अगर ऐसा होता तो भारत जैसे विकाशसील देशों के लिए काफी मुश्किल भरा होता क्यूकि इन देशों में एक बड़ा बाजार बन्द हो जाता ।
आशा की जा सकती है कि अब विश्व में बदलाव आएगा यह देखना रोचक होगा कि जर्मनी में मर्केल की जीत होती है या नही ।
गोंडा
कल से यह नाम काफी चर्चा में है । स्वच्छता रैंकिंग में नीचे से टॉप किया है । मुझे प्रसंगवश राग दरबारी का रिक्शा वाला याद आ गया । श्री लाल शुक्ल जी के काल जयी उपन्यास राग दरबारी में शुरूआती पन्नों में ही इसका जिक्र है जिसमें एक रिक्शा चलाने वाले गोंडा वाले रिक्शे चालक को हिकारत भरी बातों से अपमानित करता है ।
सच कहु काफी साल पहले जब पहली राग दरबारी पढ़ी थी तो गोंडा के लिए वही छबि बनी रही ।
हमेशा सोचता रहा कि शुक्ल जी की गोंडा से क्या अदावत थी ? कल की रैंकिंग से यही समझ कि शुक्ल जी कितने ज्यादा दूरदर्शी थे । वैसे एक और बड़ी रोचक बात बताता हु पिछले कुछ वर्षो से नए लेखक , व्यंगकार एक हिंदी शब्द का प्रयोग बहुत करने लगे है "लौंडे" । काफी दमदार शब्द है पर यह भी शुक्ल जी ही देन मानी जा सकती है । राग दरबारी में इस शब्द के भरपूर, सार्थक प्रयोग किया गया है ।
For essay
भारत एक नॉलेज पॉवर होने के साथ ही रेमिटेंस इकॉनमी है । भारत की अर्थव्यवस्था में विदेश से आने वाले धन की मात्रा विश्व में सर्वाधिक है । पश्चिम एशिया में तनाव, खनिज तेल के गिरते दाम के चलते , रिमिटेन्स में काफी गिरावट आई है । भारत को अमेरिका में H 1 visa isuue
के साथ साथ पश्चिम एशिया के देश में रहने वाले मजदूरों की प्रॉब्लम पर विशेष ध्यान देना होगा । इस विषय में यह उल्लेखनीय होगा कि मध्य एशिया के प्रवाशी भारतीय , अमेरिका में काम करने वाले लोगों से ज्ञान व् धन में कमजोर है , इसलिए भारत सरकार को inko prathmikta deni hogi.
स्पेस डिप्लोमेसी
भारत ने पड़ोसी देसो को आधुनिक अंतरिक्ष सेवाओं हेतु दक्षिण एशिया उपग्रह लांच किया है । इसके माध्यम से भारत के पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्ध बेहतर होंगे । इसे चीन की स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल नीति से निपटने में मदद मिलेगी । यह भारत की विदेश नीति के अहम सिद्धान्त गुजराल डॉक्ट्रिन के अनुरूप है जिसमें भारत से आशा की जाती है कि वह अपने पड़ोसी देशों से बगैर अपेक्षा के सहयोग करे ।
विश्व में संरक्षणवाद पर जोर दिया जा रहा है । ट्रम्प ने कई नीतियों यथा tpp से हटना , पेरिस संधि से हटना के माध्यम से इस दिशा में अहम संकेत दिया है । ब्रिटेन का eu से अलग होना, इटली के चुनाव आदि के माध्य्म से भी यही देखा जा रहा है । ऐसे में भारत जैसे उभरने वाले देश जिसको अपने मॉल की विक्री के लिए बाजार की जरूरत है , पड़ोसी देश अच्छा विकल्प साबित हो सकते है क्योंकि यह अभी कम विकसित है ।
इतिहास स्वयं को दोहराता है
इतिहास में शुरू से गहन रूचि रही है । कुछ नामचीन पुस्तकें ही पढ़ी है पर बहुतायत बार ।
आज फिर पढ़ा कि प्लिनी इस बात पर रोता है कि रोम से हर साल बड़ी मात्र में सोना भारत आ रहा है वो भी गोल मिर्च, हाथी दांत , मोती व् मलमल के लिए । यह ईशा पूर्व की बात है ।
इसके बाद कुषाण काल में रेशम मार्ग पर अधिकार से भारत ने विश्व व्यापार में खूब धन कमाया ।
आगे गुप्त काल को स्वर्ण काल भी कहा जाने लगा । फिर पतन का दौर शुरू हुआ 10 वी सदी तक भारत से सोने की वापसी होने लगी । गजनवी ने भारत से खूब सोना लूटा यानि सोना फिर पश्चिम गया ।
12 सदी से भारत में 3 नगरीकरण शुरू हुआ । सल्तनत काल और मुग़ल काल में फिर भारत में सोना जमा हुआ । इसमें भी गोल मिर्च का बड़ा हाथ माना जाता है बाकि सूती कपड़े तो भारत के थे ही उत्तम ।
इसके बाद अंग्रेज आये और फिर भारत से सोना ब्रिटेन गया । जब भारत आजाद हुआ तो पूरी तरह से बदहाल करके गए थे अंग्रेज । जाते जाते विभाजन के रूप में रोग दे गए । रोग की चर्चा फिर कभी ।
पिछले कुछ सालों से भारत सबसे ज्यादा सोना आयात करने वाला देश है । यानी फिर सोना भारत में जमा हो रहा है बाकी आप पर छोड़ता हूँ सोचिये और बताईये कि इतिहास से सबक ले तो क्या लगता है इस बार इस सोने की वापसी कैसे होगा ?
" चांदनी चन्दन सदृश हम क्यों कहे,
हाथ हमें कमल सरीखे क्यों दिखे ,
हम तो कहेंगे कि चांदनी उस सिक्के सी है
जिसमें चमक है पर खनक गायब है ।"
जगदीश कुमार
नई कविता में नए उपमानों पर जोर देते हुए ।
मैं नया कवि हूँ
इसी से जानता हूँ
सत्य की चोट बहुत गहरी होती है ;
मैं नया कवि हूँ
इसी से मानता हूँ
चश्में के तले ही दृष्टि बहरी होती है,
इसी से सच्ची चोटे बाँटता हूँ
झूठी मुस्काने नहीं बेचता
सर्वेसवर
पर सच तो यह है
कि यहाँ या कहीं भी फर्क नही पड़ता ।
तुमने जहां लिखा है ' प्यार '
वहाँ लिख दो ' सड़क '
फर्क नही पड़ता ।
मेरे युग का मुहावरा है :
' फर्क नही पड़ता '।
केदारनाथ सिंह ( नई कविता)
मुझे किसी भी सफल व्यक्ति की सबसे महतवपूर्ण बात उसके STRUGGLE में दिखती है . इस साल के हिंदी माध्यम के टॉपर निशांत जैन की कहानी बहुत प्रेर...