यशपाल का " झूठा सच"
- भारत विभाजन की मार्मिक अभिव्यक्ति
- दो भागो मे -1 वतन और देश 2 देश का भविषय
- प्रमुख पात्र - जयदेव पूरी ,उसकी बहन तारा , उसकी प्रेमिका कनक , मास्टर राम लुभाया , इनके बड़े भाई राम ज्वाला , डा. प्राणनाथ ,
- पहला भाग लाहौर की कथा है तो दूसरे में दिल्ली
- सम्प्रदायिक दंगे , उसकी पृवत्ति कथा का सटीक विवरण है।
- यशपाल जी ने कलम को माध्यम बना कर अपने भोगे यथार्थ को उकेरा है
- इस नावेल में तत्कालीन समाज के हर पहलू पर नजर डाली गई है।
- स्त्री विमर्श की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण
- श्यामा जो की ३३ की होकर भी अविवाहित है उसका सम्बन्ध डे से है जोकि विवाहित है 3 बच्चों का पिता भी है।
- इस नावेल की भाषा बहुत सरल और प्रवाहमयी है . कथानक बहुत लम्बा होते हुए भी उबाऊ नहीं है क्योंकि भाषा जनजीवन की भाषा है।
फुटनोट :- पुराने दिनों में जब नावेल पढ़ने का बहुत उत्साह था एक दिन उन्नाव के गांधी पुस्तकालय में वहाँ के संचालक " मास्टर जी " ने मुझे पढ़ने के लिए "झूठा सच " दिया। घर ले भी गया पर पूरा पढ़ न सका . कुछ इसी तरह भीष्म शाहनी कृत " तमस " के साथ भी हुआ था।
इन दिनों आईएएस में कोर्स में यह दोनों न होते हुए भी इससे जुड़े प्रश्न पूछे जा रहे है। हर बार इन प्रश्नों को हल करना काफी कठिन रहता है। उक्त लेख इधर उधर से सामग्री ले कर जुटाया गया है कुछ और जरूरी लेखो को आगे लिखने की कोशिश करुगा। अगर आप कुछ इसमें जोड़ सके तो कमेंट में लिखिए। थैंक्स।