कतर संकट : खाड़ी देशो में बढ़ता तनाव
सोमवार को सऊदी अरब के नेतृत्व में बहरीन ,मिश्र , यमन , लीबिया , सऊदी अरब अमीरात ने कतर से अपने राजनयिक सम्बन्ध तोड़ने की घोषणा की। इन देशो ने कतर पर मुस्लिम ब्रॉदरहुड से सम्बन्ध रखने का आरोप लगाया है। वस्तुतः इस घटना को इतने सरल तरीके से नहीं देखा जा सकता है। खाड़ी देशो में तनाव की मुख्य वजह शिया -सुन्नी तनाव रहता है जो समय समय पर अलग अलग रूप में उभर कर सामने आता रहा है। कतर ने पिछले दिनों ईरान के पक्ष में अपना ज्यादा लगाव दिखाया है। पहले कतर ने अमेरिका और सऊदी अरब पर ईरान के साथ ज्यादती के आरोप लगाए थे फिर ईरान में हसन रूहानी के पुनः राष्टपति के पद पर चुने जाने पर उन्हें टेलीफ़ोन पर बधाई दी थी। ईरान और सऊदी अरब के बीच लम्बे अरसे से सम्बन्ध तनावपूर्ण रहे है.
कतर ने दोनों देशो के बीच के तनाव का फ़ायदा लम्बे समय से उठाता रहा है। इस बार उसे शायद अपनी उक्त कूटनीति का नुकसान उठाना पड़े। 2022 में कतर में फुटबाल का विश्वकप का आयोजन होना है। इसके लिए वहां पर बड़े स्तर पर निर्माणकार्य शुरू है। इसके लिए जरूरी सामग्री सऊदी अरब के रास्ते से होकर जाती है। ऐसा लगता है कतर को इस मुद्दे पर काफी समस्या झेलनी पड़ सकती है।
भारत को बहुत सावधानी से इस मुद्दे पर अपनी नीति की घोषणा करनी होगी। कतर और सऊदी अरब दोनों ही देश भारत के लिए कच्चे खनिज तेज व गैस उपलब्ध कराते है साथ ही यह देश , भारत के प्रवासी मजदूरों के लिए बड़े गंतव्य भी है. कतर ने हाल में ही काफला प्रणाली को खत्म करने की घोषणा की थी। इससे भारत के प्रवासी मजदूरों के लिए , क़तर में कार्य करने के लिए और बेहतर अवसर मिलने लगे थे। खाड़ी देशो के बीच बढ़ता तनाव भारत के आर्थिक हितो के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।