सिविल सेवा में हिंदी साहित्य में कुल 3 नाटक पढ़ने है ।
भारत दुर्दशा -भारतेन्दु हरिश्चन्द
स्कन्दगुप्त -जयशंकर प्रसाद
आषाढ़ का एक दिन - मोहन राकेश
तीनों इसी क्रम में रचे गए और उन पर तत्कालीन समय की मांग के अनुरूप विषय वस्तु रखी गयी । पहले 2 में गीतो की बहुलता है तो तीसरे में कोई गीत नही होते हुए भी आंतरिक लय उपलब्ध है ।
भारतेंदु का नाटक आत्मबोधक, लोगों को गुलामी के शासन के प्रति उद्देलित करने वाला है । यह मंचन की दृष्टि से सरल है ।
प्रसाद के नाटक की भाषा तत्सम बहुल , गुप्तकालीन संस्कृति को दिखलाती है । यह नाटक अपने विविध काल विस्तार, लंबे स्वगत कथन के चलते अभिनय की दृष्टि से जटिल रहा है ।
मोहन राकेश का नाटक की विषय वस्तु अतीत की है पर उसमें वर्णित प्रश्न समकालीन संदर्भ में महत्वपूर्ण रहे है । मंचन की दृष्टि से यह सबसे सफल रहा है ।