हिन्दी माध्यम से सिविल सेवा में सफल होने वाले अभ्यर्थीयों का प्रतिशत दिनों दिनों कम होता जा रहा है। जब से CESAT आया है तब से स्थिति और नाजुक होती जा रही है। हिन्दी के लिये वह GOLDEN PERIOD था जब KIRAN KAUSHAL , IAS TOPPER जी ने हिन्दी माध्यम से तीसरी रैंक पायी थी। पिछले दशक में हिन्दी माध्यम की स्थिति ठीक ठाक कही जा सकती है। अमूमन हिन्दी माध्यम का TOPPER 50 रैंक के अन्दर हुआ करता था। पिछले वर्ष 2011 के RESULT बहुत चैकाने वाला था प्रथम 100 चयनित सिविल सेवकों में मात्र एक अभ्यर्थी ही हिन्दी का था। यही नहीं समस्त SELECTED सिविल सेवकों में हिन्दी माध्यम से सफल अभ्यर्थीयों की संख्या बहुत कम पर सिमट गई।
वजहें कई हैं और उनका विश्लेषण करना भी आवश्यक है। कितनी विडम्बना की बात है कि भारत की सर्वप्रमुख भाषा की उपस्थिति सिविल सेवा में बहुत कम है। सिविल सेवा के माध्यम से ही POLICY MAKER चुने जातें है। कल जब चयनित सिविल सेवक भारत के सर्वोच्च पदों पर कार्य करेगें तो हिन्दी का उद्वार भला कैसे होगा। हम में बहुत से ऐसे व्यक्ति है जिनका HINDI और ENGLISH पर समान अधिकार है। ऐसे मित्रों से सअनुरोध है कि वह मेरे विचारों और उद्वेश्य को सहयोग प्रदान करें ।
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