जो कभी मंदिर पर जा बैठे .. कभी मस्जिद पर जा बैठे "
( अज्ञात )
बहुत अच्छी लाइन्स है जिनका मैंने बहुत बार प्रयोग किया है पर यह निश्चित नही है कि इसके किसने लिखा . अगर कोई जानता हो तो कृपया बताने का कष्ट करे.....
साम्प्रदायिकता पर जुड़े निबंध में इसे सही जगह फिट करिये..और अच्छे अंक पाईये........
" झील पर पानी बरसता है हमारे देश में
खेत पानी को तरसता है हमारे देश में " बल्ली सिंह चीमा
उक्त पंक्तियां बहुत ही उपयोगी है और इनका लगभग हर तरह के निबंध में प्रयोग किया जा सकता है। इन लाइन्स में यह कहने की कोसिश की जा रही है कि जहां जरूरत नहीं है वहां पर सेवा उपलब्ध है पर जहां सबसे ज्यादा जरूरत है वहां पर कोई सेवा उपलब्ध नहीं है। जैसे आईपीएल मैच के लिए ६० लाख लीटर पानी खर्च किया जा सकता है पर प्यास से मर रहे लोगो के लिए किसी को कोई सहानुभूति नहीं।
" गिरिजन , हरिजन भूखो मरते , हम डोले वन वन में
तुम रेशम की साड़ी पहने उड़ती फिरो गगन में "
( जनकवि नागार्जुन )
यह लाइन्स इंदिरा गांधी पर व्यंग्य की गई थी। जब बाढ़ पीड़ित लोगो को देखने नेता लोग हवाई दौरे करते है उस समय यह लाइन्स बहुत याद आती है। जैसे अभी हॉल में महाराष्ट में एक महिला नेत्री ने सूखा पीड़ित दौरे पर अपने सेल्फी खींचते पाई गई थी। कुछ इस तरह की भूमिका में उक्त लाइन्स आपके व्यंग्य को धार देंगी
काजू भुने प्लेट पर , व्हिस्की गिलास में
देखो उतरा राम राज विधायक निवास में
अदम गोंडवी इन लाइन्स का मतलब भी बहुत साफ है। जन प्रतिनिधो की समाज के प्रति असंवेदनशीलता , दोहरे चरित्र को दिखलाती इन लाइन्स में बहुत गहरा वयंग्य किया गया है।
एक बात और जब आपको इस तरह लाइन डालनी हो आप लिखये " प्रसंगवश यह पंक्तियाँ याद आती है.........."
( मेरे पास इस तरह की 200 से अधिक लाइन्स का कलेक्शन है जिसे मै समय मिलने पर पोस्ट करता रहूंगा। पाठक भी कमेंट में इस तरह की लाइन्स लिख कर सहयोग करे.......आप लाइन्स दीजिये ...व्यख्या मै कर दूंगा........thanks )