मंगल मिशन 2014
हमारे देश में कभी कभी गर्व के ऐसे क्षण आते है जब सारा देश सामूहिक रूप से खुशी का अहसास करता है। कल की यादगार सफलता कुछ ऐसी ही थी। हर जागरूक नागरिक इस ऐतिहासिक सफलता की खुशी को अपने अपने तरीके से व्यक्त कर रहा था। सच में पहली ही बार में , इतने कम बजट में ऐसी सफलता अतुलनीय है।
मुझे याद आता है पश्चिमी देशो द्वारा जारी किये जाने वाले कुछ सूचकांक। वैसे को कई है पर एक की बात करता हूँ भष्टाचार सूचकांक में भारत का स्थान ९४ था पिछले वर्ष। इसी तरह कई रिपोर्ट में पढ़ने को मिलता है कि भारत में कुपोषण की स्थिति , अफ्रीका के कुछ देशो भी बदतर है। ऐसे रिपोर्ट पढ़कर मन बहुत दुखी होता है। ये लगता है हमारे देश की छवि , वैश्विक स्तर पर कितनी खराब है ?
कल की सफलता को इस आयाम से भी देखा जाना चाहिए कि इसके चलते हमारे देश के प्रति बने पूर्वाग्रहों को तोड़ने में भी बहुत सफलता मिली है। चीन, जापान जहां असफल रहे वहां हम सफल है।
वैज्ञानिको ने अपना काम , अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा दी है। इसी तरह जिस दिन समाज के हर अंग अपनी जिम्मेदारी को निभाने लगेंगे बगैर संसाधनो का रोना रोये उस दिन देश की गरिमा , उसकी अश्मिता के लिए बहुत महत्वपूर्ण पल होंगे। आखिरकार आने वाला कल हमारा है , ये सदी भारत की है।
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