वैसे
आप शोधक जी के बारे में पहले भी पढ़ चुके है पर उस समय उनका नाम मैंने नही बताया था
. पुराने पाठकों को याद होगा एक बार मै इलहाबाद गया था तो एक दोस्त के पास ठहरा था
. वह दोस्त सारी रात महेश वर्णवाल वाली भूगोल की किताब पढ़ते रहे थे . याद आया ...
तो
वही मित्र है शोधक जी . इनसे भी अपनी मुलाकात भागीदारी भवन में हुयी थी . जब
पहली बार इनसे मिला तो कुछ खास नही दिखा मुझे . शोधक जी कुछ ज्यादा ही सावले थे और
हमारी सामान्य सी फितरत होती है कि अक्सर हम गौर वर्ण को स्मार्ट और चतुर समझते है
. मेरी एक आदत है जो शायद बुरी है पर मै उसे बहुत अच्छी मानता हूँ वो है चीजो को
हलके में लेना .
शोधक
जी को भी हल्के में ले लिया फिर क्या था शोधक जी अपने विराट व्यक्तित्व से मुझ
जैसे मूढ़ बालक से परिचय करवाया . वो इतिहास विषय में इलहाबाद विश्विद्यालय के topper थे . फिर उन्होंने
मुझसे कुछ प्रश्न इतिहास के पूछे - जैसे गाँधी जी को जिस रिवाल्वर से मारा गया
उसका कोड क्या था ? गाँधी
जी किस जहाज से गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने गये थे ? गाधी जी ने कब से लंगोटी पहनना शुरु
किया ( आशय यह कि कब से एक कपड़े पर रहने लगे ) .
जिस
दिन मुझसे यह प्रश्न पूछे गये उसी दिन मै समझ गया कि यह गुरु जी भी अपने काम के
आदमी है . आपको पता ही है 16 - 17 की
आयु से मेरी कुछ चीजे प्रकाशित होने लगी थी . सोचा और गुरु जी मजाक मजाक में कह भी
दिया एक दिन आप पर मै कहानी लिखुगा और सारी दुनिया आपको पढ़ेगी .
इतिहास
में बहुत से वाद चलते है यथा - मार्क्सवाद ,
राष्टवाद ,साम्राज्यवाद
. इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने गुरु जी से कहा आप ने एक नये दृष्टिकोण से
इतिहास को पढ़ा है इसलिए आपको लंगोटीवाद का प्रणेता घोषित करता हूँ . और जब तक मै
भागीदारी भवन में रहा गुरु जी को लंगोटीवाद
के नाम पर परेशान करता रहा .
अगर
आप को कभी लंगोटीवाद
के बारे में पूछा जाये तो आप भी समझ लीजिए और समझा दीजियेगा . लंगोतिवाद वाद का
सरल शब्दों में आशय यह है कि इतिहास को बहुत बारीकी से पढना खासतौर पर तथ्यों पर
बहुत ज्यादा जोर देना . इसे शोधक जी ने विकसित किया है .
( Dear readers hope u like this post . Keep reading . In future you will read more post on Shodhk ji . )