BOOKS

सोमवार, 26 अक्टूबर 2015

Nolan Committee in Hindi


नोलन समिति ( ऑक्टूबर 1994 )

  1. निस्वार्थता  -selflessness-- लोक कार्यालय में किसी भी निजी वित्तीय लाभ से हटकर निर्णय लेना 
  2. सत्यनिष्ठा- Integrity  किसी भी तरह के दबाव्  से परे होकर कार्य करना 
  3. वस्तुनिष्ठता - Objectivity जो सबसे उचित और योग्य हो उसको चुनना 
  4. जबाबदेही - Accountability - अपने निर्णय के लिए जबाबदेह होना 
  5. पारदर्शिता- Openness - किसी भी तरह के छिपाव , गोपनीयता से हटकर लक्षित समूह को भागीदार बनाते हुए प्रशासन 
  6. ईमानदारी - Honesty - 
  7. नेतृत्व - Leadership 

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015

ADOLESCENCE / किशोरावस्था


जब मै B. Ed. कर रहा था मुझे उसके Course एक बात अभी तक याद रह गयी है उसमे  दूसरा पेपर Psychology होता है , उसमे किसी Western Philosopher  ने कहा थाकिशोर अवस्था बहुत ही तनाव, संघर्ष और तुफानो की अवस्था होती है . इस बात को मै बहुत सोचता था , इसको अपने पर भी  apply  करके देखता था और पाता था कि  सच में बात बहुत पते की गयी है .
मित्रो , सच में  adolescence period  यानि १६  से २० -२२ की उम्र बहुत जटिल होती है , हमारे विचारो में instability  होती है , हम अपने  decision पर अडिग नही रह पाते है . हम समझ में नही आता कि करना क्या है , हम अपने Parents  से , friends  से , Relatives  से तो असहमत होते है इसके साथ , हम खुद से भी असहमत होते है . हम जो कदम उठाते है , उस पर हमे यकीन नही हो पाता .
इसको example के तौर पर समझाता हूँ . पहले तो हमे पढाई में समझ नही आता कि आगे क्या पढ़े . Inter तक तो math  से पढ़ लिए था आगे समझ नही आता कि B.Sc. करू या B.A. पिता ने कहा B.Sc.  करो . आज उनके logic को सोचता हूँ तो अजीब लगता है उनका मानना था कि इससे तुम्हे  पढ़ाने के लिए अच्छे tution मिलेगे . पिता जी highly qualified  थे पर बेरोजगार . ऐसे में उनकी आस्था डिग चुकी थी , Government Service  उनके लिए दूर की कौड़ी थी .
बीएससी के तीन साल कैसे गुजरे पता चला . कोई book नही खरीदी . साल के अंत में कुंजी type notes खरीदता और उसे exam दे आता . पुरे साल मै हिंदी के  Novel , History  की Books  पढने में busy रहा करता . सच कहूँ तो हिंदी और इतिहास की गहन पढाई से ही अपनी Personality Development कर रहा था . बीएससी के Subjects , Math , Physics, Computer Application को तो समझ पा रहा था और उनकी utility  भी नही दिख रही थी .
बीएससी का बाद रोजगार के लिए बहुत दबाव पड़ने लगा . ऐसे में बी एड के फॉर्म एक सुभचिन्तक ने भरा दिए . Polytechnic का भी फॉर्म डाला. तीन फॉर्म पड़े थे दो बीएड के , एक  का Polytechnic . तीनो में ही नाम आया पर अतिम तौर पर ...
Polytechnic से कुछ याद आया. जहाँ मै किराये पर रहता था वहां पर एक भइया का भी घर था . भइया B.T.C करके Primary Teacher थे और ias ki preparation  करते थे . उनके पास शाम को कुछ और साथी पढने आते थे . मेरा बड़ा मन होता था कि मै भी उनके पास जाकर  कुछ सीखू पर हिम्मत होती थी .
Competition Success Review नामक   एक पत्रिका आती है. उन दिनों उसमे एक gk quiz  आती थी . उन दिनों  मै हर उस चीज में भाग लेने की कोशिस करता जिसमे कुछ prize  मिलने की आशा होती . भइया के पास कुछ quiz  के सवाल पूछने जाने लगा . खैर उस quiz में कभी मुझे कोई prize नही मिला . हा उस पत्रिका के लिए मेरे दो दर्जन essay  जुरूर  चयनित  हुए .

एक रोज भैया ने पूछा किआगे क्या plan  है ? मैंने कहा मुझे भी ias की   prepration  करनी है , पर अभी  का Polytechnic का  exam  दिया है उसमे नाम आया है . वो बहुत हैरान हुए बोले Polytechnic के चक्कर में क्यू पड़े हो . सीधे आईएस की तैयारी क्यू नही करते . मैंने बोला side carrier  बनना चाहता हूँ ... सच में उन दिनों , समझ में नही आता था कि वास्तव में life  में करना क्या है . बहुत भटकाव की अवस्था थी . 
( जारी.....) 

गुरुवार, 15 अक्टूबर 2015

Maila Anchal : by renu

 मैला आँचल 





  • फणीश्वर  नाथ रेणु  द्वारा रचित 1954 में PUBLISHED 
  • कथानक - बिहार के पूर्णिया जिला का मेरीगंज गावं 
  •  " इसमें फूल भी है शूल भी , धूल भी , गुलाब भी , कीचड़ भी चन्दन भी सुंदरता भी है , कुरूपता भी - मै  किसी से दामन  बचाकर निकल नहीं पाया " 
  • " अरे , जात -धरम ! फुलिया तू हमारी रानी है , तू हमारी जाति , तू ही धरम , सबकुछ ---" सहदेव मिसिर फुलिया से।  देह भोग के लिए है। तुलनीय गोदान की  सिलिया -मातादीन 
  • आंचलिक LANGUAGE वहां की संस्कृति को दर्शाता है।
  • लोक गीत , लोक उत्सव की बहुलता -बिदापत नाच , बिदेशिया , सदाब्रिज -सुरंगा की कथा, फगुआ गीत , बौडवा , चैती  , ' सिरवा पर्व ' , ' बधना पर्व ( संथाल ) , जाट - जट्टिन  ( वर्षा के लिए आयोजन ), बारहमासा , भकतिया ( मृदंग पर देवी का गीत )
  •  
  • " ऐसी मचाओ होरी हो, कनक भवन श्याम मचाओ होरी "  
  • अंधविस्वास - गणेशी की नानी डायन 
  • "भारत माता अब भी रो रही हैं बालदेव "  बावनदास  वजह दुलार चंद्र  कापरा जैसे डाकू स्मगलर लोग कटहा थाने का सिकेटरी हो गया है।  चुन्नी गोसाई , सोसलिस्ट पार्टी में चला जाता है 
  • बावनदास जैसा त्यागी आदमी की आत्मा -जलेबी और तारावती देवी की देह भोगने के लिए लालायित हो जाता है - इसीलिए मैला आँचल  में धूल है , कीचड़ है।  
  • ऊपरी INCOME की बात गोदान में भी है , यहां भी है - " देवनाथ मल्लिक सिर्फ ५ रूपया माहवारी पर बहाल  हुए थे।  लेकिन ऊपरी आमदनी ? तीन साल बीतते -२ असि  नब्बे बीघे धनहर जमीन के मालिक बन गए थे।  ऊपरी आमदनी ही असल आमदनी है।  
  • बेगारी - मारपीट - " मारो साले  को दस जूता " 
  • बेवजह की मुकदमेबाजी , रिश्वतबाजी 
  • " पुराने तहसीलदार ( विश्वनाथ ) यदि नागनाथ थे तो यह नया तहसीलदार-हरगौरी  सपनाथ है। " 
  •  " हुजूर , लड़की की जात बिना दवा -दारू के ही आराम हो जाती है। "  बूढ़ा - 
  • वर्णनात्मक शैली , कहीं कहीं पर  छोटे छोटे संवाद के माध्यम से कथानक आगे बढ़ता है 
  •   " साला दुसाध , घोड़ी पर चढ़ेगा ! " टहलू पासवान के गुरु को सिंह जी गिरा कर जुटे मारने लगे। जातिगत शोषण 
  • ममता के LETTER में उस समय  CITY के चित्र दिखलाया गया है -" महराज महता की बेटी जो पिछले साल दूध पीने आती थी और ताली बजा कर नाचती थी------पोलिस ने 'सिटी ' के एक पार्क में उसे कराहते हुए पाया--- फूलमतिया का बयान है - टेढ़ी नीम गली के पास एक मोटर गाड़ी रुक गयी और दो आदमियों ने पकडकर उसे मोटर में बिठा दिया --- बड़े बड़े बाबू लोग थे ! "   उस समय और आज के TIME में कोई बदलाव नही दिखता--- 
  • ' विदेशी WINE की दस दुकाने खुल गयी है ' 
  • अमलेश सिन्हा अपनी ही चचेरी बहन वीणा के पीछे हाथ धोकर पीछे पड़ गया 
  • मगला देवी - ' अबला नारी हर जगह अबला ही है।  रूप और जवानी ? … नही यह भी गलत  औरत होना चाहिए , रूप और उम्र की कोई कैद नही -- एक असहाय औरत देवता ने संरक्षण में भी सूख -चैन से नही सो सकती। मंगलादेवी के लिए जैसा घर वैसा बाहर - 
  • " अरे, कांग्रेसी राज है तो क्या जमीदारो को घोलकर पी जायेगा ?" हरगौरी 
  • संथाल टोली में मादल  बज रहा है - डा डिग्गा , डा डिग्गा  ! रि  रि  ता धिन ता !
  • " गरीबी और जहालत - इस रोग के दो कीटाणु है - डॉ प्रशांत 
  • घाघ की सूक्ति - मुसिन पूछे मुस से कहाँ के  रखबधन " 


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