BOOKS

सोमवार, 31 अक्टूबर 2016

When u are in job and preparing IAS

जॉब करते हुए ias की तैयारी करना ।
दोस्तों आज बहुत गहरी बात कहने जा रहा हूँ । ias की तैयारी में काफी समय लगता है यह बात जानते ही है । 
आज कुछ बेसिक बाते बताने जा रहा हूँ कि बहुत बार इसमें लगने वाला समय हमारे खुद के कारण होता है । 
अब हर किसी को काफी attempt भी मिलने लगे । इसलिए शुरू के प्रयासों में हमारा मन भी इस बात के लिए तैयार रहता है कि इस बार न सही अगली बार सही । ऐसा करते करते काफी अटेम्प्ट खत्म हो जाते है।  इसलिए इस तरह के ख्याल मन में न पैदा होने दे  । 
Job करने वाले लोग दो तरह से पीछे रह जाते है एक तो वह अपनी जॉब में काफी हद तक संतुष्ट हो जाते है दूसरे leave न मिल पाने का लफड़ा । 
अगर मैं अपनी बात करूँ तो लीव तो हर एटेम्पट में ली पर बहुत कम समय के लिए छूटी पर गया । इसके चलते हुआ यह कि mains और इंटरव्यू तो दिए पर final सिलेक्शन न हो सका । अब लगता है कि मुझे एक बार ही लंबी छुट्टी ले लेनी चाहिए थी । 
दोस्तों , जिंदगी में बड़ी चीज पाने के लिए बड़ा रिस्क भी उठाना पड़ता है । hope मेरी बात समझ गए होंगे । एक ही बार , में काम तमाम करने की सोचे । वरना लोग आपकी असफलता के लिए जीने नही देंगे ।

शनिवार, 29 अक्टूबर 2016

विश्रामपुर का संत

श्री लाल शुक्ल द्रारा रचित " राग दरबारी " से काफी पहिले से ही परिचय हो गया था . यह  novel मुझे बहुत बहुत ज्यादा प्रसंद है . इसे न जाने कितने बार पढ़ा हूँ . इसको पढ़ कर ही शुक्ल जी अन्य रचनाये पढने की इच्छा लम्बे समय से पनप रही थी . मैंने काफी जगह खोजा पर Raag Darbari  के आलावा कोई दूसरी रचना book store पर उपलब्ध नही रहती . शुक्ल जी रचनाये मुझे lucknow के भूतनाथ मार्किट में यूनिवर्सल बुक डिपो में जा कर मिली . अच्छी बात यह थी उनकी सभी चर्चित किताबे एक साथ , एक ही जगह मिल गयी . यह बहुत ही खुशी की बात थी . 
पहले जल्दी जल्दी सभी बुक को देख लिया पर आराम से पढने का अवसर लखनऊ से डेल्ही आते हुए मिला . कुछ भाग गुवाहाटी से आने वाली राजधानी में पढ़ा ओर बाकि नई डेल्ही के waiting room  में . एक बेहद उमस भरी दोपहर में , पसीने से तर लोगो का हुजूम वेटिंग रूम को किसी मेले का आभास देता हुआ प्रतीत हुआ . मै शुक्ल जी के दुसरे प्रसिद्ध नोवल " विश्रामपुर का संत " के सानिध्य में ५ घंटे बिताये . मेरा प्लान इस तरह से था कि ५ घंटे के गैप में मुखेर्जी नगर जा कर कुछ लोगो से मिलना था पर इस नावेल की रोचकता के चलते , चुपचाप वेटिंग रूम में गुजार दिए . 
जिस तरह से " राग दरबारी " में क्रेद्रिय वक्तित्व के रूप में " वैद जी " है उसी तरह से विश्रामपुर के संत में एक पूर्व जमीदार , सेवा मुक्त राज्यपाल कुवँर जयंती प्रसाद है . भारत में आजादी के बाद पतनशील समाज , विविध योजनायों की खामियों के बारे में बेहद चुटीली भाषा में नावेल की रचना की गयी है . नावेल में एक रहस्यमयी नारी " सुन्दरी " के बारे में बीच बीच में जो वर्णन है वह नावेल को रोचक ओर प्रवाह बनाये रखने में सफल रहता है 
आप ने भूदान आन्दोलन , ग्राम दान के बारे में जरुर सुना होगा . यह विनोबा भावे द्वारा शुरू किये गये थे . आजादी के बाद , यह सबसे महत्वपूर्ण आन्दोलन माने गये . पर इससे जुडी विसंगति , भ्रस्टाचार , आडम्बर , छलावे के बारे जानने के लिए उक्त उपन्यास पढना सबसे अच्छा रहेगा . 
कुछ चीजे मेरे लिए भी इसमें वाकई नई ओर सोचने पर बाध्य करने वाली मिली . जब भी मौका मिले इनको पढना जरुर . बाकि किताबो के बारे में भी लिखुगा पर पहले उन्हें पढ़ तो लू . 

How to prepare IAS 2017 pre


प्रिय दोस्तों , ias 2017  के लिए कुछ बातें नोट कर ले ।
1 नोटिस 22 फ़रवरी 17 को आएगी ।
2 फॉर्म 17 मार्च तक / को भरे जायेंगे ।
3  pre एग्जाम 18 जून 17 को होगा 
4 mains 28 ऑक्टूबर से शुरू होगा ।

सभी लोग अपना अपना mains के लिए subject चुन ले ।
पहले last years के पेपर देखे ।
सब्जेक्ट वही ले जो आप हैंडल कर सके ।
अभी दिसंबर तक अपना ऑप्शनल पढ़ते रहे ।
हो सके तो नोट्स भी बना डाले ।
जनवरी से ias pre 2017 के लिए पढ़ना suru करना ।
जरूरी बाते मैं समय समय पर share  करता रहूंगा ।

मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016

How to audit your life ?

अपनी जिंदगी का लेखा जोखा कैसे करे ?

By Asheesh kumar

           शायद पिछली पोस्टों में बताया होगा कि इन दिनों मैं ऑडिट में काम कर रहा हूँ । ऑडिट यानी लेखा जोखा । कम समय में ज्यादा चीजों का निरीक्षण करना । mistakes को जल्दी पकड़ना यही है लेखा जोखा ।

जैसा कि मैं बहुत बार कह चूका हूँ thoughts मुझे सोने नही देते । हर night मैं न जाने क्या क्या सोचते हुए सोता हूँ । एक रोज ख्याल आया कि हर किसी को अपनी life का भी ऑडिट करते रहना चाहिए ।

मेरे ज्यादातर पाठक, दोस्त 20 से 25 वर्ष वाले उम्र के है । मेरी नजर में यह जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है । 20 की आयु से आप कुछ प्रयोग करना शुरू कर देते है और 25 तक आप को अपने प्रयोगों के results आना शुरू हो जाते है ।
हमारी लाइफ एक है और जिंदगी में करना बहुत कुछ । मसलन पढ़ाई, सामाजिक सम्बन्ध , भावनात्मक सम्बन्ध , पर्यटन , अपनी पहचान बनना, धन कमाना आदि आदि । करना बहुत कुछ और समय बहुत थोडा ।

जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मेरी नजर यही है कि आप संतुलन कैसे साधते हैं ? एक वाकया जोकि एक मित्र ने ही बताया , संक्षेप में बताता हूँ । उनके कोई मित्र 40 साल की आयु में SDM बने और इच्छा कि marriage करेंगे तो किसी षोडसी यानी 16 साल की बाला से । समझा जा सकता है कि उनकी ऐसी चाहत क्यू हुयी होगी । सारी उम्र पढ़ने में ही खत्म कर दी । पता नही उनका क्या हुआ पर अगर उनकी desire पूरी भी हो गयी होगी तो उनकी दशा प्रेमचंद की कहानी " नया विवाह " के पात्र लाला डंगामल जैसी ही होगी ।

अब एक प्रश्न उठता है कि संतुलन कैसे बनाये । इस प्रश्न को कभो आराम से विचार करेंगे आज आपको आपकी जिंदगी का ऑडिट करने का तरीका बताते है ।

आप अपनी dairy ( मेरे सभी पाठक डायरी जरूर लिखते होंगे यह अपेक्षा रखता हूँ ) में अपनी आयु लिखे ।
15 वर्ष से पहले
15- 25
25-40 वर्ष

आप अपने तरीके से इसे बाट सकते है और इनके सामने दो कॉलम बनाये । आप को क्या करना था और आप ने क्या किया । सभी बाते बिंदुवार लिख ले । देखे कि आप ने क्या खोया और क्या पाया ?

विषय अच्छा है और मेरे पास विचार भी बहुत अच्छे अच्छे है पर मैं सफर में हूँ और रात के 12 . 30 हो गए है इसलिए विराम लेता हूँ । अंत एक मजेदार वाकये से - भागीदारी भवन लखनऊ में बहुत से पढ़ाकू और टेलेंट लड़के मुझसे एक चीज से काफी परेसान रहते थे वजह मैं सबसे एक ही बात कहता था कि मैंने छोटी उम्र में ही खूब मजे कर लिए और उनके चेहरों पर उदासी छायी रहती कि वो पढ़ाई से इतर कुछ भी न कर पाये । कहने कि जरूरत नही कि वो मजे का मतलब प्रेम प्रसंग से लिया करते थे जबकि मेरा सन्दर्भ आपने विविधता भरे, बहु आयामी अनुभवों और नई नई चीजों में दक्ष होने से हुआ करता था । जैसी जिसकी सोच- बागा(तारक मेहता का उल्टा चश्मा )

कॉपीराइट - asheesh kumar

* l m thankful to my special readers , who remind me that सर बहुत दिन हो गए लिखा नही अपने कुछ अच्छा सा, अलग सा ।






रविवार, 9 अक्टूबर 2016

Focus


आमतौर पर हम सब में बहुत क्षमताये होती है पर हम एक साथ बहुत सी चीजों में अपनी ऊर्जा लगाते रहते है जिसके चलते हम बार बार असफल असफल होते रहते है ।

इसलिए अच्छा होगा जो सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य हो उस पर पूरी ऊर्जा लगाये । अपनी समस्त इच्छाओं को एक जगह पर क्रेंदित करने से सफलता से जल्दी मुलाकात होगी ।

गुरुवार, 6 अक्टूबर 2016

DUM LGA KE HAISA


कल की रात गरबे के शोर में गयी . रात २ बजे तक सोसेइटी में अर्केरस्त्त्र बजता रहा . न तो मै उसे देखने गया ओर न ही सो पाया . इसे ही विडंबना कहते है . खैर आज मुझे कल की तरह से रात नही गुजरने थी .  इस लिए लगा कि अच्छा होगा लैपटॉप पर कोई फिल्म देखते हुए टाइम गुजारा जाय . 


दम लगा के हैएशा , इसे काफी पहले देख चूका था उस समय भी अच्छी लगी थी पर आज बहुत ही अच्छी लगी . बहुत ध्यान से देखा . हर पहलू पर नजर गयी . फिल्म इतनी सजीव लगती है कि ऐसा लगता है कि अपने ही आस पास की बात है , अन्शुमान खुराना , विक्की डोनर के समय से मुझे अलग लगने लगा था . मस्त , बिंदास ओर उसके बोलने की स्टाइल बिलकुल अलग है . भूमि का भी अभिनय बहुत सजीव है . संजय मिश्रा , हमेशा तरह जबरदस्त अभिनय करते है . संजय मिश्र के बारे में मेरे प्रयोगधर्मी दोस्त का कहना है कि वो अपने दम पर पूरी पिक्चर को उठा देते है . संजय मिश्र को नही जानते अरे वही " DHODHU JUST CHILL "  वाले . पूरी फिल्म आप को बांध कर रखने में कामयाब है बस शर्त यह कि आपको इस तरह की फिल्म पसंद आये . शाखा , का प्रसंग , उससे जुडी शुद्ध हिंदी बेहद रोचक लगती है . फिल्म का हर प्रसंग , बहुत जीवंत व सजीव है . 

फिल्म में प्रसंग  बेमेल विवाह का है . बेमेल विवाह , आज के समय कि कटु सच्चाई है . लगभग हर कोई इससे गुजरता है . समझदार , एडजस्ट कर लेते है बाकि अभिशप्त जीवन जीने के लिए बाध्य रहते है . साहित्य में भी इस मुद्दे पर खूब लिखा गया है . मोहन राकेश की कहानी " एक ओर जिन्दगी " ओर राजेंद्र यादव कि कालजयी कहानी " टूटना " में भी कुछ इस तरह का प्रसंग है जहाँ नायक , अपने बेमेल विवाह के चलते , दोहरे जीवन जीने के लिए बाध्य दिखाई देते है . फिल्मे में अच्छी बात है कि अंत सुखद है ऐसा कही से नही लगता कि यह सुखद अंत थोपा हुआ है . चीजे धीरे धीरे ही सुलझती है . फिल्म में सबसे मार्मिक द्रश्य वो है जो प्रेम के द्वारा आत्महत्या करने के प्रयास के बाद आते है . आप महसूस कर सकते है कि प्रेम कैसे पनपता है . आपको भी प्रेम की अनुभूति होती है .

मैंने कही पढ़ा था कि राजेद्र यादव का उपन्यास " सारा आकाश " , हर किसी नवविवाहित को पढ़ लेना चाहिए . इस उपन्यास पर फिल्म भी बनी है . मैंने यह नावेल पढ़ा तो जरुर है पर काफी पहले और बस टाइम पास की नजर से . इस नावेल में राजेंद्र ने भी दिखलाया है कि नई शादी के बाद , आपस में सामजस्य बनाना काफी कठिन होता है ओर इसके चलते शुरु के दिनों के आनंद से दंपत्ति वंचित रह जाते है . 

फिल्म के कुछ सीन से मुझे अपने बी.एड. के एक दोस्त याद आ गये . उनकी शादी , काफी पहले ही हो गयी थी तो वह अपने प्रसंग , हम बच्चो को बहुत मजे से सुनाते थे उम्र तो उनकी भी मुश्किल से २१ या २२ रही होगी पर अंतर यह था कि वह कक्षा के सीमित विवाहित परुष में एक थे . एक प्रसंग यह था कि रात में वो अपनी वाइफ का वेट करते थे वो अपने कमरे में होते हुए भी कान बाहर दिए रहते थे . अनुमान लगाते रहते कि अब वो बर्तन धुल रही होगी , अब अपनी सास के पैर दबा रही होगी . जैसे ही वो सारे काम खत्म करके आती , मेरे साथी जल्दी से अभिनय करते हुए सोने लगते . वाइफ कहती " सुनो जी , सो गये हो क्या ? " मित्र ,अपनी मीचते हुए कहते " क्या हुआ ". ब्स यही उनके विवरण रुक जाते . सच में , वो कमाल का दोस्त था . सम्पर्क टुटा हुआ है अगर कोई बाराबंकी का हो तो उसे यह स्टोरी पढ़ा देना . उसने LLB भी कर रखा था . कोई खजुरिया बाग एरिया का नाम बताया करता था . अब तो मुझे उसका नाम भी याद नही आ रहा है . बी.एड. हम दोनों ने दयानंद कॉलेज , बछरावां , रायबरेली से किया था . 



अब बस बाकि बाते फिर कभी ........................


ALL RIGHTS RESERVED - Asheesh Kumar 




सोमवार, 3 अक्टूबर 2016

Positive thinking

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