लेखन के लिए पसदींदा विषय रहा है। मैंने भी इस पर लगभग हर वर्ष कुछ न कुछ लिखता रहा हूँ। दरअसल पहली बारिश बहुत अनुभूतिक विषय होता है। तपते दिनों से परेशान मन में स्वतः उल्लास उमड़ता है। 

इस शहर में रहते 5 वर्ष हो गए। यह मेरा आखिरी साल है शायद अब इस शहर में न रहूं। पर जाते जाते एक यादगार बारिश से मुखातिब होकर जाऊंगा। दरअसल कल ही काफी मौसम खराब हो गया था। काफी दिनों से कही निकलना न हुआ था। मन सुबह से कह रहा था कि अब कहीं घूम कर आओ वरन यह ऊबन तुम्हारी उत्पादकता को प्रभावित करेगी। दोपहर में एक मित्र का फ़ोन आया कि शाम एक मित्र की शादी है अगर खाली  हो तो चले। मन की मुराद अक्सर पूरी होती रही है यह संयोग कोई विशेष न लगा। 

शाम को पार्टी में  जाते बहुत मौसम खराब हो गया। अभी मानसून आने में समय है फिर भी खूब आंधी , तूफान , धूल। लगा कि जाना कैंसिल कर दू पर दोस्त ने जोर दिया तो निकल लिया। बारिश तो कहने को हुयी पर बिजली बहुत कड़की। रात ११ बजे लौटते वक़्त सब कुछ साफ हो चूका था। 



पिछले कुछ दिनों से मन में एक विचार आ रहा था कि कितना वक़्त हुआ ओले न देखे बारिश में। आज अचानक शाम को मौसम सुहाना हुआ और खूब तेज आंधी आने लगी। पहले पानी की बड़ी बड़ी बुँदे फिर तेज बारिश। अचानक ओले भी गिरने लगे और खूब जमकर गिरे। मै अभी तक सोच रहा हूँ कि क्या वाकई ओले गिरे है ? ओले गिरे और उन्हें उठाकर चखा न जाये तो फिर आप बारिश का मतलब नहीं समझते है। बारिश यानि बचपन में जाना (जगजीत सिंह भी कह चुके है वो कागज की कश्ती और  बारिश का पानी ) . 

बाहर खड़े थे तो एक मित्र ने चलो चाय और दाल बड़ा ( गुजराती ) खा कर आते है। यह तो सबसे अच्छी पेशकश थी। बारिश में चाय -पकोड़े किसी को पसंद नहीं आते। साथी ने कुछ ज्यादा ही प्रसिद्ध और व्यस्त दुकान ले गए। दूर से ही दिख गया कि सारा शहर ही दाल बड़ा खाने के लिए टूट पड़ा है. 2 दर्जन आदमी की लाइन लग चुकी थी। साथी की बड़ी गाड़ी , काफी देर पार्किंग खोजते रहे। जैसे तैसे सड़क पर ही पार्क कर , पैदल दुकान गए। तय हुआ कि अब दाल बड़ा तो मिलने से रहे , बड़ा पाव खा कर काम  चलाया जाय। 
इस चार रास्ते की चाय सबसे प्रसिद्ध है ऐसा दोस्त ने बोला। मन और जिव्हा विचार करने लगी ऐसा क्या है चाय फेमस है। चाय में भीड़ थी पर यह दुकान काफी व्यवस्थित थी।दरअसल चाय  पुदीने वाली थी। 15 रूपये में यह निश्चित ही उत्तम कही जा सकती है। अभी भी जुबान पर टेस्ट बरकरार है। मुझे अब इस बात पर ज्यादा विचार नहीं करना कि ऐसा कैसे होता है कि जो सोचते है वो हो जाता है , मसलन बारिश और ओले वाली बात। शुक्र है मैंने पाओ कोहलो की अलकेमिस्ट पढ़ रखी है। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।    

रविवार, 21 मई 2017

India Iran relations


भारत - ईरान सम्बन्ध 

ईरान के हाल में हुए चुनाव में हसन रोहानी का दोबारा चुना जाना , भारत तथा विश्व के लिए कई मायनों में अहम है। ईरान में हसन रोहानी ने चुनाव के लिए खुलेपन , नुक्लिएर ऊर्जा , उदारवाद को मुद्दा बनाया था। उन्होंने ने अपने विपक्षी इब्राहिम रईसी को अच्छे अंतर् से हराया है। इब्राहिम रईसी कटटरवाद के समर्थक है , वह पश्चिमी देशो से ज्यादा गहरे सम्बन्धो के हिमायती नहीं रहे है।  

हसन रूहानी की जीत को फ्रासं में मैक्रॉन , दक्षिण कोरिया में मून जे की जीत के क्रम में देखा जा सकता है और यह निष्कर्ष निकला जा सकता है कि विश्व में अभी भी खुलेपन को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। 

भारत के लिए महत्व 

ईरान भारत के लिए न केवल ऊर्जा सुरक्षा  के लिए महत्वपूर्ण है वरन यह मध्य एशिया के लिए वैकल्पिक रास्ता भी मुहया करा रहा है। भारत ने २००२ में चाबहार पोर्ट के विकास के लिए समझौता किया था। यह पोर्ट लगभग तैयार हो चूका है। इसके माध्यम से भारत मध्य एशिया के साथ गहरे सम्बन्ध विकसित कर सकता है। चीन ने इसके पास ही पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह का विकास कर रहा है। एक प्रकार से यह भारत के लिए इस मायने में भी अहम है।  
 ईरान उत्तर -दक्षिण संपर्क मार्ग का एक अहम सदस्य है। इस मार्ग के माध्यम से भारत ईरान होते हुए रूस तक एक बहु आयामी मार्ग (रेल ,सड़क, समुद्री रास्ता ) बनाने की भी योजना है। अभी स्वेज नहर वाला मार्ग , भारत अपना रहा है। इस नए मार्ग के विकास से भारत मध्य एशिया , पूर्वी यूरोप तक ज्यादा तेज , वहनीय तरीके से पहुंच सकेगा। 

आशीष कुमार 
उन्नाव ,उत्तर प्रदेश।  

शनिवार, 20 मई 2017

Indian tourism sector

भारत में पर्यटन के सुअवसर 

पिछले दिनों विश्व आर्थिक मंच (world economic fourm ) द्वारा वैश्विक पर्यटन के परिदृश्य पर एक रिपोर्ट  में भारत ने १२ अंको की शानदार छलांग लगाकर ४० वे स्थान पर अपना कब्जा जमाया । स्पेन के इस सूची में पहला स्थान है। यह भारत के लिए काफी सुखद है। भारत का पर्यटन का क्षेत्र दिनोदिन सुधरता जा रहा है। भारत ने सम्भावनाओ से भरपूर इस क्षेत्र के विकास के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रारम्भ की है। आगमन पर वीसा  , इ वीसा जैसी सुविधाओं के चलते भारत में आने वाले विदेशिओ की संख्या दिनोदिन बढ़ी है। 

भारत में न केवल अपने समृद्ध अतीत, सांस्कृतिक परम्परा की सशक्त विरासत है वरन यहां पर प्राकतिक सौंदर्य भरपूर है। यहां पर झील , झरने , शांत समुद्री तट , खूबसूरत पहाड़ी शहर , नदी घटियां , विविध जीव जंतु , प्राकतिक वनस्पति हमेशा से सैलानियों को आकर्षित करती रही है। 

इस सूची में जापान का चौथा स्थान तथा चीन का १३ वा स्थान है। जोकि भारत को इस क्षेत्र को ओर बेहतर बनाने के लिए चुनौती पेश करता है। भारत में विविध पयर्टन स्थल पर मूलभूत सुविधाओं , सुरक्षा का आभाव इस क्षेत्र में अभी भी चुनौती बने हुए है। कोई ऐसा साल नहीं गुजरता होगा जब किसी विदेशी महिला से रेप , लूट की खबर न आती हो। निश्चित ही इस तरह की खबरे भारत के पर्यटन क्षेत्र के लिए हानिकारक होती है।  

 भारत विश्व में घूमने के लिहाज से सबसे सस्ते देशों में एक माना जाता रहा है। मेडिकल टूरिज्म (medical tourism ) का बढ़ता चलन भारत के लिए अपार सम्भावनाये लेकर आया है। केरल , गुजरात , महाराष्ट्र में सस्ती चिकित्सा सेवा विश्व के सभी भागों से लोगों को खींच रही है।  भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में नैसगिक सौंदर्य विद्यमान है। इस क्षेत्र  में पर्यटन  अपार सम्भावनाये है। विलेज टूरिज़्म (village tourism ) के नए चलन से इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराये जा सकते है। 

भारत काफी समय से अतुल्य भारत के नाम से एक योजना चला रहा है। इस योजना को काफी सफलता भी मिली है। दरअसल पर्टयन की मजबूती किसी भी राष्ट की मजबूती है। इससे बहुत से लोगो को रोजगार मिलता है, साथ ही यह विदेशी मुद्रा भंडार का भी एक बहुत अच्छा विकल्प है। इस क्षेत्र में अपार सम्भावनाये है जिनका अभी दोहन किया जाना बाकी है।

आशीष कुमार , 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

शुक्रवार, 19 मई 2017

किसानों पर आयकर

किसानो की आत्महत्या मुख्यता छोटे एवं सीमांत किसानो से जुडी रही है , जबकि बड़े किसान और अमीर होते जा रहे है, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में बड़े बड़े निवेशक जो कृषि से सम्बंधित नहीं है, निवेश कर काफी लाभ कम रहे है | अगर कृषि में कराधान आता है तो उसमे इस तरह के किसान ही कर के दायरे मैं आयेगे, न की छोटे किसान|  इसके अलावा कई लोग अपने कर बचने के लिए कृषि से आय दिखाते है, जिनपर नकेल कसी जा सकती है |
किसानो को कृषि से कम लाभ होना या हानि होने का कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य का कम होना नहीं है बल्कि उसतक उर्वरक, बीज एवं अन्य कृषि सब्सिडी का न पहुच पाना है, यदि ये सब्सिडी उनतक बिना किसी लीकेज के पहुचेगी  तो उनकी आय बढ़ जाएगी |
किसानो की आय दुगनी करने एवं कृषि उत्पादन बढ़ने के लिए सिंचाई, बीमा, शोध आदि में भारी निवेश की आवश्यकता है, जो कराधन के दायरे को बढ़ा कर की जा सकती है| कर नहीं लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा बल्कि अधिक कर संग्रहण एवं उनका उचित उपयौग से स्तिथिया बदलेगी, जिनकी झलक वर्त्तमान सरकार के कई आधार लिंक्ड योजनावों से दिख रही है|

कुंदन कुमार, अहमदाबाद ।
(जनसत्ता में प्रकाशित )

गुरुवार, 18 मई 2017

Energy Security


ऊर्जा सुरक्षा 

पिछले दिनों भारत ने अपनी तकनीक के आधार पर 10 नुक्लिएर रिएक्टर 700 mw के विकसित करने का निर्णय लिया। भारत की भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के मद्देनजर यह फैसला कई मायनों में बेहद अहम है। इस तकनीक के विकास से भारत न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करेगा वरन वह आगामी समय में इस तकनीक का निर्यातक बन सकता है।  
हमारा भविष्य स्वच्छ ऊर्जा के विकास पर निर्भर करता है। भारत ने जलवायु संकट पर की गयी पेरिस संधि का हस्ताक्षर कर्ता है। इस संधि के स्वैछिक अनुपालन हेतु भारत  ऊर्जा के परम्परागत साधनों से अपनी निर्भरता धीरे धीरे कम कर रहा है। भारत ने 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा के लिए 175 गीगावाट के उत्पादन का लक्ष्य रखा है।  
परमाणु ऊर्जा जोकि यूरेनियम , थोरियम पर आधृत होती है , अपने सीमित संसाधनों के चलते इसे भी परम्परागत ऊर्जा में ही रखा जाता है यद्पि यह स्वच्छ ऊर्जा मानी जाती है। अभी तक भारत रूस , फ्रासं , जापान और अमेरिका की इस क्षेत्र में कार्यरत कंपनी के भरोसे रहता था। समय के मांग के अनुरूप भारत ने इस क्षेत्र में दक्षता हासिल करने की ठानी है। यह भारत के बढ़ते विश्वास का भी परिचायक है।  

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

बुधवार, 17 मई 2017

India's Relation with Palestine



भारत -फिलीस्तीन सम्बन्ध 

भारत विश्व में अपने लोकत्रांतिक मूल्यों के चलते सभी तरह के देशों से शांतिपूर्ण सम्बन्धो का हिमायती रहा है। विश्व के विविध देशों के मध्य चल रहे तनाव को खत्म करने में भारत का एक शानदार अतीत रहा है। इसी कड़ी में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा आगामी जुलाई में  इजरायल यात्रा के पूर्व फिलिस्तीन के राष्ट्पति महमूद अब्बास को अपने यहाँ आंमत्रित कर, दोनों देशों के प्रति अपनी शांतिपूर्ण प्रतिबद्धता को दर्शाया है। इसे दोनों देशों के प्रति भारत की बैलेंसिंग एक्ट की नीति कही जा रही है।  
इजरायल -फिलिस्तीन के संबध काफी तनाव पूर्ण रहे है। भारत एक और जहाँ इजरायल से रक्षा संबधो को बढ़ावा देता रहा है वही दूसरी ओर इजरायल द्वारा गाजा पट्टी पर मानवाधिकार हनन की खुल कर आलोचना करता रहा है। किसी भी राष्ट की सम्प्रभुता की हिमायत करना, विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना भारत की विदेश नीति का अभिन्न अंग रहा है।
पश्चिम एशिया विश्व के लिए हमेशा संवेदनशील मुद्दा रहा है। यहां पर धार्मिक , नृजातीय पहचान को लेकर लम्बे समय से विवाद चलते रहे है। भारत ने पश्चिम एशिया के प्रति 'लिंक वेस्ट ' की नई नीति घोषणा की है, जिसमें पश्चिम एशिया के देशो  से अपने संबंधों को और  उचाईयों तक ले जाने के लिए , भारत प्रतिबद्ध है। महमूद अब्बास की यात्रा को इसी रूप में देखा जाना चाहिए। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

सोमवार, 15 मई 2017

china's belt and road initiative


चीन की बेल्ट और रोड पहल : भारत के लिए मायने 


चीन ने 2013 में विश्व के कई देशो से गुजरने वाली बेल्ट और रोड पहल की घोषणा की थी। चीन की आक्रामक निवेश नीति के चलते प्रारंम्भ में सभी देश इस नीति  को लेकर सशंकित थे। चीन में इस योजना से जुड़ा पहला फोरम अभी हाल में समाप्त हुआ है। 130 देशों के प्रतिभाग तथा कम से कम 65 देश इस  900  बिलियन डॉलर की पहल से सीधे जुड़ना , इस योजना की लोकप्रियता  को दर्शाता है। 
भारत इस पहल का शुरू से विरोध कर रहा है क्युकि इस विशाल परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण कहा जाने वाला हिस्सा चीन -पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जोकि पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरता है , भारत की स्वायत्तता में दखल देने जैसा है। 
चीन इस समय एक ऐसे दौर से गुजर रहा है जो उसे इस तरह की विशाल परियोजना तैयार करने को बाध्य कर रही है। उसकी अर्थव्यस्था में अब फैलाव के लिए जगह नहीं बची है। इस बेल्ट और रोड पहल से वह अपने लिए बाजार विस्तृत तो करेगा ही साथ ही इससे जुड़े देशो को विविध ऋण देकर उनकी नीतियों में भी दखल देगा। भारत को इस से जुड़े गंभीर पहलू को अपने पड़ोसी देशो यथा नेपाल , भूटान , बांग्लादेश , म्यांमार तथा श्री लंका से साझा करना चाहिए। आज के समय सारे विश्व में सस्ते , घटिया चीनी मॉल से बाजार भरे पड़े है। रोड और बेल्ट पहल के पुरे होने पर , अन्य देशो के घरेलू उद्योग के लिए बेहद सीमित अवसर रह जायेंगे। इन पहलुओं को देखते , भारत का विरोध उचित  व सार्थक कहा जा सकता है।  

आशीष कुमार ,
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  













रविवार, 14 मई 2017

Importance of cyber security

जरूरी है साइबर सुरक्षा

कल विश्व के 100 से अधिक देशो में हुए साइबर हमले ने एक बार हमें अपनी तकनीकी उपलब्धियों पर पुनः विचार करने पर मजबूर कर दिया है। निश्चित ही तकनीक हमारा भविष्य है पर अगर वह गलत हाथों में पड़ जाये तो इसका खामियाजा सारे समाज को  भुगतना पड़ता है।

कल हुए साइबर हमले में पहले विविध कंप्यूटर पर फाइल्स को हैक कर लिया गया और उन्हें खोलने के एवज में बिटक्विने में रकम मांगी गयी। ब्रिटेन में कई अस्पतालों में कंप्यूटर काम करना बंद कर दिया और बड़ी संख्या में मरीजों को वापस भेजा रहा था। ब्रिटेन के ही एक अनाम व्यक्ति ने किल स्विच की मदद से इस हमले को बढ़ने से रोक दिया।

आज के दौर में जब समाज का बहुतायत हिस्सा , कंप्यूटर पर निर्भर है।  स्वास्थ्य सेवा ,व्यापार , मनोरंजन , परिवहन , सेना , प्रशासन , दूर संचार आदि कंप्यूटर और इंटरनेट के बगैर चल पाना संभव नही हैं । अतः सारे विश्व को इस मसले पर साथ आना चाहिए और सहयोग के आधार पर इसका न केवल निराकरण करना चाहिए , अपितु  भविष्य के लिए मजबूत रणनीति भी बनानी होगी।

आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

शनिवार, 13 मई 2017

Few lines for essay in hindi

पिछले दिनों किसी ने मुझसे निबंध के लिए नई लाइन्स लिखने का आग्रह किया था ।
एक छोटा सा वीडियो बनाया था । आज शेयर कर रहा हु , कैसा है बताना जरूर ।

Great laksmikant book

लक्ष्मीकांत की कालजयी पुस्तक का नया संस्करण

मैंने आज एक मित्र के पास लक्ष्मीकांत की संविधान वाली बुक का 2017 का संस्करण देखा।एक पल को चौक गया । बहुत मोटी हो गयी है । अंदर देखा तो बस कुछ नए पन्ने जोड़े है । टाटा मैक हिल की बुक अच्छी तो होती है पर पन्ने की बर्बादी बहुत होती है । आप खुद देखे , जो बात आधे पन्ने में खत्म की जा सकती है उसके लिए 4 पन्ने भर देंगे । बेचारा नया लड़का तो किताब का वजन देख कर ही टेंसन में आ जाये ।
अब दाम भी बहुत बढ़ गए है इसके 😊

शुक्रवार, 12 मई 2017

Genetically modified mustard


जीन संवर्धित सरसों 

हाल में ही पर्यावरण मंत्रालय से संबद्ध जेनेटिक इंजीनीररिंग अप्रूवल कमेटी ने जीन संवर्धित सरसों के व्यवसायिक उपयोग के लिए अनुमति दी है। इसके  साथ ही एक बार फिर इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि  जी एम फसलें हमारे लिए उपयोगी है या नहीं।  

भारत में अभी तक जीन संवर्धित  कपास को ही अपनाया गया है। बी टी ब्रिंजल यानि बैगन को अनुमति नहीं दी गयी थी। जीन संवर्धित फसलों की उपयोगिता, उनके उत्पादकता में वृद्धि तथा प्रतिरोधकता को लेकर होती है। यह सूखा से भी निपटने में सहायक होती है। देखा जाय तो जनसख्या में वृद्धि के साथ साथ खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर जीन संवर्धित फसल हमारे समय की मांग है। 

विश्व के कुछ देशो यथा अमेरिका  में जहां जीन फसलों को सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है तो कुछ देशो में इसका विरोध भी किया जाता रहा है। भारत जैसे देश जहां पर आज भी बहुतायत भाग कृषि पर निर्भर है और निम्न फसल उत्पादकता है, जीन परिवर्धित फसल एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है।  

वस्तुतः कोई भी तकनीक अच्छी या बुरी हो सकती है। यह निर्भर करता है कि आप उसे कैसे प्रयोग करते है। जीन फसलों के विरोध के सबसे महत्वपूर्ण कारको में एक,  इसका विदेशी कम्पनी मोनसैंटो द्वारा इन फसलों के बीज पर एकाअधिपत्य को लेकर भी रहा है। भारत के कई किसानों की यह चिंता स्वाभाविक है कि भारत की कृषि , विदेशी कम्पनी के अधिपत्य में न चली  जाय। महाराष्ट में  कपास उत्पादकों द्वारा की गयी कुछ आत्महत्यों से उक्त शंका  निराधार नहीं कही जा सकती  है।  

ऐसे में सरकार द्वारा सावधानी पूर्वक कदम उठाये जाये चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मसले पर कहा कि जनता की सहमति सर्वोच्च होनी चाहिए। अभी इस जीन परिवर्धित सरसों को पर्यावरण मंत्री की सहमति के बाद कृषि मंत्रालय द्वारा इसकी फसल की उपयोगिता का एक पूर्व आकलन किये जाने के बाद ही यह आम जन के लिए उपलब्ध कराई जाएगी। एक अनुमान के मुताबिक इसमें ४ से ५ वर्ष लग जायेगे तब तक भारत में इन फसलों के प्रति आम सहमति बना ली जाय तो अच्छा होगा। चुकि यह परिवर्धित सरसों भारत के सरकारी संस्थान की उपलब्धि है इसलिए कम से कम किसानो को  , इसके दाम को लेकर ज्यादा आशंकित नहीं होना चाहिए। 
आशीष कुमार , 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

गुरुवार, 11 मई 2017

Sri Lanka and India relation

भारत और श्री लंका के संबंध : एक नया दौर 


भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की 14 वे वैशाख दिवस के अवसर पर श्रीलंका की गयी यात्रा कई मायनों बेहद अहम है। भारत श्रीलंका के सम्बन्ध शुरू से ही काफी मधुर रहे है। अलगावादी लिट्टे संगठन से निपटने में भारत ने बहुआयामी सहयोग की भूमिका अदा की थी। यद्पि पूर्व राष्टपति महेंद्र राजपक्षे के समय इन सम्बन्धो में गिरावट आ गयी थी। महेंद्र के कार्यकाल में श्रीलंका ने चीन से ज्यादा लगाव दिखाया था। हंबनटोटा बंदरगाह , कोलंबो पोर्ट सिटी जैसी प्रोजेक्ट में चीन ने भारी  निवेश किया था। इस समय चीन को लेकर श्रीलंका विशेष उत्साह नहीं दिखा रहा है क्यूकि चीन पर राष्टपति के चुनाव में महेंद्र राजपक्षे का सहयोग करने के आरोप लगे थे साथ ही चीन द्वारा निवेश को लेकर आक्रामक नीति को लेकर भी वहां की कंपनियों में असंतोष है।  

इस समय मैत्रीपाला सिरिसेना के नेतृत्व में श्रीलंका ने भारत से सम्बन्धो को नई उचाई पर ले जाने के लिए विशेष रूचि दिखाई है। पिछले दिनों भारत द्वारा दश्रिण एशिया उपग्रह का प्रक्षेपण के माध्यम से स्पेस डिप्लोमेसी की शुरुआत की गयी है। यह भारत द्वारा विदेशी नीति के अहम पहलू गुजराल डॉक्ट्रिन का एक सशक्त उदाहरण है जिसमे भारत को अपने पड़ोसी देशों से बगैर किसी अपेक्षा के सहयोग करने की बात कही गयी थी।
भारत को श्रीलंका से मछुवारों के प्रति एक पारदर्शी नीति लागू करवाने पर भी जोर देना होगा। अक्सर तमिल मछुवारे , श्रीलंका द्वारा पकड़ लिए / मार दिए जाते है। कचातीव द्वीप 1976 में भारत ने श्रीलंका को दे दिया था यद्पि उस करार में भारत के मछुवारो को द्वीप के पास तक मछली मारने का हक दिया गया था। आपसी सहयोग से इस संवेदनशील मुद्दे पर भी सहमति बनानी होगी।    


इस समय चीन द्वारा भारत के प्रति स्ट्रिंग ऑफ़  पर्ल की नीति , वन बेल्ट वन रोड की नीति के अपना रहा है। इसमें भारत के पड़ोसी देशो में चीन द्वारा भारी मात्रा में निवेश किया जा रहा है। चुकि भारत की आर्थिक स्थिति , चीन से कमतर है ऐसे में भारत को हार्ड पावर का जबाब सॉफ्ट पावर की नीति से देना होगा। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

बुधवार, 10 मई 2017

The integrated case management information system


एकीकृत केस प्रबंधन सुचना प्रणाली 

कल सर्वोच्च न्यायालय में डिजिटल इंडिया के एक भाग के तौर पर एकीकृत केस प्रबंधन सुचना प्रणाली की शुरुआत कई मायनों में काफी अहम है। यह सरल, पारदर्शी , त्वरित प्रकिया आम जन को बहुविध तरीके से न्याय सुलभ कराएगी। पेपरलेस तकनीक के अनुप्रयोग से भारत अपनी पर्यावरण प्रतिबद्धता को दर्शाता है। गौरतलब है कि एक पेपर बनाने में 10 लीटर पानी खत्म होता है। 

 इस तकनीक के चलते , मुकदमे के नंबर और केस के आधार को उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल कर सकता है , बाकि फाइल डिज़िटल तरीके से स्वतः उच्च न्यायालय से ऊपर पहुंच जाएगी। इसमें मुकदमे की फ़ीस , लगने वाला अनुमानित समय का भी उल्लेख रहेगा। इसमें सम्बंधित सरकारी विभाग को स्वतः केस दाखिले के बारे में सुचना मिलने का भी प्रावधान किया गया है।   

भारत में लगभग 3 करोड़ो मुकदमे निचली अदालतों , 60 हजार मुकदमे सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। यह हमारे जीवंत लोकत्रंत के लिए अभिशाप है क्यूकि कहा जाता है कि न्याय में विलम्ब , न्याय की अवमानना है। इस तकनीक से आशा की जानी चाहिए कि भारत में न्याय प्रकिया में तेजी आएगी। 

आशीष कुमार , 
उन्नाव, उत्तर प्रदेश  

South korea president election


विश्व शांति की ओर एक कदम 

विश्व में पश्चिम  एशिया के बाद सबसे संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्र दक्षिण कोरिया से एक अच्छी खबर आयी है। मानव अधिकार  कार्यकर्ता , वकील 64  वर्षीय मून जे को राष्टपति चुना गया है। वह अपने चिर प्रतिद्वंदी देश उत्तर कोरिया से अच्छे सम्बन्ध रखने के हिमायती है।  मून जे के पिता 1950  में उत्तर कोरिया के साम्यवादी शासन से भाग कर दक्षिण कोरिया आ गए थे।  
मून जे , अमेरिका के उत्तर कोरिया ऊपर लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना करते रहे है। वह दोनों देशों के साथ बातचीत के द्वारा मुद्दों को सुलझाए जाने के हिमायती रहे है।  मून की सनशाइन पालिसी इस बात का अच्छा उदाहरण है। उन्होंने यहाँ तक आशा कि है एक दिन दोनों देश एक हो जायेंगे। 
उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच प्रारम्भ से ही तनावपूर्ण रिश्ते रहे है। अमेरिका ने हाल में ही टर्मिनल हाई अलटीटूड एरिया डिफेन्स ( थाड ) सिस्टम को दक्षिण कोरिया में तैनात किया था। मून ने इस पर समीक्षा करने के संकेत दिए है दरअसल अमेरिका ने अपने द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा के बदले धन की मांग भी की थी जिसे बाद में वापस ले लिया था। अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच 1953 में एक सहयोग संधि की गयी थी जिसके तहत 29000 अमेरिका के  सैनिक इस देश में तैनात है।  
वस्तुतः मून जे की चुनाव में जीत से  अमेरिका को एक झटका लगा है । वैसे भी इन दिनों , बहुध्रुवीय विश्व में , शांति और स्थिरता के लिए सीमा व् अन्य विवाद आपसी बातचीत से सुलझाना ज्यादा बेहतर होगा। अमेरिका को इस तरह के विवादों में न उलझकर उसे अपना ध्यान अन्य गंभीर वैशिवक मुद्दों यथा जलवायु परिवर्तन , अकाल , गरीबी , भुखमरी , रिफ्यूजी समस्या आदि में देना चाहिए।

-आशीष कुमार, उन्नाव , उत्तर प्रदेश

(This article has been published in jansatta editorial as letter on dated 11.05.2017)

सोमवार, 8 मई 2017

Essay

फ्रान्स में मैक्रॉ की राष्ट्पति के तौर पर  जीत विश्व  के लिए कई मायनो में अहम है । उन्होंने ली पेन को हराया जो प्रबल राष्टवाद, संरक्षणवाद की हिमायती थी। इस तरह से यूरोप की एकता की जीत हुयी है । ब्रिटेन की eu से अलग होना, ट्रम्प की जीत के बाद से विश्व में एक अलग तरह का माहौल दिखने लगा था। eu में शरणार्थी का मुद्दा, रोजगार को लेकर सभी देशों में प्रबल राष्टवाद का उभार हुआ है जिसमें सभी अपनी सीमा विश्व के लिए बंद करने का दबाव बना रहे है । वस्तुतः यह वैस्वीकरण के पीछे हटने जैसा था ।
अगर ऐसा होता तो भारत जैसे विकाशसील देशों के लिए काफी मुश्किल भरा होता क्यूकि इन देशों में एक बड़ा बाजार बन्द हो जाता ।
आशा की जा सकती है कि अब विश्व में बदलाव आएगा यह देखना रोचक होगा कि जर्मनी में मर्केल की जीत होती है या नही ।

( यह लघु लेख ,जनसत्ता में १० मई २०१७ को पत्र के तौर पर प्रकाशित हुआ है।  ) 

शुक्रवार, 5 मई 2017

गोंडा

गोंडा

कल से यह नाम काफी चर्चा में है । स्वच्छता रैंकिंग में नीचे से टॉप किया है । मुझे प्रसंगवश राग दरबारी का रिक्शा वाला याद आ गया । श्री लाल शुक्ल जी के काल जयी उपन्यास राग दरबारी में शुरूआती पन्नों में ही इसका जिक्र है जिसमें एक रिक्शा चलाने वाले गोंडा वाले रिक्शे चालक को हिकारत भरी बातों से अपमानित करता है ।
सच कहु काफी साल पहले जब पहली राग दरबारी पढ़ी थी तो गोंडा के लिए वही छबि बनी रही ।
हमेशा सोचता रहा कि शुक्ल जी की गोंडा से क्या अदावत थी ? कल की रैंकिंग से यही समझ कि शुक्ल जी कितने ज्यादा दूरदर्शी थे । वैसे एक और बड़ी रोचक बात बताता हु पिछले कुछ वर्षो से नए लेखक , व्यंगकार एक हिंदी शब्द का प्रयोग बहुत करने लगे है "लौंडे" । काफी दमदार शब्द है पर यह भी शुक्ल जी ही देन मानी जा सकती है । राग दरबारी में इस शब्द के भरपूर, सार्थक प्रयोग किया गया है ।

गुरुवार, 4 मई 2017

Knowledge economy vs. Remittances economy

For essay

भारत एक नॉलेज पॉवर होने के साथ ही रेमिटेंस इकॉनमी है । भारत की अर्थव्यवस्था में विदेश से आने वाले धन की मात्रा विश्व में सर्वाधिक है । पश्चिम एशिया में तनाव, खनिज तेल के गिरते दाम के चलते , रिमिटेन्स में काफी गिरावट आई है । भारत को अमेरिका में H 1 visa isuue
के साथ साथ पश्चिम एशिया के देश में रहने वाले मजदूरों की प्रॉब्लम पर विशेष ध्यान देना होगा । इस विषय में यह उल्लेखनीय होगा कि मध्य एशिया के प्रवाशी भारतीय , अमेरिका में काम करने वाले लोगों से ज्ञान व् धन में कमजोर है , इसलिए भारत सरकार को inko prathmikta deni hogi.

Space diplomacy

स्पेस डिप्लोमेसी

भारत ने पड़ोसी देसो को आधुनिक अंतरिक्ष सेवाओं हेतु दक्षिण एशिया उपग्रह लांच किया है । इसके माध्यम से भारत के पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्ध बेहतर होंगे । इसे चीन की स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल नीति से निपटने में मदद मिलेगी । यह भारत की विदेश नीति के अहम सिद्धान्त गुजराल डॉक्ट्रिन के अनुरूप है जिसमें भारत से आशा की जाती है कि वह अपने पड़ोसी देशों से बगैर अपेक्षा के सहयोग करे ।

विश्व में संरक्षणवाद पर जोर दिया जा रहा है । ट्रम्प ने कई नीतियों यथा tpp से हटना , पेरिस संधि से हटना के माध्यम से इस दिशा में अहम संकेत दिया है । ब्रिटेन का eu से अलग होना, इटली के चुनाव आदि के माध्य्म से भी यही देखा जा रहा है । ऐसे में भारत जैसे उभरने वाले देश जिसको अपने मॉल की विक्री के लिए बाजार की जरूरत है , पड़ोसी देश अच्छा विकल्प साबित हो सकते है क्योंकि यह अभी कम विकसित है ।

सोमवार, 1 मई 2017

History repeats

इतिहास स्वयं को दोहराता है

इतिहास में शुरू से गहन रूचि रही है । कुछ नामचीन पुस्तकें ही पढ़ी है पर बहुतायत बार ।
आज फिर पढ़ा कि प्लिनी इस बात पर रोता है कि रोम से हर साल बड़ी मात्र में सोना भारत आ रहा है वो भी गोल मिर्च, हाथी दांत , मोती व् मलमल के लिए । यह ईशा पूर्व की बात है ।
इसके बाद कुषाण काल में रेशम मार्ग पर अधिकार से भारत ने विश्व व्यापार में खूब धन कमाया ।
आगे गुप्त काल को स्वर्ण काल भी कहा जाने लगा । फिर पतन का दौर शुरू हुआ 10 वी सदी तक भारत से सोने की वापसी होने लगी । गजनवी ने भारत से खूब सोना लूटा यानि सोना फिर पश्चिम गया ।
12 सदी से भारत में 3 नगरीकरण शुरू हुआ । सल्तनत काल और मुग़ल काल में फिर भारत में सोना जमा हुआ । इसमें भी गोल मिर्च का बड़ा हाथ माना जाता है बाकि सूती कपड़े तो भारत के थे ही उत्तम ।
इसके बाद अंग्रेज आये और फिर भारत से सोना ब्रिटेन गया । जब भारत आजाद हुआ तो पूरी तरह से बदहाल करके गए थे अंग्रेज । जाते जाते विभाजन के रूप में रोग दे गए । रोग की चर्चा फिर कभी ।
पिछले कुछ सालों से भारत सबसे ज्यादा सोना आयात करने वाला देश है । यानी फिर सोना भारत में जमा हो रहा है  बाकी आप पर छोड़ता हूँ सोचिये और बताईये कि इतिहास से सबक ले तो क्या लगता है इस बार इस सोने की वापसी कैसे होगा ?

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