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शनिवार, 14 जनवरी 2017

A story from Agra




पिछले दिनों मुझे किसी काम से Agra जाना हुआ . सुबह जब Ahmedbad से मेरी ट्रेन आगरा फोर्ट पर रुकी तो मैंने पाया इस शहर में बहुत ही ठंढ हो रही है . मै इसके लिए तैयारी से ही गया था . फोर्ट के बाहर जैसे ही आप निकलेंगे तो पाएंगे कि वहां पर बहुत ही ज्यादा भीड़ है . ऑटो वाले आपको प्लेटफोर्म से ही पकड़ने लगते है खैर यह तो हर जगह की कहानी है . बाहर निकल कर मैंने अपना उबेर एप ( डिजिटल इंडिया ) खोल कर देखा इस शहर की क्या पोजीशन है . पहले तो मुझे कुछ गाड़ी दिखी पर फिर बाद में न जाने क्या हुआ एप चला ही नही ( free jio service , न जाने कब धोखा दे जाये . ) 

फोर्ट स्टेशन से १०० मीटर की दुरी पर एक चौराहा है . वही से मुझे ऑटो पकड़ना था अपने एक रिश्तेदार के घर जाना था . बहुत भीड़ वाली जगह थी . चारो तरह लाइन से ऑटो खड़े थे . एक ऑटो में जा कर बैठ गया . 

(अब यहाँ से एक विचार मेरे मन में चलने लगा जो बड़ा ही रोचक है . आपको लगेगा यह गलत तरीका है पर फिर भी आप इसके लिए कोई सही तरीका नही सोच पायेगे . ) 

मै पीछे की सीट में बैठा था . मुझ को मिला कर ३ लोग बैठे थे . तभी एक लडकी आई पुरी तरह से पैक ( चेहरे को कपड़े से ढकना पता नही सही है गलत . यह तो कोई बुद्धिजीवी ही बता सकता है . आपको क्या लगता है ?) दूसरी साइड से आकर कुछ बोली . जब तक मै समझता ऑटो वाला लड़का आकर बोला कि आगे पीछे होकर बैठ जाओ  पीछे ४ लोग बैठते है . यह आगे पीछे वाला तरीका पहली बार नही सुन रहा था . पर शायद सालो बाद ऐसा करना पड़ रहा था . खैर आगे पीछे होकर सारे लोग सेट हो गये . आगे भी चालक को मिला कर ४ लोग थे . एक साइड २ सवारी , राईट साइड में १ सवारी . भगवान ही जाने वो कैसे बैठे थे . 

पिछली सीट में मेरे मन में बहुत सी चीजे चल रही थी . Smart City हम कितनी दूर खड़े है . मुझे एक चक्र महसूस हो रहा था . ऐसा तो नही है कि पुलिस , परिवहन विभाग के नजर में यह बात नही होगी . उनका हफ्ता बंधा होगा . एक चीज और भी सोचने वाली बात है कि लोग इस तरह की बदतर व्यवस्था को अस्वीकार क्यों नही करते . इसके पीछे भी वही बात है , हर कोई जल्दी में है . कोई बाद से ऑटो से नही आना चाहता है . अगर कोई चाहे भी तो कम से कम चौराहे से तो उसे ऑटो वाले नही मिलेंगे . उनका संगठन ऐसा न करने देगा . तो अपने देखा कि इस चक्र में हर कोई खुश लग रहा है . ऑटो वाले , यात्री , सरकार ( पुलिस, परिवहन विभाग ) . 

अब मान लो आप ऐसे किसी शहर में प्रशासक बन कर पहुचते हो तो आप एक चक्र को कैसे तोड़ोगे . क्युकी इसमें हर कोई खुश है . आपके नवाचारी परन्तु प्रक्टिकल सुझाव जरुर सुनना पसंद करूंगा . वैसे आपको भी आगे पीछे होकर बैठना  आता है कि नही . ( इसे ही desi bhasha me जुगाड़ कहा जाता है . ) 


Copyright _ Asheesh Kumar . 

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