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रविवार, 10 जून 2018

Be alert

आप सतर्क रहना

एक बात है जो मुझे काफी घुटन दे रही है। दरअसल पिछले दिनों एक कोचिंग से फोन आया, मेरे हिंदी साहित्य के नंबर पूछे और फ़ोन रख दिया। बताने की जरूरत नही कौन कोचिंग हो सकती है। यह सच है कि मैंने वहां  mains की टेस्ट सीरीज जॉइन की थी , पर मुझे लगता नही कि उनको मेरे नंबर का क्रेडिट लेना चाहिए और उसके नाम पर अन्य लोगों को अपनी टेस्ट सीरीज जॉइन करवाने का व्यापार करना चाहिए।
7 टेस्ट की सभी उत्तर में सिर्फ very good, और good के अलावा कोई रिमार्क नहीं । बहुत ज्यादा असंवेदनशील है वो। fee का कोई reciept भी न दी। मुझे बस देखना था कि क्या वो सर्विस टैक्स चार्ज कर रहे है और क्या वो उस पर टैक्स भी भर रहे है। बातें तमाम है क्या क्या कहूँ। हिंदी साहित्य में दूसरा विकल्प भी बहुत दुखी करने वाला है, वो कॉपी खुद चेक करते है पर मॉडल उत्तर नही उपलब्ध कराते । जहां मैंने जॉइन की थी वो किसी नए लड़के से ही कॉपी चेक कराते है और उसे fee भी शायद बहुत कम देते है।
ये अनुभव इसलिए हुए क्योंकि मैंने gs के लिए विज़न की टेस्ट सीरीज जॉइन की थी। fee reciept तुरंत मेल कर दी। कॉपी में खूब रिमार्क देते थे। पता चला कि वो एक कॉपी चेक करने के 800 रुपए देते है। स्टूडेंट से 1000 से 1200 per टेस्ट फी लेते है और बड़ा हिस्सा कॉपी चेक करने वाले को दे देते है।

हिंदी माध्यम में प्रचार प्रसार में पैसा फूक देंगे पर क्वालिटी के नाम पर कुछ न करेंगे। यही बड़ा कारण है कि हिंदी माध्यम की कोचिंग तो अमीर होती जा रही है पर रिजल्ट गिरता जा रहा है।

अपने हिंदी के अंकों का बड़ा श्रेय इग्नू के नोट्स, कुछ अच्छी किताबों के साथ गहरी रुचि, हिंदी लेखन की आदत को ही दूंगा। आप व्यापार करने वाली जगहों में फंस मत जाना। उनके असंवेदनशील व्यवहार को आप हमेशा कोसते रहोगे। मुझे इस बात की हमेशा खुशी रहती है कि मैंने कभी उनके भीड़ वाले class room प्रोग्राम का हिस्सा न था।

मंगलवार, 24 जनवरी 2017

Hindi sahitya for ias mains : Novels

आईएएस के लिए हिंदी साहित्य में कुल 4 novel पढ़ने है ।
गोदान - प्रेमचंद्र
दिव्या  -यशपाल
मैला आँचल  -रेणु
महाभोज - मन्नू भण्डारी

चारों नावेल अपनी विषयवस्तु , भाषा शैली , उद्देश्य की दृष्टि से सरस, रोचक , प्रभावी व अनूठे है । इनका रचनाकाल भी उक्त क्रम में ही है । गोदान में भारतीय किसान की महागाथा , दिव्या में नारी स्वत्रंत्रता , मैला आँचल में भारतीय गावँ तथा महाभोज में राजनीति , खोखले लोकत्रंत की विद्रूपता का मार्मिक , सजीव , जीवंत सरस व मन पर अमिट प्रभाव छोड़ने वाला वर्णन है ।

मंगलवार, 31 मई 2016

दिनकर की कविता मे राष्ट चेतना


दिनकर की कविता मे राष्ट चेतना 
  1. भावों के आवेग प्रबल
        मचा रहे उर में हलचल    रेणुका 
  2. पूछेगा बूढ़ा विधाता तो मैं कहूँगा
        हाँ तुम्हारी सृष्टि को हमने मिटाया।
  3. रे रोक युद्धिष्ठिर को न यहाँ
        जाने दे उनको स्वर्ग धीर
        पर फिरा हमें गांडीव गदा
        लौटा दे अर्जुन भीम वीर।      
    हिमालय
  4. कितनी मणियाँ लुट गईं! मिटा
        कितना मेरा वैभव अशेष
        तू ध्यानमग्न ही रहा, इधर
        वीरान हुआ प्यारा स्वदेश।
  5. धर्म का दीपक, दया का दीप
        कब जलेगा, कब जलेगा
        विश्व में भगवान।     
    कुरुक्षेत्र
  6. दूध दूध ओ वत्स तुम्हारा दूध खोजने जाता हूँ मैं
        हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने आता हूँ मैं     
    हाहाकार
  7. चढ़ कर विजित श्रृंगों पर झंडा वही उड़ाते हैं।
        अपनी ही उँगली पर जो खंजर की जंग छुड़ाते हैं।
  8. सारी दुनिया उजड़ चुकी है गुजर चुका है मेला;
        ऊपर है बीमार सूर्य नीचे मैं मनुज अकेला।          
    अंतिम मनुष्य-सामधेनी'
  9. आशा के स्वर का भार पवन को लेकिन लेना ही होगा
        जीवित सपनों के लिए मार्ग मुर्दों को देना ही होगा।
  10. कलम आज उनकी जय बोल !
        जला अस्थियाँ बारी बारी
        छिटकाई जिनने चिनगारी
        जो चढ़ गए पुष्प वेदी पर लिए बिना गरदन का मोल              
    'हुंकार

यह पोस्ट भी आईएएस के लिए हिन्दी साहित्य विषय लेकर तैयारी कर रहे मित्रो के लिए है । ऊपर लिखी लाइंस इधर उधर से साभार कॉपी किया है । दिनकर भी इन दिनो यूपीएससी के काफी म्हत्वपूर्ण हो गए है । लाइंस अगर याद रहेगी तो बाकी आप लिख ही लेंगे । 

शुक्रवार, 27 मई 2016

यशपाल का " झूठा सच"


यशपाल का " झूठा सच"



  • भारत विभाजन की मार्मिक अभिव्यक्ति 
  • दो भागो मे -1 वतन और देश 2 देश का भविषय 
  • प्रमुख पात्र - जयदेव पूरी ,उसकी बहन तारा , उसकी प्रेमिका कनक , मास्टर राम लुभाया , इनके बड़े भाई राम ज्वाला , डा. प्राणनाथ ,
  • पहला भाग लाहौर की कथा है तो दूसरे में दिल्ली 
  • सम्प्रदायिक दंगे , उसकी पृवत्ति कथा का सटीक विवरण है।  
  • यशपाल जी  ने  कलम को माध्यम बना कर अपने भोगे यथार्थ को उकेरा है 
  • इस नावेल में तत्कालीन समाज के हर पहलू पर नजर डाली गई है।  
  • स्त्री विमर्श की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण 
  • श्यामा जो की ३३ की होकर भी अविवाहित है उसका सम्बन्ध डे  से  है जोकि विवाहित है 3 बच्चों का पिता भी है।  
  • इस नावेल की भाषा बहुत  सरल और प्रवाहमयी  है  . कथानक बहुत  लम्बा होते हुए भी उबाऊ नहीं है क्योंकि  भाषा जनजीवन की भाषा है।  



  • झूठासच में सच को कल्पना से रंग कर उसी जन समुदाय को सौंप रहा हूँ जो सदा झूठ से ठगा जाकर भी सच के लिये अपनी निष्ठा और उसकी ओर बढ़ने का साहस नहीं छोड़ता। -यशपाल
  • ‘झूठा सच’ देश विभाजन और उसके परिणाम के चित्रण की काफ़ी ईमानदारी से लिखी गई कहानी है। पर यह उपन्यास इसी कहानी तक ही सीमित नहीं है। देश-विभाजन की सिहरन उत्पन्न करने वाली इस कहानी में स्नेह, मानसिक और शारीरिक आकर्षण, महात्वाकांक्षा, घृणा, प्रतिहिंसा आदि की अत्यंत सहज प्रवाह से बढ़ने वाली मानवता पूर्ण कहानी भी आपको मिलेगी। ‘‘...‘झूठा सच’ हिन्दी उपन्यास साहित्य की अत्यंत श्रेष्ठ और प्रथम कोटि की रचना है। - आजकल, अक्टूबर, 1959






    • फुटनोट :- पुराने दिनों में जब नावेल पढ़ने का बहुत  उत्साह था एक दिन उन्नाव के गांधी पुस्तकालय में वहाँ  के संचालक " मास्टर जी " ने मुझे पढ़ने के लिए "झूठा सच " दिया।  घर ले भी गया पर पूरा पढ़ न सका  . कुछ इसी तरह  भीष्म शाहनी कृत " तमस " के साथ भी हुआ था।  
      इन दिनों आईएएस  में कोर्स में यह दोनों न होते हुए भी इससे जुड़े प्रश्न पूछे जा रहे है।  हर बार इन प्रश्नों को हल करना काफी कठिन रहता है। उक्त लेख इधर उधर से सामग्री ले कर जुटाया गया है कुछ और जरूरी लेखो को आगे लिखने की कोशिश करुगा। अगर आप कुछ इसमें जोड़ सके तो कमेंट में लिखिए।  थैंक्स।  




















      शुक्रवार, 6 नवंबर 2015

      दिव्या : यशपाल का उत्कृष्ट उपन्यास

      दिव्या
      • 1945   में लिखित बौद्धकालीन उपन्यास 
      • ' दिव्या ' इतिहास नही , ऐतिहासिक कल्पना मात्र है 
      • इतिहास विश्वास की नही , विश्लेष्ण की वस्तु है . 
      • मनुष्य भोक्ता नही करता है . 
      • यशपाल जी मार्क्सवादी विचारधारा के लेखक है , इस नावेल में इसी विचारधारा की पुष्टि होती है।  
      • बौद्ध धर्म , हिन्दू धर्म की विसंगतियों का चित्रण , चर्वाक दर्शन को सबसे ज्यादा महत्व 
      • ' मारिश' के विचार , एक प्रकार से यशपाल जी के विचार है।  
      • ' जन्म का अपराध ? '  कथानक के शुरु मे ही पृथुसेन के द्वारा , एक महत्वपूर्ण प्रश्न को उठाया गया है।  
      • ' देवता का विधान केवल विश्वास और अनुमान की वस्तु है ' कह कर यशपाल अपने समय की जटिल प्रश्नों से जूझने की कोशिस करते है।  
      • ' मै वर्ण का न्याय नही , धर्म का न्याय चाहता हूँ '  पृतुसेन 
      • ' मुर्ख , तू ने और तेरे स्वामी ने परलोक देखा है ? यह विश्वास ही तेरी दासता है।  तू अपने पर स्वामी के अधिकार को स्वीकार करता है , यही तेरी दासता का बंधन है। ....... तू स्वत्रंत 'कर्ता'  है।  स्वत्रंता का अनुभव करना ही जीवन है----- चर्वाकवादी मारिश का कथन 

      रविवार, 11 अक्तूबर 2015

      NOVEL Mahabhoj : BY Mannu bhandari


      महाभोज 


      • 1979  में मन्नू भंडारी द्वारा रचित , 
      • रचनाकार ने अपने परिवेश के प्रति ऋण शोध के तौर पर लिखा है -
      • " घर में जब आग लगी तो। …… "  उस समय के समाज -राष्ट का स्पष्ट चित्र खीचने की आकांक्षा 
      • POLITICS , अपराध , MEDIA , POLICE की साठ -गाठ से किस तरह से लोकत्रांतिक मूल्य विघटित हुए है इसका सटीक वर्णन। 
      • " महाभोज " का अर्थ किसी की मौत पर दिए गए भोज  से होता है। इस NOVEL में बिसू  नामक  दलित की मौत  होती है। 
      • पर महाभोज उसकी मौत का न होकर , आजादी के बाद लोकत्रांत्रिक मूल्य , SOCIAL VALUE के विघटन का है।
      • INDIAN POLITICS का नग्न यथार्थ , राजनीति में जाति महत्व , 
      • राजनीति में अवसरवादिता ( राव , चौधरी ) , ELECTION में धन -बल का प्रयोग ( घरेलू कार्य योजना , सुकुल बाबू की बाद वाली सभा में रूपये और खाने के नाम पर भीड़ जुटाना )  , अयोग्य उम्मीदवार ( लखन ), पुलिसिया रॉब ( थानेदार ) , बयान लेने का दिखावा ( सक्सेना ) , मीडिया का बिकना ( मशाल के सम्पादक दत्ता बाबू  ) , बुद्धिजीवी वर्ग की  निष्क्रियता ( महेश बाबू ), दलित चेतना ( बिसू , बिंदा ) , शोषक वर्ग ( जोरावर सिंह ) , परजीवी वर्ग ( बिहारी भाई , काशी , पांडे जी ),  पदलोलुप नौकरशाह ( सिन्हा ) , विपक्ष की स्वार्थपूर्ण नीति ( सुकुल ) , ईमानदार राजनीति करने वाले का कोई मूल्य नही ( लोचन बाबू ) , सत्ता दल में की शक्ति एक व्यक्ति में , गैर लोकत्रांत्रिक ( दा साहब ) , 
      • संवाद बेहद चुस्त , चरम नाटकीयता की व्याप्ति , उचित गति में NOVEL आगे बढ़ता है।  
      • यथार्थ के चित्र होने के चलते नावेल में नकारात्मकता ज्यादा जगह दिखती है , इसके बावजूद , सक्सेना के माध्यम से एक आशा अभी जी जीवित है।  " अग्निलीक जो बिसू , बिंदा के बाद खत्म नही होती वरन सक्सेना में समा जाती है। 
      • लेखिका ने उन चिरकालिक मुद्दों को उठाया है जिससे नावेल की प्रासंगिकता सदैव बनी रहेगी। 
      •   " सरोहा " गावं पर शहर से नियंत्रित 
      • "मशाल" , गोदान के " बिजली " से तुलनीय  
      • लोचन बाबू  , मैला आंचल के " बावनदास " से तुलनीय , दोनों ही आदर्शवादी पर मुख्य धारा से परित्यक्त 
      • गोदान के " राय साहब " मैला आंचल के " विश्वनाथ " और महाभोज के " जोरावर सिंह " में समता , तीनो ही जनता का शोषण कर रहे है बस स्वरूप अलग अलग है।  
      • हरिजनों को जलाये जाना का इशारा , नागार्जुन ने भी ऐसी ही INCIDENT पर " हरिजन गाथा " लिखते है।    



      बुधवार, 7 अक्तूबर 2015

      GODAN : A NOVEL BY PREMCHAND



      गोदान


      • प्रेमचन्द्र द्वारा १९३६ में रचित , उनका अंतिम और MOST IMPORTANT NOVEL 
      • ग्रामीण संस्कृति , उत्सव , पर्व 
      • धार्मिक कुरीतियाँ , अशिक्षा , अन्धविश्वास 
      • महाजनी , उधार  लेने की प्रवत्ति 
      • ग्रामीण -शहर के मध्य का अंतर -गोबर की चेतना में बदलाव इसके चलते दातादीन को सिर्फ ७० रूपये देने की बात करता है 
      • परस्त्री गमन 
      • दलित चेतना -ब्राह्मण मातादीन को हरखू और चमारों  द्वारा हड्डी मुँह  में डालना 
      • बालमन का सूक्ष्म , सटीक चित्रण -रूपा और सोना के संवादों में 
      • JOINT FAMILY र का टूटना - गोबर को झुनिया का शहर ले जाना 
      • सास-बहू  का झगड़ा -झुनिया -धनिया 
      • उस समय की HEALTH सुविधाओं की कमी का जिक्र - धनिया के २ पुत्र बीमारी में मर गए 
      • तंखा -दलबदलू , दलाल वर्ग के प्रतिनिधि 
      • दहेज की समस्या - रायसाहब की बेटी का विवाह 
      • बेवजह की मुकदमेबाजी , कमीशनबाजी -राय साहब से खन्ना का कमीशन मांगना 
      • " मगर यह समझ लो कि  धन ने आज तक नारी के ह्रदय पर विजय नही पायी , और न कभी पायेगा।  "  मालती  का खन्ना को जबाब - प्रेम की व्याख्या 
      • मुहावरो का बहुलता से USE - अपना सोना खोटा तो सोनार  दोस , 
      • लोकगीत - हिया जरत रहत दिन रैन , आम की डरिया  कोयल बोले , तनिक न आवत चैन " होरी 
      • पूँजीवाद - जिंगरी सिंह जोर से हसा -तुम क्या कहते हो पंडित , क्या तब संसार बदल जायेगा ? कानून और न्याय उसका है , जिसके पास पैसा है। 
      • मुठी भर अनाज के लिए सिलिया -मातादीन में विवाद 
      • बाल विवाह , CHILD MARRIAGE 
      • बेमेल विवाह --नोहरी -भोला ( नोहरी ने मारे जूतों के भोला की चाँद गंजी कर दी.) मीनाक्षी ने दिग्विजय पर सटा सट हंटर जमाये।  
      • मरजाद - " खेती -बारी  बेचने की मै सलाह न दूंगी। कुछ नही है , मरजाद तो है। " दुलारी होरी से कहती है। धनियां -" यह तो गौरी महतो की भलमनसी है ; लेकिन हमें  भी तो अपने मरजाद का निबाह करना है। "  जरा सोच लेने दो महराज ! आज तक कुल में कभी ऐसा नही हुआ।  उसकी मरजाद भी तो रखना है। होरी का दातादीन से कथन जब वह रूपा का विवाह रामसेवक से करना चाहते थे। 
      • जवान रूपा का किसी लड़के से कोई RELATION  न बन जाये इसका भी डर होरी को है 
      • बेटा अपने पिता को लातो से मारता है वजह पिता ने बुड्ढे होने के बावजूद दूसरी शादी कर ली ( कामता -भोला प्रकरण )
      • नारी के मन का बहुत बारीकी से चित्रण - "नोहरी मर्दो को नचाने की कला जानती थी।  अपने जीवन में उसने यही विद्या सीखी थी। "
      • मिल मजदूर -हड़ताल की समस्या 
      • ह्दय परिवर्तन -गोबर का झुनिया के प्रति , खन्ना का गोविंदी के प्रति , मेहता का मालती के प्रति 
      • प्रेमचंद की परखी नजर का एक उदाहरन -" सिलिया जब सोना के घर रात में गयी तो उसे मथुरा ने रात में दबोचना चाहा " . मानव के चरित्र का जितना सटीक चित्रण गोदान में है उतना और कहाँ। मथुरा लम्पट न था फिर भी 
      • नारी परीक्षा नही प्रेम चाहती है - मालती मेहता से 
      • पीढ़ीगत अंतर - रायसाहब - रुद्र्पाल, होरी -गोबर 
      • " संकटों में ही हमारी आत्मा को जाग्रति मिलती है बुढ़ापे में कौन अपनी जवानी की भूलो पर दुखी नही होता " मिर्जा खुर्सेद के विचार , वेशाओ की नाटक मण्डली खोलना 
      • " जो अपना धरम पाले , वही  ब्राह्मण है , जो धरम से मुँह  मोड़े  , वही  चमार "- मातादीन के कथन में सामाजिक बदलाव की झलक 
      • गोदान में तात्कालिक भारत का सम्रग चित्र , देखा जा सकता है। 
      • सारा कथानक " मरजाद " यानि मर्यादा के परिधि में घूमता है , किसान टूट गया है फिर भी " मरजाद " के लिए विचलित है।  

      मंगलवार, 22 सितंबर 2015

      BHARTENDU MANDAL / भारतेंदु मंडल

      भारतेंदु मंडल
      •   भारतेंदु हरिश्चंद के समय लेखक और कवियों का एक GROUP तैयार हो गया था जो आपस में साहित्य लेखन पर चर्चा , परिचर्चा करता था . इसे ही हिंदी साहित्य के इतिहास में भारतेंदु मंडल कहा जाता है . 
      • इसके MEMBER में भारतेंदु हरिश्चंद , प्रताप नारायण मिश्र , बालकृष्ण भट्ट , ठाकुर जगमोहन सिंह , अम्बिका चरण व्यास , राधा चरण गोस्वामी , बद्री नारायण चौधरी 'प्रेमघन ' आदि थे . 
      • आधुनिक हिंदी साहित्य के उत्थान में इन सभी ने महती ROLE निभाई . 
      • किसी ने कविता ने तो किसी ने ESSAY , किसी ने DRAMA को क्रेंद में रख कर उस विधा का उन्नयन किया . 
      • इसी मंडल से ही ' समस्या पूर्ति " नामक विधा को गति मिली जिसमे POETS  को किसी दिए गये विषय पर / पंक्ति को COMPLETE करना होता था . जैसे -  " चित चैन की चादनी चाह भरी , चर्चा चलिबे  की चलियेया  न " प्रेमघन की प्रसिद्ध  समस्या पूर्ति है . 
      • "  यह ब्यारि तबै बदलैगी कछू, पपिहा जब पूछिहै पीव कहाँ? '' प्रताप नारायण मिश्र की  समस्या पूर्ति है . 
      • इन सभी ने बोल चाल की ब्रज भाषा का USE किया है . 
      • इस समय से PROSE में खड़ी बोली पर प्रयोग होने लगा था . 
      • WRITING SKILL

      रविवार, 20 सितंबर 2015

      सरस्वती पत्रिका

      सरस्वती पत्रिका 
      • सन १९०० में नागरी प्रचारणी सभा , काशी की सहायता से प्रकाशन 
      • संपादक - श्याम सुंदर दास , किशोरी लाल गोस्वामी , कार्तिक प्रसाद खत्री 
      • AIM - HINDI भाषा का परिमार्जन 
      • १९०३ से इसका सम्पादन - आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी  
      • इस पत्रिका में विविध विषयो यथा जीवन चरित् , प्रकति , यात्रा वर्णन , फोटोग्राफी , विज्ञानं के बारे में भी लेख लिखने को प्रोत्साहन दिया गया।  
      • दिवेदी जी ब्रज भाषा के बजाय खड़ी बोली पर गद्य और पद्य में लिखने पर जोर दिया।  
      • भाषा का परिष्कार तथा मानकता पर जोर दिया। 
      • हिंदी की शब्दावली निर्माण पर जोर दिया। 
      • अरबी , फ़ारसी , उर्दू के प्रचलित शब्दों को HINDI LITERATURE  में शामिल करने से कोई संकोच नही किया।  
      • भारतेंदु युग में जिन नई विधाओ की हिंदी साहित्य में शुरुआत हो चुकी थी उन्हें इस काल  में " सरस्वती " के माध्यम से विकास के नई भूमि मिली।  
      • पण्डिताऊपन तथा गँवारूपन से खड़ी बोली को मुक्त कर इसे MORDERN संवेदना को व्यक्त करने सक्षम बनाया।  
      • बैगर कोचिंग कैसे सफलता पाये ?

      मंगलवार, 15 सितंबर 2015

      भारतेंदु युग की 'नए चाल की हिंदी'


      भारतेंदु युग की 'नए चाल की हिंदी'


      भारतेंदु युग को संभवत आधुनिक युग का प्रवेश द्वार भी कह सकते है,यह एक तरह से प्राचीन तथा नवीन का संधि काल था। भारतेंदु ने अपने समय की परिस्थितयों का यथार्थ चित्रण किया है।यहाँ साहित्य की भाषा, शिल्प,प्रवृतियां तथा चिंतन में वृहद बदलाव देखने को मिला।1873 में भारतेंदु जी ने कहा था की 'हिंदी नई चाल से चली है'।


      1. हिंदी में खड़ी बोली का प्रयोग- मध्यकालीन युग में साहित्य की भाषा के रूप में अवधी, बृज भाषा तथा मैथिलि का प्रयोग होता था वहीं आधुनिक साहित्य या भारतेंदु युग में खड़ी बोली साहित्य में समाती गई।केवल गद्द में ही नही पद्द में भी खड़ी बोली का विकास प्रारम्भ हो गया।उनके कहने का अर्थ था की हिंदी साहित्य का स्वरूप अब निरंतर परिवर्तन की ओर बढ़ चला है।

      2. जहाँ मध्यकालीन साहित्य का विषय प्रकृति, राजा, भगवान या अलौकिक संसार था वही भारतेंदु युग में साहित्य के केंद्र में मानव तथा मानवता रहा बाकि विषय मानो हाशिये पर चले गए थे।
      जैसे भारतेंदु मंडल के कवि आयोद्धा सिंह द्वारा 'प्रिय प्रवास' खड़ी बोली का FIRST महाकाव्य माना जाता है। भारतेंदु की पत्रिका कवि वाचन खड़ी बोली में नवीन चेतना के प्रसार का कार्य कर रही थी।

      3.NEW विषय राष्ट्रीयता की भावना तथा देशभक्ति साहित्य रचनाओं के CENTER  रहे।

       
      4. हिंदी का USE साहित्य में सामाजिक कुरीतयों तथा उपनिवेशिक शासन के विरुद्ध योद्धा के रूप में किया जा रहा था।

      5.. हिंदी में अब ज्ञान -विज्ञान का प्रसार बढ़ा था।
       6. साहित्य का समाजीकरण हो रहा था तथा समाज चेतना का विस्तार हो रहा था। जैसे भारतेंदु का नाटक-नील देवी, भारत दुर्दशा 7.नारी उत्थान तथा दलित जीवन आदि भी इस समय साहित्य के केंद्र में थे।
      आईएएस के लिए सही कोचिंग का चुनाव कैसे करे ?
       
      इस तरह खड़ी बोली तथा परिवर्तित विधाएँ तथा चेतनाएं आधुनिकता के साथ साथ भारतीय साहित्य में में प्रवेश कर गयी।हिंदी में आ रहे इन्ही परिवर्तनों के आधार पर भारतेंदु जी हिंदी के विकास को 'हिंदी की नई चाल' के नाम से उद्घाटित करते हैं।

      fort william college/ फोर्ट विलियम कॉलेज

      फोर्ट विलियम कॉलेज 

      • १८०० में लार्ड वेलेजली द्वारा स्थापित 
      • अंग्रेजो को INDIAN LANGUAGE  के ज्ञान पाने में सहायता हेतु 
      • प्रशासन , कानून , तथा खड़ी बोली के बारे में शिक्षा दी जाती थी। 
      • कर्मचारियों की नैतिक दशा सुधारना , देश की भाषा , रीति -रिवाज से परिचित करना , उन्हें ADMINISTRATION में कुशल बनाना इसका AIM  था 
      • कंपनी  भाषा नीति जोकि  फ़ारसी पर आधारित थी , अब हिंदी को IMPORTANCE देने लगी थी। 
      • १८२५ में विलियम प्राइस ( हिंदी विभाग के प्रमुख ) ने पहली बार हिंदी भाषा  को हिंदुस्तानी से अलग एक प्रमुख भाषा के तौर पर स्वीकारा।  
      • १८२६ में इससे जुड़े प. गंगा प्रसाद शुक्ल ने हिंदी भाषा का एक शब्दकोष तैयार किया।  
      • १८०७ में बाइबिल का हिंदी अनुवाद प्रकाशित हुआ।  
      • १९५४ में डलहौजी के समय इसे CLOSE कर दिया गया। 
      • उल्लेखनीय है कि हिंदी के प्रारंभिक विकास में , इस कॉलेज ने महती भूमिका निभाई।  
      • एकांतवास का महत्व 

      रविवार, 30 अगस्त 2015

      famous stories of premchand in hindi ( FOR UPSC )

      मंजूषा : प्रेमचंद की सर्वश्रेस्ठ कहानियाँ ( अम्रतराय द्वारा सम्पादित ) 



      1. कफन 
      2. पूस की रात 
      3. बूढी काकी 
      4. ईदगाह 
      5. गुल्ली डंडा 
      6. बड़े घर की बेटी 
      7. सदगति 
      8. निमंत्रण 
      9. सभ्यता का रहस्य 
      10. अल्गोझ्या 
      11. नया विवाह 
      12. रानी सारंधा 
      13. शतरंज के खिलाडी 
      14. मुफ्त का यश 
      15. दूध का दाम 
      16. गिला  

      ' कहानी में नाम और सन के सिवा और सब कुछ सत्य है , और इतिहास में नाम और सन   सिवा  कुछ भी सत्य नही  ' 
      ' हर एक काल्पनिक रचना में मौलिक सत्य मौजूद रहता है। " 

      प्रेमचंद ने अपनी कहानीयों  में किसी न किसी मनोवैज्ञानिक रहष्य को खोलने का प्रयास किया।  वह कहानी के माध्यम से सत्य , निस्वार्थ सेवा , न्याय आदि देवत्त्व के जो अंश है वो जगाना चाहते थे।  वह मानते थे कि  सांस्कृतिक विकास  के लिए सरल साहित्य उत्तम कोई साधन नही है। इस लिए उनकी कहानियों में भाषागत सरलता है। सरल शब्द , सरल वाक्य -विन्यास , इसके चलते वह अपने पाठको से सहजता से संवाद कर पाते है। भाषा सरल , सजीव और व्यवहारिक। अंग्रेजी , फ़ारसी तथा उर्दू के प्रचलित शब्दों का प्रयोग। भाषा का सटीक , सार्थक और व्यंजनपूर्ण प्रयोग।

      • अधिकतर कहानियों में निम्न व माध्यम वर्ग का चित्रण
      • विषय और शिल्प की विविधता 
      • किसान , मजदूर , दलित  आदि की समस्याओ का मार्मिक चित्रण 
      • युग प्रवर्तक रचनाकार 
      • पात्र  अक्सर वर्ग के प्रतिनिधि के तौर पर आते है 
      • हिंदी कथा साहित्य को मनोरंजन के स्तर से उठाकर जीवन की अनुभूितियों से जोड़ते है








      शनिवार, 29 अगस्त 2015

      Most Imporatant books for Hindi Literature ( Optional Subject for ias)

      हिंदी साहित्य के जरूरी किताबे
      1.       खड़ी बोली का प्रारंभिक स्वरुप – निलेश जैन
      2.       आधुनिक साहित्य की pravatiiyn – नामवर सिंह
      3.       कबीर –परमानंद श्रीवास्तव
      4.       जायसी आकलन के आयाम- सदानंद शाही
      5.       निराला रचित राम की शक्तिपूजा भाष्य –डा. सूर्य प्रसाद दीक्षित
      6.       जयशंकर प्रसाद – विस्वनाथ प्रसाद तिवारी
      7.       हिंदी आलोचना : बीसवी शताब्दी – डा. रेवतीरमण
      8.       प्रसाद और श्कंद्गुप्त – डा. रेवतीरमण
      9.       त्रिवेणी – आचार्य रामचंद शुक्ल
      10.   मोहन राकेश और अषाढ़ का एक दिन – गिरीश रस्तोगी
      11.   कबीर के सबद – डा, शुकदेव सिंह
      12.   महाभोज मुल्यांकन के परिपेक्ष्य - सदानंद शाही
      13.   भ्रमर गीत –सार- आचार्य रामचंद शुक्ल द्वरा सम्पादित
      14.    इग्नू के नोट्स
      15.    ११ और १२ की NCERT हिंदी साहित्य की किताबे
      16.    दृष्टि कोचिंग के नोट्स
      17.    क्रोनिकल के साल्व्ड पेपर
      18.    आजकल ( मासिक पत्रिका ) 

      चार उपन्यास
      1.       गोदान – प्रेमचंद
      2.       दिव्या – यशपाल
      3.       मैला आंचल- रेणु
      4.       महाभोज- मन्नू भंडारी

      तीन नाटक
      1.        भारत दुर्दशा – भारतेंदु हरिश्चंद
      2.       स्कंदगुप्त  - जयशंकर प्रसाद
      3.       अषाढ़ का एक दिन- मोहन राकेश


      • निबंध निलय- डा. सत्येन्द्र
      • कुरुक्षेत्र – दिनकर
      • भारत भारती – मैथलीशरण गुप्त






      गुरुवार, 12 मार्च 2015

      A sad story of a poor man in Hindi

      वो चाट बेचने वाला आदमी


      पिछली बार जब भाई के पास उसके कमरे पहुंचा तो पता चला पड़ोस में एक नए किरायेदार आये है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के दौरान  पहले मै वहां रहता था फिर मेरे बाद मेरे भाई रहने लगे। लगभग हमारे पास वो कमरा ७ सालो से है। कितने ही किरायेदार आये और गए।

      इस बार पता चला कोई  नया परिवार आया  है। पति , पत्नी और दो बेटे थे। एक तो बस १० या १५ दिन का ही था। दूसरा ३ साल का। उनका बड़ा बेटा बहुत जल्द ही सारे महल्ले का प्रिय बन गया। बहुत शरारती था। आम तौर पर अपनेकमरे पर किसी को अंदर आने की इजाजत नही देता हूँ , वजह पढ़ाई में  व्यवधान होता है पर ये लड़का डरता ही नही था। अक्सर कमरे में आ जाता।

      कुछ ही दिन रुकना था पर उस परिवार के बारे में बगैर बात किये ही काफी बाते पता चल गयी  । पत्नी , सुंदर थी और काफी तेज,चकड़  भी। पति भी गोरा  था , सीधा था और घुन्ना भी ( जो कम बातचीत करे ) . अक्सर उनके कमरे से जोर जोर आवाज आती जिनसे यही पता चलता कि वो अपने पति की कमाई से खुश नही है। शायद परिवारिक कलह इसे ही कहते है।

      पति शहर किसी फैक्ट्री में काम करता था। शायद उसे २०० रूपये मिलते थे। जब उनके घर झग़डा बढ़ने लगा तो पति ने सोचा अब अपना धंधा करुगा। कुछ रोज बाद , भाई ने मुझे बताया कि ठेलिया आ गयी है। पड़ोसी अब आलू पापड़ी बेचेंगे।  मै भी उत्सुकतावश उस ठेलिया को  देखने गया।

      अपनी मकान मालकिन (दीदी) से लगभग सारी बाते पता चलती रही। पता चला कि  अब वो आदमी चाट बेचेगा।  हमारे शहर में , एक नई तरह की सुबह सुबह चाट बिकती है , उबले चने , उबले आलू ,खट्टी चटनी और पापड़ी। अच्छा स्वाद होता है। कभी आना तो चखना जरूर।

      जिस रोज वो आदमी अपनी ठेलिया लेकर चाट बेचने निकला। घर के सभी किरायेदारों ने उसके धंधे की शुरुआत करायी।  १० रूपये में एक पत्ता बिक रहा था। वो आदमी अपनी ठेलिया रेलवे स्टेशन  ले गया।

      शाम को सब लोग खास तौर पर मकान मालकिन ने उससे जानना चाहा कि कितने का धंधा हुआ ? पता चला कि  उसके ५०० रूपये बचे है। अब सब अच्छा था। अच्छी आमदनी  होने लगी थी फिर भी उनके घर में चीजे बिगड़ रही थी।

      अब उस  आदमी को घर में सुबह जल्दी उठना पड़ता। उसके साथ उसकी बीवी को भी उठना पड़ता था।  सुबह आलू, मटर और पापड़ी तैयार करनी पड़ती थी। अक्सर दिन में वो तेज महिला आँगन में कुकर और बर्तन धोती और भुनभुनाती रहती थी।

      मेरा उनसे कभी भी INTERACTION नही हुआ पर उनका FUTURE मुझे दिखाई सा पड़ रहा था। एक रात , बहुत जोर से उस महिला की आवाज सुनाई पड़ी। धीरे धीरे कुछ और किरायेदार बाहर निकले। उपर दीदी के पास वो महिला अपने बड़े बेटे के साथ कुछ जोर जोर आवाज में कह रही थी। जब बर्दाश्त से बाहर शोरगुल होने लगा तो मुझे भी बाहर निकलना पड़ा। मुझे दूसरे दिन सुबह ५ बजे  LUCKNOW पेपर देने जाना था।

      उपर जाकर देखा तो पता चला उनके बड़े बेटे ने अपने नाक में मटर का दाना डाल लिया था। उस रात बहुत हंगामा हुआ। उसका पति , चुपचाप कमरे में सो रहा था। इधर पत्नी इसी बात का हंगामा कर रही थी कि बेटा चाहे मर जाये पर वो इंसान उठेगा नही। 

      कुछ रोज बाद मै वापस अपनी JOB में लौट आया। आते वक़्त पता नही क्यू पर भाई से बोल कर आया कि इसकी पत्नी बहुत तेज है कहीं ऐसा न हो कि उसका घुन्ना पति SUICIDE न कर ले। भाई ने समझा मजाक कर रहा हूँ पर  मुझे कुछ चीजे कभी कभी आभास होने लगती है। अभी खुद UNMARRIED  हूँ पर दुनियादारी की बहुत गहरी समझ है। मुझे दूर से उनके घर की हकीकत नजर आ रही थी। 

      एक रोज जब मै ऑफिस रात में लौट कर घर आया तो भाई का फ़ोन आया कि आप सही थे। उस चाट वाले ने POISON खा लिया। भाई भी गावं में था उसके पास मकान मालकिन का PHONE आया था। उस रोज घटना कुछ इस तरह घटित हुई। 

      सुबह वो आदमी अपनी ठेलिया ले कर निकला। आदमी थोड़ी देर बाद ही घर लौट आया।  चाट तो बिकी नही थी तो उसे सारी गाय को खिला दी। घर आकर बीवी से न जाने के किस बात पर झग़डा शुरू हुआ। थोड़ी देर बाद वो आदमी बाहर निकल गया। पास की रेलवे लाइन की पटरी के साथ चलता शहर से बाहर निकल गया। वही बैठ कर उसने शराब पी साथ में कोई जहर भी खा लिया। उसने उधर से अपनी पत्नी को फोन किया। पहले तो उसकी बीवी को मजाक लगा पर कुछ देर बाद आस पास के लोग उसे लिवाने गए। अगले कुछ घंटो में वो चाट बेचने वाला आदमी , इस WORLD से हमेशा  के लिए जा चुका था। 

      … गलती किसकी थी ? यह कह पाना मुश्किल है हम भी आप की तरह बाहर से चीजो को जाना और कानो सुनी चीजो के आधार पर कहानी विकसित की पर एक बार आप उस WIDDOW के आगे के जीवन पर नजर डाले , दो छोटे बच्चे---------. वैसे तो कभी CASTE का उल्लेख नही करता यहाँ भी नही कर रहा हूँ पर अगर आप को लगता है यह कोई ऐसे वैसे की कहानी है तो आप गलत है , वह उत्तर भारत की सबसे अच्छी मानी /समझी  जाने वाली जाति /समुदाय से थी। 

      कुछ आप भी निष्कर्ष निकालिये। वो महिला सच में सुंदर थी और काफी तेज थी शायद उसके सपने कुछ ज्यादा  ही बड़े थे। आदमी भी सुंदर था ,  गरीब था पर वो हाई फाई नही था। चीजे कैसे बिगड़ती है आप समझ सकते है। 

      © आशीष कुमार ,  

      मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

      हिंदी साहित्य पहला पेपर ( सिविल सेवा मुख्य परीक्षा २०१४)

      हिंदी साहित्य पहला पेपर  ( सिविल सेवा मुख्य परीक्षा २०१४) >

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      गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

      HINDI BHASHA

             भारतीय संस्कृति को हिन्दी द्वारा ही विश्व तक पहुंचाया जा सकता है किंतु भारतीय संस्कृति विश्व में तब तक प्रतिषिठत नहीं हो सकती है जब तक हिंदी अपने देश में प्रतिषिठत नहीं होती

                                                                                     फादर कामिल बुल्के

      भारत के बाहर हिन्दी बोलना आसान है, भारत में नहीं।


                                                                                 अटल बिहारी बाजपेर्इ

      बुधवार, 26 जून 2013

      Baba Nagarjun Ki kvita,

      कविता : बाबा नागार्जुन



       ताड़ का तिल है तिल का ताड़ है
      पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है
      किसकी है जनवरी किसका अगस्त है
      कौन यहाॅ सुखी है कौन यहाॅ मस्त है।
       सेठ ही सुखी है सेठ ही मस्त है।
      मंत्री ही सूखी है मंत्री ही मस्त है।
      उसी की जनवरी है उसी का अगस्त है।

      जनता मुझसे पूछ रही है क्या बतलाउ
      जनकवि हॅू मैं साफ कहुॅगा क्यूॅ हकलाउ।।

      जनकवि बाबा नागार्जुन द्वारा रचित

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      SUCCESS TIPS BY NISHANT JAIN IAS 2015 ( RANK 13 )

      मुझे किसी भी  सफल व्यक्ति की सबसे महतवपूर्ण बात उसके STRUGGLE  में दिखती है . इस साल के हिंदी माध्यम के टॉपर निशांत जैन की कहानी बहुत प्रेर...