परम उपद्रवी बद्री
कुछ लोग जन्मजात प्रतिभा के धनी ( born talented ) होते है। बद्री को भी ऐसा माना जा सकता है। बद्री हम उम्र के थे और बहुत ही हुनर मंद। गावं में ऐसा कोई काम न था जो बद्री न कर पाये। कुएं में गिरी बाल्टी को निकलने से लेकर कैथे के पेड़ पर चढ़ने तक हर काम ने दक्ष थे। बद्री भी अपने गोलू के तरह अकेले बेटे थे पर उनकी कहानी अलग थी। बद्री दिन में government school में पढ़ने के बाद शाम को अपनी भैंसे भी खेतों को चराने के लिए ले जाते थे। शाम को लौटते वक़्त जब सभी की भैंसे , जानवर तालाब से निकलते नही थे तब बद्री ही तालाब में घुसकर सबकी भैंसे निकलते थे।
अगर किसी बिजली के खम्बे का बल्ब fuse हो गया तो बद्री ही खम्बे में चढ़कर उसे सुधारा करते थे। अब इतनी अच्छी बातो के बावजूद भी उनको परम उपद्रवी को दरजा भला क्यू मिला था . उसके पीछे थे गावं के कुछ बुजुर्ग। मेरी समझ में नही आता था बद्री को उनमे क्या खुरापात नजर आती थे।
गांव में जब नौटंकी / राम लीला होती तो बद्री शाम को ही अपनी , अपने पड़ोसियों की पल्ली, बोरे, चटाई आदि लेकर पहुंच जाते थे। जब तक मै गांव में रहा बद्री की चटाई सबसे आगे ही बिछती रही। गांव में रामलीला भी हुआ करती थी। मै भी देखने जाता था अक्सर वहां जाकर सो ही जाता था। अपने बद्री ही, जब धनुष टूटने वाला होता था सबको पानी डाल कर जगा देते थे।