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गुरुवार, 12 नवंबर 2015

Emotional Intelligence in Hindi

भावनात्मक समझ ( Emotional Intelligence ) 
  1. अपनी भावनाओं , संवेगों को समझना उनका उचित तरह से प्रबंधन ( manage )  करना ही भावनात्मक समझ है।  
  2. इसमें व्यक्ति अपनी ' भावनात्मक समझ ' का उपयोग कर सामने वाले व्यक्ति से ज्यादा अच्छी तरह से संवाद कर सकता है , ज्यादा बेहतर परिणाम पा सकता है।  
  3. डेनियल गोलमैन ( Daniel Goleman)  की पुस्तक भवनात्मक समझ को सारे  विश्व में प्रचलित कर दिया।  
  4. इससे पहले बुद्धि लब्धि को ही सब कुछ माना जाता था।  
  5. एक अच्छी बुद्धि लब्धि वाला व्यक्ति अच्छी सफलता पा सकता है पर TOP पहुचने के लिए भावनात्मक समझ का होना भी जरूरी है।  
  6. अच्छी भावनात्मक समझ रखने वाला व्यक्ति कभी भी क्रोध और खुशी  के अतिरेक में आ कर अनुचित कदम नही उठाता है।  
  7. एक अच्छा ADMINISTRATOR  होने के लिए सिर्फ अच्छी बुद्धि होना ही काफी नही , भावनात्मक समझ के आभाव में प्रशासक लकीर का फकीर बन रह जायेगा।  
  8. PUBLIC SERVICE में भावनात्मक समझ का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है , इसके चलते सिविल सेवक सकारात्मक सोच के साथ , टीम भावना के साथ नीतियों का लागु कर पाता  है।  
  9. इसके चलते सिविल सेवक आम जनता से ज्यादा बेहतर संवाद कर पाता है।  
  10. सिविल सेवक अपने मतों , पूर्वाग्रहों से ऊपर  उठ कर लोक हित में कार्य कर पाता है।  
  11. इसके चलते व्यक्ति में अहं भाव का विकास न होकर सदैव विनम्रता  , दयालुता  , परोपकार , सत्यनिष्टा  , ईमानदारी  जैसे गुणों का विकास होता है।  


रविवार, 8 नवंबर 2015

HOW TO MOTIVATE YOURSELF

              हमारे जीवन में बहुत बार , ठहराव आ जाता है। हम चाह कर भी अपना पूरा focus अपने TARGET पर नही कर पाते है। इसकी वजह कुछ भी हो सकती है, पर हार कर बैठ जाना ठीक नही। आज आप को कुछ ऐसे TIPS बताने जा रहा हूँ जो आप को उस समय बहुत काम आयेगे जब आप हताश , मायूस , असफल महसूस करने लगते है। 

  1. एक कागज और कलम ले और किसी ऐसी जगह चले जाय जहाँ आप सकून से बैठ कर अपने बारे में सोच सके। 
  2. अब आप सबसे पहले उस कागज में अपनी PROBLEMS को लिखिए। जो कुछ भी झेल रहे हो उसे कागज पर उतार दे। हर चीज मसलन पिता से अनबन , EXAM में असफलता , रिश्तेदारों के ताने , प्रेम सम्बन्ध ( LOVE RELATIONSHIP)  के तनाव , अपने लक्ष्य , अपनी बुरी आदते ( BAD HABBITS )हर चीज को लिख डाले। 
  3. अब उन चीजों को लिखे जो चीजे आप लिए पॉजिटिव है सोचे कि आप के पास तो फिर अच्छा माहौल है कितने ही लोग चाह कर भी तैयारी नही कर पाते है , समय उन्हें मजबूर कर देता है कि तुम घर की जिम्मेदारी उठाओ। 
  4. इन दोनों टिप्स का अपना महत्व है। पहले से आप तनाव मुक्त होंगे और दूसरे से अपने आप को थोड़ा POSITIVE बनाने की कोशिस करे। 
  5. अपने अंदर एक बदलाव ( CHANGE ) महसूस करे। 
  6. हर वक़्त यह महसूस करे कि अब आप की भीतर एक सकारात्मक ऊर्जा ( POSITIVE ENERGY) है जो आपको हमेशा उत्साहित करती रहेगी।  (
  7. आप के आस पास कोई ऐसा जरूर होगा जो आपकी , आपकी मेहनत (STRUGGLE) की कद्र करता होगा। उनसे मिलने जाइए। मै जब हताश , मायूस , असफल महसूस करता तब एक अंकल के घर चला जाता था। वो बहुत अच्छी पोस्ट पर जॉब करते थे और हमेशा यही बोलते थे कि मेहनत करते रहे एक न एक दिन जरूर सफलता मिलेगी। 
  8. अगर कोई न मिले तो मेरे blog पर visit करें। आपको कुछ नया करने की प्रेरणा जरूर मिलेगी। कृपया लगातार हमारे touch  में बने रहने के लिए इसे  Email से follow करे।    
  9. कुछ नई अच्छी किताबे ( Motivational Books ) खरीदे। 
  10. अपने आप कुछ अच्छा और सकून देने वाला काम खोजे। हर वक़्त पढ़ना पढ़ना आप को उबा देता है इसलिए थोड़ा time अपने लिए निकाले । 
  11. नए सिरे से टाइम टेबल बनाये उसे Follow करे।  
  12. कुछ hobby  develop करें। कुछ भी जो आप को पसंद हो उसके लिए समय निकले। उसे अपनी ताकत ( Power)बनाये। 
  13. भाग्य साहसी का साथ देता है
  14. छोटे बच्चो के साथ खेले। अजीब टिप्स है पर है बहुत बढ़िया। उनके साथ आप खेल कर आप अपने तनाव को बहुत कम कर सकते है। उन्हें कुछ खुशी दे और वो आपको भैया या दीदी बुला कर आपको तनाव से बहुत दूर ले जायेगे। 
  15. आजकल लोग बहुत हद तक नास्तिक हो गए है।   आप बगैर किसी चाह के अपने धर्मस्थल ( मंदिर , मस्जिद , गुरुद्वारा चर्च  आदि ) जाये। कुछ देर वहाँ शांति से , मन को विचारों के प्रवाह के से हटकर खुश  होने की कोशिस करे। 
  16. एकांतवास का महत्व 
  17. तनाव दूर करने ,टहलना ( Walking)  भी बहुत अच्छी चीज है। 
  18. आप अपनी बात हम से मेल ( ashunao@gmail.com)  पर भी share  कर सकते है .समय मिलेने पर आपको अच्छी और नेक सलाह जरुर दे सकुगा . 


शुक्रवार, 6 नवंबर 2015

दिव्या : यशपाल का उत्कृष्ट उपन्यास

दिव्या
  • 1945   में लिखित बौद्धकालीन उपन्यास 
  • ' दिव्या ' इतिहास नही , ऐतिहासिक कल्पना मात्र है 
  • इतिहास विश्वास की नही , विश्लेष्ण की वस्तु है . 
  • मनुष्य भोक्ता नही करता है . 
  • यशपाल जी मार्क्सवादी विचारधारा के लेखक है , इस नावेल में इसी विचारधारा की पुष्टि होती है।  
  • बौद्ध धर्म , हिन्दू धर्म की विसंगतियों का चित्रण , चर्वाक दर्शन को सबसे ज्यादा महत्व 
  • ' मारिश' के विचार , एक प्रकार से यशपाल जी के विचार है।  
  • ' जन्म का अपराध ? '  कथानक के शुरु मे ही पृथुसेन के द्वारा , एक महत्वपूर्ण प्रश्न को उठाया गया है।  
  • ' देवता का विधान केवल विश्वास और अनुमान की वस्तु है ' कह कर यशपाल अपने समय की जटिल प्रश्नों से जूझने की कोशिस करते है।  
  • ' मै वर्ण का न्याय नही , धर्म का न्याय चाहता हूँ '  पृतुसेन 
  • ' मुर्ख , तू ने और तेरे स्वामी ने परलोक देखा है ? यह विश्वास ही तेरी दासता है।  तू अपने पर स्वामी के अधिकार को स्वीकार करता है , यही तेरी दासता का बंधन है। ....... तू स्वत्रंत 'कर्ता'  है।  स्वत्रंता का अनुभव करना ही जीवन है----- चर्वाकवादी मारिश का कथन 

रविवार, 1 नवंबर 2015

Good Governance in India

भारत में सुशासन के आधार 

  • पारदर्शिता - Transparent 
  • लोगो की पहुंच - 
  • सुचना का अधिकार - Right to Information
  • जबाबदेही - Accountability 
  • लोकपाल - 
  • सक्रिय न्यायपालिका - Active Judiciary 
  • प्रतिक्रियाशील - Responsive
  • सहभागिता - Participatory 
  • समावेशी - Inclusive 
  • विधि के शासन का अनुकरण - Follow the rule of law
  • दक्ष - Efficient 
आप चाहे तो मुख्य परीक्षा ( Ias Mains Exam ) में इन्हें प्रयोग करे , इन पॉइंट्स के आधार पर बहुत अच्छा निबंध ( Essay)  लिखा जा सकता है . 

सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

Nolan Committee in Hindi


नोलन समिति ( ऑक्टूबर 1994 )

  1. निस्वार्थता  -selflessness-- लोक कार्यालय में किसी भी निजी वित्तीय लाभ से हटकर निर्णय लेना 
  2. सत्यनिष्ठा- Integrity  किसी भी तरह के दबाव्  से परे होकर कार्य करना 
  3. वस्तुनिष्ठता - Objectivity जो सबसे उचित और योग्य हो उसको चुनना 
  4. जबाबदेही - Accountability - अपने निर्णय के लिए जबाबदेह होना 
  5. पारदर्शिता- Openness - किसी भी तरह के छिपाव , गोपनीयता से हटकर लक्षित समूह को भागीदार बनाते हुए प्रशासन 
  6. ईमानदारी - Honesty - 
  7. नेतृत्व - Leadership 

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2015

ADOLESCENCE / किशोरावस्था


जब मै B. Ed. कर रहा था मुझे उसके Course एक बात अभी तक याद रह गयी है उसमे  दूसरा पेपर Psychology होता है , उसमे किसी Western Philosopher  ने कहा थाकिशोर अवस्था बहुत ही तनाव, संघर्ष और तुफानो की अवस्था होती है . इस बात को मै बहुत सोचता था , इसको अपने पर भी  apply  करके देखता था और पाता था कि  सच में बात बहुत पते की गयी है .
मित्रो , सच में  adolescence period  यानि १६  से २० -२२ की उम्र बहुत जटिल होती है , हमारे विचारो में instability  होती है , हम अपने  decision पर अडिग नही रह पाते है . हम समझ में नही आता कि करना क्या है , हम अपने Parents  से , friends  से , Relatives  से तो असहमत होते है इसके साथ , हम खुद से भी असहमत होते है . हम जो कदम उठाते है , उस पर हमे यकीन नही हो पाता .
इसको example के तौर पर समझाता हूँ . पहले तो हमे पढाई में समझ नही आता कि आगे क्या पढ़े . Inter तक तो math  से पढ़ लिए था आगे समझ नही आता कि B.Sc. करू या B.A. पिता ने कहा B.Sc.  करो . आज उनके logic को सोचता हूँ तो अजीब लगता है उनका मानना था कि इससे तुम्हे  पढ़ाने के लिए अच्छे tution मिलेगे . पिता जी highly qualified  थे पर बेरोजगार . ऐसे में उनकी आस्था डिग चुकी थी , Government Service  उनके लिए दूर की कौड़ी थी .
बीएससी के तीन साल कैसे गुजरे पता चला . कोई book नही खरीदी . साल के अंत में कुंजी type notes खरीदता और उसे exam दे आता . पुरे साल मै हिंदी के  Novel , History  की Books  पढने में busy रहा करता . सच कहूँ तो हिंदी और इतिहास की गहन पढाई से ही अपनी Personality Development कर रहा था . बीएससी के Subjects , Math , Physics, Computer Application को तो समझ पा रहा था और उनकी utility  भी नही दिख रही थी .
बीएससी का बाद रोजगार के लिए बहुत दबाव पड़ने लगा . ऐसे में बी एड के फॉर्म एक सुभचिन्तक ने भरा दिए . Polytechnic का भी फॉर्म डाला. तीन फॉर्म पड़े थे दो बीएड के , एक  का Polytechnic . तीनो में ही नाम आया पर अतिम तौर पर ...
Polytechnic से कुछ याद आया. जहाँ मै किराये पर रहता था वहां पर एक भइया का भी घर था . भइया B.T.C करके Primary Teacher थे और ias ki preparation  करते थे . उनके पास शाम को कुछ और साथी पढने आते थे . मेरा बड़ा मन होता था कि मै भी उनके पास जाकर  कुछ सीखू पर हिम्मत होती थी .
Competition Success Review नामक   एक पत्रिका आती है. उन दिनों उसमे एक gk quiz  आती थी . उन दिनों  मै हर उस चीज में भाग लेने की कोशिस करता जिसमे कुछ prize  मिलने की आशा होती . भइया के पास कुछ quiz  के सवाल पूछने जाने लगा . खैर उस quiz में कभी मुझे कोई prize नही मिला . हा उस पत्रिका के लिए मेरे दो दर्जन essay  जुरूर  चयनित  हुए .

एक रोज भैया ने पूछा किआगे क्या plan  है ? मैंने कहा मुझे भी ias की   prepration  करनी है , पर अभी  का Polytechnic का  exam  दिया है उसमे नाम आया है . वो बहुत हैरान हुए बोले Polytechnic के चक्कर में क्यू पड़े हो . सीधे आईएस की तैयारी क्यू नही करते . मैंने बोला side carrier  बनना चाहता हूँ ... सच में उन दिनों , समझ में नही आता था कि वास्तव में life  में करना क्या है . बहुत भटकाव की अवस्था थी . 
( जारी.....) 

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