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रविवार, 28 मई 2017

Tejas Express : Some issue regarding our social behavior


तेजस एक्सप्रेस का पहला सफर 

पिछले दिनों मुम्बई से गोवा के लिए हाई स्पीड ट्रैन 'तेजस ' को लांच किया गया। विविध अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस ट्रैन के पहले सफर ने यह साफ जतला दिया कि अभी भी भारत में ऐसे लोग भरे पड़े है जो निम्न सोच, स्वार्थ व  निकम्मेपन के आदी है। ट्रैन के सफर के बाद पता चला कि कुछ सीट से हाई क्वालिटी के हेड फ़ोन ( high quality headphone )  गायब है , कुछ स्क्रीन में स्क्रैच है, बायो टायलेट चोक कर गए है। निश्चित ही इस तरह की घटनाएं हमारे सभ्य समाज पर धब्बा है।  

हम विकसित देश बनने की आकांक्षा रखते है पर जब तक हम अपनी सोच को नहीं बदलेंगे कितनी भी उन्नति कर ले चीजे नहीं बदलेंगी। भारत के किसी भी शहर में रोड पर आप बहुतायत लोगों को बगैर हेलमेट , सीट बेल्ट लगाए देख सकते है। सड़क , सरकारी कार्यालय में पान की पीक , सार्वजनिक शौचालय की गंदगी , रोड को कूड़ेघर बना देना , भारत के लिए आम बात है। 

दरअसल इस तरह की चीजों को  कानून का सहारा लेकर ठीक नहीं किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है अपनी सोच व् व्यवहार में बदलाव लाया जाय। इसको शिक्षा भी से नहीं जोड़ा जा सकता है आख़िरकार तेजस में सफर करने वाले लोग आम , निम्न , अशिक्षित लोग नहीं है फिर इस तरह की तुच्छ चीजों के प्रदर्शन से हमे यह विचार करने पर विवश कर देती है कि क्या शिक्षा लोगो को सभ्य नहीं बनाती। शायद इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए हमारी शिक्षा में नैतिकता का समावेश करना , समकालीन समय की महती जरूरत बन गयी है।  

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।    

गुरुवार, 26 मई 2016

Social Values vs. Economic Values


प्रश्न । सामाजिक मूल्य, आर्थिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण है राष्ट्र की समावेशी संवृद्धि के सन्दर्भ में इस कथन की चर्चा करें।

उत्तर -


1. सामाजिक मूल्यों से तात्पर्य ऐसे मूल्यों से है जो मनुष्य के सामाजिक जीवन से जुड़े हो जैसे- ईमानदारी, तटस्थता, समानुभूति, उत्तरदायित्व,निष्पक्षता, सहनशीलता, दया, देशभक्ति, न्याय आदि।
आर्थिक मूल्यों का अर्थ उन मूल्यों या सिंद्धान्तो से है जो किसी भी अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों के लिए आवश्यक है, जैसे- उद्यमिता, व्यवसाय नीतिशास्त्र, कमाई, लागत-लाभ विश्लेषण आदि।
2. समावेशी विकास के लिए आवश्यक तत्व
क. असमानता की समाप्ति
ख. पर्याप्त स्वतंत्रता
ग. राज्य के नागरिकों के लिए जीवन तथा स्वास्थ्य की सुरक्षा तथा अन्य बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना।
3.सामाजिक मूल्यों से सभी में निष्पक्षता तथा उत्तरदायित्व की भावना रहेगी जो आर्थिक वृद्धि को बढ़ाएगी, क्योकि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन निष्पक्षता से करेगा। जब सभी को ये पता होगा की उनके परिश्रम का परिणाम उन्हें अवश्य मिलेगा तो मनुष्य देश के विकास में भागीदार अवश्य बनेगा।
4. सभी व्यवसायी, बड़े उद्योग घराने आदि सामाजिक मूल्यों के आधार पर ही अपने समाज के प्रति उत्तरदायित्वों का वहन करते हुए स्कूल, हॉस्पिटल, अन्य गैर लाभ संस्थाओं का संचालन करते हैं।
5.देशभक्ति, प्रेम, समानुभूति के कारण क्षेत्रों, राज्यों के बीच असमानता को समाप्त किया जा सकता है तथा किसी भी विवाद या दंगे को प्रेम, सहनशीलता जैसे सामाजिक मूल्यों द्वारा बड़ी सरलता से सुलझाया जा सकता है।
अतः यह कहना उचित होगा की समावेशी संवृद्धि के लिए सामाजिक मूल्य भी उतने ही आवश्यक है जितने की आर्थिक मूल्य

रविवार, 15 नवंबर 2015

CITIZEN CHARTER IN HINDI


                      सिटीजन चार्टर




सिटीजन चार्टर लोगो के लिए किसी संगठन द्वारा अपनी सेवाओ services, कार्य शैली  के प्रति की गयी घोषणा announcement  से है . इससे उस संगठन के ग्राहकों को सही और पूरी जानकारी मिल जाती है . इससे सबसे पहले u.k. में जान मेजोर के समय लाया गया था . भारत में 1997  में मुख्य मंत्रियो के एक सम्मेलन में लाये जाने की बात कही गयी थी . सारे विश्व में इसके बेहतरीन परिणाम मिले है .

अक्सर देखा गया है कि हमे ज्यादातर किसी कार्यालय की सेवाओ के बारे में पता नही होता है . सिटीजन चार्टर citizen charter  में संगठन का उदेश्य , उसके द्वारा दी जा रही सेवाओ , उसमे लगने वाले समय तथा असुविधा होने पर किससे संपर्क किया जाय दिया रहता है . इसका एक सबसे अच्छा उदाहरन हम बैंक में देख सकते है . किसी अच्छे शहर की sbi की बड़ी branch  में यदि आप जाये तो देखेगे कि हर काउंटर पर दी जाने वाली सेवाओ के बारे में दिया होता है . आपको  account खुलवाना है तो कितना time लगेगा यह भी दिया होता है . यही है सिटीजन चार्टर का अनुपयोग . जिसने भी इस तरह की सेवा का लाभ लिया होगा वह समझ सकता है कि सिटीजन चार्टर की कितनी उपयोगिता है .

वास्तव में सुशासन के लिए इसे सभी विभागों में लागु किया जाना है . क्रेंद्र सरकार के बहुत सारे विभागों में इसे लागु किया जा चूका है पर राज्यों के विभागों में इसकी स्थिति बहुत निचले स्तर पर है .
 एक प्रश्न उठता है वो कौन से कारण है जिसके चलते सिटीजन चार्टर सभी जगह लागु नही हो पाया है – इसका सबसे प्रमुख कारण है – उदासीनता , धन का आभाव , इसके प्रति सही समझ का आभाव . बहुत से कार्यालय ऐसा सोचते है कि इसके चलते ग्राहक ज्यादा द्वावः डाल सकते है . जब उन्हें नियमो के बारे में पता ही नही होगा तो वह मजबूरन रिश्वत देने पर बाध्य होंगे .


अगर भारत में इसके लागु किये जाने पर विवेचना करे तो पायेगे कि इसका सही तरीके से implementation नही हो पाया है . ज्यादातर जगहों पर एक ही तरह के सिटीजन चार्टर बनाकर लटका दिए गये है जबकि अलग अलग जगहों पर इनको अलग अलग बनाना था क्यूकि हर कार्यलय , अपने मुख्यालय की तरह नही होता है . दूसरी problem इसके अपडेट करने की है इसको ६ माह में update करना था पर कई सालो से इसमें change नही किया गया है . इसको लागु करने के लिए किसी तरह के प्रोत्साहन का आभाव दिखा 



NOTE : एथिक्स बहुत ही नीरस विषय लगता है , इसको कुछ रोचक तरीके से लिखने का प्रयास कर रहा हु ... कृपया इसे अन्य जगहों से मिला कर ही पढ़े .

गुरुवार, 12 नवंबर 2015

Emotional Intelligence in Hindi

भावनात्मक समझ ( Emotional Intelligence ) 
  1. अपनी भावनाओं , संवेगों को समझना उनका उचित तरह से प्रबंधन ( manage )  करना ही भावनात्मक समझ है।  
  2. इसमें व्यक्ति अपनी ' भावनात्मक समझ ' का उपयोग कर सामने वाले व्यक्ति से ज्यादा अच्छी तरह से संवाद कर सकता है , ज्यादा बेहतर परिणाम पा सकता है।  
  3. डेनियल गोलमैन ( Daniel Goleman)  की पुस्तक भवनात्मक समझ को सारे  विश्व में प्रचलित कर दिया।  
  4. इससे पहले बुद्धि लब्धि को ही सब कुछ माना जाता था।  
  5. एक अच्छी बुद्धि लब्धि वाला व्यक्ति अच्छी सफलता पा सकता है पर TOP पहुचने के लिए भावनात्मक समझ का होना भी जरूरी है।  
  6. अच्छी भावनात्मक समझ रखने वाला व्यक्ति कभी भी क्रोध और खुशी  के अतिरेक में आ कर अनुचित कदम नही उठाता है।  
  7. एक अच्छा ADMINISTRATOR  होने के लिए सिर्फ अच्छी बुद्धि होना ही काफी नही , भावनात्मक समझ के आभाव में प्रशासक लकीर का फकीर बन रह जायेगा।  
  8. PUBLIC SERVICE में भावनात्मक समझ का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है , इसके चलते सिविल सेवक सकारात्मक सोच के साथ , टीम भावना के साथ नीतियों का लागु कर पाता  है।  
  9. इसके चलते सिविल सेवक आम जनता से ज्यादा बेहतर संवाद कर पाता है।  
  10. सिविल सेवक अपने मतों , पूर्वाग्रहों से ऊपर  उठ कर लोक हित में कार्य कर पाता है।  
  11. इसके चलते व्यक्ति में अहं भाव का विकास न होकर सदैव विनम्रता  , दयालुता  , परोपकार , सत्यनिष्टा  , ईमानदारी  जैसे गुणों का विकास होता है।  


रविवार, 1 नवंबर 2015

Good Governance in India

भारत में सुशासन के आधार 

  • पारदर्शिता - Transparent 
  • लोगो की पहुंच - 
  • सुचना का अधिकार - Right to Information
  • जबाबदेही - Accountability 
  • लोकपाल - 
  • सक्रिय न्यायपालिका - Active Judiciary 
  • प्रतिक्रियाशील - Responsive
  • सहभागिता - Participatory 
  • समावेशी - Inclusive 
  • विधि के शासन का अनुकरण - Follow the rule of law
  • दक्ष - Efficient 
आप चाहे तो मुख्य परीक्षा ( Ias Mains Exam ) में इन्हें प्रयोग करे , इन पॉइंट्स के आधार पर बहुत अच्छा निबंध ( Essay)  लिखा जा सकता है . 

सोमवार, 26 अक्टूबर 2015

Nolan Committee in Hindi


नोलन समिति ( ऑक्टूबर 1994 )

  1. निस्वार्थता  -selflessness-- लोक कार्यालय में किसी भी निजी वित्तीय लाभ से हटकर निर्णय लेना 
  2. सत्यनिष्ठा- Integrity  किसी भी तरह के दबाव्  से परे होकर कार्य करना 
  3. वस्तुनिष्ठता - Objectivity जो सबसे उचित और योग्य हो उसको चुनना 
  4. जबाबदेही - Accountability - अपने निर्णय के लिए जबाबदेह होना 
  5. पारदर्शिता- Openness - किसी भी तरह के छिपाव , गोपनीयता से हटकर लक्षित समूह को भागीदार बनाते हुए प्रशासन 
  6. ईमानदारी - Honesty - 
  7. नेतृत्व - Leadership 

रविवार, 13 सितंबर 2015

some ethical terms

वस्तुनिष्टता : किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से परे जा कर निर्णय / चयन करना ही वस्तुनिष्टता है .
यथा : एक महिला पुलिस अधिकारी , किसी पुरुष अपराधी को अगर मात्र उसके पुरुष होने से ज्यादा कड़ा रुख अपनाती है क्युकि उसे पहले से लगता है कि पुरुष अपराधी स्वभाव के होते है तो यहाँ पर महिला की वस्तुनिष्टता के बजाय आत्म्निष्टिता हावी है जोकि प्रशासन में स्वीकार्य नही है .
सत्यनिष्ठा : किसी भी परिस्थिति में अपने नैतिक निर्णय पर टिके रहना . किसी तरह के दवाब में निर्णय न बदलना .
यथा : अगर आप सत्यनिष्ट व्यक्ति है तो आप उस समय में जब आपको कोई देख नही रहा है तब भी आप किसी तरह के गलत कार्य नही करते है .
शिष्टाचार : वे मूल्य जो हमे अच्छे और बुरे में , सही व गलत में फर्क करना सिखाते है . यह व्यक्ति सापेक्ष होते है .
यथा : ईमानदारी ,
नैतिक दुविधा : एक ऐसी परिस्थिति जिसमे दो विकल्प में एक को अपने बनाये नैतिक आधार पर चुनना हो . किसी को भी चुनने पर दुसरे विकल्प से उत्पन्न दुविधा .
यथा : एक भूखे व्यक्ति द्वारा किसी दुकान से खाने के लिए चोरी करने के अपराध पर निर्णय देना . हमे पता है कि उसने चोरी करके के अपराध किया है पर क्या पता उसकी क्या मजबूरी रही हो . इस तरह के केस में सजा सुनते वक्त कोई भी नैतिक व्यक्ति दुविधा में पड़ जायेगा .
मूल्य : ऐसे गुणों का समुच्य है जिन्हें हम जन्म से , परिवार से , समाज से अर्जित करते है यह एक प्रकार से हमारी मान्यताओ को दिखलाते है . यह सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों तरह के हो सकते है . वास्तव में यह व्यक्ति सापेक्ष होते है .
यथा : नाजी सेना द्वारा यहूदीयों का जनसंहार किया जाना उनके मूल्यों से चलते उन्हें अनैतिक नही लगता था . उस सेना के मूल्य ही ऐसे थे जिसके चलते वह ऐसे कृत्य करते थे .

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