हर किसी के जीवन में वो दौर जरूर आता है जब वो बहुत ज्यादा परेशान होता है। हर तरफ निराशा ही निराशा ही नजर आती है। मेरा भी वही दौर चल रहा था परीक्षा पर परीक्षा दिए जा रहा था पर सफलता दूर दूर तक नही नजर आ रही थी।
ऐसे ही मै किसी परीक्षा को देकर लखनऊ से वापस उन्नाव आ LKM से वापस आ रहा था। सामने की सीट पर एक छोटा सा बच्चा अपनी दादी के साथ बैठा था। बहुत चंचल था वो। थोड़ी देर में मुझसे हिल मिल गया। उसकी दादी से बात होने लगी और बातो बातो में पता चला कि वो एक मुश्किल से गुजर रही है। दरअसल वो जल्दबाजी में लखनऊ से चलते वक्त अपनी पर्स , बाथरूम ( जिस घर वो गयी थी ) में छोड़ आई थी और इस समय उनके पास १ रुपया भी नही था। उन्होंने ने बताया कि ट्रेन की टिकट भी नहीं ली है। उनकी मुश्किल यह थी कि वह कानपुर सेंट्रल में उतरने के बाद आगे कैसे जाएगी। हालांकि वह कह रही थी कि कोई ऑटो कर लेंगी जो उन्हें उनके घर तक छोड़ आएंगे और घर पहुंच कर पैसे दे देगी।
महिला सभ्रांत घर की लग रही थी। मुझसे बात करते वक़्त कुछ परेशान सी लग रही थी। मेरा स्टेशन उन्नाव आने वाला था। मेरे पास उस वक़्त २० या ३० रूपये से अधिक नहीं रहे होंगे पर मेरे दिल ने कहा इनकी कुछ हेल्प करनी चाहिए। मैंने उनसे पूछा कानपुर से आपके घर तक टेम्पो से जाने में कितने रूपये लगेंगे उन्होंने कहा १० रूपये। मैंने उन्हें १० रूपये देते हुए कहा यह रख लीजिए। उन्होंने बहुत मना किया पर मैंने उनके पोते को यह कहते हुए पकड़ा दिए कि आप इसको बिस्कुट दिला देना।
यह कोई बड़ी बात नहीं थी पर असल बात उसके बाद शुरू होती है। ठीक उसी रात , एक साथी ने अलाहाबाद से फ़ोन किया कि मेरा DATA ENTRY OPERATOR ( SSC ) में AIR 108 के साथ सिलेक्शन हो गया है . यह सफलता में पहली सुचना थी उसके बाद एक के बाद एक बहुत सारी सफलताये मिली . अब आप भी समझ रहे होंगे कि उपर की घटना क्यू महत्वपूर्ण थी .
मै कभी भी किसी भिखारी को भीख नही देता . कितना भी दयनीय क्यू न हो अगर वो रूपये मांग रहा है तो मुझसे एक रुपया भी नही पा सकता है ( यह अलग बात है कि मेरा दिल जब करता है तो किसी को भी स्वेच्छा से हेल्प कर देता हूँ . )
जैसा कि आप जानते है कि मै गावं से हूँ . मै 9 और १० अपने घर से 8 KM दूर स्कूल से किया है . मेरी उम्र थी 13 - 14 साल . रोज साइकिल चला कर आता जाता था . एक रोज मुझे रास्ते में एक उम्रदराज आदमी मिला था . गर्मी में पैदल चला जा रहा था . मैंने उसको अपनी साइकिल में बैठाकर अपने गाव की बैंक तक छोड़ा था . मन को बहुत खुशी मिली थी .
आज भी मैंने कुछ ऐसा ही काम किया है जिससे मन को बहुत संतोष मिला है और दिल कहता है कि उसका आशीर्वाद कुछ नया लेकर आएगा . उसकी कहानी फिर कभी जब उसका फल मिलेगा तब . पर सभी पाठकों से यह जुरूर कहना चाहूँगा कि भले मंदिर , मस्जिद , गुरुद्वारा मत जाईये पर आपके जीवन में अगर कभी कुछ अच्छा काम करने का मौका मिले तो उसे छोड़ना मत. अगर आपके जीवन में कुछ ऐसा हुआ है तो जरुर शेयर करिये . याद रखिये यह ऐसे काम है जिनसे दुनिया खुबसूरत बनी हुयी है बाकि तो मोह माया है .
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