बौद्ध धर्म
* बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बौद्ध थे।
* निर्वाण का अर्थ है जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति
* गौतम बौद्ध ने दुःख के निवारण के लिए अष्टांगी मार्ग बतलाया -
1 सम्यक दृष्टि
2 सम्यक संकल्प
3 सम्यक वाक्
4 सम्यक कर्मांत
5 सम्यक आजीव
6 सम्यक व्यायाम
7 सम्यक स्मृति
8 सम्यक समाधि
* प्रचार की भाषा पालि को बनाया जो जन साधारण द्वारा बोली जाती थी।
* बौद्ध धर्म के 3 अंग-
1 बुद्ध
2 संघ
3 धम्म
* बौद्ध धर्म के प्रमुख स्थल -भारत , श्रीलंका, बर्मा, तिब्बत, चीन, जापान आदि।
बौद्ध धर्म के व्यापक प्रसार के कारण-
* ब्राह्मणों की सर्वोच्चता
* बढ़ता धार्मिक अन्धविश्वास
* वर्ण/जाति के आधार पर भेदभाव
* स्त्रियों की निम्न दशा
*सामाजिक असमानता
इन सभी कारणों से लोग ब्राह्मण धर्म से छुटकारा चाहते थे जिसका रास्ता उन्हे बौद्ध धर्म के रूप में प्राप्त हुआ।
*एक अन्य कारण बड़े राजाओ द्वारा इसे अपनाया जाना भी था ।
* सुत्तपिटक- गौतम बौद्ध के धार्मिक उपदेशो का संग्रह
* विनयपिटक- बौद्ध संघ के नियम कानूनों की व्याख्या
बौद्ध समितियाँ
1.पहली बौद्ध समिति - 483 ई.पू.
आयोजन राजगृह में अजातशत्रु के राज के दौरान
अध्यक्ष-महकश्यप नामक भिक्षुक
2. द्वितीय बौद्ध समिति- 383 ई.पू.
आयोजन वैशाली में हुआ
अध्यक्ष- सर्वकमिनि नामक भिक्षुक
3.तृतीय बौद्ध समिति -250 ई.पू.
आयोजन पाटलिपुत्र में अशोक के राज के दौरान
अध्यक्ष- मोगलीपुत तिस्स भिक्षुक
इस समिति में अधिधम्म पिटक की रचना हुई जिसमे बौद्ध धर्म के दार्शनिक विचारो का संकलन है।
4. चतुर्थ बौद्ध समिति- प्रथम सदी
आयोजन कश्मीर के कुंडल वन में कनिष्क के काल में
अध्यक्ष- वसुमित्र
इस समिति के दौरान बौद्ध धर्म दो भागो में बाँट गया-
* हीनयान- मूल धर्म जो गौतम बौद्ध की शिक्षा का अनुशरण किया।
* महायान- परिवर्तित धर्म जिन्होंने नई सोच तथा तर्क को स्वीकार। ये हीनयान से अधिक लोकप्रिय हुआ।
* हर्ष वर्धन ने छठे महमोक्ष परिषद में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी भाग लिया।
* बौद्ध मठो में पवरन नमक समारोह वर्षा ऋतु में आयोजित होता था जिसमे बौद्ध भिक्षु अपने अपराधो को स्वीकार करते थे।
*
बौद्ध धर्म के ह्रास के कारण
* धीरे धीरे ये कर्मकांडो और अनुष्ठानो में फंस गया जिसका स्वयं ये धर्म विरोध करता था।
* पालि भाषा छोड़कर संस्कृत अपनाना।
*बौद्ध विहार विलासिता का केंद्र बन गए।
* कुछ समुदायो तथा राजाओ द्वारा बौद्ध धर्म के प्रति कठोर रुख अपनाना।
* बढ़ते दान तथा सम्पदा के कारण विदेशी आक्रमणकारियों का निशाना बनना आदि।
* बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बौद्ध थे।
* निर्वाण का अर्थ है जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति
* गौतम बौद्ध ने दुःख के निवारण के लिए अष्टांगी मार्ग बतलाया -
1 सम्यक दृष्टि
2 सम्यक संकल्प
3 सम्यक वाक्
4 सम्यक कर्मांत
5 सम्यक आजीव
6 सम्यक व्यायाम
7 सम्यक स्मृति
8 सम्यक समाधि
* प्रचार की भाषा पालि को बनाया जो जन साधारण द्वारा बोली जाती थी।
* बौद्ध धर्म के 3 अंग-
1 बुद्ध
2 संघ
3 धम्म
* बौद्ध धर्म के प्रमुख स्थल -भारत , श्रीलंका, बर्मा, तिब्बत, चीन, जापान आदि।
बौद्ध धर्म के व्यापक प्रसार के कारण-
* ब्राह्मणों की सर्वोच्चता
* बढ़ता धार्मिक अन्धविश्वास
* वर्ण/जाति के आधार पर भेदभाव
* स्त्रियों की निम्न दशा
*सामाजिक असमानता
इन सभी कारणों से लोग ब्राह्मण धर्म से छुटकारा चाहते थे जिसका रास्ता उन्हे बौद्ध धर्म के रूप में प्राप्त हुआ।
*एक अन्य कारण बड़े राजाओ द्वारा इसे अपनाया जाना भी था ।
* सुत्तपिटक- गौतम बौद्ध के धार्मिक उपदेशो का संग्रह
* विनयपिटक- बौद्ध संघ के नियम कानूनों की व्याख्या
बौद्ध समितियाँ
1.पहली बौद्ध समिति - 483 ई.पू.
आयोजन राजगृह में अजातशत्रु के राज के दौरान
अध्यक्ष-महकश्यप नामक भिक्षुक
2. द्वितीय बौद्ध समिति- 383 ई.पू.
आयोजन वैशाली में हुआ
अध्यक्ष- सर्वकमिनि नामक भिक्षुक
3.तृतीय बौद्ध समिति -250 ई.पू.
आयोजन पाटलिपुत्र में अशोक के राज के दौरान
अध्यक्ष- मोगलीपुत तिस्स भिक्षुक
इस समिति में अधिधम्म पिटक की रचना हुई जिसमे बौद्ध धर्म के दार्शनिक विचारो का संकलन है।
4. चतुर्थ बौद्ध समिति- प्रथम सदी
आयोजन कश्मीर के कुंडल वन में कनिष्क के काल में
अध्यक्ष- वसुमित्र
इस समिति के दौरान बौद्ध धर्म दो भागो में बाँट गया-
* हीनयान- मूल धर्म जो गौतम बौद्ध की शिक्षा का अनुशरण किया।
* महायान- परिवर्तित धर्म जिन्होंने नई सोच तथा तर्क को स्वीकार। ये हीनयान से अधिक लोकप्रिय हुआ।
* हर्ष वर्धन ने छठे महमोक्ष परिषद में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी भाग लिया।
* बौद्ध मठो में पवरन नमक समारोह वर्षा ऋतु में आयोजित होता था जिसमे बौद्ध भिक्षु अपने अपराधो को स्वीकार करते थे।
*
बौद्ध धर्म के ह्रास के कारण
* धीरे धीरे ये कर्मकांडो और अनुष्ठानो में फंस गया जिसका स्वयं ये धर्म विरोध करता था।
* पालि भाषा छोड़कर संस्कृत अपनाना।
*बौद्ध विहार विलासिता का केंद्र बन गए।
* कुछ समुदायो तथा राजाओ द्वारा बौद्ध धर्म के प्रति कठोर रुख अपनाना।
* बढ़ते दान तथा सम्पदा के कारण विदेशी आक्रमणकारियों का निशाना बनना आदि।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें