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मंगलवार, 31 मई 2016

दिनकर की कविता मे राष्ट चेतना


दिनकर की कविता मे राष्ट चेतना 
  1. भावों के आवेग प्रबल
        मचा रहे उर में हलचल    रेणुका 
  2. पूछेगा बूढ़ा विधाता तो मैं कहूँगा
        हाँ तुम्हारी सृष्टि को हमने मिटाया।
  3. रे रोक युद्धिष्ठिर को न यहाँ
        जाने दे उनको स्वर्ग धीर
        पर फिरा हमें गांडीव गदा
        लौटा दे अर्जुन भीम वीर।      
    हिमालय
  4. कितनी मणियाँ लुट गईं! मिटा
        कितना मेरा वैभव अशेष
        तू ध्यानमग्न ही रहा, इधर
        वीरान हुआ प्यारा स्वदेश।
  5. धर्म का दीपक, दया का दीप
        कब जलेगा, कब जलेगा
        विश्व में भगवान।     
    कुरुक्षेत्र
  6. दूध दूध ओ वत्स तुम्हारा दूध खोजने जाता हूँ मैं
        हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने आता हूँ मैं     
    हाहाकार
  7. चढ़ कर विजित श्रृंगों पर झंडा वही उड़ाते हैं।
        अपनी ही उँगली पर जो खंजर की जंग छुड़ाते हैं।
  8. सारी दुनिया उजड़ चुकी है गुजर चुका है मेला;
        ऊपर है बीमार सूर्य नीचे मैं मनुज अकेला।          
    अंतिम मनुष्य-सामधेनी'
  9. आशा के स्वर का भार पवन को लेकिन लेना ही होगा
        जीवित सपनों के लिए मार्ग मुर्दों को देना ही होगा।
  10. कलम आज उनकी जय बोल !
        जला अस्थियाँ बारी बारी
        छिटकाई जिनने चिनगारी
        जो चढ़ गए पुष्प वेदी पर लिए बिना गरदन का मोल              
    'हुंकार

यह पोस्ट भी आईएएस के लिए हिन्दी साहित्य विषय लेकर तैयारी कर रहे मित्रो के लिए है । ऊपर लिखी लाइंस इधर उधर से साभार कॉपी किया है । दिनकर भी इन दिनो यूपीएससी के काफी म्हत्वपूर्ण हो गए है । लाइंस अगर याद रहेगी तो बाकी आप लिख ही लेंगे । 

शुक्रवार, 27 मई 2016

यशपाल का " झूठा सच"


यशपाल का " झूठा सच"



  • भारत विभाजन की मार्मिक अभिव्यक्ति 
  • दो भागो मे -1 वतन और देश 2 देश का भविषय 
  • प्रमुख पात्र - जयदेव पूरी ,उसकी बहन तारा , उसकी प्रेमिका कनक , मास्टर राम लुभाया , इनके बड़े भाई राम ज्वाला , डा. प्राणनाथ ,
  • पहला भाग लाहौर की कथा है तो दूसरे में दिल्ली 
  • सम्प्रदायिक दंगे , उसकी पृवत्ति कथा का सटीक विवरण है।  
  • यशपाल जी  ने  कलम को माध्यम बना कर अपने भोगे यथार्थ को उकेरा है 
  • इस नावेल में तत्कालीन समाज के हर पहलू पर नजर डाली गई है।  
  • स्त्री विमर्श की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण 
  • श्यामा जो की ३३ की होकर भी अविवाहित है उसका सम्बन्ध डे  से  है जोकि विवाहित है 3 बच्चों का पिता भी है।  
  • इस नावेल की भाषा बहुत  सरल और प्रवाहमयी  है  . कथानक बहुत  लम्बा होते हुए भी उबाऊ नहीं है क्योंकि  भाषा जनजीवन की भाषा है।  



  • झूठासच में सच को कल्पना से रंग कर उसी जन समुदाय को सौंप रहा हूँ जो सदा झूठ से ठगा जाकर भी सच के लिये अपनी निष्ठा और उसकी ओर बढ़ने का साहस नहीं छोड़ता। -यशपाल
  • ‘झूठा सच’ देश विभाजन और उसके परिणाम के चित्रण की काफ़ी ईमानदारी से लिखी गई कहानी है। पर यह उपन्यास इसी कहानी तक ही सीमित नहीं है। देश-विभाजन की सिहरन उत्पन्न करने वाली इस कहानी में स्नेह, मानसिक और शारीरिक आकर्षण, महात्वाकांक्षा, घृणा, प्रतिहिंसा आदि की अत्यंत सहज प्रवाह से बढ़ने वाली मानवता पूर्ण कहानी भी आपको मिलेगी। ‘‘...‘झूठा सच’ हिन्दी उपन्यास साहित्य की अत्यंत श्रेष्ठ और प्रथम कोटि की रचना है। - आजकल, अक्टूबर, 1959






    • फुटनोट :- पुराने दिनों में जब नावेल पढ़ने का बहुत  उत्साह था एक दिन उन्नाव के गांधी पुस्तकालय में वहाँ  के संचालक " मास्टर जी " ने मुझे पढ़ने के लिए "झूठा सच " दिया।  घर ले भी गया पर पूरा पढ़ न सका  . कुछ इसी तरह  भीष्म शाहनी कृत " तमस " के साथ भी हुआ था।  
      इन दिनों आईएएस  में कोर्स में यह दोनों न होते हुए भी इससे जुड़े प्रश्न पूछे जा रहे है।  हर बार इन प्रश्नों को हल करना काफी कठिन रहता है। उक्त लेख इधर उधर से सामग्री ले कर जुटाया गया है कुछ और जरूरी लेखो को आगे लिखने की कोशिश करुगा। अगर आप कुछ इसमें जोड़ सके तो कमेंट में लिखिए।  थैंक्स।  




















      Difference between law and morality



      विधि और नैतिकता में विभेद



      विधि और नैतिकता समाज के लगभग सभी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। विधि और नैतिकता अक्सर एक साथ मिलकर नागरिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और जनता के कल्याण की रक्षा करने के लिए किये गए प्रयासों में समन्वय सुनिश्चित करने का काम करते हैं। कई अलग-अलग संस्थाएँ नैतिकता के नियमों के उल्लंघनों के लिए उपचारात्मक कार्रवाइ करती है जैसे खाप पंचायत आदि। कुछ उदाहरणों में, विधि नैतिकता, सिद्धांतों या नैतिकता के आधार पर स्थापित की जाती है। विधि की स्थापना के लिए भी एक न्यूनतम स्तर का नैतिक व्यवहार अपेक्षित होता है।

      1.नैतिकता आचरण के नियम हैं। 
      विधि सरकारों द्वारा अपने नागरिकों को सुरक्षा और समाज में संतुलन प्रदान करने के लिए विकसित किये गए नियम हैं। 
      2. नैतिकता लोगो में क्या सही और क्या गलत है की जागरूकता से आती है। विधि अपने लोगों के लिए सरकारों द्वारा लागू किया जाता हैं। 3.नैतिकता के उल्लंघन पर कोई सजा नहीं है।
      विधि के उल्लंघन पर सजा हो सकती है। 
      4.नैतिकता एक व्यक्ति की नैतिक मूल्यों से आती है।
      विधि नैतिकता के साथ एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में लागू किया जाता हैं।

      गुरुवार, 26 मई 2016

      Social Values vs. Economic Values


      प्रश्न । सामाजिक मूल्य, आर्थिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण है राष्ट्र की समावेशी संवृद्धि के सन्दर्भ में इस कथन की चर्चा करें।

      उत्तर -


      1. सामाजिक मूल्यों से तात्पर्य ऐसे मूल्यों से है जो मनुष्य के सामाजिक जीवन से जुड़े हो जैसे- ईमानदारी, तटस्थता, समानुभूति, उत्तरदायित्व,निष्पक्षता, सहनशीलता, दया, देशभक्ति, न्याय आदि।
      आर्थिक मूल्यों का अर्थ उन मूल्यों या सिंद्धान्तो से है जो किसी भी अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों के लिए आवश्यक है, जैसे- उद्यमिता, व्यवसाय नीतिशास्त्र, कमाई, लागत-लाभ विश्लेषण आदि।
      2. समावेशी विकास के लिए आवश्यक तत्व
      क. असमानता की समाप्ति
      ख. पर्याप्त स्वतंत्रता
      ग. राज्य के नागरिकों के लिए जीवन तथा स्वास्थ्य की सुरक्षा तथा अन्य बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना।
      3.सामाजिक मूल्यों से सभी में निष्पक्षता तथा उत्तरदायित्व की भावना रहेगी जो आर्थिक वृद्धि को बढ़ाएगी, क्योकि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन निष्पक्षता से करेगा। जब सभी को ये पता होगा की उनके परिश्रम का परिणाम उन्हें अवश्य मिलेगा तो मनुष्य देश के विकास में भागीदार अवश्य बनेगा।
      4. सभी व्यवसायी, बड़े उद्योग घराने आदि सामाजिक मूल्यों के आधार पर ही अपने समाज के प्रति उत्तरदायित्वों का वहन करते हुए स्कूल, हॉस्पिटल, अन्य गैर लाभ संस्थाओं का संचालन करते हैं।
      5.देशभक्ति, प्रेम, समानुभूति के कारण क्षेत्रों, राज्यों के बीच असमानता को समाप्त किया जा सकता है तथा किसी भी विवाद या दंगे को प्रेम, सहनशीलता जैसे सामाजिक मूल्यों द्वारा बड़ी सरलता से सुलझाया जा सकता है।
      अतः यह कहना उचित होगा की समावेशी संवृद्धि के लिए सामाजिक मूल्य भी उतने ही आवश्यक है जितने की आर्थिक मूल्य

      बुधवार, 25 मई 2016

      Environmental Ethics


      पर्यावरणीय नैतिकता
      1. पर्यावरणीय नैतिकता , नैतिकता का ही एक अंग है जो मनुष्य तथा पर्यावरण के मध्य सम्बन्ध को प्रदर्शित करती है। इसके अनुसार मनुष्य एक ऐसे समाज का हिस्सा है जिसमे मानव जाति के साथ सभी प्राणी , जीव जन्तु तथा पेड़ पौधे भी शामिल है। यह मानवीय मूल्यों तथा नैतिक सिद्धान्तों के आधार पर इनमे सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास है तथा मानव को इसके पर्यावरण के प्रति उसकी जवाबदेही को दर्शाया जाता है।
      2. पर्यावरणीय नैतिकता का अध्यनन आवश्यक है क्योकि पेड़- पौधे पर्यावरण के महत्वपूर्ण भाग है, साथ ही ये मनुष्य के जीवन का भी अहम हिस्सा है। अतः मनुष्य की यह जिम्मेदारी की उनका संरक्षण करे।
      मनुष्य को कोशिश करना चाहिए उसके कार्यों से पर्यावरण, जीव- जन्तु, पेड़-पौधे किसी भी प्रकार से खतरे में न आये। मनुष्य अगर उनका उपयोग करता है तो उनकी सुरक्षा उसकी नैतिक जिम्मेदारी भी है।
      3. इसके अध्यनन से मनुष्य द्वारा पर्यावरणीय संसाधनों के विवेकतापूर्ण प्रयोग को सुनिश्चित किया जा सके।मनुष्यों में उनकी भंडार क्षमता तथा उनकी उपयोगिता के बारे में भी जागरूक किया जा सके।
      4. पर्यावरणीय नैतिकता से सम्बंधित कुछ मुद्दे- जल प्रदूषण के कारण पौधों में प्रकाश संश्लेषण की दर में कमी आती है तथा कुछ पौधों की प्रजातियां तक समाप्ति की कगार तक पहुंच जाती है।
      वायु प्रदूषण के कारण अम्लवर्षा होती है जो पेड़ो को नष्ट कर देती साथ ही झीलों और तालाबों के जल को दूषित कर यहाँ की जीव-जंतुओं को भी प्रभावित करती है।वहां की इमारतों को भी क्षति पहुंचाती है।
      ओज़ोन परत में छेद जो मानवीय कारकों की ही देन है जिससे न केवल पौधे और प्राणी प्रभावित होते है साथ ही इसका प्रभाव मनुष्य पर भी होता है।

      मंगलवार, 24 मई 2016

      Tax to GDP ratio

      टैक्स टू जीडीपी अनुपात
      1. किसी भी सरकार द्वारा संगृहीत किये गए कर को उसी वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद से विभाजित करने से प्राप्त अनुपात ।
      2. भारत का टेक्स टू जीडीपी अनुपात बहुत ही असंतोजनक रहा है 1950-51 में 6% था और 2013-14 में ये बढ़कर केवल 16.6% रहा। भारत जी-20 देशों में सबसे कम टैक्स टू जीडीपी वाले देशों में शामिल है।
      3. जिस तरह से आय बढ़ी है उस तरह से करदाताओं की संख्या में वृद्धि नही हुई है। भारत में मत देने वाले नागरिकों का लगभग केवल 4% ही करदाता है, जिस कारण सरकार को अप्रत्यक्ष कर पर ही निर्भर रहना पड़ता है जो की गरीबों पर भी असर डालता है।
      4.सरकार द्वारा बड़ी कंपनियों को दी जाने वाली छूट तथा कंपनियों द्वारा कर तंत्र की कमियों के लाभ उठाने से , सरकार कॉरपोरेट टैक्स का एक बड़ा हिस्सा गवा देती है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पर टैक्स दर निजी क्षेत्र से अधिक होती है। जिस कारण कंपनी प्रभावी टैक्स दर को भी कम या प्रभावित भी कर सकते है।
      5. प्रभावी टैक्स दर - एक निगम के लिए प्रभावी कर दर वह औसत दर है जिस पर उसका पूर्व मुनाफा कर योग्य हो । किसी व्यक्ति की प्रभावी कर की दर की गणना कुल कर व्यय को कर योग्य आय द्वारा विभाजित करके की जाती है।

      रविवार, 15 मई 2016

      Common civil code


      समान नागरिक संहिता को अभिनियमित करने से रोकने वाले कारक-


      1.कट्टर धार्मिकता तथा रूढ़िवादिता- नागरिकों में शिक्षा तथा जागरूकता
      अभाव, जिस कारण वे समान नागरिक संहिता का विरोध करते है।
      2. राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी- राजनेता अपना वोट बैंक बनाये रखने के
      लिए कोई भी कड़ा कदम उठाने से हिचकिचाते है।
      3. समान नागरिक सहिंता भारत के नीति निर्देशक तत्वों में वर्णित है अतः
      इसे किसी कोर्ट द्वारा लागू नही किया जा सकता, इसे लागू करने के लिए आदेश
      संसद द्वारा ही जारी किया जा सकता है।
      4. भारतीय संविधान के भाग 3 में वर्णित मौलिक अधिकारों में धर्म की
      स्वतंत्रता प्रदान की गई है अगर नागरिक स्वयं से लागू नही करना चाहते तो
      इसे उनके मौलिक अधिकारों के हनन के रूप में भी प्रतिबिंबित किया जा सकता
      है।
      वहीं समान नागरिक संहिता द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए भी समान कानून लागू
      किये जायेगे जो की सविंधान में मौलिक अधिकारो में अल्पसंख्यकों को दिए
      अधिकारो का हनन होगा। राज्य अल्पसंख्यकों के निजी मामलों में तभी
      हस्तक्षेप कर सकता है जब स्वयं अल्पसंख्यक इसमें बदलाव चाहते हो।
      5.धर्मनिरपेक्षता भारत के सविंधान की मूल संरचना है और राज्य से ये
      अपेक्षा की जाती है की वह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करे।
      6. निष्कर्षत भारत में समान नागरिक सहिंता लागू करने के लिए पहले नागरिको
      को शिक्षित , जागरूक करना, उनमे सामजिक भेदभाव को कम करना, उनकी आर्थिक
      स्थिति में समानता लाना, विभिन्न सामजिक कार्यक्रमों के माध्यम से जनमत
      तैयार करना , अल्पसंख्यकों के मन से डर को समाप्त कर उन्हें सुरक्षित
      महसूस करना होगा ताकि उन्हें ये न लगे की उनके अधिकारों का हनन किया जा
      रहा है ।एक स्वच्छ राजनीतिक पहल की भी आवश्यकता है।
      किसी पर भी समान नागरिक सहिंता थोपी नही जा सकती अतः माहौल ऐसा बनाया
      जाये की सभी नागरिक स्वतः ही इसे स्वीकार करें।

      शुक्रवार, 6 मई 2016

      Reason for success

      सफलता की वजह
      मै घूम फिर कर चिन्तक जी पर ही आ जाता हूँ....क्या करू उनके जैसे बहुत कम ही लोग है....उनकी जुबान में जादू है .. बड़े से बड़ा प्रेरक वक्ता भी वह जादू मुझ पर वो असर नही डाल सकता है जो उनकी बात में मुझे मिल जाता था...
      एक शाम हॉस्टल में ( भागीदारी भवन ) में उनके पास बैठा था उन्होंने यह बात पूछी की नौकरी क्यों पाना चाहते हो.. मैंने कहा पैसे मिलेंगे ..आराम रहती है..आदि 
      वो बोले आज से एक नयी नजर से सोचो ..सोचो अगर तुम सरकारी नौकरी पा जाते हो तो तुम्हारे पिता को कितनी इज्जत मिलेगी... माता पिता ..आपके पैसे कभी नही चाहते है ..वो चाहते है कि आप की वजह से उन्हें सम्मान मिले..

      मेरे दिमाग में यह बात बैठ गयी .. पिता जी उच्च शिक्षित थे..पर बेरोजगार..सारा जीवन संघर्ष में कटा था.. ३ बेटे थे पर उम्मीद किसी से नही थी.. बहुत ज्यादा नकारात्मक सोचते थे... 
      उस रोज चिंतक जी की बात मुझे हर वक्त याद रही...मुझे अपने पिता को रेस्पेक्ट दिलानी है....गावं में इस बात की बहुत चर्चा रहती है कि अमुक का बेटा क्या करता है...

      यकीन मानिये...जैसे मुझे सेंट्रल गवर्नमेंट में जॉब मिली.. पिता जी को गाव में अपने आप महत्व मिलने लगा...जैसे जैसे सफलता बड़ी होती गयी..पिता जी को बहुत खुशी मिलने लगी.. गाव में इस बात की मिसाल दी जाने लगी कि उनको देखो ..बेटो को पढ़ाने में उम्र निकल गयी पर..अब कितना अच्छा return मिला है..पिता जी की असमय ही २०१० में मौत हो गयी..पर उनके आज तीनो ही बेटे जॉब में है ..और बड़ी जॉब के लिए जुटे है...
      दोस्तों... आप भी आज से इस तरह से सोचे कि अगर आप सारा टाइम भले पिता - माता की सेवा न कर सके हो पर उन्हें ऐसी सफलता दे कि दुनिया गर्व से कहे .वो आपके माता पिता है... और इस प्रेरणा के लिए चिंतक जी के आभारी जरुर रहियेगा....यह उनका ही कांसेप्ट है.......

      मंगलवार, 3 मई 2016

      Funny Hindi Story : Shodhk Ji





      वैसे आप शोधक जी के बारे में पहले भी पढ़ चुके है पर उस समय उनका नाम मैंने नही बताया था . पुराने पाठकों को याद होगा एक बार मै इलहाबाद गया था तो एक दोस्त के पास ठहरा था . वह दोस्त सारी रात महेश वर्णवाल वाली भूगोल की किताब पढ़ते रहे थे . याद आया ...

      तो वही  मित्र है शोधक जी . इनसे भी अपनी मुलाकात भागीदारी भवन में हुयी थी . जब पहली बार इनसे मिला तो कुछ खास नही दिखा मुझे . शोधक जी कुछ ज्यादा ही सावले थे और हमारी सामान्य सी फितरत होती है कि अक्सर हम गौर वर्ण को स्मार्ट और चतुर समझते है . मेरी एक आदत है जो शायद बुरी है पर मै उसे बहुत अच्छी मानता हूँ वो है चीजो को हलके में लेना .
      Funny  Hindi  Story  by  ias ki preparation hindi me
      शोधक जी को भी हल्के में ले लिया फिर क्या था शोधक जी अपने विराट व्यक्तित्व से मुझ जैसे मूढ़ बालक से परिचय करवाया . वो इतिहास विषय में इलहाबाद विश्विद्यालय के topper थे . फिर उन्होंने मुझसे कुछ प्रश्न इतिहास के पूछे - जैसे गाँधी जी को जिस रिवाल्वर से मारा गया उसका कोड क्या था ? गाँधी जी किस जहाज से गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने गये थे ? गाधी जी ने कब से लंगोटी पहनना शुरु किया ( आशय यह कि कब से एक कपड़े पर रहने लगे ) .

      जिस दिन मुझसे यह प्रश्न पूछे गये उसी दिन मै समझ गया कि यह गुरु जी भी अपने काम के आदमी है . आपको पता ही है 16 - 17 की आयु से मेरी कुछ चीजे प्रकाशित होने लगी थी . सोचा और गुरु जी मजाक मजाक में कह भी दिया एक दिन आप पर मै कहानी लिखुगा और सारी दुनिया आपको पढ़ेगी .

      इतिहास में बहुत से वाद चलते है यथा - मार्क्सवाद , राष्टवाद ,साम्राज्यवाद . इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने गुरु जी से कहा आप ने एक नये दृष्टिकोण से इतिहास को पढ़ा है इसलिए आपको लंगोटीवाद का प्रणेता घोषित करता हूँ . और जब तक मै भागीदारी भवन में रहा गुरु जी को लंगोटीवाद के नाम पर परेशान करता रहा . 

      अगर आप को कभी लंगोटीवाद के बारे में पूछा जाये तो आप भी समझ लीजिए और समझा दीजियेगा . लंगोतिवाद वाद का सरल शब्दों में आशय यह है कि इतिहास को बहुत बारीकी से पढना खासतौर पर तथ्यों पर बहुत ज्यादा जोर देना . इसे शोधक जी ने विकसित किया है . 



      ( Dear readers hope u like this post .  Keep reading . In future you will read more post on Shodhk ji . ) 


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