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शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

चाँदनी चंदन सदृश

" चांदनी चन्दन सदृश हम क्यों कहे,
हाथ हमें कमल सरीखे क्यों दिखे ,
हम तो कहेंगे कि चांदनी उस सिक्के सी है
जिसमें चमक है पर खनक गायब है ।"

जगदीश कुमार

नई कविता में नए उपमानों पर जोर देते हुए ।

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