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गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

Vienna Convention on Diplomatic Relations in Hindi

      Vienna Convention हाल में काफी चर्चित रहा है। भारत की एक राजनयिक Devyani khobragade   को अमेरिका में जिस तरह से बंदी बनाया गया वो Vienna Convention की भावना के अनुरूप नही माना गया।  यहाँ मै उस  के बारे में कुछ जानकारी share कर रहा हूँ। 

      इसे 18 अप्रैल 1961 में पारित किया गया था पर लागू  24 APRIL 1964 से किया गया।  इसमें  हस्ताक्षर करने वाले देशों के द्वारा दूसरे देशो के राजनयिकों को विशेष सुविधाए उपलब्ध करायी जाती है ताकि राजनयिक बगैर किसी डर के अपने मूल देश के हितो के बारे में पक्ष रख सके।  इसमें 53 प्रावधान है।  जून 2013 तक विश्व के १८९ देशो ने इसे अनुमोदित किया था। 


गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

SAVE MONEY EARLIER, ENJOY LIFE IN FUTURE

           


           अपनी संस्कृति में बहुत सी अच्छी बाते है। हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि बुजुर्गो का कहना मानना चाहिए। मुझे एक सज्ज्न की दी हुई सीख बहुत प्रभावी लगी।  शायद यह आपको भी बहुत अच्छी लगी ।

              इस जॉब से पहले मै लखनऊ में INDIAN ARMY ऑडिटर के पोस्ट पर job  करता था।  अपने शहर UNNAO से रोज ट्रैन से LUCKNOW जाता था।  ट्रेन में हर रोज नये नए लोग मिलते थे। सबके पास कुछ न कुछ विशेष हुआ करता था बात करने के लिये।  मुझे उनके बारे ठीक से याद नही पर उनकी सलाह हमेशा याद  रहेगी।  मेरी नयी नयी जॉब थी। मुझे अपनी सैलरी बहुत लगती थी।  २००० रूपये महीने से सीधे २२००० रुपए मिलने लगे तो ऐसा ही महसूस होता है। पर महीने के अंत में मेरे अकाउंट में कुछ भी न बचता था।  ब्रांड का भूत उन दिनों बहुत हावी रहता था।  Army  की कैंटीन से न जाने क्या क्या खरीद लिया करता था।  

            उस रोज अंकल जी ने एक बात कही थी कि बेटा अभी कुछ साल बहुत सभल कर खर्च कर लो आगे बहुत मौज करोगे।  कभी भी रूपये कि किल्लत न होगी। यह बात मेरे मन में बैठ गयी।  उस रोज से सिर्फ जरूरत कि चीजे लेने लगा। एक example के तौर पर मुझे job करते ४ वर्ष हो गये है पर bike २ महीने पहले ही खरीदी वो भी भाई के लिए।  मुझे उसकी जरूरत ही नही लगती है। ऐसी बहुत सी चीजे है पर सार यही कि जहाँ तक हो अपनी आवश्कताएं सीमित रखकर बहुत सकून पाया जा सकता है।  पिता जी कि  death  के बाद सब कुछ मेरे पर आ गया था पर सब कुछ धीरे धीरे ठीक होता गया।  आज सब कुछ बहुत  अच्छा है दोनों भाइयो को job मिल गयी है बहुत ही सस्ती पढाई करके वो दोनों ही जॉब पा गये है। 

               Economics  तो मैंने कभी नही पढ़ी पर उन अंकल जी कि सीख में सबसे बड़ी इकोनॉमिक्स economics नजर आती है।  मुझे लगता है मुझे शायद ही कभी पैसे की किल्ल्त हो। बहुत अच्छा लगता जब किसी यार दोस्त को मै हेल्प कर पाता  हूँ खास कर जिनसे मै कभी उधार लिया करता था। अंकल जी पता नही कहा है पर मेरा जीवन तो सदा उनका आभारी रहेगा।

  © आशीष कुमार 
मेरी कुछ रोचक पोस्ट

मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

PERSONALITY DEVELOPMENT




जिंदगी में कई बार ऐसे मुकाम आते है जब आपको कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ते है। आप से कोई सहमत नही होता है न घर न परिवार न यार न रिश्तेदार। सभी आपको को आसान, परम्परागत रास्ता चुनने को कहते है सलाह देते है। परम्पराओ को तोडना आसान नही होता है। अगर आप लीक से हटकर विकल्प को चुनते है तो आपको बहुत सा विरोध , तरह तरह कि बाते सुनने को मिलती है। आप के सामने या पीठ पीछे कहा जाता है कि पगला गया है , दिमाग खराब हो गया है, सटक गया है ( अवधी में) . और अंततः आप का साहस खत्म हो जाता है। चाह कर भी आप अपने तरीके से नही जी पाते है। प्राय : दूसरो की इच्छाओ का पालन करने में ही जीवन समाप्त हो जाता है।

रूसो ने लिखा है कि मनुष्य स्व्तंत्र पैदा होता है पर हमेशा जंजीरो में जकड़ा रहता है। हममे से कुछ लोग ही इन जंजीरो को तोड़ पाने का साहस जुटा पाते है। कभी ऐसे इंसान से आप मिले जिसने हमेशा परम्पराओं को तोडा हो। वह आपसे हमेशा यही कहेगा कि पहले पहल आपका खूब विरोध होगा पर जब आपके निर्णय सही साबित होने लगेगें सब आप के साथ आ जायगें।( किसने सोचा था कि आम आदमी मुख्यमंत्री को हरा देगा )

एक उम्र तक हम अपने माता पिता के अनुशासन में रहते है और रहना भी चाहिए। हमे पता नही होता है कि क्या उचित है और क्या अनुचित ? पर एक समय के बाद आपके विचारो में टकराव होना शुरू हो जाता है। पिता कहते है कि बेटा तुमसे न हो सकेगा ( गैंग्स ऑफ़ वसेपुर के रामधीर सिंह कि तरह ) .आप मन ही मन सोचते है कि तुम अभी देखना मै क्या कर दिखाऊगां।

पाओ कोहलो लिखते है कि आप तब तक स्व्तंत्र है जब तक आप विकल्प नही चुनते। एक बार आप ने विकल्प को चुना आप कि स्व्तंत्रता खत्म हुई। विकल्प कैसा ही हो आप को उसे सही साबित करना ही होगा।

वो जो लीक पर चल रहे है या चलने जा रहे है उनसे सहानुभूति जतायी जा सकती है। और वो जो परम्पराओ को तोड़ कर , सबकी बातो ,सलाहो को अनसुना कर अपने अनुसार , अपनी शर्तो पर , अपने बनाये नियमों पर , चल रहे है या चलने जा रहे है उनसे क्या कहा जाय। …… दोस्त जिंदगी तो आप ही जी रहे हो बाकि तो सब केवल जिंदगी काट रहे है।

© आशीष कुमार , उन्नाव उत्तर प्रदेश। 

UPSC INTERVIEW


हॉबी 


प्रायः हॉबी के बारे में दो ही बार सोचना पड़ता है या तो कही इंटरव्यू देना हो या फिर शादी का मामला हो ..........मुझे कुछ रोचक वाकिये याद आते हैं . पहले शादी से जुड़े . मेरे गुरु कम भइया जी की शादी की कही बात चल रही थी . भाई जी को साहित्य में बहुत गहरी रूचि थी . पता चला कि लड़की को भी ऎसी ही रूचि थी . भाई जी बहुत खुश हुए कैंसिल। एक और करीबी दोस्त कि वाइफ बहुत होनहार लगी। दोस्त ने बताया कि उसे पेंटिंग से बहुत गहरा लगाव है। मुझे भी सुनकर अच्छा लगा। शादी के बाद वो बहुत सी पेंटिंग भी साथ लेकर आयी थी। जब भी मै मित्र से मिलने जाता उन तस्वीरो को बहुत चाव से देखता। तस्वीरे वाकई सुन्दर थी। शादी के कई बरस बीत गये पर नई तस्वीरे न बनी। एक बार मैंने उन महान कलाकार से इस विषय पर बात की तो उनका कहना था कि शादी के बाद टाइम कहाँ रहता है ? सच ही तो कह रही थी वो। पर अफ़सोस एक रोज मैंने उन तस्वीरो को एक दुकान में थोक के भाव बिकते देखा तो वास्तविकता का पता चल गया।


अब कुछ वाकिये इंटरव्यू से जुड़े हो जाये। शुरुआत संघ लोक सेवा आयोग से कर रहा हूँ। मैं अपनी बारी कि प्रतीक्षा कर रहा था कि साथी काफी परेशान होकर बोर्ड रूम से बाहर निकले। पता चला कि उन्होंने अपनी हॉबी में लिखा था कुकिंग। इंटरव्यू लेने वाली मैडम ने उनसे पूछा कि बोलो नागालैंड, जम्मू, गुजरात और केरल में कौन से तैल में खाना पकाया जाता है ? जाहिर है परेशान होने वाली बात ही थी। आईपीएस में चुने गये एक दोस्त कि हॉबी थी बाँसुरी बजाना। बाद में उनसे जब मै मिला तो भाई साहब ने बताया कि उनको भी हॉबी को लेकर इंटरव्यू में असमंजस का सामना करना पडा था उनसे जुड़ा एक रोचक प्रश्न याद आ रहा है। उनसे पूछा गया कि क्रिकेट एक मूर्खो का खेल है क्या आप इससे सहमत हैं।


वैसे आज की तनाव भरी दुनिया में वो लोग खुसनसीब हैं जो अपनी हॉबी को वक़त दे पाते हैं।मुझे खशी इस बात कि रहती है कि मेरे उच्च अधिकारी हमेशा अच्छे ही मिलते हैं। कस्टम में इंस्पेक्टर बनने के बाद सबसे पहले सुपरिंटेंडेंट राठौड़ के अधीन काम करने का अवसर मिला। सर से मुझे बहुत सी अच्छी बाते सीखने को मिली। सर की एक बात हमेशा याद आती है। सर ने कहा था कि आशीष इस जॉब में रहना है तो कोई न कोई हॉबी जरुर रखना, ऑफिस की टेंसन से बचे रहोगे। सर खुद एक प्रसिद्ध वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हैं।

जहाँ तक अपनी हॉबी के बारे में सोचता हूँ तो बचपन से मुझे नोवेल पढने का बड़ा शौक रहा है। अपने ग्रेजुएशन के दिनों तक मेरी छवि कुछ ऐसी ही थी। मौरावाँ के लाइब्रेरी से लेकर उन्नाव की दोनों लाइब्रेरी के हमेशा दो दो मेम्बरशिप कार्ड हुआ करते थे। रात दिन एक ही काम था नोवेल पढना। सच में वो दिन बहुत खूबसूरत थे। सुबह शाम कुछ स्टूडेंट को तुअशन पढ़ाना और बाकि टाइम अपने मन से अपनी जिंदगी जीना। अब नोवेल तो ऑनलाइन खरीद तो लेता हु पर पढने का पहले जैसा आंनद कहा।


डायरी लिखने का शौक क्लास ८ से ही शुरू होगया था। आज भी डायरी लिखी जा रही पर नियमित नही लिख पाता हुँ। सार यही कि जॉब में आने के बाद अपनी हॉबी को जारी रख पाना काफी मुश्किल होता है पर एक सफल और सुखद जीवन जीने के लिए , हॉबी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। लेख तो बहुत लम्बा होता जा रहा है पर अब विराम लेता हूँ। शेष भाग फिर कभी। आपकी कि टिप्पणियो का स्वागत रहेगा।

©Asheesh 

गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

WILL POWER

          सफलता में दृढ़ इच्छाशक्ति  का महत्व यदि हमारा लक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण है तो हमें इसके महत्व को सदैव स्मृत रखना चाहिये। इच्छा जितनी प्रबल होगी हमारा प्रयास उसी अनुपात में गहरा होगा। मार्ग के अवरोधकों को समझिये, वक्त में अपने लक्ष्य को पा लीजिये। शिथिलता लाने से प्राय: हमें असफलता ही मिलती है। अपनी निश्चय क्षमता को पुन: प्रबल करिये ऐसे निर्णय लेना प्रारभ्भ करें कि आप डिगे  नहीं। शनै: शनै: अपनी शक्ति  का नमूना दिखार्इ पडेगा।


HINDI BHASHA

       भारतीय संस्कृति को हिन्दी द्वारा ही विश्व तक पहुंचाया जा सकता है किंतु भारतीय संस्कृति विश्व में तब तक प्रतिषिठत नहीं हो सकती है जब तक हिंदी अपने देश में प्रतिषिठत नहीं होती

                                                                               फादर कामिल बुल्के

भारत के बाहर हिन्दी बोलना आसान है, भारत में नहीं।


                                                                           अटल बिहारी बाजपेर्इ

बुधवार, 10 जुलाई 2013

लघु कथाः गिरगिट

लघु कथाः गिरगिट
आशीष कुमार

गिरगिट आमतौर पर पेड़ों या झाडि़यों पर नजर आता है, पर उस दिन सिंह साहब के लाॅन में जाने कहाॅ से आ गया था। उस समय सिंह साहब लाॅन में बैठकर एक गभ्भीर समस्या पर विचार कर रहे थे। सुबह पत्नी का नर्सिंग होम से फोन आया था, कह रही थी ‘‘ जाॅच करा ली है। इस बार भी लड़की है, अबार्सन करवा लें क्या?‘‘ पूछा था। दो लड़की पहले से ही हैं और अब फिर ! समस्या वाकई गम्भीर थी। इतने बड़े शहर के एस.पी. रहते सिंह साहब का कितने ही अपराधियों से सामना हुआ था, कभी परेशान नहीं हुए। आज पसीना आ रहा था।

अरे ! सिंह साहब चैंक गये, गिरगिट यहाॅं कहाॅं से आ गया? अजीब होता है यह! कभी इस रंग में कभी उस रंग में! सिंह साहब ने गिरगिट को भगाना चाहा पर जाने क्या सोचकर रूक गये। शायद वह गिरगिट को रंग बदलते देखना चाह रहे थे।

  पर वह समस्या़...........! वैसे जहाॅं दो लड़कियाॅ हैं वहाॅं एक और सही। यॅू भी आजकल लड़का लड़की में भेद कहॅ रहा। भ्रूणहत्या होगी तो पाप भी सिर पर आयेगा। पर .....लड़के की बात ही कुछ और होती है।

अरे! गिरगिट ने वाकई रंग बदल लिया था। सिंह साहब गिरगिट को हरी घास के रंग में देखकर चकित हो गये। किस फिराक में है यह! पास में जरूर कोई शिकार होगा।

सिंह साहब ने पुनः सोचा-आजकल लड़की को पालना पोसना कितना कठिन हो गया है। सबसे कठिन शादी करना। कंगाल हो जाउॅगा मैं दहेज चुकाते चुकाते।सिंह साहब ने सिगरेट ऐश ट्रे  में कुचल दी।

गिरगिट ये किस रंग में हो गया है कुछ लाल पर पीलापन लिये। अरे हाॅ पास में ही तो वह झींगुर है।शायद उसे ही खायेगा.... । सिंह साहब ने उठकर गिरगिट को कुचल देना चाहा। पर.......छोड़ो भी, खाने दो। सभी खाते हैं, इस बेचारे का तो भोजन है। सिंह साहब पुनः कुर्सी पर बैठ गये।

......आजकल तो बेटा होना ही सबसे बड़ी सम्पत्ति है। लड़का होना तो आजकल स्टेटस सिम्बल भी बन चुका है। कितनी आशा थी मिसेज सिंह को। इस बार जरूर लड़का होगा। कितनी ही बार कह चुकी थी। गिरगिट ने अपनी करीब एक फुट लम्बी जीभ निकालकर झींगुर को निगल लिया। सिंह साहब ने यह भी देखा। जाने क्या सोचा। तभी मोबाइल की रिंगटोन बज उठी।

मिसेज सिंह कह रही थी-‘‘ अबार्शन करा लिया।‘‘ सिंह साहब प्रसन्न हो गये। पत्नी ने समाजशास्त्र में पी.एच.डी. की है। इस बात का अहसास आज वास्तव में हो रहा था।

(अविराम त्रैमासिक में प्रकाशित) 
©Asheesh Kumar

बुधवार, 26 जून 2013

Weekend Tour : Aaksherdham Temple , Gandhinagar




पिछले सप्ताहांत अपने सहकर्मी मुकल के साथ मउडी जैन मन्दिर गया था। इस मन्दिर की खास बात यह है कि यहाॅ जो प्रासाद मिलता है उसे मन्दिर में खाना होता है वापस आते समय अपने कपड़ों को भी साफ़ करके आना होता है।वापस लौटते समय अमरनाथ वाटर पार्क गया। गाॅधीनगर से बाहर जंगल के बीच बना यह वाटर पार्क अपनी सुन्दरता के लिये दूर दूर तक जाना जाता है।


फिर गाॅधीनगर के विश्व प्रसिद्व अक्षरधाम मन्दिर गया। यहाॅ मैं दूसरी बार गया था। इस बार वी आई पी गेट से प्रवेश करने का अवसर मिला तो काफी समय बच गया। मन्दिर बहुत ही सुन्दर, आकर्षक और शान्त वातावरण वाला है। इसका निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि कितनी ही भीड़ क्यों न हो यहाॅ पर कभी अव्यवस्था न फैले। शाम को लेजर शो देखा। बहुत ही मनोरम दृश्य थे। तकनीक और आध्यात्म के अद्भुत संगम का परिचायक है यह लेजर शो।सच में यह एक शानदार,यादगार सप्ताहंात था।

Baba Nagarjun Ki kvita,

कविता : बाबा नागार्जुन



 ताड़ का तिल है तिल का ताड़ है
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है
किसकी है जनवरी किसका अगस्त है
कौन यहाॅ सुखी है कौन यहाॅ मस्त है।
 सेठ ही सुखी है सेठ ही मस्त है।
मंत्री ही सूखी है मंत्री ही मस्त है।
उसी की जनवरी है उसी का अगस्त है।

जनता मुझसे पूछ रही है क्या बतलाउ
जनकवि हॅू मैं साफ कहुॅगा क्यूॅ हकलाउ।।

जनकवि बाबा नागार्जुन द्वारा रचित

शुक्रवार, 21 जून 2013

लग्गड़ की दौड़

लग्गड़ की दौड़
आशीष कुमार

             राग दरबारी में एक पात्र है लग्गड़। जो कि तहसील में एक दस्तावेज की नकल पाने के लिये महीनों चक्कर लगाता है। नकल देने वाला बाबु कुछ रिश्वत की माॅग करता है न मिलने पर लग्गड़ को चक्कर लगवाता रहता है।

           कुछ ऐसा ही घटित हुआ हमारे साथ। 19 जून 2010 को मेरे पिता जी की आकस्मिक मृत्यु हो गयी थी। सरकारी योजना के तहत परिवार को एकमुश्त 20000 रू की मदद मिलनी थी। उस वक्त धन की वाकई बहुत जरूरत थी। फार्म भर दिया गया। अच्छा गाॅव में कुछ व्यक्ति इस तरह की दौड़ भाग में बहुत दक्ष होते है। कई लोग बता गये कि पाॅच सात हजार खर्च कर दो हम दिलवा देगें। मै उन्नाव जिले के मुख्यालय में काफी समय से रह रहा था। मुझे यकीन था कि कुछ न कुछ जुगाड़ कर मै रिश्वत देने से बच जाउगाॅ। उन्नाव के विकास भवन के पास में ही मै रहता था। अपने कनिष्ठ बन्धु को मैने समझा दिया कि रोज विकास भवन जाकर बाबू से मिलते रहो एक न एक दिन काम जरूर हो जायेगा।

            वर्ष 2010 के अंत से शुरू हुई दौड़ भाग अनवरत चलती रही। हमने भी सोच रखा था कि रिश्वत नही देनी है पैसा मिले चाहे न मिले। मैं सरकारी सेवा में आ गया। परिस्थितियाॅ काफी बदल चुकी थी। अब पैसा का कोई मतलब न था पर दौड़ भाग जारी थी। मेरे छोटे दोनो भाई चक्कर काटते रहे पर पैसा न मिला। बाबू ने भाई से एक मार्कर भी माॅग लिया।एक भाई ने दिमाग लगा कर सूचना के अधिकार के तहत दबाव बनाना चाहा। पता नही उनकी आर टी आई कहीं दूसरे विभाग पहुॅच गई। इससे भी बात न बनी। 

            कनिष्ठतम भाई ने अभय ने हार कर एक बाबू से रिश्तेदारी निकाली उनको 500 रू दिये। यह वर्ष 2012 की बात है। कई बार धन उन्नाव से गाॅव की बैंक तक भी पहुॅच गया पर बैंक मैनेजर ने उसे पुनः उन्नाव भेज दिया। समझ न आ रहा था किया क्या जाय। 

             घटनायें बहुत है उनका विश्लेषण किया जाना यहाॅ सम्भव नही। एक आम आदमी तक किसी सरकारी योजना का धन पहुॅच पाना बहुत कठिन है। विशेषकर जब आप लग्गड़ की तरह नियम से सरकारी काम कराना चाहे। 19 जून 2013 को पिता जी के निधन को 3 वर्ष हो गये। भाई ने खबर दी आज ही पूरे 20000 रू बैंक में माता जी के खाते में आ गये हैं।

                   विडम्बना यही है कि कभी इतने रू मेरे परिवार की वार्षिक आय भी न हुआ करती थी। सोचिये उस वक्त इस सहायता की कितनी जरूरत थी। आज यह मेरे 15 दिन का वेतन है। अब इसका मूल्य नहीं।
  यक्ष प्रश्न यह है कि क्या प्रशासन आने वाले लग्गड़ों की दौड़ को आसान कर सकेगा ? 

©ASHEESH KUMAR, UNNAO

संत और बेरोजगार

               बहुत रोज से कुछ लिखना चाह रहा था पर लिख न पा रहा हॅू क्योंकि अब चिंतन मनन के लिये समय न मिल पाता है। कुछ पुरानी प्रकाशित रचनाओं को ही सोचा डिजटिल रूप में एकत्र कर लूॅ।इसी कडी़ में एक लघु कथा प्रस्तुत है। यह दैनिक जागरण में 2003 में प्रकाशित है। वर्ष 2008 में दैनिक जागरण की साहित्यिक वार्षिकी ’पुनर्नवा’ में इसका पुर्नप्रकाशन हुआ है।

लघु कथा :संत और बेरोजगार 

             विजय जी बेरोजगार थे। अविवाहित थे। आयु चालीस पार कर चुकी थी। इस पर वह बहुत सनकी थे। एक महफिल में किसी से उलझ गऐ। ज्यादातर लोग विजय जी की बात स्वीकार कर लेते थे पर वह न माना। वह भी बेरोजगार था। तर्क पर तर्क करता चला गया। विजय जी को अपशब्द भी कहना शुरू कर दिया। आखिरकार विजय जी ही शान्त हो गये। वह भी लड़-झगड़ कर महफिल से चला गया। उसके जाने के बाद विजय जी अपने रंग में आ गए। उसे पीठ पीछे जमकर कोसा। अन्य लोगों से कहने लगे मुझ जैसे संत को गाली दी है, इसकी या इसके परिवार में कोई मौत के करीब है। उस बेरोजगार को विजय जी की बातें जाननें को मिल गयी पर वापस उलझनेे नहीं आया।

महीने भर बाद बेरोजगार के अध्यापक पिता मर गए, दिल का दौरा पड़ा था। बेरोजगार खुश था क्योंकि उसे अपने पिता की जगह नौकरी मिल गई थी। नौकरी मिलते ही बेरोजगार सभ्य हो गया। विजय जी के अहसान को बेरोजगार ने भुलाया नहीं। उसकी कोशिशों से विजय जी कोसने वाले संत के रूप में विख्यात हो गए। 

©आशीष कुमार

बुधवार, 19 जून 2013

Change In Hindi Language




पिछले दिनों जब घर  उन्नाव गया तो पड़ोस के एक मित्र ने कहा और ब्रो ........ जब तक मै कुछ समझता बन्धुवर ने पूछा कैसे हो डयूड.........। अब भाषा का ऐसा रूप देख कर बडा़ आश्चर्य हुआ। मुझे लगा मै रहता हूॅ मेगा सिटी में तो बन्धु मुझसे इतनी अपेक्षा तो कर ही सकते थे कि मैं ब्रो और डयूड जैसे आधुनिकता दर्शाने वाले शब्दों को प्रयोग कर ही रहा होउगाॅ। नही मित्र ऐसी शब्दावली मेरे बस की नही। बस डर इस बात का है कि बोली से ही भाषा उपजती है और आने वाली हिन्दी भाषा का रूप विकृत न हो जाय. 

आज के समय में हर कोई आधुनिक बनने , दिखने की कोशिश में लगा है। पता नहीं हमको क्या हो गया है कि हम अपनी जड़ो को भूलते जा रहे है। दरअसल पश्चिमी संस्कृति में इस तरह लिप्त हो गए है कि हम अपने संस्कारो को ही भूलते जा रहे हैं। अपनी बोली , भाषा की मिठास , भला अंग्रेजी क्या मुकाबला कर पायेगी। इसलिए जब तक जरूरी न हो हिंदी में बात करना ही उचित होगा।  

रविवार, 3 मार्च 2013

HUMAN RIGHTS UNO



मानव अधिकारों की  सार्वभौम घोषणा के बारें में एक दिन मैने पढा था कि यह विश्व में सबसे अधिक डाउनलोड किया जाने वाला है। यह घोषणा संयुक्त राष्ट् की पाॅच आधिकारिक भाषाओं में उपलब्ध कराया गया है।सौभाग्य से यह हिन्दी में भी इन्टरनेट पर उपलब्ध है। यहाॅ पर मैं उसका सार प्रस्तुत कर रहा हूॅ।  इस घोषणा में कुल 30 अनुच्छेद हैं।
अनुच्छेद 1. सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है।
अनुच्छेद 2. इन अधिकारों को प्राप्त करने में जाति वर्ण लिंग भाषा धर्म राजनीति या अन्य विचार प्रणाली किसी देश या समाज विशेष में जन्म सम्पत्ति या किसी प्रकार की अन्य मर्यादा आदि कारण भेदभाव का विचार न किया जायेगा।
अनुच्छेद 3. प्रत्येक व्यक्ति को जीवन स्वाधीनता और वैयक्तिक सुरक्षा का अधिकार है।
अनुच्छेद 4. गुलामी प्रथा का निषेध।
अनुच्छेद 5. शारीरिक यातना का निषेध।
अनुच्छेद 6. हर किसी को हर जगह कानून की निगाह में व्यक्ति के रूप में स्वीकृति प्राप्ति का अधिकार है।
अनुच्छेद 7. कानून की निगाह में सभी समान हैं।
अनुच्छेद 8. सभी को बुनियादी अधिकारों के प्रति राष्ट्ीय अदालतों की कारगर सहायता पाने का हक है।
अनुच्छेद 9.किसी को मनमाने ढंग से पकडने  नजरबन्द या देश निष्कासित न किया जायेगा।
मैं और अनुच्छेदों को फिर कभी पोस्ट करूगाॅ। यहाॅ पर उस लिंक को दे रहा हूॅ जहाॅ स्वतः सारे अनुच्छेदो को न केवल पढ सकते हैं वरन् उसे हिन्दी मे डाउनलोड कर सकते हैं।








शनिवार, 2 मार्च 2013

सिविल सेवा की तैयारी के दौरान शिथिलता से कैसे बचे ?





आज की गलाकाट प्रतिस्पर्धा  में success  केवल उनको ही मिलती है जो बगैर रूके अपनी preparation  लगातार करते रहते है। बहुत बार आप ने ias topper के Interview में इस बात को जरूर पढ़ा होगा कि सफलता के लिये बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है। हम प्राय बहुत मेहनत से तैयारी करते है। तरह तरह के plan बनाते है। सोचते है कि अब बहुत हुआ मैने बहुत वक्त बर्बाद किया । अब मैं बहुत गम्भीर तैयारी करूगा। आप ऐसे करते भी है। पर कुछ दिन बाद आप पाते है कि बदलाव तो कुछ हुआ नही । कहने का तात्पर्य यह कि आपको बोरियत होने लगती है। चाह कर भी जोश बरकार नही रहता है। इस वर्ष सिविल सेवा की नोटिस की देरी ने कितने ही साथी मित्रों की तैयारी ठप कर दी । हर कोई सोच रहा है कि नोटिस आ जाये तो तैयारी शुरू की जाय। मै यहाॅ पर कुछ बिन्दु दे रहा हूॅ सम्भव है कि कुछ आपको मदद मिल जाये।
  1. मित्रों सबसे पहली बात की बदलाव मुख्य परीक्षा में होने जा रहा न कि प्रारम्भिक परीक्षा में । बेहतर होगा कि किसी बात का इंतजार न करके प्रारम्भिक परीक्षा की जमकर तैयारी शुरू कर दी जाय।
  2. पिछले दो वर्ष के अनुभव बताते हैं कि प्रारम्भिक परीक्षा में दुसरे प्रश्नपत्र का महत्व ज्यादा दिया जाना चहिये। काफी हद तक आप चयन द्वितीय प्रश्न पत्र के प्रर्दशन पर निर्भर करता है।
  3. हाल में BUDGET और ECONOMIC SURVEY  सरकार ने प्रस्तुत किये है। इन तथ्यात्मक प्रश्न तो नही आते है पर इनको आप निबंध और मुख्य परीक्षा में निश्चित ही उपयोगी पायेगें।
  4. क्यो न इनका बिदुवार नोट्स बना डाला जाये। 
  5. हिन्दी भाषी दोस्तों के लिये द्वितीय पेपर में अनिवार्य अग्रंजी के प्रश्न बहुत समस्या बन रहै है। प्रायः 9 , 10 प्रश्नों में हिन्दी माध्यम की प्रतिभागी 5 या 6 प्रश्न कर पातें है। नतीजा 8 से 10 अंको का सीधा नुकसान। मुझे लगता है कि इस  समस्या से निपटने के लिये अच्छी तैयारी की जाय । 

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

DOWNLOAD ALL NCERT BOOKS HINDI AND ENGLISH


जैसा कि मैने पहले जिक्र किया था कि संघ लोक सेवा आयोग की तैयारी हेतु  बहुत उपयोगी होती है। यहाॅ पर उन्हें आसानी से डाउनलोड करने का मैं लिंक दे रहा हूॅ। इन किताबो को डाऊनलोड कर लीजिये।  


अगर आप को पहले ही अटेम्ट में सफलता how to get success in first attempt पानी है तो इस ब्लॉग में लिखी MOTIVATIONAL POST  पढ़ना मत भूले। 









नोट : अगर आप भी हिंदी प्रेमी है तो प्लीज इस ब्लॉग को अपने मित्रो को शेयर करे , पोस्ट को फेसबुक पर शेयर , ईमेल सब्क्रिप्शन ले और सबसे जरूरी अपने महत्वपूर्ण कमेंट देना मत भूले। आप की राय मेरे लिए महत्वपूर्ण है।  यह मुझे और अच्छे पोस्ट लिखने के लिए प्रेरित करेगी। 

गुरुवार, 31 जनवरी 2013

TIPS FOR ENGLISH


अंग्रेजी के खण्ड की तैयारी के लिये कुछ टिप्स।


1. अपनी शब्दावली को मजबूत करें। इससे आप बच नही सकते । यदि इस बिन्दु की लापरवाही आपके सपने को चूर कर सकती है।



2. प्रतिदिन कुछ नयें शब्दों को सीखें। इसे अपनी पाकेट डायरी में नोट भी करते चलें। पेन्सिल से नोट करें जब आप उन शब्दों से अच्छी तरह से परिचित हो जायें । डायरी से उन शब्दों को हटा दीजिये।


3. अगला चरण है व्याकरण का ज्ञान।आप अपने स्तर से इसे तैयार करे।


4. आपको अंग्रेजी  के मुहावरे आदि से परिचित होना पडेगा। पिछले वर्ष एक प्रश्न इसी के चलते मुश्किल हो गया था।


5. अनुवाद करने की आदत विकसित कीजिये। नियमित तौर पर किसी समाचार पत्र, पत्रिका से 10 वाक्यों का अनुवाद हिन्दी में करने की कोशिश कीजिये।


6. किसी अंग्रेजी समाचार पत्र का नियमित अध्ययन करिये। यह बिन्दु इतने बाद इसलिये क्योंकि यह आसान काम नही है।पेपर पढना तभी अच्छा जब आप उपर के बिन्दुओ  पर परिश्रम करना प्रारम्भ कर चुके हो। किसी के कहने में आकर द हिन्दु जैसे पेपर को पढना न शुरू कर दीजिये। कुछ भले जोश में आप समय देकर इसे समाप्त कर दें पर शीघ्र ही आप यह महसूस करेंगें कि आप समय बहुत जा रहा है और आपको लाभ बहुत कम।


7. इसलिये अंग्रेजी की तैयारी बहुत ही क्रमबद्व तरीके से करिये।


8. आप की यह क्रमबद्वता सिविल सेवा के तीनो ही चरणों मे सहायक होगी।


9. परीक्षा हाल में पहले प्रश्नों को पढें फिर पैरा को। यह ज्यादा सहज और सटीक तरीका होगा।


10. परीक्षा हाल में अपने चित्त को एकाग्र कर प्रश्नों को हल करें


11. पैरा पढते समय लेखक के भाव को समझने का प्रयास करे।


12. चारों विकल्पों को पढ कर ही उत्तर दीजिये।संघ लोक सेवा आयोग की खास बात यह है कि सही विकल्प के साथ ही उसका करीबी विकल्प जरूर रखता है।

© ASHEESH KUMAR ,UNNAO

मंगलवार, 29 जनवरी 2013

kurukshetra Notes


कुरूक्षेत्र जनवरी 2013 का अंक गावों में पेयजल और स्वच्छता पर केन्द्रित है। पहला पन्ना सहकारी समितियां को समर्पित है। यहाॅ पर आप इन समितियों के गठन का औचित्य और उपयोगिता को समझ सकतें है। यहा पर उस अंक सार प्रस्तुत कर रहा हॅॅू। आषा है यह न केवल  प्रारम्भिक परीक्षा में उपयोगी साबित होगी वरन् मुख्य परीक्षा के लिये उत्तर लेखन में सहायक होगी।
महत्मा गाॅधी ने कहा था कि स्वच्छता आजादी से महत्वपूर्ण है।
सिक्किम पूर्ण स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने वाला देष का पहला निर्मल राज्य हो गया है।
निर्मल ग्राम पुरूस्कार  सन् 2005 से संचालित कार्यक्रम है।
73 वें संविधान संषोधन अधिनियम 1992 के अनुसार स्वच्छता को 11वीं अनुसूची में शामिल किया गया है। 
के्रन्द्रिय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम सन् 1986 में ग्रामीण क्षेत्रों मंे स्वच्छता सुविधायें उपलब्ध कराने के लिये शुरू किया गया था।
के्रन्द्र सरकार ने भारत निर्माण योजना के तहत 2012 तक देष के सभी जिलों में शु¬़द्व पेयजल आपूर्ति का लक्ष्य निर्धारित किया था।
राष्टीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता निगरानी और सतर्कता कार्यक्रम फरवरी 2006 मे प्रारम्भ किया गया ।
कृपया इन बिन्दुओं पर गहन सारगर्भित जानकारी हेतु अंक को देखें।

सोमवार, 21 जनवरी 2013

 आप संघ लोक सेवा आयोग की  वेबसाईट पर जाने के लिये यहाॅ क्लिक करेें
UNION PUBLIC SERVICE COMMISSION

आप कर्मचारी चयन आयोग की  वेबसाईट पर जाने के लिये यहाॅ क्लिक करेें।
STAFF SELECTION COMMISSION

रविवार, 20 जनवरी 2013

SOME DIFFICULT HINDI WORDS FOR CESAT


यहाॅ पर मैं  CSAT PAPER II, HINDI COMPREHENSION     के लिये बहुत महत्वपूर्ण सामग्री दे रहा हूॅ। कृपया इन शब्दों को समझ कर आत्मसात करें।  आपकी इसमें दक्षता  HINDI COMPREHENSION में   बहुत सहायक होगी। इसे मैं समय समय पर UPDATE   करता रहूगाॅ। कुछ WORDS, FONT के चलते अशुद्ध  (WRONG) दिख रहे हैं इसके लिये मुझे खेद है समय आने पर इस कमी को दूर कर दूगाॅ।  



 संवाहक
 निर्वाह
 संवर्ग
 व्यापक 
 त्वरित 
 मानदेय
अंकक्षेण
 प्रावधान
 प्रायोजन
 आवास
 निस्तारण
 निवारण
 अवसंरचना
 संसाधन 
 वृष्टि
 भागीदारी
 अवगत
 सुमेलित
 आंकडा
 प्रविष्ट
 पारदर्षिता
 जबाबदेही
 ज्ञापन
 समन्वय
 विपणन
 वितरण
 दोहन
 सहभागी
 सर्वांगीण
 परिकल्पना  
पंजीकरण
  निष्पादित
  विमर्ष
   उजागार
   अखण्डता 
चुनिंदा
 निगरानी
 सार्थक
 समेकित 
मुद्रित
सम्बल
 अभिनव
   निर्वहन
 पाबंद
 उन्नयन
वाकिफ
 स्वेच्छा
   सहभागिता
 समागम
  प्रखण्ड
  प्रचुर 
 पर्याप्त 
 बहुतायत
 वजह
 तमाम 
उपयुक्त 
संस्करण
 प्रकोप
  श्राव
  वनस्पतिक
  दूषित
 पद्धति
 समुदाय
 जनकेन्द्रित 
 संचयन 
 आपूर्ति 
  अभियान
 सहयोजित
 आधारभूत
  हितग्राहियों 
संप्रषेण
  बीड़ा 
घनिष्ठ
 संक्रामक
 इतिश्री 
 अवरूद्ध 
  भूमिगत 
उपागम 
विविरणात्मक
 स्वावलम्बी 
भयावह
  विसर्जित
  सघन
  वरीयता 
बहाली 
त्वरित 
  परवान
  अहमियत
  निजात 
समीक्षा
 आगाह
 फीसदी
 पुख्ता 
प्रजातिया
 श्रमजीवी
VERY SOON I WILL GIVE ABOVE MENTIONED WORDS SYNONYMS AND THEIR ENGLISH MEANING.  
    

USEFUL TIPS FOR FCI MAINS


कर्मचारी चयन आयोग (STAFF SELECTION COMMISSION )

भारतीय खाद्य निगम (FOOD CORPORATION OF INDIA   द्वारा  आयोजित  मुख्य परीक्षा (MAINS) के लिये महत्वपूर्ण सुझाव:


  • सर्वप्रथम बचे हुये शेष  दिनों को अपनी प्राथमिकता के अनुसार विभाजित कर लें।



  •  इस परीक्षा में सिर्फ गणित और अंग्रेजी के प्रश्न आयेगे।  इसलिये कुछ दिनों के लिये इन दोनो विषय पर अपना FOCUS करें।



  • हिन्दी माध्यम के लिये अंग्रेजी बहुत बडी चुनौती है इस के SPECIAL रणनीति अपनाये।



  • गणित का आप का प्रदर्शन  आपके अन्तिम चयन में सहायक होगा। कृपया गणित के नये भाग की तैयारी के लिये आवश्यक  सामग्री एकत्र कर, उसका खूब अम्यास करें। यहाॅ पर अंगेजी माध्यम के विद्यार्थीयों से आप बढ.त ले सकते है।



  • बात को मत भूले कि आप की गणित तैयारी कितनी ही अच्छी हो । आप को अन्तिम चयन  के लिये अंग्रेेजी में औसत पदर्षन करना ही होगा। मानक पुस्तकों से आप सटीक सामग्री निकालकर उसका दोहराव करें। जमकर करें। रात दिन एक कर दें। हर पल आपके जेहन में सिर्फ परीक्षा हाल की छवि रहे।



  •  अगर सम्भव हो कही पर इस परीक्षा के अनुरूप कुछ टेस्ट आदि में प्रतिभाग कर लीजिये। पर ख्याल रहे कि आप का महत्वपूर्ण समय जाया न हो।



  • परीक्षा हाल में अपना धैर्य बनाये रखे। पेपर को कठिन देख कर अपना संतुलन न खो दे।



  • बहुत तेजी से कठिन QUESTIONS को नजरन्दाज करते हुये उन प्रष्नो हल करें जिन को आप घर में बहुत बार हल कर चुकें है।



  • यह एक मनौवैज्ञानिक तरीका है आप जैसे सरल QUESTIONS को हल कर लेगें आप में आत्मविष्वास मे आ जायेगा। इसके बाद आप कठिन प्रश्नो  को बहुत ही आसानी से हल कर मे स्वयं को सक्षम पाएंगे।

  •  अगर इस के विपरीत कठिन प्रश्न  मे अगर प्रारम्भ मे ही जूझने लगे। तब क्या कहूॅ , परीक्षा हाल से निकल कर खीज से भरे होगें और यह कहेगे कि मै कर सकता था बस समय कम पड गया बाद में बहुत आसान  प्रश्न थे।

  • यहाॅ पर यह भी स्पष्ट कर दूॅ कि यह सीरीज पर निर्भर करता है कि आप को पहले कठिन प्रश्न  दिखते या सरल। जैसा हो उसके अनुरूप आप  अपनाये। इस बात से निश्चित  रहे अगर आप ने ईमानदार तरीके से तैयारी की है तो आप के अनुरूप प्रश्न जरूर मिलेगंे।


  • दोस्तो , भगवान  पर अगाध विश्वास  रख कर ईमानदारी से प्रयास करे। कर्मचारी चयन आयोग ने आज तक कभी भी मेहनती ईमानदार से लगे रहे युवा को कभी निराश  नही किया है।


शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

HOW TO START PREPARATION, SOME USEFUL TIPS



आज के युग  में शायद ही ऐसा कोई युवा हो जो सिविल सेवा की गरिमा से परिचित न हो।प्रायः हम सभी इस के बारे में जानते है पर सही मार्गदर्शन  के अभाव में हिन्दी माध्यम से प्रतियोगी अपने शुरूआत के प्रयास यूॅ ही गवाॅ देते है और जब अनुभव होता है तक बहुत देर हो चुकी होती है। यहाॅ पर मैं कुछ सुझाव प्रस्तुत कर रहा हॅ जो आपकी प्रारम्भिक तैयारी में बहुत सहायक सिद्ध होंगे

1. सबसे पहले जरूरी है सिविल सेवा के सभी चरणों के बारे आप परिचित हो। यहाॅ पर अपेक्षा कर रहा हॅू आप को इस के बारे में जानकारी है यद्यपि भविष्य की पोस्ट में उक्त विषय पर सम्पूर्ण चर्चा करूगा।

2. आप सर्वप्रथम पूर्व वर्षों के हल पश्न  पत्रों का संकलन खरीद लीजिये।इसको आप समझने का प्रयास करिये। याद रखिये ये प्रष्न शायद ही दोहराये जाये पर आप यह तलाश  करने की कोशिस  कीजिये कि पश्न  की प्रकृति क्या है और ये कहाॅ से आ रहे है? यहाॅ पर स्पष्ट कर दूॅं कि पिछले 4 वर्षो से सामान्य अध्ययन के प्रश्नो  की NATURE विषिष्ट तौर पर से ध्यान दीजिये। एक ही पश्न में चार तथ्य डालकर  पश्न पूछने की बढ़ती प्रवृत्ति को आत्मसात करने की कोशिस कीजिये।

3. कक्षा 11 व 12 की एन.सी.आर.टी. की इतिहास, भूगोल,अर्थव्यवस्था आदि पुस्तकों को पढकर अपनी समझ विकसित करें।

हिन्दी माध्यम के छात्रों केा प्रथम प्रश्न  पत्र हेतु निम्न पुुस्तकों का अध्ययन अपरिहार्य है।

क. इतिहास के लिये बी.एल. ग्रोवर की पुस्तक
ख. भूगोल माजिद हुसैन एवं रमेष सिंह टी.एम.एच. प्रकाषन
ग. भारतीय अर्थव्यवस्था रमेष सिंह टी.एम.एच. प्रकाषन
घ. भारतीय राजव्यवस्था   एम. लक्ष्मीकांत
च. पर्यावरण हेतु इराक भरूचा की पुस्तक यू.जी.सी. 

यह सूची अन्तिम नही है पर मैं अधिक पुस्तकों की सुची देकर भ्रमित नही करना चाहता।उक्त पुस्तकों बारे में इतना ही कह सकता हॅं कि इतने अस्थिर दौर में भी इन पुस्तकों से कई प्रश्न  हाल के वर्षो में पूछे गये है।इस में इक बहुत ही परिचित पुस्तक को आप शामिल कर ले।लूसेंट सामान्य अध्ययन।मैने कभी इस पुस्तक को महत्व नहीं दिया पर अप्रत्यक्ष तौर पर इसकी प्रासगिकता बनी हुई है।
4. उक्त पुस्तकों का जितनी अधिक बार हो अध्ययन कर लीजिये। ये मुख्य परीक्षा के लिये भी समान रूप से उपयोगी है
(DEAR FRIENDS I AM SO SORRY DUE TO SOME FONT PROBLEM, HERE YOU CAN SEE SOME MISTAKE ,BUT PLEASE TRY TO UNDERSTAND MY MESSAGE . AS SOON AS POSSIBLE, I CAN SOLVE THE PROBLEM.) 

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

HOW TO CONTINUE YOUR PREPARATION IN HINDI WORKING IN NON HINDI STATE



              अगर आप गैर हिन्दी भाषी राज्य में JOB कर रहे हो तो हिन्दी की सामग्री  (HINDI MATERIAL)मुश्किल से मिल पाती है। अगर सौभाग्य से आप के शहर में कोई कोई ऐसा विक्रेता है भी तो आप नियमित तौर पर वहा जा नही सकते। योजना(YOJANA),कुरूक्षेत्र जैसी मूलभूत पत्रिकायें आपको शायद की मिल सकें। इस लेख में उक्त समस्याओं से निपटने के लिये कुछ सुझाव प्रस्तुत है। यह लेख उन मित्रों के लिये भी समान रूप से सहायक होगा जो दूर दराज के परिवेश में रह है। जहाॅ तैयारी का न तो महौल है न ही सहायक सामग्री की उपलब्धता।


1. सर्वप्रथम आप योजना , कुरूक्षेत्र का कोई अंक खरीदे। उसमे सदस्यता फार्म (SUBSCRIPTION FORM )  मिल जायेगा। आप ने निश्चित ही इसे देखा होगा पर शायद ही आपने विचार किया हो यह आप की एक बडी समस्या का हल है। क्योंकि इसे भरना बहुत उलझन भरा लगता है साथ भी यह डर लगता है पता नही समय से डाक से पत्रिका मिल भी सकेगी। दोस्तों , इसको आप भर कर पास के डाकघर(POST OFFICE) चले जाइये। 100 रू का पोस्टल आर्डर लीजिये। वछित जानकारी भर कर भेज दीजिये। दूसरे या तीसरे माह से आप के ये पत्रिकायें घर पर प्राप्त होने लगेगीं। 


2. अगर आप की साहित्य में अभिरूचि है तो आप इस सूची में आजकल पत्रिका को भी शामिल कर लीजिये। प्रकिया पूर्व जैसी ही है। तीनों पत्रिकायें  भारत सरकार के प्रकाशन विभाग (PUBLICATION DIVISION) से निकलती है । इनका मूल्य सामग्री की तुलना में नगण्य है। तीनों ही पत्रिकाओं का घर पर पाने का स्वानुभव है। बहुत ही अच्छा महसूस होता है नयी पत्रिका को पाकर। 


3. विज्ञान प्रगति को भी ऐसे मगा सकते है  इनको मगाॅना इस मायने में आसान है क्योकि ये पोस्टल आर्डर (POST ORDER) को स्वीकार करती है जिसको बनवाने में सिर्फ 5 मिनट लगते है।

4. इसको साथ ही आप इण्टरनेट से भी बहुत सा मैटर डाउनलोड कर सकते है। बहुत जल्द आपको मैं इसके बारे में बताउॅगा। मेरी एक सलाह है आप डाउनलोड की हुई सामग्री को हार्ड कापी में ही  पढे। 

5. आप कही भी जाॅब कर रहे हो समय निकाल कर दिल्ली के मुखर्जी नगर का चक्कर लगाते रहे। इलाहाबाद में भी आप को न्यूनतम दामों में सिविल सेवा की हिन्दी में प्रमाणिक सामग्री मिल जायेगी। दिल्ली में आप को कुछ नामचीन कोचिग संस्थानों के नोटस की कापी आसानी से मिल जायेगी।


6. आज के दौर में इण्टरनेट के माध्यम से भी आप हिन्दी में नामचीन पुस्तके मगाॅ सकते है। यह सब बहुत आसान है। सबसे अच्छी बात यह है कि आप को भुगतान HOME DELIVERY    के बाद करना है। 

आपको ये पोस्ट कैसी लगी ? कृपया टिप्प्णी करना न भूले।  आप  धन्यवाद 

जाब करते हुये सिविल सेवा की तैयारी कैसे करे।

           
ANSWER WRITING TIPS BY IRA SINGHAL , IAS TOPPER 2015
ESSAY WRITING TIPS IN HINDI BY IRA SINGHAL , IAS TOPPER 2015
ONE RANK ONE PENSION ( POINT WISE NOTES )
Interesting story of IRA SINGHAL , IAS TOPPER 2015
Act East Policy
My reward : a sweet message from our reader....
Payment Bank
some ethical terms

               Hindi Medium  से तैयारी कर रहे मित्र में प्रायः एक बात समान होती है।वह पहले अपनी आजीविका की सुरक्षा पहले करते है। उचित भी है क्यांकि CIVIL SERVICE में अन्तिम चयन पाना बहुत अनिश्चित  है।आज  की post अपने  उन साथियों को समर्पित है जो job करते हुये तैयारी कर रहे है।

1. सर्वप्रथम आप अपना संकल्प बहुत मजबूत करिये।आप इस आपाधापी में स्वयं को न रखिये कि गृहस्थी बसा ली जाय या तैयारी की जाय।

2. Student Life और Government Service में आने के बाद के जीवन में बहुत अन्तर आ जाता है।कृपया इस बात का विशेष  ध्यान रखें कि आप GOVERNMENT JOB में आने के बाद उन अभावों की पूर्ति में करने में अपना समय जाया तो नही कर रहे है जिन से आप छात्र जीवन में वचिंत रह गये थे।दोस्त, कुछ दिन और सही आप अपना STUDENT LIFE जारी रहने दीजिये।

3. एक विशेष बिन्दु की चर्चा अवश्य  करना चाहुगा अगर आप की जाब किसी गैर हिन्दी भाषी राज्य में है तो तैयारी का माहौल  कैसे बनाये।

4. Job में आने के बाद आप के पास की  आर्थिक समस्या का हल तो हो जाता है पर आप के पास समय का अभाव हो जाता है। ऐसे में आपको अपना अधिक से अधिक Time सिविल सेवा पर क्रेन्द्रित अनिवार्यतः करना होगा।

5. अपनी प्राथमिकता स्वयं तय करना होगा।इसपर विशेष जोर होना चाहिये की आप अपना बहुमूल्य समय मोबाइल,फिल्मं,या फिर मित्र मण्डली की अनावश्यक  चर्चा पर जाया न करें।

6. मैं एक ऐसे मित्र से परिचित हू जो परीक्षा के दौरान अपना  face book account  निष्क्रिय कर देता था।आज वो सिविल सेवा में उच्च स्थान पर चयनित है।मेरी सलाह कि social networking से यथासम्भव बचे।

7. जहा तक हो सके इन्टरनेट से पढाई करने से बचे।इसमें समय बहुत जाया होता है और फल बहुत कम।इसका प्रयोग सिर्फ facts की जाच करने के लिये करें।

सिविल सेवा की तैयारी के दौरान शिथिलता से कैसे बचे ?


8. अपने अवकाश  का बहुत अच्छे से सदुपयोग करें। week -end  का use कोई पुस्तक समाप्त करने में उपयोग करें तो भोजनावकाश का उपयोग newspaper पढने में कर सकते हैं।अगर आपका कार्यालय आने में बहुत समय लगता है तो आप अपने सफर में bbc के माध्यम से प्रमाणिक समाचार सुन सकते है।इसके लिये आपको एक स्मार्टफोन smartphone की आवश्यकता  होगी।आप मनचाहे समय पर बगैर अवरोध के इस सेवा का निःशुल्क  लाभ उठा सकतेहै।


fort william college/ फोर्ट विलियम कॉलेज
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How to develop hobby ?
Tashkent agreement
story of childhood


9. अगर आप OFFICE में कुछ सामग्री पढते नजर आये तो सम्भव है आप के उच्चाधिकारी या सहकर्मी टोकें।पर आप यदि कुछ लिखते नजर आतें है तो शायद ही कुछ कहें।सिविल सेवा में सफलता के लिये नियमित लेखन अम्यास अपरिहार्य है।आप कुछ  न  कुछ नियमित तौर पर लिखतें रहे। भविष्य  में सम्भव हुआ तो  एक पोस्ट लेखन की अपरिहार्यता पर प्रस्तुत करूगा।


10. नियमित तौर पर आत्मविष्लेषण करते रहे। स्वमूल्यांकन में ईमानदारी से अपनी कमियों पर चिन्तन कर उन्हें दूर करने का प्रयास करे।

इतिहास के टॉपिक

अंग्रेजी के खण्ड की तैयारी के लिये कुछ टिप्स।

© ASHEESH KUMAR ,UNNAO , 

बुधवार, 16 जनवरी 2013

USEFUL TIPS FOR CSAT PAPER II IN HINDI


मेरे सामने दो स्थितियाॅ है एक मैं उनके लिये लिखुॅ जो अभी नये है अभी सिविल सेवा में प्रतिभाग करने को सोच रहे है और दूसरे वो मित्र जो काफी अनुभवी है उनके पास सीमित अवसर बचे है। मेरी वरीयता दूसरे वर्ग को अधिक है। हिन्दी माध्यम के मित्रों के साथ एक विशेष समस्या होती है वह है अफवाहों की समस्या। इस समय हम  उलझन में कि मुख्य परीक्षा का प्रारूप क्या होगा ? क्या विषय हटा दिये जायेगंे या फिर पूर्व जैसा ही प्रारूप रहेगा । यहाॅ पर मेरा यही कहना है कि किसी प्रकार का भ्रम न रखते हुये आप प्रारभिक परीक्षा पर अपना फोकस करे। 2 फरवरी 2013 को संघ लोक सेवा आयोग की विज्ञप्ति में सब स्पष्ट हो जायेगा।
    प्रारभ्भिक परीक्षा का विश्लेषण से स्पष्ट है कि हिन्दी माध्यम के प्रतियोगियों को पेपर 2 में अधिक चुनौती का सामना करना पड रहा है। अंग्रेजी के पैरा की बात छोडिये, हिन्दी के पैरा का भाव स्पष्ट ठीक तरीके से नही हो पा रहा है। वजह है हिन्दी पैरा का अनुवाद अंगे्रजी अनुच्छेद से ही कर प्रस्तुत किया जा रहा है। ऐसे में अनुवाद का भाव बहुत ही कठिन तथा उलझन भरा होता है। मैंने इस समस्या से निपटने से कुछ बिन्दु पर विचार किया। आशा है ये आप के  लिये कुछ सहायक होगंे।
1. सर्वप्रथम दोनो वर्ष के सीसैट के पेपर से अपनी हिन्दी की शब्दावली तैयार करें। एक ओर हिन्दी के शब्द , दूसरी ओर उनका अंग्रेजी शब्द। 
2. सच तो यह है कि हम हिन्दी और अंगेजी को पढते पढते दोनो ही भाषाओं के कुछ शब्दों के भाव को उचित तरीके से समझे बगैर ही पढनें के आदी हो गये है। इसके चलते अनुच्छेद का भाव टूट जाता है नतीजा होता है प्रश्न हल करते समय परेशानी। इस लिये आवश्यक है कि अपनी पठन गति को उस स्तर पर ही रखें जहाॅं आप सहजता से भाव को पकडते हुये चल सके।
3. पढने में अजीब लगे पर समय की माॅग है कि आप अपनी हिन्दी की एक पाकेट डायरी बनाये जिसमें आप हिन्दी के शब्दों को नोट करना शुरू कर दीजिये।
4. मेरी कोशिश रहेगी कि आप को इस ब्लाग में सरसता, सहजता के साथ परीक्षा अनुरूप शब्दावली का प्रयोग कर आप को उस माहौल के अनुरूप वातावरण प्रदान करूॅ।
5. प्रायः आप को यह सलाह दी जाती है कि आप विविध विषयों का अध्ययन करें। पर सीसेट के अनुरूप विषय कहाॅ से मिले? विभिन्न पत्रिकाओं यथा योजना, कुरूक्षेत्र के लेख तथा जनसत्ता जैसे समाचार पत्र के सम्पादकीय काफी सहायक हो सकते है।
6. एन.सी.आर.टी. की पुस्तकों को पढना और उनके परिभाषिक शब्दों को नोट करना काफी सहायक होगा।
7. आम बातचीत में धीरे धीरे परिभाषिक शब्दों का प्रयोग करना प्रारंभ करें।

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हिन्दी माध्यम से सिविल सेवा में  सफल होने वाले अभ्यर्थीयों का प्रतिशत दिनों दिनों कम होता जा रहा है। जब से  CESAT  आया है तब से स्थिति और नाजुक होती जा रही है। हिन्दी के लिये वह GOLDEN PERIOD था जब KIRAN KAUSHAL , IAS TOPPER जी ने हिन्दी माध्यम से तीसरी रैंक पायी थी। पिछले दशक में हिन्दी माध्यम की स्थिति ठीक ठाक कही जा सकती है। अमूमन हिन्दी माध्यम का TOPPER 50 रैंक के अन्दर हुआ करता था। पिछले वर्ष 2011 के RESULT बहुत चैकाने वाला था प्रथम 100 चयनित सिविल सेवकों में मात्र एक अभ्यर्थी ही हिन्दी का था। यही नहीं समस्त SELECTED  सिविल सेवकों में हिन्दी माध्यम से सफल अभ्यर्थीयों की संख्या बहुत कम पर सिमट गई।
      वजहें कई हैं और उनका विश्लेषण करना भी आवश्यक है। कितनी विडम्बना की बात है कि भारत की सर्वप्रमुख भाषा की उपस्थिति सिविल सेवा में बहुत कम है। सिविल सेवा के माध्यम से ही POLICY MAKER चुने जातें है। कल जब चयनित सिविल सेवक भारत के सर्वोच्च पदों पर कार्य करेगें तो हिन्दी का उद्वार भला कैसे होगा। हम में बहुत से ऐसे व्यक्ति है जिनका HINDI और ENGLISH  पर समान अधिकार है। ऐसे मित्रों से सअनुरोध है कि वह मेरे विचारों और उद्वेश्य को सहयोग प्रदान करें । 
1935
जयपुर में एक दोपहर
आईएएस २०१५ की नोटिस
montagu chelmsford act 1919
INDIAN FREEDOM ACT 1947
वो भूरी आखो वाला लड़का
स्टेम सेल या मूल कोशिका
IAS EXAM 2015
इको टोन
सी बैकथोर्न
ग्राफीन
आईएएस प्री के लिए कुछ महत्वपूर्ण टॉपिक ( दूसरा भाग )
Accredited Social Health Activist) - ASHA
हड़प्पा संस्कृति का उद्भव और विकास
Most Important History Topics for UPSC
बौद्ध धर्म
आधुनिक भारतीय इतिहास के ५० महत्वपूर्ण टॉपिक
मध्यकालीन भारतीय इतिहास के 20 महत्वपूर्ण टॉपिक
5 सबसे महत्वपूर्ण किताबे

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