बिम्सटेक के 20 वर्ष
हाल में ही नेपाल में बिम्सटेक के विदेश मंत्री स्तर की बैठक संपन्न हुयी। पिछले कुछ सालों में यह क्षेत्रीय संगठन भारत तथा पड़ोसी देशों के लिए सबसे लोकप्रिय , उपयोगी मंच बनकर उभरा है। 1997 में स्थापित यह बहुआयामी मंच , सार्क के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। विदित हो कि आंतकवाद, सम्पर्क के मसले पर पाकिस्तान के अड़ियल रुख के चलते सार्क की उपयोगिता कम होती जा रही है। पिछले सार्क की बैठक जोकि पाकिस्तान में होनी थी , भारत के साथ साथ श्रीलंका , भूटान के विरोध के चलते स्थगित हो गयी थी।
बिस्मटेक के नेपाल बैठक में आतंकवाद के प्रति कड़ा रुख अपनाये जाने , क्षेत्रीय सहयोग वृद्धि , शांति व स्थिरता के लिए मिलकर काम करने की बात कही गयी है। बिम्सटेक के इस साल अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूरे हो रहे है। इन दो दशकों में इस संगठन ने आपसी सहमति , सहयोग के मसले पर काफी प्रगति की है। विज्ञानं , तकनीक , क्षेत्रीय सुरक्षा , आतंकवाद , व्यापार , सम्पर्क जैसे महत्वपूर्ण मसलों पर काफी प्रगति हुयी है। 2014 में ढाका में इसका सचिवालय स्थापित किया गया था। 2016 में भारत ने गोवा में आयोजित ब्रिक्स देशों की बैठक के साथ इस संगठन के सदस्य देशो को आमंत्रित कर , इसके बढ़ते महत्व को प्रतिबिम्बित किया था।
बिम्सटेक , भारत की एक्ट ईस्ट , नेबरहुड फर्स्ट पालिसी के नजरिये से काफी महत्व रखता है। भारत , म्यांमार , थाईलैंड के बीच त्रिपक्षीय मार्ग बनाने की बात की जा रही है। भारत -म्यांमार -कलादान मल्टीमॉडल मार्ग को भी स्थापित किया जाना है। यह भारत के पूर्वोत्तर भाग में नए विकास -प्रगति के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। भारत ने इस साल साउथ एशिया सेटेलाइट को लांच किया है जो इस क्षेत्र के देशों को निःशुल्क उपग्रह सेवाओँ के लाभ प्रदान करेगा। आशा की जा सकती है कि भारत , इस मंच को अपने अनुभव , प्रगति को साझा करते हुए नई उचाईयों तक ले जायेगा।
आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।