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गुरुवार, 24 जुलाई 2014

IAS AND STATE CIVIL SERVICES

टॉपिक ४६ 
आप क्या मारना पसंद करेंगे हाथी या चीटी ?


इससे पहले पेटा से जुड़े लोग हंगामा मचाये मै साफ कर दू ये शीर्षक सिर्फ प्रतीक मात्र है। पिछले माह शायद प्रतियोगिता दर्पण में एक इंटरव्यू पढ़ रहा था वही ये शीर्षक लिया है। दरअसल यहाँ पर हाथी का मतलब आईएएस से है और चीटी का मतलब PCS यानि प्रांतीय प्रशासनिक सेवाओ (MPSC, GPSC, HPSC, MPPCS, RAS etc.)  से है। उस इंटरव्यू में उस टॉपर से किसी ने कहा था कि जब आप हाथी मार सकते है तो चीटी क्यों मार रहे है ?

इस प्रश्न का कोई सर्वमान्य जवाब नहीं हो सकता है। क्या अच्छा है ? आईएएस और PCS एक साथ देना चाहिए या सिर्फ आईएएस ही टारगेट पर होना चाहिए। मै अपनी बात करू तो शुरू में न तो आईएएस के बारे में सोचता था न PCS के बारे में। बस ये लगता था कोई भी छोटी मोटी जॉब मिल जाय तो इस बेरोजगारी से राहत मिले। तैयारी के दिनों में धीरे धीरे मित्रो से परिचय हुआ तो आईएएस PCS  के बारे में भी सोचने लगा। शुरू के दिनों में मुझे सौभाग्य से कहु या दुर्भाग्य से कहु मुझे ऐसे गुरु मिले कि PCS से मन ही उचट गया। क्या क्या बातें बतायी जैसे इस में बहुत लेट में सलेक्शन होता है ? पोस्ट बहुत कम आती है। स्केलिंग होती है। रटने वालो का होता है। अमुक सर , ने ६ बार इंटरव्यू दिया पर चयन न हुआ। यहाँ जुगाड़ भी चलता है। अमुक सरनेम होगा तो जल्दी चयन हो जायेगा।  ये बच्चो का खेल नही है। ज्यादातर ३५ से ४० की उम्र चयन हो पता है। तुम्हारे बाल झड़  जायेंगे पड़ते पड़ते आदि आदि ( थोड़े बहुत अंतर के साथ यही समस्याये हर राज्य में है राजस्थान में भी कोर्ट में मैटर है। मध्य प्रदेश में सगे संबधी वाला विवाद , गुजरात में १० साल बार पोस्ट आई है )

  अच्छा इन गुरु से जो बातें पता चली वो अंशतः सत्य ही थी। हमारे उत्तर प्रदेश में आज भी २००८ या २००९ के कुछ रिजल्ट बाकि है। सोचिये २०१४ में ६ साल बाद भी रिजल्ट आना बाकि है। यही सब देख कर मै शुरू में PCS के फॉर्म भर कर भी नही देता था। शुरू ने कहानी ये रही की आईएएस का PRE निकल गया पर PCS में PRE से ही बाहर।  खैर बाद में कुछ LOWER और समीक्षा अधिकारी के PRE निकले तब तक मुझे सेंट्रल गवर्नमेंट में चुन लिया गया और PCS की कहानी रुक गयी। फॉर्म PCS का  हर बार भरा  पर देने का अब मन नही होता है।

आईएएस २०१० तो बहुत ठीक था। जमकर मेहनत करो और १ साल के भीतर चयन। PCS से ज्यादा पोस्ट भी आती थी।कितने ही रिक्शा वाले , मजदूर , किसान , सब्जी बेचने वालो के बेटे आईएएस बन गए। 

पर अब कहानी बदल गयी है। कल की दिल्ली की घटनाओं से मन बहुत खिन्न और उदास है। ये पोस्ट तो बहाना भर है कल की खिन्नता दूर करने की । मैंने हमेशा अपने परिचित से बड़ी सोच रखने को कहा है। पिछली पोस्ट ४४  में जिस साथी की बात कर रहा था उनसे हमेशा मै कहा करता था कि जब आईएएस बनने की क्षमता है तो क्यों PCS में पड़े हो आदि आदि। कितने ही लोगो से मैंने कहा था कि बहुत से लोग आईएएस को हौव्वा मानकर फॉर्म नही भरते है जबकि हर प्रतियोगी को आईएएस का फॉर्म जरूर भरना चाहिए चयन हो न हो पर आप उस स्तर तक सोचना तो सीख जायेंगे।

पर मौसम और समय बदल गया है। अब तो यही कह सकता हूँ कि मेहनत और सोच से ही काम नही चलने वाला है। समझदारी दिखने का वक़्त है। PCS में भी प्रयास करे खास कर जब आपके पास कोई जॉब न हो। और जो जॉब कर रहे है वो भी अगर मैनेज कर सकते है तो आईएएस के साथ साथ PCS के लिए प्रयास जारी रखे। हा मुझसे तो PCS की लम्बी तैयारी न हो पायेगी। 

( इस बात को लेकर अपने अपने बहुत से तर्क हो सकते है कुछ लोग PCS को आईएएस के लिए प्रैक्टिस के रूप में ले सकते है तो कुछ लोगो के लिए PCS , आईएएस से भटकाव भी है। आशा है आप अपनी सोच और उलझनों को शेयर करेंगे। न चाहते हुए भी अब २४ अगस्त के लिए शुभकामनाये। सर के बल खड़े होकर पढ़ाई शुरू करने का वक़्त आ गया है। एडमिट कार्ड सामने चिपका कर रात दिन पढ़ाई शुरू करिये। आपको एक पोस्ट से मतलब है।आंदोलन अपनी जगह है और एग्जाम अपनी जगह है।  सभी को हार्दिक शुभकानाए )

रविवार, 20 जुलाई 2014

Avoid such teacher for selection in ias

टॉपिक :  45 गुरु जो सिर्फ क्रॉनिकल पर भरोसा करते थे।

काफी दिनों बाद मित्र से मिलना हो रहा था। सप्ताहांत था। कुल तीन साथी  इक्क्ठा थे। मेजबान ने बताया कि अभी बड़े गुरु जी आ रहे है कुछ tips ले लिया जायेगा। मै खुश था पर मेरे दूसरे साथी बहुत ज्यादा खुश हुए। अभी तक एक बार भी आईएएस की pre परीक्षा में वो बैठे नही थे। सो खुशी से फूले नही समा रहे थे।

गुरु जी के बारे में हमारे मेजबान ने बहुत तारीफे कर रखी थी। यथा कि वो भले सफल न हुए हो पर बहुत पहुंचे हुए है। उनके पास बहुत अनुभव है। दिल्ली के कोचिंग में हमेशा टॉप किया है आदि आदि। खैर काफी इंतज़ार के बाद गुरु जी पधारे। साथी दौड़ कर चाय बनाने लगे। गुरु जी tea पीने के बाद गंभीरता से बैठ गए।


चुप्पी को मैंने ही तोडा। सर कुछ बताइए। (टिप्स जानबूझ कर नही कहा था क्यकि गुरु से टिप्स मांगना सबसे परेशान करने वाला प्रश्न होता है ) . सर , शांति से मेरी ओर देख कर चुप हो गए। मुझे लगा कि इनकी चुप्पी ही सबसे बड़ा टिप्स है। काफी देर बाद जब गुरु शुरू हुए तो लगातार टिप्स देते चले गए। गुरु भी job करते थे। सबसे पहले टाइम मैनेजमेंट time management पर ज्ञान दिया। जैसे कि वो एक हाथ से ब्रश करते थे तो दूसरे हाथ में क्रॉनिकल हुआ करती थी। Newspaper टॉयलेट में खत्म कर देते थे।  ऑफिस से lunch में निकल आते थे तो एक दो घंटे पढ़कर ही ऑफिस जाते थे आदि आदि।

मुझे आज उनकी याद यूँ ही नही आयी। दरअसल उनसे मिलने के कुछ ही समय  बाद  ही आईएएस का pre एग्जाम था। नए साथी ने गुरु की tips गाठ बांध कर रात दिन एक कर पढ़ाई करने लगे।  गुरु ने मूलमंत्र दिया था कि सिर्फ क्रॉनिकल पढ़ो।  साथी क्रॉनिकल पढ़ते रहे। ८ महीने की सारी क्रॉनिकल रंग डाली। 

जो एग्जाम दे रहे है उन्हें पता है कि आज कल pre में जरा भी करंट अफेयर्स नही आ रहा है। सो अंजाम वही हुआ जो होना था। साथी pre में न केवल धराशाई हुए बल्कि उनका मनोबल हमेशा के लिए टूट गया। मैंने पूछा क्या हुआ तो कहने लगे गुरु ने बर्बाद कर दिया। मैंने कहा  चलो गुरु से इस बारे में बात की जाय। खैर एक दिन फिर गुरु के साथ जमघट लगा। जब गुरु से इस प्रसंग में बात की गयी तो गुरु ने आँखे तरेरते हुए बोले मैंने तो मैन्स के लिए बोला था कि सिर्फ क्रॉनिकल पढ़ो।

अब ये ठीक से याद नही आ रहा है कि गुरु ने बोला था कि नही पर साथी का पूरा एक साल गया।  अंत कबीर के दोहे की पैरोडी से कर रहा हूँ। 

गुरु गोविन्द दोउ खड़े , काके लागु पाय 
बलिहारी गुरु आपकी क्रॉनिकल दियो बताय।

©आशीष कुमार ,उन्नाव



शनिवार, 19 जुलाई 2014

STORY OF A REAL HERO

टॉपिक : 44
भविष्य ऐसे लोगो का है।

अभी तक में मेरी सारी पोस्टो में सबसे ज्यादा "टॉपिक 39 आप टूटना मत मैंने भी ये दिन देखे है" पढ़ी गयी है  . पोस्ट पढ़ कर एक साथी ने कहा अपने लगता है मेरी कहानी लिख दी। मै उनके ऊपर पोस्ट लिखने के लिए पहले से ही मन बना चुका था।  मेरे साथ चैट में उन्होंने इच्छा व्यक्त कि लिखने से पहले एक बार मै उनसे बात कर लू कुछ और भी है उनके जीवन में बताने के लिए। मेरा ज्यादातर लेखन अपने नजरिये पर आधारित रहा है यानि जो मैंने देखा और महसूस किया वही लिख दिया।पेज पर किसी का नाम लिखने से परहेज है सो उनका नाम भी नही लिख रहा हूँ  वैसे भी किसी कहा भी है कि नाम में क्या रखा है ?

पहले वो जो मैंने उनमे अलग देखा फिर उनकी सुनायी कहानी।मुझे सबसे ज्यादा हैरानी इस बात पर होती है कि वो एक साथ आईएएस , PCS और  STAFF SELECTION COMMISSION की तैयारी करते है और केंद्रीय सेवा में ८ से १०  घंटे नौकरी कर रहे है। अकेले रहते है मेरा मतलब वो घर में भी अपने सारे काम खुद ही करते है।

जब उनसे मुलाकात हुई थी तब वो STAFF SELECTION COMMISSION में अच्छी रैंक से चयनित हो चुके थे। अगले बरस उन्होंने तीनो जगह फिर से TRY किया। STAFF SELECTION COMMISSION में उन्हें होम कैडर मिल गया। PCS का इंटरव्यू दिया था और आईएएस में मैन्स लिखा था। अगर आप को  याद हो मैंने उनका जिक्र पहले भी पुरानी पोस्ट में कर चूका हूँ ये वही साथी है जिनके २०१३ में आईएएस की PRE  परीक्षा में 279 आये थे। सामान्य अध्ययन में 113   और सीसैट में 166 अंक थे।

 गम्भीर प्रतियोगी इन अंको को समझ सकते है कि किस लेवल का स्कोर है ? और सबसे बड़ी बात यह है कि PRE के पहले एक दिन की छुट्टी नही ली थी। कभी कभी हैरान होता हूँ क्या जन्मजात प्रतिभा इसे ही कहते है ? मुखर्जी नगर दिल्ली में कितने ही साथी रात दिन , तरह तरह  की टेस्ट सीरीज , क्लास नोट्स पढ़कर भी ऐसा स्कोर करने के लिए तरस जाते है।   हाल ही में उनसे मेरी बातचीत हुई थी मैंने पूछा ये सब कैसे मैनेज कर लेते हो ? फिर उनकी वही मुस्कान भरा जबाब सर , ऐसे है। 

आज वो एक अच्छी पोस्ट पर है। निकट भविष्य में आईएएस या PCS में उनका चयन होना निश्चित है। पर पुराने दिन उनके ऐसे न थे। बचपन में दिया (दीपक  जो मिट्टी के तेल से जलता है ) जला कर पढ़ा करते थे। गांव से जुड़े है। कई बार पढ़ते पढ़ते उनके बाल दिए में जल जाते थे।  हमेशा की तरह इस नायक की आर्थिक दशा बहुत खराब थी। घर में थोड़ी सी जमीन थी जिसे पहले गिरवी रखी गयी जो कुछ समय बाद कर्ज न चूका पाने की वजह से बिक गयी।

जैसा कि मैंने अपनी पोस्ट में लिखा था रिश्तेदार लोग ऐसे होनहार लोगो की मदद करने से साफ इंकार कर देते है। जब वो 10TH में कॉलेज टॉप किया तो उनकी माँ बहुत हसरत से अपने भाई से मदद मागने गयी तो मामा ने सख्त लहजे में जबाब दिया अगर आपके पास दम है तो आगे पढ़ाओ कब तक उधार ले कर पढ़ाओगी। इसे काम धंधे से लगाओ चार पैसे कमायेगा तुम्हे भी आराम मिलेगी। पर माँ तो माँ होती है वो भला अपने होनहार  बेटे को काम धंधे में लगा कर क्यू भविष्य बर्बाद करती।


उनकी कहानी बहुत लम्बी और प्रेरणा से भरी हुई है पर हर बात को लिखने के लिए न मेरे पास समय है और न आप के पास पढ़ने का वक़्त। संक्षेप में आगे बढ़ते है। अगर आप ईमानदारी से मेहनत कर रहे है तो रास्ते खुलते जाते है। वो अपने पढ़ाई के साथ साथ ट्युसन भी पढ़ाने लगे। उनके जुझारूपन को देख कर कुछ नेक दिल लोग सामने आये। एक दोस्त के भाई नौ सेना में थे उन्होंने अपना एटीएम कार्ड उन्हें सौप दिया। इस बीच बहुत उतार , चढ़ाव उनकी जिंदगी में आये। एक बार पैसे के लिए उनकी बहन ने अपनी झुमकी तक बेच दी थी। धीरे धीरे उनका भी समय बदलने लगा। वहीं पुराने मामा आज अपने भांजे को लेकर अपने समाज में डींगे हाकते है। 

अपने हमउम्र के लिए "सर" का सम्बोधन मुझसे नही निकल पाता है। लेकिन "सर" मेरी नजर में   आप ही वास्तविक नायक है (YOU ARE REAL HERO ) . जरूरी नही आप भविष्य में आईएएस ही बने पर भविष्य आपका है। आप की  कहानी बहुत से संघर्षरत युवा प्रतियोगी मित्रो को हमेशा जोश देती रहेगी।अब जब की आपकी कहानी यहाँ पर पोस्ट होने जा रही  है  बहुत से लोग जानने के इच्छुक है कि

" आप ये सब कैसे मैनेज कर लेते है ? "

( मित्रो अगर वो अपनी पढ़ाई का राज मुझसे शेयर करते है या नही भी करते है तो भी मै भविष्य में उनके मैनजमेंट को जरूर शेयर करुगा अपने नजरिये से। मै आप से अपनी पोस्ट शेयर करने को कभी नही कहता इस डर से की पेज पर गैरजरूरी भीड़ न जमा हो जाये पर इस पोस्ट के लिए दिल कर रहा है कि जितने लोगो तक ये कहानी पहुंच सके उतना ही बेहतर होगा।  उगते हुए सूरज को तो सभी पूजते है पर कभी कभी आने वाले समय के नायक को समय से पहले महत्व दिया जाना चाहिए। पोस्ट उनसे हुई बातचीत पर आधारित है।  ) 

सोमवार, 14 जुलाई 2014

How much hours study are good for ias preparation

टॉपिक:- 43 
सर ,कितने घंटे पढ़े ?


यह ऐसा प्रश्न है जो हर कोई जानना चाहता है ? खास कर टॉपर से। और टॉपर के जबाब भी बहुत रोचक होते है। हाल में तो टॉपर ४ या ५ घंटे पढ़ने को बोलते है वरना एक ज़माने में कुछ ऐसे जबाब भी सुने है हमने। मुझे के इलहाबाद की मैडम याद आती है। अंडर ५ उनकी रैंक थी। उनके इंटरव्यू में पढ़ा था कि वो  ८ महीने या साल भर अपने स्टडी रूम से निकली ही नही। उनके मम्मी पापा ही उनके रूम तक खाना , जूस आदि पहुंचा दिया करते थे। वो १८ घंटे पढ़ा करती थी। खैर वो जमाना अलग था। समय लगता था। वैकल्पिक विषय तैयार करने में।
आज काफी कुछ बदल गया है। कम समय में लोग पढ़ कर रिजल्ट दे रहे है। जब से पेज बना है इस प्रश्न से मुझे कई बार रूबरू होना पड़ा है। आज भी किसी ने पूछा था कि सर कम समय में रिजल्ट दे सकते है। मेरा जबाब था कि पढ़ाई के घंटे बढ़ा कर। फिर अगला प्रश्न था कि कितने घंटे पढ़ना चाहिए ? इस जबाब जरा टेढ़ा था पर सच से भरा हुआ। मेरा जबाब था कि २४ घंटे में जितना कम समय अन्य गतिविधियों पर दे सके बाकि सारा टाइम अपनी स्टडी को दे। आप भी इस बात से सहमत होंगे कि जितने ज्यादा घंटे समय देंगे उतना ही अच्छा होगा। 
समय सबके पास २४ घंटे है। अब आप पर निर्भर करता है कि आप कितने घंटे फेसबुक को देना चाहते है और कितने घंटे अपनी स्टडी को। अगर आप जॉब में है ( इस पेज पर अधिकांश दोस्त जॉब करते हुए तैयारी कर रहे है। ) तो फिर आपको ज्यादा चुनौती का सामना करना पड़ेगा। क्युकि ८ घंटे तो आप जॉब में ही दे रहे है तो आप तो वैसे ही पीछे चल रहे है उनसे जो जॉब नही कर रहे है। बाकि १६ घंटे में आपको सब कुछ देखना है अपनी दैनिक गतिविधियाँ , सामाजिक सम्पर्क आदि आदि। 
ऐसे लोगो अपना मनोबल बढ़ाने के लिए कुछ जोशीली कहानियाँ पढ़ते रहना चाहिए। मैंने कुछ दिनों पहले नारायण मूर्ति के बारे में पढ़ा था कि वो अपने शुरुवाती दिनों में जब वो अहमदाबाद में रहा करते थे रात के ३ बजे तक अपने ऑफिस के लैब में कंप्यूटर पर काम सीखा करते थे और सुबह ६ या ७ बजे फिर से दूसरे दिन की सारी दिनचर्या शुरू कर देते थे
जब भी आप हताश होने लगे अपने से ज्यादा संसाधन हीन की ओर सोच ले कि वो कैसे मेहनत कर रहा है। यकीनन आप में नया जोश आ जायेगा। इस बार की प्रतियोगिता दर्पण में एक टॉपर ने बहुत अच्छी बात बताई है। उसने किसी टॉपर से पेरणा ली थी कि वह सारी रात बालकनी में बैठ कर पड़ेगी जब तक सफल नही हो जाती। 
इसलिए अब आज से ये प्रश्न पूछना बंद कि कितने घंटे पढ़ना चाहिए बस ये सोचे २४ घंटे में मै कितना कम समय अन्य जगह पर दू ताकि बाकि सारा समय पढ़ाई पर लगा सकू। 

(पेज अनुभव शेयर करने के लिए बनाया था पर मुझे आज तक किसी ने भी अपने अनुभव शेयर नही किये। आज हिम्मत दिखाते हुए इन प्रश्नो के जबाब शेयर करे। 
१. आप फेसबुक दिन में कितनी बार खोलते है ?
२. आप सारा दिन में कितनी देर मोबाइल और इंटरनेट में समय देते है ?
३. आप कितनी देर पढ़ाई कर रहे है ?
४. आप कितने घंटे अधिकतम पढ़े है ?
 मुझे आशा कम ही है फिर भी ईमानदारी से इनके जबाब दे। आज आपको भले अपनी सच बताने में भले शर्म लगे पर जल्द ही आप खुद ही समय की कीमत समझने लगेंगे। इसलिए सार्वजानिक रूप से से सच स्वीकारिये ) 


नोट : अगर आप भी हिंदी प्रेमी है तो प्लीज इस ब्लॉग को अपने मित्रो को शेयर करे , पोस्ट को फेसबुक पर शेयर , ईमेल सब्क्रिप्शन ले और सबसे जरूरी अपने महत्वपूर्ण कमेंट देना मत भूले। आप की राय मेरे लिए महत्वपूर्ण है।  यह मुझे और अच्छे पोस्ट लिखने के लिए प्रेरित करेगी। 









बुधवार, 9 जुलाई 2014

HINDI MOVEMENT FOR UPSC

TOPIC 42
निरपेक्ष कैसे रहा जा सकता है ?

पिछले दिनों कई मित्रो ने मुझे हिंदी से जुड़े आंदोलन की कई पोस्ट से मुझे टैग किया पर कमेंट करना तो दूर लाइक भी न किया पता नही क्यू। ऐसा लगता था कि इससे उदासीन ही रहू तो बेहतर है। वजह बेहद साफ है। मुझे डर लगता था  कि मन जो रोष भरा है उसे संतुलित तरीके से कैसे व्यक्त करू। 
कल शाम को एक मित्र से बातो बातो में लगा कि इससे निरपेक्ष कैसे रहा जा सकता है। दिल्ली में आंदोलन की कुछ तस्वीरें देखी जिसमे रात में सड़क पर साथी लेटे है। इन सबसे कोई कैसे और कब तक निरपेक्ष रह सकता है खास कर जब इसी बात की ताजी ताजी मार खुद खा चूका हो। 
हमारी भी कुछ सीमाये है। कुछ नियमो के अधीन है। इस लिए विशेष कर अपने इस पेज पर हमेशा संतुलित और अनुशासित पोस्ट की है। इस पोस्ट को भी बहुत चुन कर , नपे तुले शब्दों में लिखने का प्रयास कर रहा हूँ। मेरा विशेष निवेदन है कि प्लीज इस पेज की गरिमा बनाये रखना। गंभीर , अनुशासित टिप्पणी का स्वागत रहेगा। 

मन्नू भंडारी की नावेल महाभोज में एक पात्र है विशू। अपनी दशा भी कुछ वैसी ही है। हाल में जिस तरह से लोग अपने अधिकार की मांग कर रहे है वो तो होना  ही था। मै इतनी बारीकी से उस पर नजर नही रख पा रहा हूँ। अपने कुछ अनुभव जरूर शेयर करुगा और आप देखेगे की हिंदी की आयोग में इतनी दुर्गति क्यू है। 

सभी को लगता है कि हिंदी से  आयोग में इंटरव्यू दिया जा सकता है पर सच इससे इतर है। मेरा इंटरव्यू एक मैडम के बोर्ड में पड़ा था जिनके बारे में मशहूर है कि वो बहुत मूडी है। उनका पहला प्रश्न था कि what is conventional energy sources ?  आज मै केंद्रीय सरकार में कार्य कर रहा हूँ काफी हद तक इंग्लिश समझ और बोल सकता हूँ। पर उन दिनों मै ऐसा न था। मुझे कन्वेंशनल का मतलब समझ में नही आया। मैंने अनुमान से कहा कि आप नवीकरणीय ऊर्जा की बात कर रही है। मैडम  ने बहुत अजीब नजरो से देखा और कहा तुम्हे कन्वेंशनल का मतलब नही पता। खैर बात इतनी नही थी। रूम के कोने में दुभाषिया बैठा था। मैडम ने उनकी और देखा। उसने मेरी और देखते हुए कहा अरे कन्वेंशनल मतलब  कन्वेंशनल   …… . मैडम ने उसकी ओर और तीखी नजरो से देखा। तो वो अपने सर में हाथ मरते हुए बोला कि वो दिमाग में है पर जुबान में नही आ रहा है कि कन्वेंशनल  का हिंदी में मतलब क्या होता  है ?  अब बाकी आप पाठको पर छोड़ता हूँ कि हिंदी की आयोग में इस दशा पर क्या टिप्पणी करनी चाहिए। 
बातें बहुत सारी है धीरे धीरे लिखता रहूँगा पर जो लोग इस बार २४ अगस्त को pre देने जा रहे है उनसे यही कहुगा। आप उस पर ज्यादा या कहु पूरा ध्यान दे। वरना इस बार pre में ही बाहर हो गए तो हिंदी २६ से और कम पर सिमट जाएगी। अब अधिक दिन बचे नही है  और  बार pre मेरे अनुमान से सबसे कठिन होने वाला है। हाँ अगर आप इस बार pre में भाग नही ले रहे है और किसी के अधीन कार्यरत नही है तो इसमें जरूर प्रतिभाग करे। यह हमारी अस्मिता का प्रश्न है। इससे निरपेक्ष रह कर आप सकून से नही रह सकते। 
मुझे लगता है कि दिल्ली में बत्रा सिनेमा के बगल में कुछ साथी जमा हुए है। काश मै वहाँ एक भाषण दे पाता 
मांगो में मुझे कुछ सबसे जरूरी चीजो का आभाव दिख रहा है। सबसे बड़ी मांग होनी चाहिए आयोग में हिंदी से जुड़े लोगो को मेंबर बनाया जाये। आपको तो पता ही है हिंदी को आज इस दशा में में लाने के पीछे कुछ प्रयोगधर्मी लोगो का हाथ है। 
दूसरा सबसे जरूरी , हिंदी की जो कॉपी चेक करते है। उनको अपने दिमाग में भी यह बात लानी चाहिए कि १० अंक से सवाल में ८ अंक भी दिए जा सकते है। हिंदी में ऐसा पता नही क्यू है शुरू से देख रहा हूँ पूरे अंक देना अच्छा नही माना जाता है। इंग्लिश बोर्ड में ९५ या ९८ प्रतिशत अंक लाना बहुत आम बात है। हिंदी में इधर कुछ सालो में ९०, ९२ प्रतिशत अंक आने लगे है वरना पुराने दिन तो याद ही है आपको। मेरे कहने का मतलब बस इतना है कि हिंदी की कॉपी भी इंग्लिश की तरह कुछ उदार हो कर चेक की जानी चाहिए। 


( समय का बहुत आभाव है बहुत कुछ लिखा जाना शेष है फिर किसी रोज। कुछ लोग मेरे नाम को कमेंट में लिख देते है। प्लीज , पर्दे में ही मुझे रहने दे। नाम को आगे रख पुरे मन से न लिख पाउँगा।  )

















सोमवार, 7 जुलाई 2014

Think freely , Get extraordinary success

टॉपिक 41 

जरूरी है स्वतंत्र निर्णय 



LIFE में कई बार ऐसे मुकाम आते है जब आपको कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ते है। आप से कोई AGREE नही होता है न घर न परिवार न यार न RELATIVE । सभी आपको को आसान, परम्परागत रास्ता चुनने को कहते है सलाह देते है। परम्पराओ को तोडना आसान नही होता है। अगर आप लीक से हटकर OPTION को चुनते है तो आपको बहुत सा विरोध , तरह तरह कि बाते सुनने को मिलती है। आप के सामने या पीठ पीछे कहा जाता है कि पगला गया है , दिमाग खराब हो गया है, सटक गया है ( अवधी में) . और अंततः आप का COURAGE  खत्म हो जाता है। चाह कर भी आप अपने तरीके से नही जी पाते है। प्राय : दूसरो की WISHES का पालन करने में ही LIFE समाप्त हो जाता है।


 Rousseau ने लिखा है कि मनुष्य स्व्तंत्र पैदा होता है पर हमेशा जंजीरो में जकड़ा रहता है। हममे से कुछ लोग ही इन जंजीरो को तोड़ पाने का साहस जुटा पाते है। कभी ऐसे इंसान से आप मिले जिसने हमेशा परम्पराओं को तोडा हो। वह आपसे हमेशा यही कहेगा कि पहले पहल आपका खूब विरोध होगा पर जब आपके निर्णय सही साबित होने लगेगें सब आप के साथ आ जायगें।

एक उम्र तक हम अपने माता पिता के DISCIPLINE  में रहते है और रहना भी चाहिए। हमे पता नही होता है कि क्या उचित है और क्या अनुचित ? पर एक समय के बाद आपके विचारो में टकराव होना शुरू हो जाता है। पिता कहते है कि बेटा तुमसे न हो सकेगा ( गैंग्स ऑफ़ वसेपुर के रामधीर सिंह कि तरह ) .आप मन ही मन सोचते है कि तुम अभी देखना मै क्या कर दिखाऊगां।
Paulo coelho लिखते है कि आप तब तक स्व्तंत्र है जब तक आप विकल्प नही चुनते। एक बार आप ने विकल्प को चुना आप कि स्व्तंत्रता खत्म हुई। विकल्प कैसा ही हो आप को उसे सही PROVE करना ही होगा।
वो जो लीक पर चल रहे है या चलने जा रहे है उनसे सहानुभूति जतायी जा सकती है। और वो जो परम्पराओ को तोड़ कर , सबकी बातो ,सलाहो को अनसुना कर अपने अनुसार , अपनी शर्तो पर , अपने बनाये नियमों पर , चल रहे है या चलने जा रहे है उनसे क्या कहा जाय। …… दोस्त जिंदगी तो आप ही जी रहे हो बाकि तो सब केवल जिंदगी काट रहे है।



(खेद है  पोस्ट पुरानी है कुछ लोग इस पोस्ट को पहलें पढ़ चुके है [पर आशा करता हूँ आपको पसंद आएगी।  काफी वयस्त हूँ इसलिए कुछ नया न लिखा पा रहा हूँ।) 

मंगलवार, 1 जुलाई 2014

HOW TO FIGHT WITH YOUR POVERTY AND STRUGGLE

टॉपिक 39    आप टूटना मत मैंने भी ये दिन देखे है 

मुझे नही पता कि आप की  मेरी बारे  क्या राय है पर कुछ लोग मुझे अपने बहुत ही  पर्सनल बाते भी शेयर करते है पता नही ऐसा क्यू लगता है मेरे कुछ शब्द उनको बड़ी दिलाशा देते होंगे।  कल शाम  को फेसबुक पर किसी ने ये मैसेज था।  Sir i have faincial problm so hm khud hi padhte hai room ka kiraya bdi muskil se ho pata hai sir. ।   उसके जबाब में मैंने ये उत्तर दिया oh......maine bhi aise din dekhe h 6 sal ghr ghr ja kr tutuion pdhaya h........god pr faith rkho sb achha ho jayega....  मुझे लगता हैं कि उस साथी को जबाब पढ़कर काफी सकून मिला होगा।    उनके प्रश्न को पढ़ कर वो चीजे जिन्हें मै भूल चुका था फिर याद आने लगी। मै भी तो इसी दौर से होकर गुजरा हूँ। मैंने कुछ समय पहले अपने आत्मवृत में एक बहुत अनोखी बात लिखी थी पता मेरे आदर्श कौन है........ नही नही कोई महापुरुष नही। हर वो इंसान जिनके कड़े संघर्ष में सफलता पायी हो। 
अपनी बाते शेयर करने का वक़्त अभी पूरी तरह से  नही आया है पर कुछ कुछ बाते धीरे धीरे शेयर करते जा रहा हूँ बगैर यह जाने कि लोग क्या कहेंगे। 
मैंने ऐसा कुछ भी महान काम नही किया है पर इतना जरूर है कि जीवन  संघर्ष कर रहे साथी को कुछ सांत्वना जरूर दे सकता हूँ। 
एक अच्छी जगह पर पहुंच जाने पर लोग अपने संघर्ष , अपने अतीत को साझा नही करते है फिर मै कुछ लोगो के लिए संझेप में कुछ बातो का जरूर जिक्र कर रहा हूँ। मै एक बहुत छोटे गांव से हूँ , बहुत सामान्य परिवार से , और शायद आप को जानकर आश्चर्य होगा कि मेरे १० , १२ और B.SC. में क्रमश 53. 54.और 55 प्रतिशत   अंक मात्र है। पर मुझे कभी इस बात की परवाह नही रही है क्युकि जब लोग इन कक्षा में अपने परसेंटेज बना रहे थे मै कहानी , उंपन्यासो में जीवन तत्व को तलाश रहा था। मुझे पता था कि जब चाहूंगा जहाँ चाहूंगा पहुंच जाऊगा। मेरे जीवन का एक फलसफा है ढेर सारी किताबे समय से पहले ही पढ़ लेना। स्कूली किताबे पढ़ने में कभी मन ही नही लगा।  
खैर इन बातो को छोड़ते है मुझे उन लोगो से बहुत लगाव है जो ट्यूशन पढ़ा पढ़ा कर खुद तैयारी कर रहे है मै ने बहुत कम उम्र में पिता जी पैसे लेने बंद कर दिया था। ट्यूशन पढ़ा कर खुद ही  तैयारी करने में जो आंनंद है वो विरले ही जानते है। बहुत संतुष्टि मिलती है। 
एक बात लगे हाथ और कर लू हलाकि कि उन के बारे किसी और टॉपिक में बात करेंगे।  परिवार और रिश्तेदार। परिवार की बात नही कह सकता पर रिश्तेदार आप से खूब सहानभूति दिखायेगे हमेशा बोलेगे कि मुझे पता है ये  कुछ करेगा इसमें बहुत दम है  पर चंद रूपये आप उनसे माग कर देखिये भले ही करोड़ रुपए भरे हो पर वो आप से ज्यादा कंगाल बन जायेगे।  जीवन की कड़वी सच्चाई है ये। अपवादों को छोड़ दे तो सच्चाई यही  है। 
मै हमेशा एक बात पर जोर देता हूँ अगर आप ईमानदारी से मेहनत कर रहे है तो फल जरूर मिलेगा। मै भी जब संघर्ष कर रहा था कुछ लोग ऐसे दिलाशा देते थे जैसे आज आपको मै दे रहा हूँ तो मुझे लगता था कि ऐसे ही कहते है सब जगह पैसा चलता है आदि आदि। पर यकीन माने मैंने कभी कभी कोचिंग नही की पर रिजल्ट कितने दिए है पता है न (टॉपिक २६ दैनिक जागरण पढ़ ले ) . आप  मुझसे भी  ज्यादा रिजल्ट दे सकते है बस अनुशासित रहे। राजनीति , धर्म , जाति और प्रेम मोहब्बत जैसे विषय आप के लिए नही  है आप इनसे परे सिर्फ पढ़ाई पर फोकस रखे। 



( आशा है आपको पोस्ट पसंद आई होगी। कुछ व्यक्तिगत है पर उदेश्य आत्म प्रसंशा न होकर कुछ संघर्ष कर रहे दोस्तों को दिलासा देना है। आप से एक विशेष निवेदन है कोई प्रश्न पूछने से पहले पेज की सारी पोस्ट जरूर पढ़ ले। आपके प्रश्न का उत्तर ९० प्रतिशत मिल ही  जायेगा। सुविधा के लिए मैंने टॉपिक को नंबर दे कर व्यवस्थित कर दिया है।आप टॉपिक 38 में पहले प्रकाशित हो चुकी पोस्ट देख सकते है। जल्द ही भविष्य की आने वाली पोस्टो की सूची देने वाला हूँ.  पेज पर आप है हम से जुड़ने के लिए  आप का बहुत बहुत आभार )



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