जब मै B. Ed. कर रहा था मुझे उसके Course एक बात अभी तक याद रह गयी है उसमे दूसरा पेपर Psychology होता है , उसमे किसी Western Philosopher ने कहा था – किशोर अवस्था बहुत ही तनाव, संघर्ष और तुफानो की अवस्था होती है . इस बात को मै बहुत सोचता था , इसको अपने पर भी apply करके देखता था और पाता था कि
सच में बात बहुत पते की गयी है .
मित्रो , सच में adolescence period यानि १६ से २० -२२ की उम्र बहुत जटिल होती है , हमारे विचारो में instability होती है , हम अपने decision पर अडिग नही रह पाते है . हम समझ में नही आता कि करना क्या है , हम अपने Parents से , friends से , Relatives से तो असहमत होते है इसके साथ , हम खुद से भी असहमत होते है . हम जो कदम उठाते है , उस पर हमे यकीन नही हो पाता .
इसको example के तौर पर समझाता हूँ . पहले तो हमे पढाई में समझ नही आता कि आगे क्या पढ़े . Inter तक तो math से पढ़ लिए था आगे समझ नही आता कि B.Sc. करू या B.A. पिता ने कहा B.Sc. करो . आज उनके logic को सोचता हूँ तो अजीब लगता है उनका मानना था कि इससे तुम्हे पढ़ाने के लिए अच्छे tution
मिलेगे . पिता जी highly qualified थे पर बेरोजगार . ऐसे में उनकी आस्था डिग चुकी थी , Government Service उनके लिए दूर की कौड़ी थी .
बीएससी के तीन साल कैसे गुजरे पता न चला . कोई book नही खरीदी . साल के अंत में कुंजी type notes खरीदता और उसे exam दे आता . पुरे साल मै हिंदी के Novel , History की Books पढने में busy रहा करता . सच कहूँ तो हिंदी और इतिहास की गहन पढाई से ही अपनी Personality Development कर रहा था . बीएससी के Subjects , Math , Physics, Computer Application को न तो समझ पा रहा था और उनकी utility भी नही दिख रही थी .
बीएससी का बाद रोजगार के लिए बहुत दबाव पड़ने लगा . ऐसे में बी एड के फॉर्म एक सुभचिन्तक ने भरा दिए . Polytechnic का भी फॉर्म डाला. तीन फॉर्म पड़े थे दो बीएड के , एक का
Polytechnic . तीनो में ही नाम आया पर अतिम तौर पर ...
Polytechnic से कुछ याद आया. जहाँ मै किराये पर रहता था वहां पर एक
भइया का भी घर था . भइया B.T.C करके Primary Teacher थे और ias ki preparation करते थे . उनके पास शाम को कुछ और साथी पढने आते थे . मेरा बड़ा मन होता था कि मै भी उनके पास जाकर
कुछ सीखू पर हिम्मत न होती थी .
Competition
Success Review नामक एक पत्रिका आती है. उन दिनों उसमे एक gk quiz आती थी . उन दिनों मै हर उस चीज में भाग लेने की कोशिस करता जिसमे कुछ prize मिलने की आशा होती . भइया के पास कुछ quiz के सवाल पूछने जाने लगा . खैर उस quiz में कभी मुझे कोई prize नही मिला . हा उस पत्रिका के लिए मेरे दो दर्जन essay जुरूर चयनित हुए .
एक रोज भैया ने पूछा कि – आगे क्या plan है ? मैंने कहा मुझे भी ias की
prepration करनी है , पर अभी का Polytechnic का exam दिया है उसमे नाम आया है . वो बहुत हैरान हुए बोले Polytechnic के चक्कर में क्यू पड़े हो . सीधे आईएस की तैयारी क्यू नही करते . मैंने बोला side carrier बनना चाहता हूँ ... सच में उन दिनों , समझ में नही आता था कि वास्तव में life में करना क्या है . बहुत भटकाव की अवस्था थी .
( जारी.....)
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