प्रश्न । सामाजिक मूल्य, आर्थिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण है राष्ट्र की समावेशी संवृद्धि के सन्दर्भ में इस कथन की चर्चा करें।
उत्तर -
1. सामाजिक मूल्यों से तात्पर्य ऐसे मूल्यों से है जो मनुष्य के सामाजिक जीवन से जुड़े हो जैसे- ईमानदारी, तटस्थता, समानुभूति, उत्तरदायित्व,निष्पक्षता, सहनशीलता, दया, देशभक्ति, न्याय आदि।
आर्थिक मूल्यों का अर्थ उन मूल्यों या सिंद्धान्तो से है जो किसी भी अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों के लिए आवश्यक है, जैसे- उद्यमिता, व्यवसाय नीतिशास्त्र, कमाई, लागत-लाभ विश्लेषण आदि।
2. समावेशी विकास के लिए आवश्यक तत्व
क. असमानता की समाप्ति
ख. पर्याप्त स्वतंत्रता
ग. राज्य के नागरिकों के लिए जीवन तथा स्वास्थ्य की सुरक्षा तथा अन्य बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना।
3.सामाजिक मूल्यों से सभी में निष्पक्षता तथा उत्तरदायित्व की भावना रहेगी जो आर्थिक वृद्धि को बढ़ाएगी, क्योकि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन निष्पक्षता से करेगा। जब सभी को ये पता होगा की उनके परिश्रम का परिणाम उन्हें अवश्य मिलेगा तो मनुष्य देश के विकास में भागीदार अवश्य बनेगा।
4. सभी व्यवसायी, बड़े उद्योग घराने आदि सामाजिक मूल्यों के आधार पर ही अपने समाज के प्रति उत्तरदायित्वों का वहन करते हुए स्कूल, हॉस्पिटल, अन्य गैर लाभ संस्थाओं का संचालन करते हैं।
5.देशभक्ति, प्रेम, समानुभूति के कारण क्षेत्रों, राज्यों के बीच असमानता को समाप्त किया जा सकता है तथा किसी भी विवाद या दंगे को प्रेम, सहनशीलता जैसे सामाजिक मूल्यों द्वारा बड़ी सरलता से सुलझाया जा सकता है।
अतः यह कहना उचित होगा की समावेशी संवृद्धि के लिए सामाजिक मूल्य भी उतने ही आवश्यक है जितने की आर्थिक मूल्य
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