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गुरुवार, 7 जून 2018

Some Important things

कुछ जरूरी बाते 

आशीष कुमार 


27 अप्रैल 2018  की शाम मेरे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण शाम थी। उस दिन सिविल सेवा का रिजल्ट आया था। मेरा अंतिम प्रयास था। तमाम तनाव और मुश्किलों के बीच सफलता की खबर ने मुझे संजीवनी सी दे दी। पिछले 9 सालों से इसके भवँर में था। 

सोचा था कि एक पोस्ट लिखूंगा कि देश के सबसे मुश्किल एग्जाम को पास करने के बाद के 1 महीने कैसे गुजरते है। महीना तो गुजर गया , आलस के चलते कुछ भी न लिखा। दरअसल सच कहूँ तो दिन अब बहुत बोरिंग से गुजरते है। खूब मेहनत करने की आदत पड़ गयी थी। ऑफिस का काम बहुत तेज करके समय बचा लेना , काफी पहले सीख लिया था। बचे टाइम में पढ़ना , लिखना चलता रहता था। अब न तो पढ़ना है और लिखने का मन होते हुए भी गर्मी से आक्रांत हूँ इसलिए चुपचाप पड़ा रहता हूँ। a.c. की इतनी बुरी लत लग गयी है कि जरा भी गर्मी बर्दास्त नहीं होती।

रिजल्ट के बाद 1 महीना कैसे गुजरा यह तो कभी फुर्सत में में ही लिखूंगा ( न जाने वो फुर्सत कब आएगी ) पर कुछ बातें कर लेता हूँ। तमाम लोग , किताबें , तैयारी के लिए संपर्क करने का प्रयास किया और मैंने यथा संभव उनकी मदद भी की। पर दिल से कहूँ तो मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि सफल व्यक्ति से भी ज्यादा अच्छे और गहराई से एक संघर्षरत , असफल व्यक्ति ज्यादा दे सकता है और उससे ज्यादा सीखा जा सकता है। 

पर नहीं दुनिया सिर्फ चमक के पीछे ही भागती है। मैंने पिछले ४ सालों के दौरान तमाम बहुत अच्छी और बढ़िया पोस्ट लिखी। उसमें हर चीज है बूकलिस्ट , टिप्स , लिंक आदि। बहुत बार लोगों से कहता था कि मैन्स के आंसर लिखो , मै चेक कर दूंगा। अपवादों को छोड़ दे तो कोई खास रिस्पांस न मिला। अब जब मैं कुछ न करता , सारा दिन यूँ ही अपना टाइम काटता रहता हूँ तो तमाम लोग उम्मीद करते है कि मै उन्हें कोई बढ़िया टिप्स दे दूंगा। भाई जब सच तो यही है कि मेरी पुरानी पोस्ट ही बड़े काम की है। अब जो कुछ बताऊंगा या लिखूंगा वह जमीनी हकीकत से परे ही होगा अब न तो मुझे एग्जाम देना है और न ही मैं अपने आप को अपडेट रख रहा हूँ । दरअसल अब मन भी ज्यादा नहीं होता। 

काफी लोगों को मेसेज का रिप्लाई भी नहीं दे पाता। कई बार बड़ी कोफ़्त भी होती है जब कोई फेसबुक पर बूकलिस्ट /टिप्स मांगता है , उसकी टाइम लाइन पर जा कर देखो तो पता चलेगा कि देश की राजनीती /प्रेम मोहब्बत का सारा ज्ञान , उन्हीं महानुभाव के पास है। कहने का आशय यह है कि यार तुम शायरी /जाति /धर्म /समुदाय/राजनीति  से अभी नहीं उठ पाए हो तो तुम अभी नादान हो। कम के कम सफल व्यक्ति की टाइम लाइन पर जाकर देखो - क्या वो भी वही करते है क्या ? सिविल सेवा गंभीरता मांगती है। मेरी तमाम असफलताओं के पीछे सिर्फ सिर्फ  एक ही वजह थी - मेरा upsc के लेवल का गंभीर न होना।  



-आशीष कुमार 
( सिविल सेवा 2017 में हिंदी माध्यम से चयनित )

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