2 साल तक न्यूज़पेपर तक नहीं पढोगे
एक ips मित्र ( 2014 , up कैडर) से , अपनी सफलता के बाद हाल में ही अहमदाबाद में मिलने का अवसर मिला। उन्होंने तमाम बातों के साथ एक बड़ी अनुभव की बात कही।बोले अब दो साल तक न्यूज़पेपर तक पढ़ने का मन न होगा।
बड़ी पकी हुई बात थी। 11 अप्रैल को interview के बाद से कुछ भी न पढ़ा। रिजल्ट 27 अप्रैल को आया, उसके बाद न्यूज़पेपर भी बंद करा दिया वजह सब पेपर खोले तक न गए थे।
समय समय की बात है ,वरना मैं लगतार योजना, कुरुक्षेत्र मैगज़ीन तक लेने वाला व्यक्ति हूँ, आम तौर पर लोग इन्हें रेगुलर नही लेते।fully updated रहता था। अब तमाम ताम झाम में व्यस्त हूँ, देश दुनिया मे क्या हो रहा है, मुझे न के बराबर जानकारी है। खैर , फर्क क्या पड़ता है।
वैसे मैं इस बीच मे अपना पुराना नशा , नावेल पढ़ने की आदत को फिर से जीवित कर रहा हूँ और हाथ मे 'मुझे चाँद चाहिए' फेम सुरेन्द वर्मा का नया नावेल " दो मुर्दो के लिए गुलदस्ता" पढ़ रहा हूँ जो मेरे कमिश्नर साहब ने पढ़ने के लिए दी है।
आशीष, उन्नाव।।
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