कुछ रोज हुए पर बात है कि जेहन से उतर ही नही रही। कोई तो था, सामने जो बातों में तल्लीन इस कदर था कि उसे जरा भी होश न था कि जाने अनजाने में क्या कर रहा है..
हम चाय या कॉफी पी रहे थे। सामने नमकीन भी थी, मिठाई भी थी। सामने बैठे शख्स के हाथों पर नजर गयी तो वो काजू कतली का एक टुकड़ा उठा कर मुँह में रखा, फिर चाय सिप की। यह घटनाक्रम फिर उसने दोहराया।
उस वक़्त से लेकर अभी तक यह न समझ आया कि यह कोई नया ट्रेंड तो न चल पड़ा है या फिर वो बातों में बहुत गहराई से डूब गया था। मीठी चाय के साथ मिठाई ..भगवान ही जाने ...यह नई लीला।
© आशीष कुमार, उन्नाव।
14 नवंबर, 2021।