BOOKS

बुधवार, 29 जुलाई 2020

AKELE ME

अकेले में 

पहले के दिनों में
जब भी अकेले होता
मिलता स्व से 
करता चिंतन, मनन
व आत्मावलोकन।

इन दिनों
जबकि मैं 
आपके प्रेम में हूँ,
अकेले में मेरे विचारों 
का क्रेंदबिंदु केवल व केवल
आपका ही ख्याल आता हैं।

अकेले में 
बुनता हूँ तुमसे जुड़े 
तमाम ख्वाब
हवा देता हूँ 
तमाम कल्पनाओं को

अकेले में 
सोचा करता हूँ 
तुम्हारी बिल्लौरी आँखों
की असीम गहराई,
घनी बदली सरीखे
तुम्हारे लहराते बालों
से खेला करता हूँ.

अकेले में याद आती 
आपकी वो चितवन,
मोहक मुस्कान,
हँसमुख चेहरा
साथ ही वो 
तमाम कहानियाँ
जो तुमने सुनाई 

आशीष कुमार , उन्नाव
29 जुलाई , 2020 


तुम्हारी 'न '

प्रिय अगर तुम
मापना चाहो 
मेरे प्रेम की हद
तो सुनो

ये जो मजाक में
भी जो तुम मुझे 
अस्वीकार करती हो
या कह देती हो 'नहीं' 

यह मुझे गहरे तक 
उदास कर जाता है,
पल में लगती हो
कि तुम कितनी अजनबी
जैसे कि मेरा कोई हक 
न बाकी रहा हो।

© आशीष कुमार, उन्नाव
21 जनवरी 2020

तुम से दूर

यहाँ तुम से दूर 


मैंने यहाँ 
तुम से बहुत दूर
आकर जाना 
कि तुम मेरे लिए
 क्या हो,

यहाँ इतनी दूर
आकर ही समझा
कि तुम ही समझती हो
मुझे सबसे बेहतर ।

यहाँ आकर 
लगा कि जैसे
कोई मरते वक्त
याद करता है
अपने सबसे करीबी को
वैसे ही तुम मुझे याद आयी।

यही आकर समझा
कि तुम क्या हो मेरे लिए
याकि तुम्हारा होना
कितना महत्वपूर्ण है
मेरे जीवन में।

यहाँ पर आकर
खुले प्रेम के गहन अर्थ
यहाँ याद आयी 
तुम्हारी भीनी महक, 
तुम्हारी कोमल बाहें
तुम्हारे रेशमी बाल
तुम्हारी वो गोद
तुम्हारा गहरा स्पर्श
तमाम गर्म चुम्बन।


( पोर्ट ब्लेयर से, 31 जनवरी, 2020 )
© आशीष कुमार, उन्नाव। 

HAA TUM


हाँ बस तुम 

तुम हाँ बस तुम
हर वक़्त तुम
तुम्हारी बातें
तुम्हारी ही यादें 

तुम समझो मुझे 
कि कितना गहरा प्रेम
बस तुम से, तुम ही हो
मेरी सोच का  क्रेंद्
मेरे अहसास का बिंदु

©आशीष कुमार, उन्नाव

मंगलवार, 28 जुलाई 2020

love at corona time

कोरोना के समय प्रेम 

प्रिय मैंने कभी न सोचा था
कि मुझे करनी पड़ेगी 
इतनी लंबी प्रतीक्षा
गिनना पढ़ेगा क्षणों को

याद करता हूँ
जब जब पुरानी मुलाकातों को
बहुत याद आती है
तुम्हारी हर पल चेहरे पर
खिलने वाली मुस्कान 

याद आता है 
उन पलों का सबसे खास हिस्सा
जब हम डूबे रहते थे एक दूजे मे
तब न जाना था कि
हमें यूँ भी बिछड़ना पड़ेगा
इतने लंबे वक्त के लिए

© आशीष कुमार, उन्नाव
26 जून 2020।


ummid ki rakhi

उम्मीद की राखी

नई दिल्ली जिला प्रशासन ने कोरोना के दौरान बेरोजगार हुए लोगों की मदद के लिए अनूठी पहल की है।'उम्मीद की राखी ' नाम से चलाए जा रहे अभियान में स्वयं सहायता समूह की Womens को राखी बनाने के लिए कच्चा माल, जरूरी प्रशिक्षण व बिक्री के लिए महत्वपूर्ण जगहों पर उनकी दुकान खुलवाई गयी है।


(जिलाधिकारी कार्यालय  नई दिल्ली जाम नगर हाउस  में एक ऐसी ही शॉप पर राखी खरीदते हुए )


इन महिलाओं द्वारा हस्तनिर्मित राखी अपनी सुंदरता व् मजबूती के चलते बेहद लुभावनी हैं। इनको खरीदते वक़्त , आप उन महिलाओं के चेहरे पर आत्मनिर्भरता की चमक बखूबी देख सकते हैं 
" उम्मीद की राखी " पहल  के जरिये न केवल corona के चलते बेरोजगार महिलाओं को रोजगार मिलेगा , वरन इन से लाभान्वित लोग "आत्मनिर्भरता " के नए प्रतिमान गढ़ेंगे। पिछले दिनों पड़ोसी देश से सीमा विवाद के बाद विदेशी चीजों के जगह देशी चीजों के production पर जोर दिया जा रहा है। इस लिहाज से "उम्मीद की  राखी " जैसी  अनूठी पहल के जरिये हम राष्ट्वाद को भी बढ़ावा दे सकते हैं। यह समाज के हाशिये पर रह रहे लोगों उम्मीद की किरण सरीखा हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि नई दिल्ली जिला प्रशासन का अनुकरण  करते हुए देश में इस तरह के और भी अभियान चलाये जायेंगे।  

  ©आशीष कुमार , उन्नाव 
  28  जुलाई 2020 . 















रविवार, 26 जुलाई 2020

Meeting with Prem sir.

प्रेमपाल शर्मा जी से मिलना 

नीचे तसवीर में प्रेम जी साथ में हैं। पिछले साल लोकसभा tv के सिविल सेवा में हिंदी माध्यम से जुड़े एक मुद्दे के दौरान मुलाकात हुई थी। मोबाइल no का आदान प्रदान हुआ और हमेशा की तरह कि कभी मिलते है जैसे वाक्य से विदा ले ली। 

बीच बीच में जनसत्ता में उनके लेख भी पढ़ता रहा और प्रभावित भी होता रहा। लिखने पढ़ने वाले लोग मुझे विशेष आकर्षित करते रहे हैं। बीच बीच में उनके बुलावा मिलते रहे कि जब भी वक़्त मिले घर आना।
तमाम बार मुलाकात टलती रही..एक दिन ऑफिस से निकलकर पूछा ..आप घर पर हैं.. मुझे लोकेशन भेजिए मैं 30 मिनिट में पहुँच रहा हूँ। मैंने ऐसा तमाम बार किया जब कोई बार काम बार 2 टलता रहे तो उसे एक दिन किसी भी हालत पर, किसी भी शर्त पूरा कर देता हूँ।

मन में तमाम आशंका भी थी कि कोरोना के टाइम जाना ठीक होगा भी या नहीं..
 पता नहीं उनकी शाम की क्या प्लानिंग हो ..पर उस दिन इसी मूड में था कि आज लंबे समय से टल रही मुलाकात को पूरा करना ही है..

सर के घर पहुँच कर पाया कि वो बड़ी प्रसन्नता से प्रतीक्षा कर रहे थे। उचित दूरी बनाते चाय नाश्ते के साथ उनसे तमाम बातें हुई। सर, ने भी काफी संघर्ष के साथ 3 दशक पूर्व सिविल सेवा में चयनित हुए थे। भारत सरकार के संयुक्त सचिव (js) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं पर सामाजिक सरोकारों में उनकी सक्रियता अभी भी बनी हुई है। सेवा के दिनों से ही तमाम समाचार पत्रों में उनके लेख प्रकाशित होते रहे हैं। विविध मुद्दों में उनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी  हैं। आप उन्हें कई बार tv पर डिबेट में देख सकते हैं। 


प्रेम सर से प्रेमपूर्वक तमाम बातें होती रही .. उन्होंने कहा कि मेरी जैसी ही पृष्टभूमि से वो भी आये हैं.. सर के छोटे भाई भारतीय राजस्व सेवा ( इनकम टैक्स ) में काफी सीनियर पद पर कार्यरत हैं और वो भी लिखते हैं। बातें हमारी और भी होती पर मेरा ड्राइवर काफी समय से वेट कर रहा था.इसलिए सर से फिर मिलने के वादे के साथ विदा की।

चलते समय सर ने अपने हस्ताक्षर की हुए कुछ पुस्तकें भेंट की, ऐसी भेंट, हमेशा से बहुत पसंद आती रही हैं.
( सर ने कहा meri गाँधी जी की मूर्ति के तसवीर lijiey मैैंने कहा आप आज के गांधी की तरह हैैं  ) 

© आशीष कुमार, उन्नाव
26 जुलाई, 2020।

बुधवार, 22 जुलाई 2020

Judaai film

  " जुदाई" देखते हुए 

अभी टीवी (& पिक्चर्स)  पर यही फिल्म आ रही है, फिल्म देखते हुए कुछ याद आ गया। फिल्म में एक छोटा टेप रिकॉर्डर दिखाया गया है। एक दौर था तब यह मेरे सबसे प्रिय ईच्छाओं में एक था कि काश कभी इतने रुपए हो कि मै भी यह खरीद सकूं..
उस दौर में लोग इसे अपनी पैंट में फसा कर चलते थे। इसके साथ  भी आता था। एक दुक्के लोगों के पास होता था, बड़ी हसरतों से देखा करता था। ऐसा लगता था कि जीवन का असली सुख यही ले रहे हैं। 

समय बदला ..और पता ही न चला कब वो टेप रिकॉर्डर चलन से बाहर हो गए। फ़िल्म की तरह ही एक बड़ा सा Music system जरूर घर पर है..पर वो छोटा टेप रिकॉर्डर न ले पाया। अब फोन में सब कुछ आने लगा। Laptop (2012) की रैम 2 जीबी, फोन (2018) की 8 जीबी रैम.. कैसे बदलते जा रहे है हम।

 न जाने हमें अतीत से बड़ा ही मोह होता है.. कुछ दिनों से लालटेन व लैंप बहुत याद आ रहे हैं। मन में ख्याल आता है कि उनका ग्लास साफ करके शाम को आज भी जलाएं.. पर कहां ..कैसे .. वर्षो बीत (अहमदाबाद से दिल्ली )गए..बिजली की इस कदर आदत सी पड़ गई । न जाने कब से 5 मिनट की कटौती भी न हुई..क्या घर, क्या ऑफिस.. दूधिया सफेदी वाली चमक के बीच धुंवे से भरी वो किरोसीन के गंध वाली पीली धुंधली चमक बहुत याद आती है।

बहुत संभव है कि आज के 10 साल बाद, आज कि चीजे ऐसे ही याद आए.. 5 g से आगे 6g ,7g का दौर जाने कैसा होगा..कौन जाने मोबाइल का रिप्लेसमेंट भी आ जाये ..

©आशीष कुमार, उन्नाव
22 जुलाई, 2020।

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