ग्राफीन
ग्राफीन (Graphene) sp2-बंधित कार्बन परमाणुओं की एक-परमाणु के बराबर पतली झिल्ली (शीट) होती है। इसमें कार्बन परमाणु हनीकंब क्रिस्टल लैटिस में अत्यन्त सघन रूप में पैक होते हैं।
इसका नाम 'ग्रेफाइट' के 'ग्रेफ' में 'ईन' जोड़कर बना है ।
# ये द्वि आयामी है।
# ग्राफीन को 2004 में खोजा गया ।
# कार्बन के एक परमाणु में 6 इलेक्ट्रान होते है , 2 आंतरिक शैल में तथा 4 बाहरी शैल में होते है।
#बाहरी शैल का हर एक इलेक्ट्रान किसी भी रासायनिक अनुबंध (bond)के लिए उपलब्ध होते है ,
परंतु ग्राफीन के 3 परमाणु अन्य कार्बन परमाणु से जुड़ जाते है और द्वि स्तरीय आयाम बनाते है तथा एक परमाणु को त्रि स्तरीय आयाम बनाने के लिए स्वतंत्र छोड़ देते है।
# इसका प्रयोग मशीन के निर्माण , गाड़ी, हवाई जहाज के निर्माण,अंतरिक्ष यानो के निर्माण में प्रयोग किया जा सकता है।
# ये ग्रेफाइट ,सिलिकॉन तथा जर्मेनियम का स्थान ले सकता है ।
# सोलर शैल बनाने में सहायक।
#इसकी कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओ के कारण ये भविष्य में
चिकित्सा क्षेत्र
नैनो तकनीक क्षेत्र
मैकेनिकल इंजीनियरिंग क्षेत्र
में काफी कारगर सिद्ध होगा ।
#इसमे आने वाली लागत को कम करना
. इसके प्रयोग को आसान बनाना
. इसको उपयोग योग्य बनाना
. सरल तकनीक विकसित करना आदि मुख्य चुनौतियाँ है।
ग्राफीन (Graphene) sp2-बंधित कार्बन परमाणुओं की एक-परमाणु के बराबर पतली झिल्ली (शीट) होती है। इसमें कार्बन परमाणु हनीकंब क्रिस्टल लैटिस में अत्यन्त सघन रूप में पैक होते हैं।
इसका नाम 'ग्रेफाइट' के 'ग्रेफ' में 'ईन' जोड़कर बना है ।
# ये द्वि आयामी है।
# ग्राफीन को 2004 में खोजा गया ।
# कार्बन के एक परमाणु में 6 इलेक्ट्रान होते है , 2 आंतरिक शैल में तथा 4 बाहरी शैल में होते है।
#बाहरी शैल का हर एक इलेक्ट्रान किसी भी रासायनिक अनुबंध (bond)के लिए उपलब्ध होते है ,
परंतु ग्राफीन के 3 परमाणु अन्य कार्बन परमाणु से जुड़ जाते है और द्वि स्तरीय आयाम बनाते है तथा एक परमाणु को त्रि स्तरीय आयाम बनाने के लिए स्वतंत्र छोड़ देते है।
# इसका प्रयोग मशीन के निर्माण , गाड़ी, हवाई जहाज के निर्माण,अंतरिक्ष यानो के निर्माण में प्रयोग किया जा सकता है।
# ये ग्रेफाइट ,सिलिकॉन तथा जर्मेनियम का स्थान ले सकता है ।
# सोलर शैल बनाने में सहायक।
#इसकी कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओ के कारण ये भविष्य में
चिकित्सा क्षेत्र
नैनो तकनीक क्षेत्र
मैकेनिकल इंजीनियरिंग क्षेत्र
में काफी कारगर सिद्ध होगा ।
#इसमे आने वाली लागत को कम करना
. इसके प्रयोग को आसान बनाना
. इसको उपयोग योग्य बनाना
. सरल तकनीक विकसित करना आदि मुख्य चुनौतियाँ है।
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